दिल्ली की अनजान लड़की से ट्रेन में मुलाकात और दोस्ती-2

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अब तक आपने पढ़ा.. ट्रेन में प्रिया मुझसे भा गई थी और उसके साथ दोस्ती हुई.. फोन पर बातें हुईं.. इसके बाद अब मैं उसके साथ उसके कमरे पर जाने के लिए उससे मिला। अब आगे..

यार गुलाबी रंग का सूट और वो भी उसने पूरा टाइट सूट पहना हुआ था और बालों को एक तरफ कर रखा था। अगर मेरा बस चलता तो उसको वहीं चोद देता।

मैंने कहा- क्या बात है आज तो गुलाब ने भी गुलाबी रंग पहना है। प्रिया बोली- थैंक्स जी! वह अपनी स्कूटी लाई हुई थी तो मैंने कहा- मैं चलाऊँ? तो प्रिया बोली- ठीक है।

मैंने स्कूटी पर उसको पीछे बैठाया और वो दोनों तरफ पैर डाल कर बैठ गई। अब जब भी मैं ब्रेक लगाता.. तो उसके चूचे मेरी पीठ से टच हो जाते थे। कुछ ही देर में हम उसके घर पहुँच गए थे।

मैं उसके घर में गया.. उसका घर काफी बड़ा था, उसमें दो कमरे थे.. जिसमें एक प्रिया के भाई का था और दूसरा प्रिया का था। प्रिया सीधे मुझे आपने कमरे में ले गई।

उसने कमरे को काफी अच्छा सजा रखा था। मैंने कहा- क्या बात है.. बहुत अच्छी तरह से रूम को सजा रखा है। प्रिया बोली- थैंक्स तुम एक मिनट रुको.. तुम यहीं बैठो.. मैं तुम्हारे लिए कोल्डड्रिंक लाती हूँ।

थोड़ी ही देर में प्रिया कोल्डड्रिंक लाई और हम दोनों ही बातें करने लगे। प्रिया बोली- एक बात पूछूँ? मैंने कहा- हाँ पूछो? प्रिया बोली- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है? मैंने कहा- है तो सही! बोली- कहाँ रहती है और कैसी है?

उसके इन सब सवालों से मुझे लग रहा था कि आग दोनों तरफ लगी हुई है। मैंने कहा- तुम हो न मेरी गर्लफ्रेंड.. तो बोली- मजाक मत करो.. सच बोलो न? मैं बोला- सच में.. क्या तुम नहीं चाहती मुझे?

मेरे इतना कहने से ही मेरे सामने उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया… वो कुछ नहीं बोली। फिर थोड़ी देर में मुझसे बोली- तुमको पता है.. मैं किसी अजनबी से बात नहीं करती.. पर तुमको देखा तो तुम मुझे पसंद आ गए थे। तभी मेरा मन तुमसे बात करने का हुआ था। ट्रेन में जब तुमने उस औरत को बैठने के लिए जगह दी थी.. मुझे वो भी अच्छा लगा था। तुम मजाकिया भी निकले और जो ट्रेन में मुझे परेशान किया.. वो सब देख कर पता नहीं क्यों.. मुझे बहुत अच्छा लगा। मैं सोचती हूँ कि तुम मेरे लिए बिल्कुल सही दोस्त रहोगे।

मैंने कहा- अच्छा तुम्हारा कोई और भी बॉयफ्रेंड है? वो बोली- हाँ 12वीं क्लास में था.. लेकिन जब मैं यहाँ आ गई.. तो पता चला कि उसने शादी कर ली है। उसके बाद से मुझे कोई पसंद भी नहीं आया और मैं भी अपनी स्टडी में बिजी रही। पर उस दिन तुम मुझे बहुत अच्छे लगे।

मैंने पूछा- तो क्या तुम दोनों में कुछ हुआ था? प्रिया कुछ देर चुप रही और बोली- हाँ किया था.. सेक्स.. वो भी उसके किसी दोस्त के घर पर.. बस एक बार.. उसके बाद हमें कभी टाइम ही नहीं मिल पाया।

मेरे मन में ख्याल आ रहा था आर्यन लोहा गरम है हथौड़ा मार दे, मैंने उसका हाथ पकड़ा मैंने कहा- प्रिया मुझे कुछ पूछना है.. उसका जबाब ‘हाँ’ या ‘ना’ में देना। मैंने कहा- प्रिया.. तुम मुझसे प्यार करती हो? प्रिया मेरी आँखों में प्यार से देखते हुए बोली- हाँ..

अभी प्रिया ने इतना ही कहा होगा कि मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और वो मेरे ऊपर आ गिरी, उसके चूचे अब मेरे सीने से दब रहे थे। जैसे ही उसने उठने की कोशिश की.. मैंने उसके गालों को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और फिर मैंने प्रिया के होंठों पर अपने होंठों को रख कर 5 मिनट तक चूसा.. काटा अपने होंठों में दबा लिया।

साथ ही मैंने उसके दोनों चूचों को जोर-जोर से सूट के बाहर से ही दबाना शुरू कर दिया। मैं उसके कान पर किस कर रहा था.. जिससे वो गर्म होती जा रही थी। मैंने उसकी गर्दन पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी.. जिससे अब प्रिया अपने काबू से बाहर हो चुकी थी।

मैंने उसके शर्ट को उतार दिया.. उसने गुलाबी कलर की ब्रा पहनी हुई थी। मैंने उसकी जांघों पर हाथ सहलाते हुए उसकी चूत को सलवार के ऊपर से ही धीरे-धीरे सहलाने लगा। प्रिया को भी अब मजा आ रहा था।

मैंने कुछ ही पलों में उसकी सलवार निकाल दी, उसने पैंटी भी गुलाबी रंग की पहनी हुई थी जो अब मुझे और भी मस्त लग रही थी। वैसे ही ऊपर-ऊपर से वो इतनी गोरी थी कि मेरा लंड भी उसकी मचलती जवानी को सलामी दे रहा था।

मैं उसके पूरे जिस्म पर किस करने लगा और हाथ से उसकी नाभि को पेट को प्यार से सहलाने लगा। अब प्रिया की मादक सिसकारियां आनी शुरू हो गई थीं। मैं प्रिया की ब्रा उतार कर उसके गोल-गोल चूचों को अपने मुँह से प्यार से चूसने लगा और चाटने लगा, उसकी सिसकारियां भी बहुत तेजी से बढ़ गई थीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह…

इसके बाद मैंने प्रिया की पैंटी को भी उतार दिया… एकदम मस्त चूत थी.. झांट का एक भी एक बाल नहीं था। एकदम चिकनी चमेली के जैसी गुलाबी चूत देख कर तो मेरा मन किया कि अभी ही लग जाऊँ इसकी चुदाई करने में.. और उसके ऊपर टूट भी पड़ा।

मैं उसके चूचों पर जोर-जोर से चूसता और चाटता गया.. तो प्रिया की मधुर कामुक आवाजें मेरे कानों में आने लगीं, मैं उसकी चूत को सहलाने लगा और काफी देर चूत सहलाने के बाद मैं बिस्तर से नीचे बैठ गया और प्रिया की टाँगें भी नीचे लटका लीं। अब मैंने उसकी दोनों टांगों को अलग करके उसकी टाँगों के बीच में खुद को सैट कर लिया। इसके बाद एकदम से मैंने उसकी रसभरी चूत को चाटना शुरू कर दिया।

वो एकदम से सिहर उठी.. मैंने जोर-जोर से चूत को चाटना आरम्भ कर दिया, मैं कभी-कभी उसकी चूत के दाने को अपने होंठों में दबा लेता.. तो उसकी आवाज जोर-जोर से आने लग जाती।

कुछ पल चूत को चाटने के बाद मैंने प्रिया की चूत में एक उंगली डाली और महसूस किया कि उसकी चूत बहुत ही ज्यादा टाइट थी और गीली भी बहुत हो गई थी। उससे भी रहा नहीं जा रहा था.. तो प्रिया बोलने लगी- अब डाल भी दो.. मैंने कहा- क्या डाल दूँ?

प्रिया- अपना लौड़ा डाल दो मेरी चूत में.. क्यों तड़पा रहे हो यार? मैंने कहा- एक शर्त पर.. पहले मेरा लंड चूसो। अब उसके पास कोई रास्ता था ही नहीं.. प्रिया ने कहा- ठीक है।

मैंने प्रिया को नीचे बिठा लिया.. उसके मुँह में अपना लंड डाल कर उसके मुँह की चुदाई करने में चालू हो गया। करीब पांच मिनट बाद मैंने उसके मुँह में ही सारा माल डाल दिया।

कुछ देर यूं ही हम दोनों लिपट कर चूमते और चाटते रहे, जब जिस्मों की आग भड़क गई तो मैंने पास की टेबल पर रखा सरसों का तेल लेकर अपने लंड पर लगा लिया, फिर प्रिया को लेटा दिया और उसकी चूत पर भी तेल लगा कर मैंने अपनी दो उंगलियां चूत में अन्दर-बाहर करना चालू कर दिया। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

प्रिया भी अब मस्त होने लगी थी और मेरा लंड भी अब तैयार हो गया था। जब वो एकदम से अपनी चूत उठाने लगी तो मुझे लगा कि अब देर करना अच्छा नहीं होगा, मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रखा और उसकी चूत में तेल भी डाल दिया और एक जोर का धक्का मारा।

प्रिया की चीख निकल गई। मेरा कम से कम दो इंच लंड प्रिया की चूत में चला गया। उसकी चीख के बाद मैं उसको किस करने लगा और उसके मम्मों को चूसने लगा.. जिससे उसको थोड़ा आराम मिला।

फिर मैंने देखा कि प्रिया की चूत ज्यादा ही टाइट है.. तो अब धीरे-धीरे उसकी चूत में लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। मेरा सोच था कि प्रिया को ज्यादा दर्द न हो।

उसकी कराहें अब भी आ रही थीं ‘ऊहह.. उईई.. उम्मम्मी.. मर गई..’ मैंने देखा कि उसकी आँखों से आंसू आ रहे थे और वो मरे से स्वर में बोल रही थी- प्लीज बाहर निकाल लो अपना लंड.. मैं मर जाऊँगी।

मुझे मालूम था कि इसकी सील खुली हुई है.. बस बहुत दिन बाद लण्ड खा रही है इसलिए इसको दर्द हो रहा है। हो सकता है कि इसके ब्वॉयफ्रेण्ड का लौड़ा पतला और छोटा रहा हो.. जिसके कारण इसे मेरे बड़े और मोटे लौड़े से दर्द अधिक हो रहा हो। मैं उसके चूचों को चूसता ही रहा।

अब कुछ देर बाद प्रिया अपनी गांड को हिलाने लगी। मैं भी अपने हाथों से उसके दोनों चूचों को दबा रहा था और साथ ही मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।

अब प्रिया की आवाजें और चीखें अब कामुक सिसकारियों में बदल गई थीं। उसकी मस्त आवाजों को समझ कर मैंने प्रिया की चुदाई करने की स्पीड बढ़ा दी और उसकी सिसकारियां पूरे कमरे में गूँजने लगीं। मैंने स्पीड और तेज कर दी और धपाधप चुदाई शुरू कर दी।

अभी 5 मिनट हुए थे कि मैंने प्रिया को खड़ा करके उसे दीवार की तरफ कर दिया। दीवार से उसकी पीठ करके उसके होंठों पर जोर-जोर से चूमा-चाटी करना शुरू कर दिया। चुदाई की उत्तेजना कुछ कम हो गई थी इससे स्खलन जल्दी नहीं होने वाला था।

अब मैंने प्रिया की एक टांग उठा कर खड़े-खड़े ही अपने कंधे पर रखी और फिर लंड डाल कर प्रिया की चुदाई करना शुरू किया। मैंने लंड इतनी तेजी से अन्दर-बाहर किया कि प्रिया की.. पूछो ही मत.. उसकी इतनी तेज चीखें निकल रही थीं जैसे कोई सील-पैक लौंडिया की चूत में गधे का लंड घुस गया हो।

फिर 4 से 5 मिनट ही हुए होंगे कि मुझे थकान सी होने लगी। इस पोज में प्रिया की टांग भी दर्द होने लगी थी और मुझसे भी ज्यादा देर ऐसे खड़े नहीं हुआ तो अब मैंने प्रिया को घोड़ी बना दिया। उसकी मस्त कमर को पकड़ कर मैंने एकदम से लौड़ा पेल दिया।

उसकी फिर से आह निकल गई। मैंने उसकी चूचियों को पकड़ लिया और चूत में लौड़ा जोर-जोर से अन्दर बाहर करके प्रिया की चुदाई करना शुरू कर दिया।

इस बार जब प्रिया की सिसकारियां मेरे कानों में पड़तीं.. तो मैं और जोश में आ जाता ‘ऊऊहह.. ऊओई..स्सस्स.. ऊओ..कम ऑन बेबी.. फ़क मी हार्ड.. आआह्ह्ह..’ मैं प्रिया की चुदाई करता रहा।

कुछ मिनट ही हुए थे कि अब प्रिया झड़ने लगी.. पर मैं उसकी चुदाई करता ही जा रहा था। अब प्रिया झड़ चुकी थी.. पर मेरा अभी पानी नहीं निकला था, मैंने स्पीड को फुल करके उसकी ताबड़तोड़ चुदाई की। कुछ मिनट बाद मैंने अपना सारा माल उसकी चूत से बाहर निकाल दिया।

अब हम दोनों एक साथ लेटे हुए थे। ये सब करते हुए हम दोनों को दो घंटे से भी अधिक हो गए थे.. पता ही नहीं चला।

इस बीच प्रिया से पूछने पर पता चला कि प्रिया इतनी देर में 4 बार झड़ चुकी थी। प्रिया के चेहरे से ख़ुशी साफ़ दिख रही थी, वो बोली- थैंक यू आर्यन.. आज तुमने मुझे बहुत खुश किया और इतना मजा दिया। मैं बोला- यार अभी कुछ मिनट रेस्ट कर लो.. फिर से मजे लेने है ना..

इसके बाद शाम तक मैंने प्रिया को 2 बार और चोदा और उसकी इतने दिनों की प्यास को कुछ समय के लिए शांत किया।

बाद में मैंने प्रिया की गांड भी मारी वो कैसे मारी.. और कहाँ.. ये जल्दी ही जरूर बताऊंगा.. तब तक के लिए विदा दीजिए।

दोस्तो, ये थी मेरी रियल स्टोरी.. आपको कैसी लगी.. जरूर बताना। [email protected]

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