देवर से लेकर वर की भूमिका तक

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फ्रेंड वाइफ स्टोरी में पढ़ें कि मेरे दोस्त की शादी हुई, उसकी बीवी से भी पहचान हो गयी। पर दोस्त की अकस्मात मृत्यु से वो अकेली पड़ गयीं। जब मैं उनसे मिलने गया तो …

नमस्कार दोस्तो, मैं आपका अपना प्रकाश सिंह आ गया हूँ अपनी एक कहानी के साथ। यह कहानी नयी है लेकिन इसकी बुनियाद पुरानी है। मुझे लगा कि मुझे यह आपके साथ बांटनी चाहिए।

मेरी पिछली कहानी थी: दो गर्लफ्रेंडज़ के साथ उनकी सहेली भी चुदी

अब चलिये सीधे फ्रेंड वाइफ कहानी पर आता हूँ।

जैसा कि आपको पता है कि मेरी कॉलेज की पढ़ाई रायपुर से हुई है और मेरी कहानी की शुरुआत भी यहीं से होती है।

जब मैं अपने कॉलेज की पढ़ाई के लिए रायपुर आया तब मेरे रुकने की व्यवस्था मेरे मामा के लड़के के साथ की गयी। वो अपने तीन दोस्तों के साथ एक तीन बीएचके फ्लैट में रहता था। मैं भी अब उनके साथ जाकर रहने लगा।

धीरे धीरे सबसे जान-पहचान हो गयी। मैं भी अब सबका चहेता बन चुका था।

ऐसे ही धीरे धीरे दिन बीतते गये और मैं सबके करीब आया गया। भैया के तीन दोस्तों में से एक दोस्त की सगाई तय हो गयी। हम सब उनकी सगाई में गये।

उसके बाद कुछ ही महीनों के पश्चात् उनकी शादी भी हो गयी।

शादी के बाद भैया भाभी के साथ रहने लगा। उन्होंने पास में ही मकान ले लिया था।

अब भाभी के साथ भी जान पहचान होने लगी। कभी कभी तो हम लोग उनके यहां सो भी जाते थे।

ऐसे ही दिन बीत गये और एक साल बाद उनका बच्चा भी हो गया।

घर में छोटा मेहमान आने के बाद वो अपने शहर में शिफ्ट हो गये। मैं भी उसी शहर से संबंध रखता था। मेरा उनके साथ लगातार संपर्क बना हुआ था।

उनकी शादी के लगभग साढ़े तीन साल के बाद सड़क हादसे में भैया को चोट लग गयी। गहरी चोट के कारण उन्हें रायपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ उनकी मौत हो गयी।

तब मैं किसी अन्य कारण से उन्हें देखने नहीं जा सका था; तब भाभी भी हॉस्पिटल में थीं। जब उनकी मृत्यु की खबर मेरे कानों तक पहुंची तब मैं उस हॉस्पिटल में पहुँचा।

मगर तब तक भाभी को घर भेज दिया गया था ताकि उनका हौसला न टूटे।

इस घटना के पश्चात मेरी इतनी हिम्मत नहीं हुई कि मैं भाभी से बात कर पाऊँ।

ऐसे ही तीन साल बीत गए। अब मैं दिल्ली में रहने लगा था।

उसके बाद एक दिन अचानक मैंने भाभी के नंबर पर मैसेज किया क्योंकि मुझे बहुत बुरा लग रहा था कि मैं दुःख के समय में उनके साथ नहीं खड़ा था।

तब वहां से भी रिप्लाई आया और उन्होंने मुझे पूछा- कैसे हो, कहां हो, आज कल आते भी नहीं? मैंने उनको सारी बात बतायी तथा माफ़ी भी मांगी और कहा कि जब भी घर आऊंगा तब मिलने आऊंगा।

भाभी ने भी कहा- ठीक है आ जाना। उनके साथ कुछ और भी बातें हुईं, उनके बच्चे और परिवार के बारे में।

ऐसे करते करते कुछ दिन बीत गए। हमारी लगभग हर दिन बातें होने लगीं।

मैं भाभी से कहने लगा- कुछ भी जरूरत हो तो हिचकिचाइयेगा नहीं कहने में। फिर अंततः वो दिन आ गया जब मैं हिम्मत करके उनके घर गया।

उनके घर में भाभी और उनका 5-6 साल का बेटा ही रहते थे। उनका कोई सहारा नहीं था। घर उनका अपना था लेकिन माता-पिता पहले से ही नहीं थे।

मैं पहुँचा तो कुछ इधर उधर की बातें होने लगीं। उन्होंने मेरे बारे में पूछा कि कैसे इतने दिन लग गए। मैंने बताया कि जॉब तो गवर्मेंट है लेकिन टाइम नहीं मिल रहा था। साथ में कोचिंग भी शुरू कर दी है।

इस तरह से भाभी के घर आना जाना शुरू हो गया।

एक दिन जब मैं उनके घर गया था और वापस आने ही वाला था कि अचानक बारिश शुरू हो गयी।

मैंने निकलने की सोची मगर भाभी कहने लगी- बारिश में कहां जाओगे, यहीं रुक जाओ। मैं फिर भी आना चाहता था लेकिन वो बार बार कहती रहीं तो मैंने फिर हां कर दी।

फिर अचानक उनको याद आया कि उन्होंने छत पर कुछ कपड़े और मसाले सुखाये थे। फिर हम दोनों छत पर गये ताकि जल्दी से सारा सामान समेट कर ला सकें।

ऊपर जाकर मैं कपड़े उतारने लगा। मगर उसमें भाभी की ब्रा, पैंटी और पेटीकोट भी था जिससे मुझे थोड़ी हिचकिचाहट हो रही थी। तभी अचानक मेरी नजर भाभी पर गयी जो पूरी तरह से भीग चुकी थी।

उनके गीले कपड़ों में से सब कुछ पारदर्शी लग रहा था।

सामने का नजारा देख मेरी आंखें जैसे फैल सी गयी थीं। जब भाभी की नजर मेरे पर पड़ी तो मैंने अपनी नजर हटा ली।

फिर वो अपने कपड़े बदलने अंदर चली गयी और नाईट वाली ड्रेस पहनकर बाहर निकली। वो कहने लगी कि तुम भी भीग गये होगे, अपने कपड़े बदल लो।

मैं भी अंदर जाकर कपड़े बदलने लगा।

फिर मैंने देखा कि भाभी की ब्रा पैंटी जो मैंने उतारी थी छत से वो तो वहीं पर पड़़ी थी। इसका मतलब भाभी ने कपड़े बदलने के बाद नीचे से कुछ नहीं पहना हुआ था।

अब मेरे मन में उनके प्रति कामुक भावनाएं पैदा होने लगी थीं। तभी मैंने इन बातों से ध्यान हटाकर कपड़े बदलने की सोची लेकिन मैंने देखा कि वहाँ केवल टॉवल ही रखा था; कपड़े तो थे ही नहीं।

मैंने भाभी को आवाज दी तो वो बोलीं- कपड़े नहीं हैं, आप अभी तौलिया से ही काम चला लो। फिर मैं केवल टॉवल पहनकर बाहर आ गया और एक कुर्सी लेकर बैठ गया।

तभी भाभी चाय लेकर आयी। हमने चाय पी और बातें करने लगे। देखते ही देखते रात हो गयी लेकिन बारिश थी कि रुकने का नाम नहीं ले रही थी।

तब मैंने घर जाने का निर्णय किया। मगर भाभी ने रोक लिया।

फिर वो खाना बनाने लगीं। हम खाना खाने लगे तो मुझे ध्यान आया कि उनका बेटा तो घर में दिख ही नहीं रहा।

मैंने पूछा तो भाभी कहने लगी कि वो अपने मामा (भाभी के चाचा के लड़के) के यहां गया हुआ था।

फिर खाना खाकर हम टीवी देखने लगे और फिर सोने का टाइम हो गया।

जब सोने की बारी आयी तो मैंने पूछा कि कहां सोना है। भाभी बोली- बेड तो एक ही है! मैं नीचे जमीन पर सो जाऊंगी; आप बेड पर सो जाना।

मैं बोला- नहीं भाभी, आपको जमीन पर सुलाकर मैं बेड पर नहीं सो सकता। भाभी को मैं मना करता रहा और फिर वो भी अपनी बात पर अड़ी रहीं। फिर आखिर में यही तय हुआ कि दोनों ही बेड पर सोएंगे।

अब दोनों सोने लगे। थोड़ी देर बाद मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि भाभी ने अपनी एक टांग मेरे ऊपर रख दी है। मुझे महसूस हुआ कि मुझे पेशाब लगी थी। मैंने धीरे से उनकी टांग को हटाया और फिर पेशाब करने चला गया।

जब मैं पेशाब कर रहा था तो मैंने नोटिस किया कि मेरा लण्ड खड़ा हो गया है। शायद भाभी की टांग रखे जाने के कारण अब मेरे अंदर सेक्स की भावना जाग रही थी।

पेशाब करके जब मैं अंदर गया तो देखा कि अंदर बहुत अँधेरा था। मुझे कुछ दिख नहीं रहा था इसलिए मैं अपने मोबाईल के फ़्लैश से बेड खोजने लगा।

तभी मैंने देखा कि भाभी की नाइटी पूरी उठी हुई थी और उनकी चूत भी दिख रही थी। भाभी की चूत देखकर मैं एकदम भौंचक्का सा हुआ तो मैंने तुरंत फ्लैश बंद कर दिया।

मेरी धड़कनें बढ़ गयी थीं और मैं चुपचाप जाकर बेड पर लेट गया। मैं सोने की कोशिश करने लगा।

मगर जो चीज मैंने अभी कुछ क्षण पहले देख ली थी उसके देखने के बाद नींद तो जैसे कहीं गायब हो गयी थी।

मैं लेटा रहा और नींद आने का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद लगने लगा था कि अब नींद शायद आ जायेगी मगर तभी भाभी की टांग फिर से मेरी जांघों के ऊपर आकर रखी गयी।

अबकी बार भाभी का हाथ भी मेरी जांघों के बीच में आ गया। एकदम से मेरा लंड तनाव में आने लगा।

उसके कुछ पल बाद उनका हाथ मेरी जांघ पर सरकता हुआ मेरे लंड के ऊपर ही आ पहुंचा। भाभी ने मेरे तने हुए लंड को धीरे धीरे सहलाना शुरू कर दिया।

मेरी सांसें बहुत तेज हो गयी थीं। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। मैं ऐसे ही लेटा रहा।

तब उनकी हरकतें और बढ़ने लगीं। उसके बाद भी जब मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तब वो सरक कर मेरे पास आ गयीं।

वो पास आकर मेरे कान में बोलीं- मुझे पता है आप जाग रहे हैं, अगर आप साथ देंगे तो दोनों इस पल का फायदा उठा सकते हैं। मेरी प्यास काफी समय से अधूरी है। इसे बुझाने में मेरी मदद कर दो आप!

अब मैं भाभी की बेचैनी समझ गया और मैंने उनको अपने ऊपर खींचकर उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया। हम दोनों एक दूसरे के होंठों का रस पीने लगे।

मैंने कहा- लाइट ऑन करो। वो जाकर लाइट ऑन करके वापस बेड में आ गयीं।

उस दिन मैंने उन्हें गौर से देखा, क्या मॉल थी कसम से … किसी का भी लौड़ा खड़ा कर दे वो ऐसी थी। उनका 34-30-34 का फिगर, गोरे गोरे गाल … क्या बताऊँ दोस्तो, मेरी लिए जैसे वो जन्नत थी।

मैं उन्हें ऐसे ही घूरकर देखता रहा। वो कहने लगी- देखते ही रहोगे या कुछ करोगे भी?

तब मेरा ध्यान टूटा और मैं उनके ऊपर कूद पड़ा। मैंने उनकी नाइटी उतार दी। क्या खूबसूरत बला थी अंदर से भी!

मैं बोला- भाभी क्या मस्त माल हो आप, इतने दिन से आपने कहां छुपा रखा था खुद को?

वो बोलीं- मुझे भाभी नहीं निसार कहो … निसार नाम है मेरा! मैंने कहा- निसार … मेरी जान … आज तुझे तो मैं चुदाई का सही मजा दूंगा।

तब वो बोली- रोका किसने है? मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और उसे अपनी गोदी में बिठा लिया।

उसने मेरी टॉवल निकाल दी। मैं उसके होंठों पर किस कर रहा था, वो भी मेरा साथ दे रही थी।

किस करते करते मैं उसके बूब्स दबा रहा था तथा बीच बीच में उसे चूस रहा था। वो भी आह-आह की आवाज करने लगी थी। बीच बीच में मैं निप्पलों को काट भी रहा था।

अब वो भी मेरे लण्ड को हाथ से सहलाने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने उसे घुटनों के बल बैठा दिया और मेरे लण्ड को हाथ में पकड़ कर उसके मुंह पर मारने लगा।

वो भी उसे अंदर मुंह में लेने के लिए तड़पने लगी और अंततः अंदर ले भी लिया। मेरे लण्ड को वो ऐसे चूस रही थी मानो कोई बच्चा लॉलीपोप चूस रहा हो।

मैं भी पीछे से उसके बालों को पकड़कर और अंदर डालने लगा। वो मेरा लण्ड पूरा अंदर लेने लगी। मुझे बहुत मजा आ रहा था और शायद उसे भी लौड़ा चूसने में पूरा आनंद मिल रहा था।

अब मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और ऊपर जाकर लण्ड से उसके मुँह को चोदने लगा। थोड़ी देर चोदने के बाद मेरा निकलने को हो गया। फिर मेरे लंड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ी और वो सारा माल निगल गयी।

थोड़ी देर मैं उसके बाजू में लेटा रहा और उसके चूचों से खेलता रहा।

भाभी की चूत की प्यास पूरी जगी हुई थी, वो बार बार मेरे हाथ को अपनी चूत पर ले जाकर रगड़वा रही थी।

मैं जानता था कि भाभी मेरे लंड के खड़ा होने का इंतजार कर रही है। फिर उसने मेरे लंड को मुंह में भर लिया और तेजी से चूसने लगी। जब लौड़ा फिर से तन गया तो वो बोली- बस … अब मुझसे रुका नहीं जा रहा है, जल्दी अंदर डाल कर चोद दे मुझे प्रकाश!

मैं भाभी को थोड़ा और तड़पाने की सोचने लगा और उसके कान के नीचे किस करने लगा। उसके साथ ही मैंने उसकी चूत में उंगली घुसानी शुरू कर दी।

वो तड़प उठी और बोली- धीरे धीरे कर … आह्ह … बहुत दिन बाद चुद रही है मेरी चूत! ऐसे करते करते मैंने 2 उंगलियों से उसकी चूत चोदी।

अब उससे रहा नहीं जा रहा था। मैंने नीचे जाकर उसकी चूत में मुँह लगा दिया और इससे वो एकदम से सिहर गयी।

मैं उसकी चूत को चाटने लगा और होंठों में भींचकर चूसने लगा। कुछ देर बाद वो मेरे बाल पकड़ कर मेरे मुंह को चूत में अंदर दबाने लगी।

थोड़ी देर ऐसे ही चूसने के बाद मैं उठा और अपने लण्ड को चूत पर सेट कर दिया।

बहुत दिनों से न चुदी होने के कारण मुझे लंड को घुसाने में काफी जोर लगाना पड़ा। उसकी टाइट चूत में मेरा मूसल फंसता हुआ प्रवेश कर गया।

लौड़ा मैंने धक्के दे देकर पूरा घुसा डाला और वो दर्द में छटपटाने लगी। मगर चूंकि वो शादीशुदा थी और चुदाई की आदी थी तो उसने दर्द को बर्दाश्त कर लिया और ज्यादा नौटंकी नहीं की।

अब मैं उसको चोदने लगा। वो दर्द से कराहते हुए बार बार मेरा हाथ ले जाकर उसके बूब्स पर रखवाने लगी। मैं भी उसके बूब्स दबाते दबाते उसको चोदने लगा।

कुछ देर ऐसे ही मैं भाभी की चुदाई करता रहा।

उसको दस मिनट चोदने के बाद मैंने डॉगी स्टाइल में कर लिया। मैं उसको पीछे से पकड़ कर चोदने लगा। कई मिनट तक मैंने भाभी को घोड़ी बनाकर चोदा।

फिर 20 मिनट के बाद मैंने उसे मिशनरी पोज में चोदते हुए उसकी चूत में माल निकाल दिया। उसके बाद हम दोनों थक कर लेट गये। मगर थोड़ी देर लेटे रहने के बाद फिर से दोनों गर्म हो गये।

उसके बाद मैंने रात भर भाभी को कभी हवा में उठा कर, कभी दीवार से सटाकर, कभी टांग को उठाकर तो कभी फर्श पर लिटाकर चोदा।

चोदते हुए सुबह कर दी हमने!

इतनी चुदाई के बाद मेरी हालत खराब हो गयी। भाभी भी बेहाल थी। हम दोनों दोपहर तक सोते रहे।

फिर जब उठे तो देखा कि दोपहर के 1:30 बज गए थे।

उठने के बाद भाभी ने मुझे लिप किस किया और फिर चाय बनाने चली गयी।

मगर वो ठीक से चल नहीं पा रही थी। मैं उसके पीछे पीछे चला गया। मैं उठाकर उसको किचन में ले गया।

किचन में जाकर वो चाय बनाने लगी तो भाभी की नंगी गांड देखकर मुझसे रहा न गया। मैंने वहीं पर उसकी चूचियां दबानी शुरू कर दीं और उसकी गांड पर लंड को रगड़ने लगा।

वो भी उत्तेजित हो गयी और फिर एक बार मैंने उसको किचन में ही चोद दिया।

उस दिन के बाद से भाभी के साथ मेरे सेक्स संबंध काफी फले फूले और चुदाई का दौर चलता रहा।

वो मेरे लंड की आदी हो गयी। जब कभी मैं कुछ दिन तक उससे नहीं मिलता तो वो खुद ही फोन करके शिकायत करने लगती और बोलती कि कोई दूसरी मिल गयी क्या? अपनी इस रंडी को चोदने कब आओगे?

इस तरह से फ्रेंड की वाइफ से साथ मेरे सेक्स संबंध अभी भी चल रहे हैं।

दोस्तो, आपको देवर भाभी की चुदाई की ये फ्रेंड वाइफ कहानी कैसी लगी इस बारे में जरूर अपनी राय भेजें। आपके कमेंट्स और मैसेज का इंतजार रहेगा। मेरा ईमेल आईडी है [email protected]

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