मुम्बई से दुबई- एक कामुक अन्तर्वासना-5

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि रेनू उत्तेजना वश अपना तौलिया हटा कर नंगी हो गई।

मैंने जमीन से उठकर सबसे पहले अपने बदन से तौलिया हटाया, फिर जाकर रेनू के बगल में बैठ गया। अब वो भी पूरी तरह नंगी थी और में भी, दोनों तरफ आग बराबर थी। पर मुझे इस बनावटी खेल में मज़ा आ रहा था।

मैं चाहता तो यहीं लिटा कर उसकी चूत चोद देता पर इस खेल में चुदाई के बाद वो रस कहाँ रह जाता है जो रोमांस में है। इसलिए मैंने उसके हाथों को अपने हाथों में लेने के लिए हाथ आगे बढ़ाये और जान करके उसके बूब्स पर अपने हाथ छुआ कर उसके हाथ को अपनी ओर खींचा।

उसे अब कोई शर्म तो थी नहीं, जब मेरे हाथ उसके बूब्स को छू गए तब उसने एक सिसकारी भरी और बड़ी नटखट नजर से मुझे घूरने लगी। शायद उसे भी इस खेल में बहुत मज़ा आ रहा था, वो भी आहिस्ता आहिस्ता ही आगे बढ़ रही थी।

उसने अपने नीचे दबे तौलिये को भी निकाल फेंका और मेरी तरफ मुंह करके अपने दोनों हाथ मेरी तरफ बढ़ा दिए।

मैंने दोनों हाथों को अपने हाथों में लहजे के साथ लिया और दोनों हाथों पर एक प्यारी सी चुम्मी कर ली।

फिर एक हाथ छोड़ कर दूसरे हाथ को अपने हाथों में पकड़ कर नेल पेंट नाखूनों पर लगाने लगा।

उसने अपने दूसरे हाथ को मेरे लंड पर रख दिया। मैंने उसकी तरफ देखा शायद मेरे चेहरे पर उसने सवाल पढ़ा होगा, तो बोली- जब तुम पैरों में लगा रहे थे तब पैरों से चाबी भरी थी। अब हाथों में लगा रहे हो तो हाथों से चाबी भर रही हूँ।

मैं कुछ नहीं बोला और आराम से नेल पेंट लगाता रहा।

अब उसने मेरे लंड को मुट्ठी में कैद कर लिया और धीरे धीरे हिलाने लगी। मैं उहह अआह्ह्ह करता हुआ उसके नेल पेंट लगाए जा रहा था।

इतने में उखड़ कर रेनू बोली- अब मैं और क्या करूँ? कब से तुम्हारे सामने नंगी पड़ी हूँ मुझे चोद क्यूँ नहीं देते। मैंने कहा- बस यही सुनने का इंतज़ार था, अब अआह्ह्ह तुम्हारी माँ की लौड़ी होगी चुदाई।

मेरी आँखें बंद हो चुकी थी और मेरी तड़प अपने चरम पर थी। मेरे हाथों से नेल पेंट का ब्रश उसकी जांघों पर गिर गया पर उसने अपने हाथ को हिलना बंद नहीं किया।

मैं- मादरचोद! इतनी चाबी भी मत भर कि खिलौना टूट जाए। रेनू- बहुत अच्छे!

तब तक मैं सोफे पर ही गिर गया जिससे मेरे लंड को अच्छे से हिलाया जा सके।

मैं जैसे ही गिरा रेनू ने मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगी। इतनी देर से लंड अपनी सलामी दे रहा था की अब मेरे लिए रुक पाना मुश्किल था।

मैं- रेनू में आना वाला हूँ। रेनू- उंहह अंह लंड मुंह में था।

मैं- माँ की लौड़ी… भेन्चोद… साली रांड। तूने तो मज़ा ल दिया… आआ आआह्ह्ह्ह… तेरी अम्मा की चूत मादरचोद, क्या कमाल की रंडी है तू! कल रात से अपना बदन दिखा दिखा के मेरे भेजे का भोसड़ा कर दिया। ऊऊह्ह्ह्ह ले ले माँ की लौड़ी ले ले मेरा पूरा लौड़ा अपने मुंह में।

और गालियों की बौछार के साथ ही में भी उसके मुंह में अपने वीर्य की बौछार कर दी। वो मेरी गांड को सहला कर मुझे अधिक से अधिक वीर्य निकालने के लिए सहला रही थी।

मेरी बॉल्स और रानों पर भी उसकी कोमल उँगलियों का स्पर्श मेरे लंड की पिचकारी बंद ही नहीं होने दे रहे थे। मैं काफी झड़ा और उसके मुंह से मेरे वीर्य बाहर टपकने लगा।

फिर कुछ ऐसा हुआ जिसे देखकर मैं चौंक गया। उसने मेरे लंड को अपने मुंह से बाहर निकाल कर पूरा वीर्य पास ही पड़े कपड़े पर थूक दिया जैसे कल रात के सपने में थूका था।

मैं थोड़ा अचंभित हुआ, फिर और चौंकाने वाली बात यह थी कि उसने बिल्कुल उसी तरह मेरे पूरे बदन को जीभ से पौंछा जैसा कल रात के सपने में मुझे पौंछा गया था।

खैर मैं बहुत आरामदायक महसूस कर रहा था। बदन में इतनी देर से लगी आग अभी अभी शांत हुई थी इसलिए थोड़ी देर ऐसे ही पड़ा रहा। रेनू तब तक अपने हाथ मुंह धोने चली गई थी।

उसके बदन पर गिरे मेरे चिप चिपे वीर्य को साफ़ करके वो जब मेरे बगल में आकर बैठी तो मैं बोला- यार तुमने तो मज़ा दिला दिया। रेनू मेरे सोये हुए लंड को सहलाते हुए- तुम बहुत बदमाश हो।

मैं- क्यूँ मैंने क्या किया? रेनू चेहरे पर बड़ी सी मुस्कराहट- कितनी गन्दी गन्दी गालियाँ देते हो।

मैं- अरे बड़ा मज़ा आता है। जब लंड का पानी निकल रहा हो तो ये गालियाँ उसे अनुभव और भी मदमस्त बना देती हैं। तुम भी करके देखना।

रेनू मेरे लंड की और इशारा करके- अब इस छोटे से नरम मुलायम लंड से तो ये होने से रहा। पर परेशान होने की बात नहीं है, लंड है थोड़ी देर में फिर खड़ा हो जाएगा तुम तो नार्मल रहो बस!

मैं- हाँ, मैं भी यही कहने वाला था कि लोग एक बार पानी निकाल कर सो जाते है और सोचते है मेरा तो जल्दी हो गया पर अगर 15-20 मिनट इंतज़ार करें तो फिर से खड़ा किया जा सकता है।

रेनू- मुझे ऐसे सोये हुए लंड को प्यार करने में और चूसने में बड़ा मजा आता है… देखो कितना छोटा सा और क्यूट सा लग रहा है!

मैं- हाँ, तो आओ 69 में आते हैं, तुम मेरा लंड चूसना मैं तुम्हारी चूत टेस्ट कर लूँगा।

हम सोफे पर ही एक दूसरे के ऊपर 69 पोजीशन में आ गये, मैंने उसे नीचे लिटाया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया।

मेरा लंड अब रेनू के बूब्स के पास कोमल और गद्देदार जगह पर मजे ले रहा था और यहाँ मैंने अपने होंठों को रेनू के चूत पर लगा दिया और एक हाथ लम्बा करके मैंने उसका डिल्दो भी उठा लिया।

रेनू की चूत बहुत गर्मागर्म लावा उगल रही थी। जैसे ही मेरी जीभ ने रेनू के दाने को छेड़ा, वो तड़प उठी और झनझनाने लगी, उसका बदन में कम्पकपी हो उठी।

इधर रेनू मेरे चूतड़ों पर अपनी हथेलियों से धीरे धीरे मसाज कर रही थी और अपनी जीभ के नुकीले हिस्से से मेरे लंड के टोपे पर धीरे धीरे घुमा रही थी। उसकी इस हरकत से सनसनी तो बहुत हो रही थी पर लंड अभी भी सोया ही हुआ था।

इधर मैं चूत में अपना मुंह घुसाए जीभ से रेनू की चुदाई चालू कर चुका था।

जब उसकी चूत काफी गीली हो गई तब मैंने उसकी चूत पर प्लास्टिक के लंड छुआ दिया। मैंने धीरे धीरे रेनू की चूत के गीलेपन को उस प्लास्टिक के लंड पर लगाया और चूत की दोनों पंखुड़ी को खोल के धीरे धीरे उस लंड को रेनू की चूत पर दाने से लेकर गांड के छेद तक फेरने लगा।

रेनू- ये (डिल्डो) तुम्हें कहाँ मिल गया? मैं- तुमने जहाँ रखा था कि मुझे मिल जाए, वहीं!

रेनू- तुम सच्ची में बहुत ही ज्यादा बदमाश हो, तुम्हें पहले से ही पता था कि मुझे तुमसे चुदना है। मैं- जब तुम तौलिये में बाहर आई थी, तभी पता चल गया था।

रेनू ने पूरे लंड और दोनों बॉल्स को मुंह में ले लिया। मैंने अब धीरे से प्लास्टिक वाले लंड को रेनू की चूत में धकेला।

उसने मेरे लंड को अपने मुंह से बाहर निकाला और उसके मुंह से ‘सी सी…’ की आवाज़ निकलने लगी। अब मैंने फिर से प्लास्टिक के लंड पर थोड़ा जोर लगाया और उसे थोड़ा और रेनू की चूत में धकेल दिया। रेनू छटपटा रही थी, अब उसके मुंह से सिसकारियाँ और ओह्ह्ह आउच आहहहह की आवाज़ें निकल रही थी।

मैंने करीब आधे से ज्यादा लंड जब रेनू की चूत में उतार दिया तो मैं रेनू के ऊपर से उठ गया और सोफे से उतर कर नीचे जमीन पर आकर बैठ गया, रेनू की टाँगें अपनी तरफ मोड़ कर अब उसके डिल्डो को उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा।

रेनू ने अपनी टाँगें मोड़ ली और अपने हाथों से दबा ली जिससे चूत पूरी तरह खिली रहे और लंड आराम से अंदर बाहर हो सके।

अब वो सोफे पर इस तरह लेटी थी कि उसकी पीठ सोफे पर थी और कूल्हे और चूत हवा में और मुड़ी हुई टांगों से बूब्स दब रहे थे।

मैंने लंड को अंदर बाहर करने की गति को बढ़ा दिया।

रेनू- जब भी मेरा मन करता है चुदने का… तो मैं इस लंड को ही अपनी चूत में ले लेती हूँ। पर अपने आपको चोदने में वो मज़ा नहीं, तुम्हारे हाथों से चुदने में भी मज़ा ज्यादा आ रहा है। तुम्हारे लोहे की सलाख जैसा लंड भी लेना है। काफी समय से मैं असली लंड से नहीं चुदी हूँ। बोलो चोदोगे न मुझे?

मैं- हाँ मेरी जान, ज़रूर ज़रूर! पहले तुम अपने इस लंड के मजे ले लो, फिर मेरे लंड के ले लेना।

रेनू- मुझे गन्दी गन्दी गालियाँ देना सिखाओ न जान! मैं मन तो कर रहा था कि कह दूँ कि तुझे सब आता है, चूतिया मत समझ- हाँ सिखाऊँगा जानेमन, अब तू लंड के मजे ले और खुल के चुद!

मैं इतना बोलकर उसकी चूत के आसपास अपनी जीभ की नोक से चाटने लगा, फिर उसकी गांड के छेद को भी चाट लिया।

मैंने लंड को अंदर बाहर करने के गति बहुत तेज़ कर दी थी।

रेनू आह ऊँह कर रही थी और पागलों के तरह तड़प कर छटपटा कर चुदाई का आनन्द ले रही थी।

तभी मैंने लंड को एक झटके में पूरा बाहर निकाल लिया, फिर एक दो सेकंड रूककर फिर से पूरा लंड अंदर बाहर करने लगा। और फिर करीब 15-20 धक्कों के बाद फिर से पूरा लंड बाहर निकाल लिया।

ऐसा मैंने करीब 5-7 बार किया होगा, तब एक बार जैसे ही मैंने प्लास्टिक वाला लंड बाहर निकाला रेनू की चूत से फव्वारा निकल पड़ा। रेनू उसे रोकने के लिए अपने हाथ जो गांड की तरफ से ला रही थी, उससे रोकने की कोशिश कर रही थी।

वो बेहद बुरी तरह पानी निकाल रही थी जैसे मूत रही हो उस तरह का फव्वारा चल रहा था।

मुझे अभी तक समझ नहीं आया था कि यह झड़ रही है या मूत रही है।

मैंने इतनी लड़कियों और महिलाओं को चोदा है पर कभी इस तरह के स्खलन को अपनी आँखों से नहीं देखा था। उसके पेट की नसें अकड़ती हुई दिख रही थी, उसका पूरा बदन कांपता हुआ था और फव्वारे को देख मेरे लंड में खलबली होना शुरू हुई थी।

उसके इस फव्वारे में उसने मुझे भीगा दिया था, वो अपने निकलते हुए पानी को अपने हाथ से थपथपा रही थी और साथ ही अपनी चूत में ज़रा सी उंगली भी कर रही थी, जैसे कोई बच्चा पानी के साथ खेलता है।

उसकी इस थपथपाहट और मस्ती भरी हरकत देख ऐसा लगा मानो बरसों की प्यास बुझ रही हो।

मैं उसकी इस क्रिया को रोमांचक बनने के लिए अपने भीगने की परवाह किये बिना जल्दी से अपना सर उसकी टांगों की बीच ले गया और उसकी गांड के छेद को चाटने लगा, साथ ही उसकी चूत पर धीमे धीमे थप्पड़ भी लगाता रहा।

वो चीखती हुई चिल्लाती हुई झड़े जा रही थी और साथ ही मेरे सर को अपने बदन से दूर करने की कोशिश कर रही थी।

जब उसकी चूत से पानी गिरना बंद हुआ तो मैंने सर बाहर निकाला और एक अच्छी से शावर लेकर बदन पौंछ कर कमरे में आ गया। पूरा कमरा उसके पानी से सना हुआ था, पानी की कुछ बूंदें तो कमरे की दीवार पर भी लगी हुई थी और वो सोफे पर नंगी लेटी हुई आँखें बंद किये हुए अपने आप को सामान्य करने की कोशिश कर रही होगी।

मैंने सोफे पर बैठकर उसके सर को अपनी नंगी गोद में रख लिया और उसके बालों को पुचकारने लगा।

रेनू- तुम बहुत अच्छे हो, वाकयी तुम कोई प्यार करने की कला जानते हो। मेरे पति मुझे अच्छे से चोदते हैं पर इतना मज़ा मुझे आज तक उनके साथ नहीं आया। आई लव यू राहुल!

मैं- जानेमन, अभी चुदाई हुई ही कहाँ है। मैंने तुम्हें ओरल दिया है और डिल्डो से खुमारी मिटाई है। तुमने भी मुझे सिर्फ मेरे लंड को चूसा है, अभी तो असली प्यार होना बाकी है।

रेनू ने मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया, अपने बदन को थोड़ा उठा कर वो मुझसे लिपट गई। उसके स्तन मेरे पेट पर महसूस हो रहे थे। मेरे लंड ने अकड़ना शुरू कर दिया था।

तभी रेनू बोली- चलो अंदर मेरे कमरे में चलते हैं, वो बिस्तर थोड़ा बड़ा है और मस्ती अच्छे से हो पायेगी।

मैंने वहीं से रेनू को गोद में उठाया और कमरे की तरफ चल दिया। साली बहुत भारी थी, पर आखिर मर्द हूँ न तो वजन उठाकर भी बिना चेहरे पर दिखाए मुस्कुराते हुए उसे उसके बिस्तर पर पटक दिया।

हम जल्दी ही 69 में आ गये और एक दूसरे को मुख सुख देने लगे।

मेरा लंड अब लोहे की तरह कड़क और गर्म हो चुका था। उस पर रेनू मेरी गांड को भी चाट लेती थी जिसका असर यह था कि मैं चुदाई सुख पाने के लिए पलट गया और जल्दी ही रेनू की टांगों के बीच अपने हथियार की नोक को चूत के दरवाज़े पर टिका के खड़ा हो गया।

रेनू- तुम्हें पता है, आज तक मेरे पति के अलावा तुम पहले इंसान हो जो मेरी चूत में आने वाले हो। मैं- मैं खुशकिस्मत हूँ जो मुझे तुम जैसी लड़की की चूत में उतरने का मौका मिल रहा है।

रेनू- मुझे खुश कर दो राहुल, मेरे दोस्त, मेरे जानेमन, बहुत तड़प रही हूँ असली लंड के लिए जान… मेरी जान निकाल देना। मुझे कस कर चोदना डार्लिंग।

मैंने बिना कोई जबाब दिए बस अपने हथियार को धीरे से उसकी चूत में ठेल दिया।

बहुत दिनों की प्यास में जब असली लंड का चूत से मिलन हुआ तो रेनू के आँखों से आँसू निकल पड़े। वो शायद रो नहीं रही थी बल्कि शायद वो खुश थी।

वो न चीखी, न चिल्लाई, बस अपने होंठों को अपने होंठो में दबाकर उंह्ह उह्ह की आवाज़ें ही सुनाई दे रही थी। मैंने अपने लंड को उसकी चिकनी गीली चूत में थोड़ा और अंदर डाला और फिर धीरे धीरे छोट छोटे धक्के लगाने लगा।

रेनू ने मेरी कमर को पकड़कर मुझे अपनी और खिंचा जैसे वो कह रही हो कि पूरा का पूरा डाल दो एक ही बार में। पर मैं अपने ऊपर संयम रखकर धीरे धीरे धक्कों को थोड़ा सा तेज़ करके चूत की गहराई में आराम आराम से उतरने लगा।

रेनू की चूत में एक बार जब मेरा पूरा लंड अंदर तक पहुंच गया तब मैं पूरा रेनू के ऊपर लेट गया और उसके बदन के हर अंग को अपने बदन से रगड़ लेना चाहता था।

रेनू ने मेरे होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और चूसने लगी। मैं बहुत ही धीरे रेनू की चूत के अंदर बाहर होने लगा।

रेनू तड़प रही थी, मैं भी इस मिलन में मचल रहा था। मैं अपने हाथों में रेनू के दोनों बूब्स पकड़ कर उनको सहला रहा था। रेनू के होंठ जैसे ही मेरे होंठों से अलग हुए तो वो बोली- जानू, मुझे गालियाँ दो न?

शायद उसे गाली नहीं। पर उसे तेज़ तेज़ धक्कों की ज़रूरत थी। मैंने कहा- कुतिया साली रांड तुझे गाली खानी है? चूत का भोसड़ा बना दूंगा तेरी… तेरी माँ का भोसड़ा मादरचोद! कल से लंड ले लेती तो आज तक तो तेरी सारी आग बुझ जाती।

मैं भी अपना आपा खो चुका था, चूत पर एक से एक तेज़ और जोरदार धक्कों की बरसात कर डाली। तू इतने दिनों तक प्यासी क्यूँ रही, मुझे ही मिल जाती… पिछले चार महीने से बाथरूम में मुट्ठ मार रहा हूँ माँ की लौड़ी। तेरे जैसी रंडी को पटक पटक कर चोदता, दिन रात चुदाई होती। इतने लंड दिलवा देता कि चूत का भोसड़ा बन जाता।

इन सब गालियों की बौछार के बीच रेनू छटपटाते हुए अपनी गर्दन कभी दांये तो कभी बांये करते हुए सिसकारियाँ लेने लगी थी। उसकी सिसकारियाँ इतनी तेज़ थी कि वो मेरी गालियों की आवाज़ को दबा रही थी।

वो आज खुल के चुद रही थी।

जैसे ही मेरी गालियाँ रुकी, रेनू बोली- माँ के लौड़े, कल से तुझसे चुदना चाहती हूँ जब से तेरा लंड देखा है। तूने मुझे चूम लिया और मैं समझ नहीं पाई कि कैसे रियेक्ट करूँ, बस उसी कारण कल यह जानदार लंड मेरे हाथ से चला गया।

सुबह तुझे कमरे में आकर देखा था, तू बेख्याली में सोया हुआ था और तेरे लंड को जैसे ही हाथ लगाया तूने अपनी मलाई उगलना शुरू कर दी। मैंने ज़िन्दगी में पहली बार किसी सोते आदमी को मलाई निकालते देखा था।

मैंने तेरी मलाई खाई थी कल रात कुत्ते… तू इतना टेस्टी है कि मन किया तुझे जगा दूँ पर सोचा कि कल पूरा दिन तुझे अपना बदन दिखा दिखा के रिझा लूंगी कि तू मेरे ऊपर चढ़ जाए, मेरी चूत फाड़ डाले… पर तू है कि चढ़ा ही नहीं। बल्कि मुझे ही रंडी बना लिया तूने। पर तेरी रंडी बनने में बड़ा मजा आया… चोद मुझे चोद, पटक पटक कर चोद! मैं भी उछल उछल कर चुदना चाहती हूँ।

मैं तो सन्न था उसकी बातें सुनकर पर चुदाई के साथ बड़ी अच्छी लग रही थी। हम दोनों की धक्कम पेल काफी देर चली क्योंकि हम दोनों ही एक एक बार बुरी तरह अपना अपना पानी निकाल चुके थे।

चुदाई के बाद में थोड़ी देर चूत में लंड डाले पड़ा रहा।

कहीं यह भी तो कोई सपना नहीं? क्या हकीकत सपने से बेहतर थी?

आगे पढ़िए होता है क्या?

हमें कहानी पर आपकी टिपण्णी का इंतज़ार रहता है। कृपया अपने जानदार कमेंट्स लिखकर बतायें कि कहानी कैसी लग रही है? आप चाहे तो अपने दिल की बात सीधा [email protected] पर भी लिखकर भेज सकते हैं।

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000