चुम्बन से शुरू गांड पे खत्म-6

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आपने अब तक पढ़ा..

मैं और प्राची बाथरूम में नंगे थे, तभी अंकिता ने दरवाजे को खुलवा लिया।

अब आगे..

अंकिता ने मेरे लंड की तरफ देखा वो अंडरवियर में खड़ा था। वो कुछ बोली नहीं और मेरे गले लग गई। मैंने भी उसे कसके पकड़ लिया।

उसने एक मिनट बाद पूछा- भरोसा कर लूँ न तुम पर? मैंने ‘हाँ’ कहा.. तो वो बोली- थैंक्स.. आई लव यू.. मैंने सुना था तुमने मुझे धोखा ना देने को कहा। मैंने रिप्लाई में कहा- आई लव यू टू..

वो बोली- आज मुझे क्लास में जाना पड़ेगा.. फीस जमा करनी है, आज लास्ट डेट है। मैं चुप था। अगले ही पल वो फिर से बोली- मैं अपनी जान के पास जल्दी आ जाऊँगी।

प्राची की आज क्लास नहीं थी। अंकिता बोली- बाहर से मैं रूम लॉक कर देती हूँ.. जिससे इधर कोई आएगा नहीं.. तुम दोनों यहीं रहना.. आते टाइम मैं कुछ खाने को लेते आऊँगी।

मैंने मन में सोचा कि ये सब देख कर भी हम दोनों को अकेले क्यूँ छोड़ रही है?

तभी अंकिता ने प्राची को ‘थैंक्स’ बोला और वो चल दी। मैं भी उसके पीछे कमरे में आया। वो मुस्कुराई और कमरे के बाहर चल दी।

मैं बाथरूम में गया.. प्राची उदास शावर के नीचे खड़ी थी, मैं उसके पास गया, उसके पीछे खड़ा हुआ.. तो शावर का पानी अब मुझे भी भिगो रहा था।

मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया और उसके चेहरे को ऊपर उठाया। मैंने पूछा- क्या हुआ?

वो कुछ नहीं बोली, फिर मैंने शावर बंद करके पूछा- अंकिता ने थैंक्स क्यों बोला?

उसने फिर मुझे बताया कि जब सुबह में अंकिता बाहर गई थी.. तो मैं भी उसके पीछे गई थी। वो रो रही थी मैंने उससे कहा कि राहुल सिर्फ तुमसे प्यार करता है। तो अंकिता ने मुझसे बोला कि उसके अन्दर हवस की प्यास थी.. वो सिर्फ चुदाई का भूखा है.. वो मुझको चोदना चाहता था.. मुझे चोद लिया तो अब अब वो तुम्हें निशाना बना रहा था। वो अपने दोनों हाथ में लड्डू लेना चाहता है, अगर तुम उसे अकेले में चुदने का एक मौका दो.. वो कूद कर तुम्हें चोदने आएगा।

मैं प्राची को सुन रहा था।

प्राची ने आगे बताया- वो बोली कि ठीक है.. यदि तुम्हारी नजर में वो चुदाई का भूखा है तो तुम उसके साथ अभी एकदम नार्मल रहो.. बस उससे सेक्स मत करना.. उसे जितना जोश में डाल सकती हो डालो। मैं उससे खुद को चोदने का मौका दूंगी। उसने मेरे साथ सेक्स कर लिया.. तो उसे छोड़ देना। यही हुआ.. जब उसने दरवाजा खोला, तो तुम अंडरवियर में थे। इसलिए वो समझी कि हमारे बीच कुछ नहीं हुआ।

मैंने प्राची से पूछा- तुमने उसे बताया क्यों नहीं कि मेरा लंड तुम्हारी चूत में फिर से घुस चुका था?

वो बोली- क्योंकि मैं तुमसे सच में चुदना चाहती थी और जबसे अंकिता ने मुझे खुद की चुदने के बात बताई कि किस तरह से तुमने अंकिता को नहलाया और चोदा.. उसी वक्त से मेरे अन्दर की वासना जाग गई थी। मैं तुम्हारे साथ सोना चाहती हूँ। अगर तुम मुझे चोद भी देते, तब भी मैं अंकिता को बोलती कि तुमने मुझे चोदने से मना कर दिया, पर तुमने सच में मना किया और वो खुद सुन कर संतुष्ट हो गई।

मैंने अजीब सी आवाज में थोड़ा कंफ्यूज हो कर पूछा- तुम मुझसे क्यूँ? वो बोली- क्योंकि मेरा बॉयफ्रेंड मिलते ही मुझे बस चोदता है.. चुदाई में भी वो मुझे पूरी संतुष्टि नहीं दे पाता है, जो मुझे अंकिता ने अपनी चुदाई की कहानी में बताई थी। तभी उस बीच मुझे अहसास हुआ कि तुम मेरी प्यास बुझा दोगे, पर तुम सच में उसे नाराज नहीं करना चाहते।

हम दोनों बाथरूम के फर्श पर बैठे बातें कर रहे थे, प्राची की आँखों में आंसू थे। मैंने उसे समझाते हुए बोला- पागल.. रो क्यूँ रही हो? वो बोली- कुछ नहीं यूं ही आँख में कुछ चला गया था।

पर मुझे आंसू और पानी में फर्क मालूम था। मैंने उसको अपने गले से लगाया।

वो रोते हुए धीरे से बोली- आज मेरा बर्थ-डे है.. ये मेरा आज तक का सबसे बुरा दिन रहा।

जब उसने कहा कि बर्थ-डे है.. मैंने झट से उससे बैठे-बैठे ही थोड़ा अच्छे से गले लग कर हैप्पी बर्थ-डे विश किया और बोला- तू रो मत प्लीज.. वरना मुझे भी रोना आएगा, तूने मेरी बहुत मदद की है। तुम मेरी अच्छी दोस्त भी हो और मैं अपने दोस्त को रोता हुआ नहीं देख सकता।

मैंने ये कह कर उसके सर पर एक चुम्बन किया। फिर मैंने बोला- क्या मेरे लिए थोड़ा सा मुस्कुरा सकती हो?

वो मेरी आँखों में देख कर मुस्कुराई.. फिर मैं झट से खड़ा हुआ और कहा- अब बर्थ-डे गर्ल को सैड होने की ज़रूरत नहीं। अब मैं तुम्हें भयंकर वाला नहलाऊँगा। अब मैं हँसने लगा, तो वो भी हँसी।

मैंने शावर को चलाया, वो उसके नीचे ही बैठी हुई थी.. वो अच्छे से भीग गई।

मैंने शावर बंद कर साबुन लिया और उसके पेट रख रगड़ा.. फिर उसे फर्श पर लिटा दिया।

अब मैं उसके ऊपर बैठा और साबुन को उसके पेट पर.. चूची पर खूब रगड़ा। फिर अपने हाथ से उसकी चूचियों को मसल-मसल कर दबाने लगा, उसके निप्पलों को मींजता हुआ मैं खड़ा हुआ, मैंने अपनी अंडरवियर को निकाल कर साइड में फेंक दी और नंगा हो गया। उसके बाद मैंने अपने हाथ को उसकी चूत पर रखा।

मैंने कहा- बाल बहुत बढ़ गए हैं.. इन्हें बना दूँ.. कैसे बनाती हो? उसने इशारा किया कि वहाँ ‘वीट’ और इरेज़र है।

वो लेटी रही.. मैंने उसकी चूत को एकदम साफ़ कर दिया।

फिर उससे कहा- उठो.. मैंने शावर चलाया, उसके बदन का साबुन छुड़ाया और फिर कहा- मेरे पीछे आओ। मैंने उससे बिस्तर पर लेटने को कहा।

वो फ़ौरन लेटी.. मैं बिस्तर से सट कर जमीन पर बैठ गया। मैंने उसके पैरों को फैला दिया और उसकी चूत को अपने मुँह से जबरदस्त सा चूसा।

उसने भी लाजवाब सी सिसकी ली ‘आहहहह.. अह.’

मैं अपनी जीभ को उसकी चूत के छेद में डाल कर घुमाने लगा। करीब दो मिनट बाद उसकी चूत का पानी निकला.. जो बेहद गरम था। मुझे अपनी जीभ पर उसके गरम पानी का अहसास हुआ था। उसने थोड़ा उठ मुझे देखा और बोली- अब मेरी बारी.. खड़े हो जाओ।

मैं उसकी बात मानता रहा, वो बिस्तर पर बैठ कर मेरे लंड को सहलाने लगी।

मैं उसके सामने खड़ा था.. वो थोड़ा झुकी और मेरे लंड को मुँह में ले लिया। ‘आहाहाह..’

अजीब सी झनझनाहट मेरे बदन में दौड़ी, मैंने अपने लंड पर उसके दाँतों का हल्का अहसास महसूस किया.. जो लाजवाब था। ये सुख तो अभी तक अंकिता ने भी मुझे नहीं दिया था।

जब मैंने प्राची से ये बोला.. तो वो और भी मजे से मेरा लौड़ा चाटने लगी और मैं उसके मुँह को चूत समझ कर उसी में अन्दर डाल रहा था।

तभी मेरा निकलने वाला था.. मैंने उसके मुँह से लंड को निकाला.. वो तुरन्त उठी और उसने अल्मारी से एक पिंक पैन्टी निकाली, मुझसे बोली- इस पर अपना स्पर्म गिराओ। ‘आहाहह्हा..’

मैं बोला- आह्ह.. मेरी मदद करो.. अपना हाथ तो लगाओ मेरे लंड पर.. उसने जैसे ही अपने कोमल हाथ को मेरे लंड पर फेरा.. मेरा ढेर सारा स्पर्म निकला.. जो मैंने उसकी गुलाबी पैन्टी में निकाल दिया और बिस्तर पर बैठ गया। कुछ पल बाद मैंने उससे पूछा- पैन्टी पर क्यूँ?

बोली- इसकी खुशबू मुझे मदहोश करती है.. इसे मैं नहीं धोऊँगी। वो मेरे लंड की तरफ देख कर बोली- बड़ी जल्दी सो गया।

मैं बोला- उठा सकती हो तो उठा दो। बोली- मुझे चैलेंज?

और वो झट से मेरे बगल में आई। मेरे होंठ पर होंठ रख दिए। मैं भी मजे में चूस रहा था। तभी उसने अपनी जीभ को मेरे मुँह में डाला। आह्ह मस्त मजा आ रहा था.. मैं मदहोश हो रहा था।

उसने मेरे लंड को अपने हाथ से हल्का-हल्का सा दबाया.. तो वो थोड़ा-थोड़ा खड़ा हुआ। वो फिर खड़ी हुई.. मेरे सर के पास आई.. अपने पैर को मेरे इधर-उधर करते हुए मेरे सीने पर बैठ गई।

उसकी चूत मेरे सामने थी, मैं उसे देख कर मुस्कुराया.. वो झट से थोड़ा आगे बढ़ गई और अपनी चूत को मेरे मुँह में लगा दिया।

मेरे मन में उसे पेलने के अहसास से मेरा लंड खड़ा हो उठा। मैंने उससे कहा- ये खड़ा तो हुआ है.. पर चूत के साथ-साथ किसी और छेद में जाने को बोल रहा है।

उसने कहा- मार लो गांड मेरी.. मैंने मना थोड़ी किया.. पर पहले चूत.. मैं हँसा और बोला- ठीक है।

मैंने उसे पीठ के बल लिटाया और उसके ऊपर पेट के बल लेटा.. उसने झट से मेरे लंड को अपनी चूत के छेद पर रख लिया और बोली- डाल दो अब..

बस एक झटके में मेरा लंड उसकी चूत में था। मैं जोर-जोर से झटके लगा रहा था.. वो जोर-जोर से ‘आहाहह्ह.. आह्हह..’ कर रही थी।

वो लम्हा अजीब सा मदहोश करने वाला था। आज भी मुझे वो पल याद आता है तो मेरा लंड एकदम से तैयार हो जाता है।

कुछ मिनट बाद मेरा स्पर्म निकलने वाला था। मैंने तेज़ और तेज़ झटका लगाया और ढेर हो कर गिर गया। उसकी चूत भी झड़ चुकी थी। अब मैं उसके नीचे हो गया वो मेरे ऊपर लेट गई।

कुछ मिनट बाद मैं उससे बोला- फिर से उठाऊँ?

वो हँसी.. फिर मैं उठा, उसे पेट के बल लिटाया और उसके पैर को फैला दिया।

मेरे सामने अब उसकी गांड का छोटा सा छेद था- आह्ह्ह.. मज़ा आएगा.. मैं तुरंत प्राची से बोला- मेरे लंड को मुँह में लो.. इसे खड़ा करो।

उसके मुँह में जाते ही मेरा लंड खड़ा होने लगा। उसे फिर से लिटा कर उसकी चूत पर मुँह लगाया, मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया।

अब मैंने उसे डॉगी स्टाइल में किया और उसकी गांड के छेद पर लंड रख कर अन्दर को धकेला। लौड़ा अन्दर जा ही नहीं रहा था। मैं जोर पे जोर लगाने की कोशिश करता रहा.. प्राची के मुँह से अजीब से दर्द वाली आवाज़ निकली, उसकी आँख में आंसू थे।

‘तुम्हें इतना दर्द हुआ.. बोली क्यूँ नहीं? मैं रुक जाता.. पागल।’ उसने इशारा किया कि अन्दर डालो। फिर उसने पास मेज़ पर पड़ी क्रीम दी।

मैंने खूब सारी क्रीम उसकी गांड में लगा दी और थोड़ा लंड पर मल कर और एक झटका दिया।

मुझे थोड़ा राहत मिली मेरा लंड आधा अन्दर जा चुका था। फिर और झटके.. और अब पूरा लंड उसकी गांड में था। जब मेरा लंड उसकी गांड में पूरा घुसा, तो मैं एक मिनट के लिए थम सा गया था।

मुझे झटके लगाने में मुश्किल हुई.. परन्तु फिर प्राची की गांड मार के मुझे अजीब सी ख़ुशी हुई। उसे कुछ ज्यादा दर्द हुआ.. परन्तु उसने भी गांड मरवाने का नया अहसास लिया और थोड़ा मजा भी लिया।

हम वैसे देर तक लेटे रहे। प्राची बोली- मेरी गांड में थोड़ा दर्द हो रहा है.. कुछ लगा दो। मैंने पास पड़ी दर्द की दवा लगाई और बोला- कुछ पहन लो.. मैं पहना दूँ?

उसने वो गुलाबी मेरे स्पर्म वाली पैन्टी पहनाने को बोला। मैं बोला- वो गन्दी है। पर वो बोली- पहना दो ना प्लीज।

फिर मैंने पहना दी और अल्मारी में से उसकी ब्रा निकाल कर उसे पहना दी।

अब मैं बोला- ऐसे ही सो जाओ.. आराम मिलेगा.. और ये तो बताओ कैसा लगा बर्थ-डे गिफ्ट? वो मुस्कुराई और कहने लगी- अब तक की ज़िन्दगी का सबसे अच्छा गिफ्ट मिला है।

वो इतना थक गई थी कि 5 मिनट के अन्दर ही फिर सो गई। फिर मैंने अपनी जीन्स और अंडरवियर को भिगा दिया और सूखने के लिए बाहर रूम में चेयर पर रख दिया।

वहाँ अंकिता की पैन्टी पड़ी हुई थी। वो बहुत टाइट थी.. मैंने ज़बरदस्ती उसे पहन लिया। उसकी चड्डी इतनी टाइट थी कि थोड़ा साइड से फट भी गई।

मैं बिस्तर पर लेटा.. और कुछ ही देर में मुझे भी नींद आ गई। एक घंटे बाद मुझे अहसास हुआ कि मेरा बदन किसी और के बदन से टच हो रहा है। मैंने आँखें खोल कर देखा तो वो अंकिता थी।

‘तुम कब आईं? बोली- अभी 5 मिनट हुए.. पर ये बताओ मेरी पैन्टी क्यूँ पहने हुए हो। उसने हँसते हुए पूछा तो मैंने बोला- मेरी अंडरवियर नहाते वक्त भीग गई थी और मेरे पास कुछ था ही नहीं जो पहनता.. और नंगा रहता.. तो मेरा लंड चूत खोजता और तुम थी नहीं.. तो मैं किसकी मारता?

वो हँस कर बोली- प्राची की। मैंने कहा- फिर तुम्हें बुरा लगता। वो बोली- कोई बात नहीं.. अब ये उतारो और मेरी चूत मारो।

हे राम.. कितनी बार? मना भी नहीं कर सकता.. भूख भी लगी थी।

फिर भी मैंने अंकिता की पैन्टी को निकाली.. जो मैंने पहनी हुए थी। उसने खुद अपने हाथ से मेरे पूरे कपड़े निकाले। मेरा लंड उसकी चूत देखते ही खड़ा हो गया। उसने अपनी चूत के पास पेन से लिखा था।

‘आज मेरी चूत ढंग से ले लो।’

मैंने सीधे लंड को चूत पर रख कर शुरू कर दिया और दस मिनट बाद मेरा माल निकल गया। वो गुस्से से मुझे देख कर बोली- मन नहीं था तो बता सकते थे।

मैं ‘सॉरी’ बोलते हुए बोला- मैं हल्का-हल्का नींद में हूँ यार..

‘ये क्या…’ सोई हुई प्राची के चेहरे पर मुस्कान आई, उसने अपनी आँख खोल कर मुझे आंख मारी.. फिर वो आँख बंद करके सो गई।

फिर अंकिता ने मुझे खाना खिलाया और हम देर तक बात करते रहे।

जब कुछ अँधेरा हुआ तो अंकिता ने मौका देख कर मुझे घर से निकाल दिया। तब मैं हॉस्टल जा कर चैन से सो पाया।

इसके बाद भी मेरी ज़िन्दगी के कुछ हसीन पल बीते। जानने के लिए अन्तर्वासना डॉट काम पढ़ते रहिए और मेल करके मुझे ज़रूर बताइए कि मेरी कहानी से आपको कैसा अहसास हुआ। क्या कमी रही.. मेरे प्यार करने में? जिससे मैं आप सबको आगे की कहानियों में और रोमांच दे सकूं। धन्यवाद। [email protected]

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