सत्य चुदाई कथा संग्रह: सहेली ने मेरी कुंवारी चूत को लंड दिलवाया-1

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मैं कविता 24 साल की पुणे से हूँ, विनोद मेरा क्लोज फ़्रेंड है। मेरी सेक्स स्टोरी को मैं उसकी गाइडेन्स में ही लिख रही हूँ, यह कोरी कल्पना वाली कहानी नहीं है बल्कि मेरी साथ बीती हुई एक सच्ची घटना है।

अब मैं अपना परिचय दे देती हूँ। मैं पुणे में अपने मम्मी पापा के साथ रहती हूँ। मेरी हाइट 5 फुट 3 इंच है और मेरी फिगर 34-28-36 की है, मैं मराठी हूँ.. मुझे हाई हील्स पहनना बहुत पसंद हैं। मेरे मम्मे एकदम गोल हैं। मम्मों पर उठे हुए निप्पल ब्राउन कलर के हैं जो एकदम नुकीले हैं। मेरी गांड यानि चूतड़ भी एकदम गोल हैं। जब मैं इठला कर चलती हूँ तो बुड्डों के लंड भी खड़े हो जाते हैं। मेरी नशीली आँखें एकदम काली हैं और मेरी आँखों में एक तितली सी चंचलता और कामुकता टपकती है।

मेरी देह का रंग गेहुंआ है। मध्यम आकार की फिजिक है और मैं बहुत आकर्षक हूँ।

यह वाकिया मेरे साथ आज से 4 साल पहले हुआ था जब मैं 12 वीं क्लास में पढ़ रही थी। मैं तब तक बहुत मासूम लड़की थी.. पर कुछ हालात ऐसी बन गए कि मुझे चूत चुदवाने का चस्का लग गया।

असल में मैंने चोरी से अपने मम्मी पापा को चुदाई करते देख लिया। जब मेरे पापा अपने लोहे जैसे लम्बे लौड़े से मेरी मॉम को चोदते थे.. तब मेरे अन्दर भी चुदने की भावना उठने लग गई।

उधर दूसरे मेरी क्लोज फ़्रेंड राखी भी जब अपनी चुदाई के किस्से मुझे सुनाती.. तो मैं भी बहुत चटखारे लेकर वो सब सुनती थी, उससे मिलने के बाद घर आकर अपनी चूत में 2-3 उंगलियां घंटों तक डाले रखती थी और फिर बहुत तेजी से अपनी चूत की चुदाई अपनी फिंगर्स से करते हुए चीख मार कर झड़ जाती थी।

राखी बहुत सुंदर स्मार्ट लड़की है.. जो शायद 10-12 लौड़ों से चुद चुकी है। अब वो शादी करके यू एस ए चली गई है।

अब तो मुझे भी चुदते हुए कोई 4 साल से ज्यादा हो गए हैं और यदि मैं 5-6 दिन तक नहीं चुदूँ तो 9 बाइ 3 इंच के डिल्डो से अपनी चूत को ठंडा कर लेती हूँ। ये डिल्डो भी मेरे एक्स बॉयफ़्रेंड ने मुझे गिफ्ट दिया था। यह स्टोरी भी उसी बॉयफ़्रेंड के साथ हुई चुदाई की लिखने जा रही हूँ।

मैं जब क्लास 12 वीं में थी तब मेरे कॉलेज का ट्रिप महाबलेश्वर गया था। वहाँ मेरे साथ अन्य लोगों के अलावा संतोष भी गया था। संतोष 20 साल का एक स्मार्ट सुंदर लड़का है। उसका चौड़ा सीना.. मुँह पर घनी मूंछें.. क्लीन शेव्ड मुँह.. और उसके लंबे बालों पर मैं मोहित थी।

वहाँ हम और ज्यादा नजदीक आ गए। वहाँ उसने मेरी एक-दो बार चुम्मी ली और उस चुम्बन ने मुझे असीम आनन्द मिला, उसके बाद से मैं उससे चुदने के लिए बेचैन हो गई।

मेरे मम्मी पापा राखी को एक सीधी लड़की समझते थे.. इसलिए मुझे उसके घर जाने और रात भर उसके वहाँ रहने पर कोई बंदिश नहीं थी। राखी ने मेरी पहली चुदाई का प्रोग्राम बना दिया। उस दिन उसके मम्मी पापा सिटी से बाहर गए हुए थे।

मैं और संतोष उसके घर शाम को पहुँच गए.. चाय नाश्ता के बाद राखी अपने बॉयफ़्रेंड से मज़े लेने में लग गई.. तो मैं और संतोष घर की छत पर आ गए और वहीं ठंडी हवा में बैठ गए।

संतोष ने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और हम बहुत देर तक एक-दूसरे से आलिंगनबद्ध रहे। संतोष ने मुझे बेतहाशा चूमा, फिर उसने मेरे मम्मों को दबाने की कोशिश की.. पर मैंने उसको मना कर दिया। उसने दुबारा रिक्वेस्ट की.. तब भी मैं नहीं मानी।

मैंने कई बार कुत्ते और कुतिया की चुदाई देखी हुई थी और शायद पाठकों ने ये बात नोट नहीं की होगी.. जो मैंने कुत्ते कुतिया की चुदाई में नोट की थी।

एक वो कुतिया होती है.. जो चुपचाप कुत्ते का लंड ले लेती है और कुत्ता भी बहुत धीरे से अपने लंड को उसकी चूत में बहुत देर तक पंप करता रहता है। दूसरे टाइप की कुतिया होती है.. जैसे ही कुत्ता अपना लंड निकाल कर उसकी चूत पर चढ़ता है.. तो वो झट से अपनी चूत नीचे गिरा देती है और कुत्ता अपना लंड लिए हुए फिर से नॉर्मल पोज़िशन में आ जाता है, फिर कुत्ता दुगने जोश से उसकी चूत की आस-पास अपने पंजे मजबूती से गड़ाता है और तेज़ी से लंड को कुतिया की चूत में अन्दर-बाहर करने की कोशिश करता है।

ये सब चुदाई से पहले कुत्ते-कुतिया के बीच दो-तीन बार होता है और हर बार कुत्ता पहले से दुगने जोश से कुतिया की चूत पंप करने के लिए बेचैन होता है। आखिरी में तीसरे या चौथे अटेंप्ट में वो कुतिया की धुआंधार चुदाई करता है।

तो मैं भी संतोष से अपनी चूत की वैसी ही चुदाई चाहती थी। संतोष की 3-4 कोशिशों के बाद मैंने अपने मम्मे संतोष को उस घर की छत पर खुली हवा में दबवा लिए, मुझे एक स्वर्गिक आनन्द का मजा आया।

इस आलिंगन में संतोष का हाथ मेरे हाथों को छू गया और संतोष बोला- कविता, तेरे हाथ कितने ठंडे हो रहे हैं।

उसने मेरे हाथ पकड़ कर अपनी पैन्ट की पॉकेट में डाल दिए। थोड़ी देर में मेरा वो हाथ गर्म हो गया और इसके साथ ही उसका लौड़ा भी पैन्ट की अन्दर फुदकने लग गया।

उसने मेरे हाथ को जबरदस्ती अपने लंड की ऊपर रखवा दिया, मुझे तो जैसे करेंट सा लग गया.. मैंने अपना हाथ छुड़ाने की बहुत कोशिश की.. पर ना छुड़ा पाई।

थोड़ी देर में मुझे वो लोहे जैसी रॉड पकड़ने में मजा मिलने लग गया। मैंने संतोष को एक बहुत प्यारा सा चुम्बन लिया और कहा- तुम्हारा तो बहुत बड़ा है.. मुझे तो बिना देखे ही घबराहट हो रही है। तो वो बोला- घबराहट हो रही है.. तो छोड़ दे.. तू खुद तो उसको पकड़े बैठी है।

मैं ये सुनकर शर्म से लाल हो गई और मैंने तुरंत उसका लौड़ा छोड़ दिया। पर संतोष तो पूरा घाघ था.. उसने तुरंत अपनी पैन्ट की ज़िप खोली.. अपनी अंडरवियर को एड्जस्ट किया और तुरंत उसका काला लम्बा और मोटा लौड़ा एक सांप की तरह फुंफकारने लगा। उसके लंड का ये रूप देखकर मेरी चीख निकल गई।

उसने तुरंत मुझे जबरदस्ती अपनी तरफ खींचा और मुझे वो अपनी लंबी काली गोल-मटोल रॉड पकड़ा दी और मेरे हाथ के ऊपर अपना हाथ रखकर लंड के टोपे की चमड़ी को आगे-पीछे करवा के अपना लंड की मुठ मरवाने लगा, मुझे भी बहुत आनन्द मिल रहा था, कुछ ही पलों में मेरी चूत भी झड़ गई।

मुझे अहसास हुआ कि बगल वाली छत से हम दोनों की रासलीला कोई देख रहा है। मैंने ध्यान से उसको देखा तो वो राखी की सहेली रीना थी। रीना और राखी दोनों ने कई बार लेसबो किया था, यह बात मुझे मालूम थी। मैं संतोष को उस तरफ उंगली करके उस झाँकती हुई लड़की की बारे में बोल रही थी कि तभी रीना उधर से तुरंत भाग गई।

संतोष बोला- चलो नीचे चलते हैं। यह कह कर उसने तुरंत मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मेरे हाथ में अपना लंड फिर से पकड़ा दिया।

सीढ़ियों में उसका लंड मेरे हाथ से ज़ोर से खिंचता और फिर वापिस आता और फिर दुबारा खिंचता। मैं उस दृश्य का वर्णन नहीं कर सकती। काश मेरे पास कैमरा होता तो उसकी जरूर क्लिप बना लेती।

संतोष जब मुझे नीचे ले जा रहा था। तब मैंने देखा कि उसके लंड की टोपी पर प्री-कम की कुछ बूँदें आ गई थीं। मैंने पाया कि संतोष का मेरी ओर ध्यान नहीं है.. तो मैंने अपनी उंगली पर उस प्री-कम को लिया और तुरंत उंगली मुँह में डाल ली। मुझे उस प्री-कम में ही अलौकिक आनन्द मिल गया।

हम नीचे पहुँचे तो राखी और उसके यार की एक बंद कमरे से सीत्कार सुनाई दे रही थी।

संतोष बोला- देख ये दोनों तो हमसे बहुत आगे पहुँच गए हैं.. चलो अब हम भी.. यह कह कर उसने मुझे आँख मारते हुए एक दूसरे कमरे में ले जाकर बिस्तर पर पटक दिया, उसने जल्दी से अपने पैन्ट और अंडरवियर उतार दी।

अब मैंने उसका लंड ठीक से देखा तो मैं वाकयी डर गई, काफी लंबा और मोटा काले सांप की तरह का लंड था.. जिसकी नसें उभरी हुई थीं, उसके नीचे लटकते हुए दो मजबूत टट्टे.. करीने से कटी हुए झांटें लौड़े की सुन्दरता को बढ़ा रही थीं।

अब तक उसके लंड का सुपारा मेरे हाथ की रगड़ से कुछ लाल भी हो गया था।

वो तुरंत मेरे ऊपर चढ़ गया और उसने मेरी स्कर्ट के ऊपर से ही अपना लंड रगड़ना शुरू कर दिया। उसने मेरे शर्ट थोड़ी ऊपर कर दी और फिर लंड को मेरी नाभि के ऊपर रगड़ने लगा। मुझे उसके लंड की रगड़ से पूरे शरीर में करेंट सा दौड़ रहा था।

वो बेतहाशा मेरे मुँह कानों.. आँखों और गरदन किस करे जा रहा था। वो कभी मेरे मोटे और गोल मम्मों को मसलता.. कभी मेरी टिट्स को मेरी शर्ट और ब्रा के ऊपर से ही ढूंढ कर उनको मसल देता।

मेरी चूत में बहुत ज़ोर से चिंगारियां सी निकल रही थीं, मैं कुछ घुटी हुए चीखें मार कर झड़ गई।

ये सब कोई 5-7 मिनट चला होगा और उसके लंड से अचानक रबड़ी की एक तेज धार निकली और मेरी नाभि के ऊपर गिरी। मैं उस धार को देखकर सन्न रह गई। इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, उसके लंड ने 5-6 बार उल्टी कर दी और उसके लंड की पिचकारियों ने मेरे सारे कपड़े गंदे कर दिए।

मैंने संतोष को बहुत गुस्से से देखा और कहा- गधे, तूने मेरी सारी ड्रेस गंदी कर दी.. ये तेरी माँ की ड्रेस नहीं है जो तेरे लौड़े की रबड़ी अपने पहने हुए कपड़ों पर गिरवाएगी.. साले पहले अपनी माँ को चोद और चुदाई करना सीख कर आ!

मेरे मुँह से ये सब सुन कर वो सनाका खा गया।

हालांकि मैं दिल से चाहती थी कि उसके लंड की रबड़ी की धार मेरे मुँह में गिरे और ये बातें मैं अपने दिल की मर्जी को पूरा करने के लिए ही कह रही थी।

अब मेरी इस गुस्सा होने की अदा से उसके ऊपर क्या असर हुआ और किस तरह हम दोनों के बीच चुदाई हुई.. वो सब मैं आपको अगले भाग में लिखूंगी।

तब तक आपके ईमेल मुझे मिलते रहने चाहिए.. इससे ही तो चुदाई की दास्तान लिखने में मजा आता है। [email protected] कहानी जारी है।

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