मौसी की चूत में गोता -1

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दोस्तो.. मैं अपनी मौसी के यहाँ रह कर 12वीं में पढ़ रहा हूँ। आपको जो मैं कहानी बताने जा रहा हूँ.. वो मेरी 42 साल की रसीली मौसी लाली और मेरे बीच की है और ये घटना बस अभी एक महीने पहले की ही है। मौसी के घर में फिलहाल हम 3 लोग ही रह रहे हैं.. क्योंकि उनकी एक ही बेटी लवली है.. जो पुणे से इंजीनियरिंग कर रही है।

मेरी मौसी गदराए हुए जिस्म वाली महिला हैं, उनके 36 साइज़ के दूध.. 32 इंच की कमर और 34 इंच के 3-3 किलो के रसीले तरबूज पिछवाड़े में सैट किए हुए हैं.. मतलब जबरदस्त उठी हुई गाण्ड है।

मौसा जी सुबह 5 बजे से टयूशन कोचिंग के चक्कर में निकल जाते थे और रात 8 बजे तक घर आते थे। उन्हें अक्सर हफ्ते में 1-2 दिन काम के सिलसिले में दूसरे शहरों में भी रहना पड़ता था। तब मैं और मौसी ही घर पर अकेले होते थे।

मैं और मेरी मौसी दिन भर घर में अकेले रहते थे.. और दिनों-दिन मेरी चुदाई की तड़फ बढ़ती ही जा रही थी और ऐसे में मेरे लंड ने मेरी आँखों को मुझे अपने से कई साल बड़ी अपनी ही मौसी को हर समय देखते रहने पर मजबूर कर दिया.. और मैं भी मौसी को देखकर अकेले में ‘आहें..’ भरने लगा और अब तो हालत यह थी जब भी मेरी नदी में बाढ़ आती.. तो मेरी आँखों के सामने खुद ही मौसी का चेहरा आ जाता और मेरा लौड़ा कुछ ही देर में शांत हो जाता था।

मुझे भी ये सब अच्छा लगने लगा और मैं हर समय मौसी को देखने की फिराक़ में रहने लगा, कभी पोंछा लगाते समय उनकी चूचियों की गहराई नापता.. तो कभी खाना बनाते समय उनकी गाण्ड का नाप लेता.. कभी सोई हुई मौसी के पूरे शरीर का ऊपर से नीचे तक आँखों से चोदन कर देता।

मेरी सेक्स की इच्छा इतनी ज़ोर मार रही थी कि अब मैं किसी भी तरह से मौसी को चोदना चाहता था। लेकिन कैसे?

अब मैं अपनी बात बताता हूँ.. इन सबके बीच चढ़ती जवानी में लड़की या औरत के शरीर में भरे रस को देख कर अकेले रात गुजारना.. वो भी बिना चूत के.. सचमुच बड़ा ही मुश्किल था। लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरे जीवन की जवानी की शुरुआत का सावन.. मेरे लंड की प्यास बुझा कर मुझे दूसरी दुनिया में पहुँचाने वाला है।

मौसा जी के रुटीन के बारे में तो मैं आपको बता ही चुका हूँ और मैं स्कूल कम ही जाता था क्योंकि 12वीं के फाइनल एग्जाम होने के कारण ज्यादातर घर में ही रह कर पढ़ाई करता था। किसी किसी हफ्ते में 1-2 दिन स्कूल जाता या नहीं भी जाता था। मौसी और मैं दिन भर.. या यूं कहें कि सुबह 5 से रात 8 बजे तक.. घर में अकेले ही होते थे।

इस वजह से हम दोनों काफ़ी खुल गए थे.. पर किसी तरह की ग़लत बात नहीं होती थी। ग़लती करने पर मौसी मेरे कान भी खींचती थीं। मैं पढ़ाई करता और मौसी अपना काम करती रहती थीं।

घर में दो कमरे थे.. जिसमें एक में मैं सोता था और दूसरे में घमासान होता था.. मतलब मौसा और मौसी की चुदाई होती रहती थी। हम सब रात को 9-10 बजे तक सो जाते थे।

लेकिन जैसे-जैसे मैं ब्लू-फिल्म ज्यादा देखता था.. वैसे-वैसे मेरी चुदास बढ़ती ही जा रही थी और संतुष्टि का कोई रास्ता भी नज़र नहीं रहा था। मैं कभी-कभी मौसी के कमरे के बाहर खड़ा रहकर मौसी की दबी चीखें सुनने की कोशिश करता था.. लेकिन कुछ देख नहीं पाता था। इसलिए मुझे अपने बेबस प्यासे मन को समझा कर यूं ही मुठ्ठ मार कर सोना पड़ता था।

लेकिन मेरा लंड तो जैसे किसी की बात सुनना ही नहीं चाहता था। मैंने बहुत बार ध्यान दिया कि अंजाने में ही सही मौसी की नज़रें मेरे लंड पर पड़ने के बाद कुछ गोल ज़रूर होती थीं.. लेकिन कुछ भी टिप्पणी नहीं होती थी और इस तरह मुझे आगे का रास्ता मिल ही नहीं रहा था।

फिर एक दिन अचानक ऐसी घटना घटी कि मुझे मंज़िल नज़र आने लगी। हुआ कुछ यूँ कि गर्मी बहुत पड़ने लगी थी और रात को कमरे में सोना बहुत मुश्किल था। लगभग 42 डिग्री की तपिश से भारी गर्मी पड़ने लगी.. तो एक दिन मौसा जी ने कहा- आज से हम सब छत पर सोएंगे।

मौसी ने भी ‘हाँ’ कहा.. और फिर उस शाम को मैंने छत को धो दिया.. जिससे छत ठंडी हो जाए.. और सोने में मज़ा आए। फिर रात में मौसी और मैंने बिस्तर बिछा दिए। दो बिस्तर अगल-बगल में लगे थे.. जिसमें एक पर मौसा और मौसी सोए और दूसरे पर मैं सोया। बाहर बहुत अच्छी हवा चल रही थी.. जिससे सबको तुरंत नींद आ गई।

रात में मुझे जोरों से मुतास लगी.. तो मेरी नींद खुल गई और मैंने देखा कि मौसा वहाँ नहीं हैं.. तो मैंने सोचा कि शायद नीचे गई होंगे। मैं भी नीचे मूतने चला गया, मैंने देखा कि मौसा नीचे सोए हुए हैं।

मैं मूत कर ऊपर आ गया और सोने की कोशिश करने लगा। लेकिन मेरी आँखों से नींद कोसों दूर हो चुकी थी.. क्योंकि मेरा लौड़ा था कि सोने का नाम ही नहीं ले रहा था और मेरा मन बगल में अकेली सोई हुईं मौसी से हट ही नहीं रहा था। परन्तु मैं कर भी क्या सकता था सो मन मार कर सोने लगा.. लेकिन कामयाब नहीं हो पाया।

आख़िरकार मैंने सोचा कि एक बार ट्राई करने में क्या हर्ज़ है। मैंने 2 बार ‘मौसी.. मौसी..’ कहा.. लेकिन मौसी बेख़बर सोई हुई थीं। फिर मैं धीरे से उनके बिस्तर पर सरक गया और फिर सोने का नाटक करते हुए मैंने अपना एक हाथ उनके पेट पर रख दिया। तब मुझे ये पता चला कि उनका पेट पूरी तरह नंगा है.. वहाँ से साड़ी हट चुकी थी।

फिर मैं उनके पेट पर हाथ रखकर सोने लगा.. तभी मुझे ध्यान में आया कि अगर मौसी उठ गईं तो सोचेंगी कि मौसा हैं.. पूरी अंधेरी रात में कुछ दिख भी नहीं रहा था।

अब मैंने डरते-डरते अपना हाथ उनके पेट पर ही फेरना शुरू किया और कोई आपत्ति ना होता देख कर में लगा रहा। चूंकि मौसी की नींद गहरी थी.. मैंने अब अपने पंजे को उनकी बड़ी-बड़ी चूचियों पर रखकर बहुत हल्के-हल्के से दबाने लगा। फिर मैंने सोचा कि जब मौसी की नींद खुलेगी.. तो उन्हें मौसा का हाथ ही लगेगा.. तो मैंने अपनी इसी थ्योरी पर कुछ आगे बढ़ने की सोची।

प्रिय साथियों अब तक आपने जाना कि मैं अपनी मौसी के भरे जवान और प्यासे जिस्म से बहुत आकर्षित हो गया था और उनके साथ कुछ शारीरिक सम्बन्ध बनाने का प्रयास करने लगा

अगले पार्ट में आपको इससे आगे की कहानी लिखूंगा। आप चाहें तो मुझे ईमेल कर सकते हैं।

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