चुम्बन से शुरू गांड पे खत्म-3

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आपने अब तक पढ़ा..

मैंने अंकिता को चोदने की तैयारी कर ली थी।

अब आगे..

उसे सब पता था.. क्योंकि हम दोनों ही बायोलॉजी के छात्र हैं। मैंने कहा- थोड़ा सहना पड़ेगा.. बस कण्ट्रोल रखना अपने पर।

फिर मैं उसके ऊपर चढ़ा और उसकी चूत पर अपने लंड को रखा ही था कि उसने पूछा- बिना कंडोम.. मैं प्रेग्नेट हो गई तो? मैंने कहा- सॉरी कंडोम भूल गया जल्दी जल्दी में.. मैं आइ-पिल टेबलेट दे दूंगा.. कुछ नहीं होगा। उसने मुस्कुरा कर मुझे चोदने की परमीशन दे दी।

मैं उसकी झांटों और चूत पर अपने लंड को रगड़ने लगा, उसने गरम होते हुए कहा- अब डाल भी दो प्लीज। मैंने लंड को उसकी चूत में हल्का सा झटका दिया.. उससे थोड़ा दर्द हुआ।

उसने अजीब सा ‘आह्हा.. अहाह्हाहा..’ की आवाज निकाली, फिर जितना भी लंड अन्दर गया था.. मैं उसे ही आगे-पीछे करके जगह बना रहा था, फिर अपने थूक से चूत को थोड़ा और चिकना और गीला किया। उस पल मैं उसकी एक चूची को अपने मुँह से चूस रहा था और दूसरी को तेज़ी से मसल रहा था।

अब मैं अपने चेहरे को ऊपर ले गया.. उसके होंठ पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा। वो मस्त होने लगी.. उसी पल मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर तेज़ी के साथ एक झटका दिया। मुझे अहसास हुआ कि मेरा आधा से ज्यादा लंड उसकी चूत में जा चुका था।

मैंने उसकी आँखों में देखा.. उसने मेरी आँखों में.. वो रोना चाहती थी.. उसे दर्द हो रहा था। उसकी आँखों में आंसू थे.. परन्तु मैं उसके होंठों को चूस रहा था और अपने लंड को उसी पोजीशन में रोका हुआ था।

करीब एक मिनट तक उसके गर्म-गर्म खून को मैं साफ़ तरीके से अपने लंड पर महसूस कर रहा था। फिर मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को बाहर निकाला जिससे उससे दर्द न हो। उसका दर्द देख कर मुझे अजीब सा महसूस हुआ।

मैं थम सा गया.. वो कुछ नहीं बोल रही थी.. अपने आपको मैं उसके ऊपर उसी तरीके से रोके हुए था, वो बस दर्द में कराह रही थी। मैं अपनी वासना के लिए उसे दर्द नहीं देना चाहता था इसलिए मैंने उससे कसके पकड़ लिया और रुक गया।

फिर मैंने हिम्मत करके उसकी चूत पर लंड को रखा और उससे कहा- अगर दर्द हो.. तो मुझे कसके पकड़ लेना.. मैं रुक जाऊँगा।

उसकी चूत पर खून लगा हुआ था, जब मैंने अपने हाथ को लगाया.. तो मुझे महसूस हुआ और कुछ मेरे लंड पर भी लगा था। उसी पल फिर से मैंने लंड को चूत में डाला, पहले झटके में जितना गया था.. उतने को ही आगे-पीछे करता रहा.. ताकि हल्का-फुल्का दर्द जो बचा है, वो खत्म हो जाए।

उसने मुझसे कहा- अब डालो अन्दर..

मैंने देर न करते हुए उसकी चूत में अगले शॉट में ही अपने लंड को और अन्दर डाल दिया। अबकी बार उसके चेहरे पर दर्द के साथ-साथ एक कातिलाना मुस्कान भी थी।

मैंने कहा- थैंक यू.. मेरी प्यारी सी गुड़िया.. आइ लव यू अ लॉट! अब मैं शॉट पे शॉट लगाए जा रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

अब जब भी मेरा स्पर्म निकलने वाला हो, तो मैं थोड़ा रुक जाता और कुछ सोचने लगता.. जिससे मैंने उसे पहली बार में 7-8 मिनट तक चोदा। वे पल मेरे ज़िन्दगी का सबसे हसीन पल थे, जिससे मैंने प्यार किया उसे मैं चोद रहा था। उसके मुँह से लगातार ‘आहाह्.. आहाहा.. हाह्हह..’ निकल रहा था.. जिससे मुझमें और जोश आता।

फिर मैंने अपने माल को उसकी चूत में ही निकाल दिया और फिर नंगे ही उससे चिपक कर लेट गया।

करीब आधे घंटे बाद उसने मुझे उठाया ‘चलो साफ़ कर लें अपने को..’ मैंने कहा- हाँ..

उसके कमरे में ही अटैच्ड टॉयलेट कम बाथरूम था.. हम दोनों वहाँ गए। उसे चलने में दिक्कत हो रही थी.. तो मैं उसे गोदी में उठा कर ले गया.. अन्दर बाथरूम में बैठाया और फिर शावर चला कर उसकी चूत पर साबुन लगाया और हल्का-हल्का सा रगड़ा तो खून का दाग निकला।

वो बोली- मैं खुद से साफ़ कर लूँगी।

मैं नहीं रुका और उसके पूरे बदन पर साबुन लगाया.. उसे नहलाया। वो सिर्फ मुस्कुरा कर देख रही थी कि मैं क्या कर रहा हूँ।

इस बीच मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था, उसने देखा फिर कहा- तुम्हें अभी संतुष्टि नहीं मिली ना.. मैं बोला- इट्स ओके यार.. मुझे तुम्हें और दर्द नहीं देना है। उसने कहा- तुम चाहो तो फिर कर लो.. अब मैं ठीक हूँ।

मैंने प्यार से डपटते हुए कहा- बस चुप.. सही से चल नहीं पा रही हो.. क्या घंटा ठीक हो। फिर मैंने उससे बाथरूम में साइड में बैठाया और कहा- अब मैजिक देखो।

मैं बाथरूम के फर्श पर बैठ कर अपने लंड पर साबुन लगा कर रगड़ने लगा। वो मेरी एक्टिंग देख कर हँस रही थी। फिर मैं उसके पास गया.. उसकी चूची पर हाथ रखा.. और रिक्वेस्ट की।

‘प्लीज मेरे लंड को रब करो ना..’

वो थोड़ी देर तक मेरे लौड़े को रगड़ती रही।

मैंने मन में सोचा कि इस वक्त मैं उसे चोद रहा हूँ। मैं आँख बन्द करके उसके हाथ को चूत समझते हुए इतना मगन हो गया कि उसे सामने से हटाना भूल कर सारा माल उसके मुँह के ऊपर ही निकाल दिया और वहीं बैठ गया।

जब आँखें को खोला.. तो वो हँस रही थी। मैं भी साथ में हँसा। उसने कहा- तुम्हारा नहलाना बेकार हुआ। यह कह कर उसने आँख मारी।

मैंने जल्दी से उसके ऊपर फिर पानी डाल उसे साफ़ किया और उससे तौलिए से पोंछा। फिर उसे गोद में उठा कर बिस्तर तक ले आया।

मैंने कहा- कपड़े पहन लो.. तब तक मैं भी अच्छे से नहा कर आता हूँ। मैं नहा कर नंगा ही आया.. क्योंकि मेरे कपड़े बाहर ही थे। मैंने देखा कि अंकिता अभी भी नंगी बैठी थी।

मैंने इशारे से पूछा- क्या हुआ? उसने प्यार से कहा- तुम पहना दो ना.. प्लीज।

मैं उसकी मासूमियत पर मुस्कुराने लगा। मैंने उसे लोअर पहनाया और फिर एक धुली टी-शर्ट पहनाई।

अब मैंने भी कपड़े पहने और उसके बगल में लेट कर बातें करने लगा।

मैंने पूछा- दर्द ज्यादा तो नहीं हुआ न? वो मुस्कुराने लगी।

मैंने उसे बिना रीज़न के उससे सॉरी बोला। उसने मुझे चुम्मी ली.. मुझे कुछ अच्छा लगा।

सुबह के करीब 5 बजे में दीवार फांद कर वापस अपने हॉस्टल में आ गया।

वो रात मेरी ज़िन्दगी की सबसे खूबसूरत रात थी। जिस पल मैंने अपने प्यार को चोदा था.. और हम दोनों ने मज़े लिए थे।

उस दिन रूम पर आने के बाद मेरे दिमाग में सिर्फ उसकी चूत और चूची नज़र आ रही थी.. मन कर रहा था कि उसी के साथ रहूँ.. उसके साथ मज़े करूँ.. उसे चोदूँ।

ये सोच कर बार-बार मेरा लंड खड़ा हो जाता रहा। इस सबको सोचते-सोचते मैंने बिस्तर पर ही मुठ मारी और स्पर्म अपने पेट पर गिरा कर उसी तरह सो गया।

सुबह देर से, लगभग 11 बजे उठा। अंकिता का मैसेज आया हुआ था कि वो आज क्लास नहीं जाएगी। मैंने कोई रिप्लाई नहीं दिया, बस अपनी बीती हसीन रात को याद करता रहा था.. मैं पूरे दिन बिस्तर पर पड़ा रहा।

फिर दोपहर में मैं उसके हॉस्टल गया, बाहर प्राची दिख गई, मैंने उससे ‘हैलो’ किया।

उससे पूछा- अंकिता क्या कर रही.. फ़ोन नहीं उठा रही है? वो हँसी.. बोली- सोई हुई है। मैंने प्राची को आइ-पिल का टेबलेट दिया और बोला- उसे दे देना। क्योंकि उसे भी मालूम था कि कल रात क्या हुआ था। मैं रूम पर आ गया।

रात को अंकिता से बात हुई। हमारी बातों में रात की चुदाई की बात ही थी, उसने बताया कि उसे मेरा नहलाना सबसे अच्छा लगा। उसने कहा- मैंने तुम्हारे साथ बहुत एन्जॉय किया।

उसे मैंने बहुत हँसाया, फिर मैंने पूछा- दवा खा ली? उसने बताया- हाँ.. तुमने दवा प्राची को दे दी थी.. तो अब सुबह से मुझसे पूछ रही है कि कैसे-कैसे चोदा.. क्या-क्या हुआ? मैंने कहा- तो तुमने क्या कहा? वो बोली- बस किसी तरह टाल रही.. अभी तक नहीं बताया। रात में शायद बताऊँगी। लेकिन अगर उसने अपनी चुदाई की कहानी बताई तो ही मैं बताऊँगी। मैंने कहा- जो सही लगे वो करो डियर।

दो दिन बाद हम आकाश गए.. साथ बैठे.. बिना बात हम दोनों मुस्कुरा रहे थे। मैंने कहा- बहुत मज़ा आया.. फिर कब मिलेगा मौका? उसने कहा- मैं भी मौके की ही तलाश कर रही हूँ।

मैं बोला- प्राची से बात करो.. वैसे भी तुमने हमारी चुदाई की कहानी तो बता ही दी है। हमारी बात के बाद रात अंकिता ने प्राची से बोला- राहुल और मैं फिर से सेक्स का प्लान बना रहे है.. तुम कब जाओगी? उसने बताया- मेरा बॉयफ्रेंड अभी अपने घर गया है.. वो 2-3 हफ्ते बाद आएगा।

यह सुन मेरे नीचे से ज़मीन खिसक गई। जब अंकिता ने ये सब मुझे बताया.. तो मैं बोला- मतलब अब हम प्यार नहीं कर सकते। वो बोली- शायद..

और फिर थोड़ी देर बाद ही मैंने फ़ोन रख दिया। ये सोच कर अब मुझे रात भर नींद ही नहीं आई।

अगले दिन अंकिता ने मुझे मैसेज किया- हम दोनों बाथरूम में प्यार कर सकते हैं। क्या प्राची से बोलूं.. वो मान सकती है। मैंने झट से कहा- हाँ।

और फिर वही हुआ.. उसी रात का मिलने का प्लान तय हो गया। मुझे रात 2 बजे मैसेज आया ‘आओ हॉस्टल..’ और मैं पहुँच गया।

आज सामने अंकिता और प्राची दोनों खड़ी थीं। मैं झट से दीवार पर चढ़ के उनके पास पहुँच गया और प्राची से ‘थैंक यू’ बोल कर हम दोनों कमरे में चले गए।

आज दोनों लड़कियां गज़ब लग रही थीं।

प्राची भी गोरी है.. भरा हुआ बदन है, चूचे थोड़े बड़े हैं। उसने इस वक्त एक सिंगल पीस वाली एकदम ढीली सी मैक्सी पहनी हुई थी, जिसका गला बहुत बड़ा था।

अंकिता एक छोटी सी निक्कर पहने थी, जिसमें से उसकी पूरी टाँगें दिख रही थीं और वो भी ऊपर एक टी-शर्ट डाले हुए थी।

हम तीनों कमरे में पहुँचे। प्राची दरवाज़ा लॉक करके घूमती.. उससे पहले ही हम दोनों एक-दूसरे को बांहों में भर चुके थे। ना अंकिता से कण्ट्रोल हुआ.. ना मुझसे..

प्राची बिना कुछ बोले एक चेयर पर बैठ गई। दो मिनट बाद हम अलग हुए और बिस्तर पर बैठ गए। मैंने प्राची से उसके हाल-चाल पूछे और बात ही बात में खींसे निपोरते हुए कहा- यार कण्ट्रोल ही नहीं हुआ अभी।

वो मुस्कुराई.. फिर बोली- कोई बात नहीं.. मैं समझ सकती हूँ। हम दोनों भी मुस्कुराए।

मैंने अंकिता को इशारा किया कि बाथरूम में चलो। इस वक्त अभी भी हम दोनों को एक अजीब सी शर्म आ रही थी।

फिर मैंने प्राची से कहा- सब नार्मल है ना.. अगर हम कुछ करें बाथरूम में तो.. कोई दिक्कत? वो हँस दी और पूछने लगी- अन्दर दिक्कत नहीं होगी तुम लोगों को? अगर शर्म न आए.. तो अपना ‘मीठा वाला’ प्यार यहाँ भी कर सकते हो।

अंकिता और मैं हँसने लगे और हँसते हुए ही मैंने अंकिता के होंठों पर अपने होंठ रख दिए। फिर थोड़ी देर रुक कर मैं बोला- सॉरी अंकिता कण्ट्रोल नहीं कर पा रहा हूँ।

अंकिता ने उठ कर बाथरूम में चलने का इशारा किया।

मैं और अंकिता बाथरूम में चले गए और एक-दूसरे को पागलों की तरह किस करने लगे।

चुदाई की प्यास इतनी अधिक होती है कि उस वक्त जगह आदि को लेकर कोई प्रश्न ही नहीं होते हैं।

मुझे उम्मीद है कि आप सभी को मजा आ रहा होगा। मुझे आपकी ईमेल का इन्तजार रहेगा। [email protected] कहानी जारी है।

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