मौसी की चूत में गोता -9

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अब तक आपने पढ़ा था..

मौसी के संग सुहागरात का सीन चल रहा था। मैंने मौसी का हाथ पकड़ कर उनके चेहरे पर से हटाया और कहा- शर्माती क्यों हो.. जी भर कर देख लो इसे.. अब तो हमेशा तुम्हें मेरा लण्ड देखना भी है और उसे अपने पीछे के छेद के अंदर भी लेना है।

अब आगे..

‘मैंने तो अपने कपड़े उतार दिए हैं.. अब तुम भी अपने कपड़े उतार दो।’ वो बोलीं- मैं अपने कपड़े कैसे उतार सकती हूँ.. आज मेरी सुहागरात है और ये काम तो पति करता है.. मुझे शरम आती है।

मैंने मौसी के कपड़े उतारने शुरू कर दिए तो वो शर्माने लगीं, धीरे-धीरे मैंने मौसी को एकदम नंगी कर दिया।

उनकी चूचियाँ अभी थोड़ी बड़ी थीं और हल्की सी लटक भी रही थीं.. जिन पर मैं बेहद फिदा था। मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया और उनकी चूचियों को सहलाते हुए उनके होठों को चूमने लगा।

मैंने देखा कि उनकी चूत पर अभी बहुत सारे हल्के-हल्के बाल हैं और उनकी चूत एक-दम गुलाबी सी दिख रही थी। मैंने मौसी की चूचियों को मसलना शुरू कर दिया.. तो वो बोलीं- मुझे गुदगुदी हो रही है।

मैंने पूछा- अच्छा नहीं लग रहा है? वो बोलीं- बहुत अच्छा लग रहा है।

मैंने उनके निपल्स को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.. तो वो सिसकारियाँ भरने लगीं। उनके बाद मैंने उनकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया। मौसी को गुदगुदी होने लगी, उन्होंने मेरा हाथ हटा दिया.. तो मैंने पूछा- क्या हुआ? वो बोलीं- बहुत ज़ोर की गुदगुदी हो रही है। मैंने कहा- सुबह बोल रही थीं कि दर्द हो रहा है?

तो उन्होंने कहा- सुबह जब तुम मेरी चूचियों को मसल रहे थे.. तो दर्द हो रहा था.. लेकिन अब प्यार कर रहे हो तो गुदगुदी हो रही है। मैंने कहा- अच्छा नहीं लग रहा है क्या? वो बोलीं- अच्छा तो लग रहा है।

मैंने मौसी की चूत को सहलाना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में उनकी चूत गीली होने लगी। वो जोर-जोर से सिसकारियाँ भरने लगीं।

मैंने एक उंगली उनकी चूत के अन्दर पेल दी तो उन्होंने ज़ोर की सिसकारी ली। मेरा लण्ड अब तक बहुत ज़्यादा टाइट हो चुका था। थोड़ी देर तक मैंने उनकी चूत में अपनी एक उंगली, फिर दो और फिर तीन उंगलियों को अन्दर डाल दिया और कुछ देर बाद अन्दर-बाहर करने लगा।

वो चिल्लाते हुए कुछ ही मिनटों में झड़ने लगीं। झड़ते समय मौसी ने मुझे ज़ोर से पकड़ लिया और बोलीं- तुम्हारे उंगली करने से मुझे तो पेशाब भी लगने लगी है। तो मैंने उन्हें कहा- तो लाओ पिलाओ अपना मूत.. अपने इस कुत्ते को..

मौसी तुरंत खड़ी होकर मेरे मुँह पर बैठ कर धीरे-धीरे मूतने लगीं और मैं उनकी पेशाब पीने लगा और मस्ती में डूबने लगा।

मैंने कहा- ये पेशाब नहीं है.. ये तो अमृत है।

वो कुछ नहीं बोलीं.. मेरी उंगली उनके चूत के पानी से एकदम गीली हो चुकी थी। थोड़ी ही देर में वो पूरे जोश में आ गईं तो मैंने कहा- अब मैं अपना लौड़ा तुम्हारी गाण्ड में घुसाऊँगा.. तुम पेट के बल लेट जाओ।

वो पेट के बल लेट गईं। मैंने देखा कि उनकी गाण्ड भी एकदम गोरी थी। उनकी गाण्ड का छेद बहुत ही हल्के भूरे रंग का था। लाली मौसी ने कहा- आज पहली बार कोई मेरी गाण्ड मारने जा रहा है।

मैं अपनी उंगली उनकी गाण्ड के छेद पर फिराने लगा। उनके बाद मैंने एक झटके से अपनी एक उंगली उनकी गाण्ड में घुसा दी.. वो ज़ोर से चीख पड़ीं।

मैंने कहा- मौसी आज तुम जितना सीखोगी.. मुझे उतना ज्यादा मज़ा आएगा। वो बोलीं- दर्द हो रहा है। मैंने कहा- दर्द तो होगा ही.. अभी तो मैं अपना लण्ड तुम्हारी गाण्ड में घुसाऊँगा।

थोड़ी देर तक मैं अपनी उंगली उनकी गाण्ड में अन्दर-बाहर करता रहा।

वो बोलीं- मेरा छेद तो बहुत ही छोटा है और तुम्हारा लण्ड बहुत बड़ा है.. अन्दर कैसे घुसेगा? मैंने कहा- जैसे और औरतों के अन्दर घुसता है।

वो बोलीं- तब तो मुझे बहुत दर्द होगा। मैंने कहा- इसी लिए तो तुम्हारी गाण्ड मार रहा हूँ.. आज तुम्हारे चीखने से मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा। बोलीं- मैं समझ गई आज तुमने मुझे मार देने का प्लान बनाया है।

तो मैंने कहा- तुम्हें मार दूँगा.. तो चोदूंगा किसे? मैं उनके ऊपर आ गया तो वो बोलीं- तेल नहीं लगाओगे? मैंने कहा- लगाऊँगा..

मैंने अपने लण्ड पर ढेर सारा तेल लगा लिया। उनके बाद मैंने उनकी गाण्ड के छेद पर अपने लण्ड का सुपारा रखा और उनसे कहा- तैयार हो जाओ। उन्होंने कहा- ठीक है.. लेकिन बहुत धीरे-धीरे घुसेड़ना।

मैंने कहा- हाँ.. मैं बहुत धीरे ही घुसाऊँगा। उन्होंने अपने हाथों से अपने मुँह को दबा लिया। मैंने थोड़ा सा ही ज़ोर लगाया था कि वो ज़ोर से चीखीं, मेरे लण्ड का सुपारा भी अभी उनकी गाण्ड में नहीं घुस पाया था कि वो रोने लगीं।

बोलीं- मुझे छोड़ दो.. बहुत दर्द हो रहा है। मैंने कहा- दर्द तो होगा ही।

उन्होंने अपना मुँह फिर से दबा लिया.. तो मैंने इस बार कुछ ज़्यादा ही ज़ोर लगा दिया। वो दर्द से तड़फते हुए जोर-जोर से चीखने लगीं- मम्मी.. बचा लो.. मुझे.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी।

इस बार मेरे लण्ड का सुपारा उनकी गाण्ड में घुस गया, गाण्ड से खून निकल आया था। वो इतने जोर-जोर से चीख रही थीं कि मैं थोड़ा सा डर गया।

मैंने उन्हें चुप कराते हुए कहा- अगर तुम ऐसे ही चिल्लाओगी.. तो काम कैसे बनेगा? वो बोलीं- मैं क्या करूँ.. बहुत दर्द हो रहा था। मैंने कहा- थोड़ा सबर से काम लो। फिर सब ठीक हो जाएगा। अब मैं फिर से कोशिश करता हूँ।

उन्होंने अपना मुँह दबा लिया.. तो मैंने फिर से अपने लण्ड का सुपारा उनकी गाण्ड के छेद पर रख दिया। उनके बाद मैंने उनकी कमर के नीचे से हाथ डाल कर उन्हें ज़ोर से पकड़ लिया। फिर मैंने पूरी ताक़त के साथ ज़ोर का धक्का मारा।

वो बहुत जोर-जोर से चिल्लाने लगीं.. वो मेरे नीचे से निकलना चाहती थीं.. लेकिन मैंने मौसी को बुरी तरह से जकड़ रखा था, मेरा लण्ड इस धक्के के साथ उनकी गाण्ड में घुस गया।

वो जोर-जोर से चिल्लाते हुए ‘मम्मी.. मम्मी..’ पुकार रही थीं। वो कभी कहतीं- दीदी.. बचा लो मुझे.. नहीं तो ये कुत्ता मुझे काटकर मार डालेगा.. आह्ह.. बहुत दर्द हो रहा है… आअहह आअहह। वो खूब जोर-जोर से चीख रही थीं।

मैं अपना औज़ार अन्दर घुसा रहा था लेकिन मौसी मुझे लण्ड घुसेड़ने में मदद नहीं कर रही थीं.. वो बहुत चिल्ला रही थीं। वो उठना चाहती थीं.. लेकिन उठ नहीं पा रही थीं।

कुछ देर बाद मैंने उन्हें सहारा दे कर कुतिया के पोज़ में किया और अपने लण्ड को आगे झटका देते हुए कहा- मेरी प्यारी मौसी.. थोड़ा दर्द बर्दाश्त करो.. ये दर्द तो सभी औरतों को होता है। ये कोई नई बात थोड़े ही है।

जैसे ही मैंने थोड़ा सा ज़ोर लगाया और मेरे लण्ड और अन्दर घुसा.. कि वो जोर-जोर से चिल्लाने लगीं।

थोड़ी देर के बाद जैसे ही मैंने थोड़ा सा ज़ोर लगाया.. तो उन्होंने ज़ोर की ‘आह’ भरी और मेरा लण्ड उनकी गाण्ड में थोड़ा अन्दर तक घुस गया। मैंने थोड़ा ज़ोर और लगाया तो वो जोर-जोर से रोने लगीं। मेरा लण्ड बहुत मोटा था ही.. इसीलिए अब तक उनकी गाण्ड में चौथाई ही घुस पाया था।

मैं रुक तो गया.. लेकिन वो दर्द के मारे अभी भी बहुत जोर-जोर से तड़फ रही थीं.. मुझे गुस्सा आ गया.. तो मैंने ज़ोर का एक धक्का लगा दिया। इस धक्के के साथ ही मेरा लण्ड उनकी गाण्ड में काफी अन्दर तक घुस गया।

इससे वो और ज़्यादा जोर-जोर से तड़फने लगीं- उह.. दीदी.. बचाओ मम्मी.. बचाओ मैं मर जाऊँगी.. आआअहह ओह.. कोईई… मुझे इस कुत्ते से बचाओ.. आआअन्न् ओह.. मैं मर जाऊँगी।

उनके चिल्लाने की आवाज़ सुनकर मैं मस्त होता जा रहा था।

मैंने लाली मौसी को समझाया- देखो मौसी.. अगर तुम ऐसे ही चिल्लाओगी.. तो काम कैसे बनेगा? हर औरत को पहली-पहली बार दर्द होता है और उसे उस दर्द को बर्दाश्त करना पड़ता है। मौसी ने दर्द भरी आवाज में कहा- साले तेरा लण्ड तो घोड़े जैसा है.. तो दर्द कहाँ से बर्दाश्त होगा हरामी?

मुझे चुदाई के समय गालियाँ अच्छी लग रही थीं.. मेरा जोश बढ़ रहा था। मैंने कहा- एक बार पूरा अन्दर ले लो। उनके बाद हर औरत को मज़ा आता है और तुम्हें भी आएगा।

मौसी बोलीं- तुम मेरी बात पर विश्वास करो.. तुम्हारा लण्ड बहुत बड़ा है। मैंने बहुत से आदमियों को पेशाब करते समय देखा है.. लेकिन तुम्हारे जैसा लण्ड मैंने आज तक कभी नहीं देखा।

इस बार मैंने फ़ैसला कर लिया कि मौसी की गाण्ड मारनी है.. तो उनकी चीखों की परवाह ना करते हुए उनकी गाण्ड मारनी होगी.. चाहे वो कितना भी चीखें या चिल्लाएं.. अपना पूरा का पूरा लण्ड अन्दर घुसा दूँगा।

मैं उनके ऊपर तो था ही.. मैंने अपने लण्ड का सुपारा.. जो इस वक़्त उनकी गाण्ड के छेद में था। फिर उनकी कमर के नीचे से हाथ डाल कर उनकी कमर को ज़ोर से पकड़ लिया। मैंने थोड़ा सा ज़ोर लगाया तो उनके मुँह से ‘आह..’ निकल गई।

मैंने थोड़ा ज़ोर और लगाया उनके मुँह हल्की सी चीख निकल गई.. मेरा लण्ड उनकी गाण्ड में घुस ही चुका था। मैंने थोड़ा सा ज़ोर और लगाया तो वो फिर से चिल्लाने लगी और मेरा लण्ड एक इंच और अन्दर तक घुस गया।

मैंने उनकी चीख पर ज़रा सा भी ध्यान नहीं दिया। मैंने ज़ोर का धक्का मारा.. तो वो तड़पने लगीं और जोर-जोर से रोने लगीं- मम्मी.. बचा लो मुझे.. मैं मर जाऊँगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

इस धक्के के साथ मेरा लण्ड अन्दर घुस कर सैट हो गया। मैंने कुछ देर रुक कर फिर से बहुत ही ज़ोर का एक धक्का और मारा तो मौसी अपने हाथों को जोर-जोर से बिस्तर पर पटकने लगीं। उन्होंने अपने सिर के बाल नोंचने शुरू कर दिए और बहुत ही जोर-जोर से आयं-बायं बकने लगीं।

मौसी की गाण्ड का उद्घाटन हो गया मित्रो.. अब बस जरा रवां और कर लूँ फिर देखो मौसी के तीनों छेद किस तरह मेरे मूसल को खाते हैं। हाँ.. तीनों छेद.. मतलब चूत और गाण्ड के साथ मुँह को भी शामिल कर लीजियेगा।

आप ईमेल भेजिए इन्तजार रहेगा। [email protected]

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