ममेरी बहन की और भाभी की चूत की चुदाई-2

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ममेरी बहन की और भाभी की चूत की चुदाई-1 तभी दरवाजे पर खटखट हुई… पायल ने सब कुछ छोड़ कर पीछे हट अपनी निक्कर ठीक कर ली। ‘कौन है?’ मैंने अपना पप्पू पजामे डाल कर पूछा। ‘कोई नहीं… मैं हूँ नेहा…’

मैंने झट पलट कर दरवाज़ा खोल दिया… नेहा भाभी अंदर आ गई और बोली- अभी मम्मी पड़ोस में गई हैं प्रसाद देने.. मैंने दरवाजा बंद कर दिया है.. अब मम्मी आएँगी तो घंटी बजायेंगी तो पता चल जाएगा। ‘और यह दरवाज़ा बंद करके क्या कर रहे थे?’ वो शरारत और बदमाशी से मुस्करा रही थी- क्यों पायल, इसका मस्त राम देखा या नहीं? बदमाश नेहा पायल की आँखों में प्यार देख रही थी।

‘अरे भाभी देखा न… बहुत जालिम हो गया है… क्या मस्त सुन्दर गोरा-गोरा चिकना चिकना है।’ पायल ने हंसते हुए मुझे पीछे से पकड़ कर अपनी बांहें मेरी कमर में लपेट अपनी चुची मेरी पीठ में दबा दी और कुरते के नीचे हाथ डाल फिर से पप्पू पजामे से निकाल कर पकड़ लिया।

‘अरे वाह… मुझे भी तो देखने दे ना!’ भाभी शरारत से मुस्करा कर बोली। ‘अभी दिखाती हूँ, भाभी ऐसी जल्दी क्या है।’ पायल शरारत करके भाभी को छेड़ रही थी- पहले इधर आ… मुझे तुझे थैंक यू बोलना है। ‘अरे वाह.. वो किस बात का पायल रानी?’ नेहा ने हंस कर पायल के बराबर में खड़े होकर पूछा।

पायल ने प्यार से उसके होंठों को चूम लिया- यह इसलिए भाभी कि आज तूने मुझे मेरा बचपन का राजू लौटा दिया.. जिसके साथ मैं खूब रौब जमा कर कुछ भी कर सकती थी और कुछ भी करवा सकती थी।

‘अच्छा तो यह बात है! तुम दोनों बचपन में डॉक्टर डॉक्टर खेल चुके हो… यह तो अच्छी बात है… अब तो और भी ज्यादा मस्ती कर सकते हो। पर मुझे इसका पप्पू तो दिखा? भाभी ने पायल के गाल पर चूम कर प्यार से कहा।

‘यह देख, दिखा तो रही हूँ।’ पायल ने सामने से मेरा कुरता उठा दिया। नंगा गोरा-गोरा चिकन तन तना हुआ खड़ा 7 इंच का लंड सामने था… इतना कड़क हो रहा था कि उसके ऊपर नसें उभरी हुई थी।

भाभी ने सामने आ आकर झट से दोनों हाथ से पकड़ लिया उसका एक हाथ पायल के हाथ के ऊपर था- वाह… वाह… वाह… क्या मस्त माल है राजू तेरा तो… उफ़… साला बहुत जालिम लग रहा है.. लगता है काफी इस्तेमाल किया है? नेहा मस्ती में उसे गौर से देख रही थी।

‘किया तो है भाभी.. पर यह बात ठीक नहीं है, तूने मेरा माल तो देख लिया और अपनी मुनिया नहीं दिखाई अभी तक.. पायल की मुनिया तो मैंने देख ली, अभी तक वैसी ही छोटी सी है जैसे बचपन में थी।’

मुझे मालूम था कि पायल यह बात बर्दाशत नहीं कर पाएगी और अपनी निक्कर खोल कर जरूर अपनी गोरी चिकनी मुनिया दिखाएगी।

‘हाय राम… ऐसे तो मत बोल राजू.. अब तो बहुत बड़ी हो गई है… और इतने बाल भी आ गए हैं।’ पायल झट से अपनी निक्कर खोल नीचे खिसका कर अपनी प्यारी-प्यारी बंद गोरी चिकनी फुद्दी दिखा रही थी।

मैं जोर से हंस पड़ा- मुझे मालूम था कि तू यही करेगी.. चल ठीक है, खूब बड़ी हो गई है.. पर भाभी आपका क्या हाल है? मैंने झट से भाभी की साड़ी सामने से ऊपर तक उठा दी और उनकी जांघों को, गोल गोल चिकने चिकने चूतड़ों को और बिना बाल की बड़ी सी खुली हुई चूत को नंगा कर दिया।

‘हाय राम भाभी… आपकी तो खूब खाई खेली लग रही है.. मैंने अपनी उंगली चूत की धारी में चला दी और दाना रगड़ दिया। ‘हाय सी… उफ़… .एकदम से ही रगड़ दिया राजू… उफ़…’ भाभी ने पीछे हटते हुए जांघों को भींच लिया, साड़ी ऊपर ही थी। ‘क्यों भाभी, जब मेरा पप्पू हाथ में पकड़ कर मजा ले रही थी तो कुछ नहीं हुआ? अब मैंने जरा सा छू दिया तो एकदम से कुछ हो गया? मैंने हाथ बढ़ा कर भाभी की कमर को पकड़ लिया और उसकी बड़ी सी खुली चूत को अपने हाथ से सहलाने लगा।

भाभी को बहुत अच्छा लगा और उनकी जांघें अपने आप खुल गई। मेरा लंड अभी भी मेरे पीछे खड़ी पायल के हाथ में था और मैं भाभी के बहुत नज़दीक खड़ा था।

पायल ने बदमाशी से कड़क गर्म लंड को भाभी की खुली चूत के दाने पर रगड़ दिया। भाभी मस्ती में उचक पड़ी- हाय पायल, यह क्या मेरी रानी… अब क्या इसके मस्तराम से मेरा सड़का मारेगी? ‘क्यों नहीं भाभी.. आज तू ही तो कह रही थी कि उंगली करने का बहुत मन हो रहा है.. चल अब इस मस्त गर्म-गर्म कड़क माल से तेरा निकालती हूँ!’

‘हाय राम राजू, तेरी यह बचपन की गर्लफ्रेंड तो सच में बहुत मस्ती में है। और मुझे भी बहुत मजा आ रहा है.. क्यों करेगा यह प्यार का खेल?’ ‘अब मैं क्या करूँ भाभी, सब कुछ तो पायल के हाथ में है… जो कुछ करना है, उसे ही करना है। हमेशा ही यह अपना रोब मुझ पर दिखा कर अपने मन का ही करती है।’ मैंने हंस कर भाभी के बूब्स ब्लाउज के ऊपर से दबा दिए।

मेरी बात सुन कर पीछे खड़ी पायल हंस पड़ी- क्यों ना करूँ.. तू ही तो मेरा असली बचपन का दोस्त है। पायल ने अपनी जांघों से मुझे धकेला और मैंने भाभी को… भाभी टेबल से टकरा गई और वो अपनी साड़ी पूरी उठा कर अपनी जांघों को पूरी खोल कर टेबल पर बैठ गई, उसने अपने हाथ पीछे टिका लिए… पेंटी तो पहनी ही नहीं थी।

भाभी की बड़ी सी काले काले होंठों वाली चूत पूरी खुल कर सामने आ गई। पीछे खड़ी पायल अब जोर से मेरे खड़े लंड के मोटे सुपारे को उसकी चूत से दाने से रगड़ने लगी। चूत पहले ही से थोड़ी गीली थी, सुपारा रगड़ने से मस्त हो गई और भाभी मस्ती में अपने बड़े-बड़े चूतड़ हिला कर सिसकारियाँ ले रही थी- हाय पायल… अब जल्दी से कर ना… उफ़… उम्म्ह… अहह… हय… याह… बहुत… गर्म मोटा माल है… आह… आह… अपनी तो खूब मस्ती में है.. बस निकल ही जाएगा। ‘हां… हां…’ मुझे भी इस मस्ती और प्यार के खेल में बहुत मजा आ रहा था।

पायल की निक्कर नीचे उसकी टांगों में पड़ी थी और वो अपनी गर्म गीली चूत मेरे चूतड़ों से रगड़ रही थी। मैंने एक हाथ से भाभी की चुची पकड़ रखी थी.. दूसरा हाथ पीछे करके एक उंगली खोल दी.. पायल ने मस्ती में झटसे उसे अपनी गीली गीली फुद्दी में घुसा लिया और धीरे धीरे हिलाने लगी।

उसके हिलने से मेरा लंड का सुपारा भाभी की मस्त रस से भरी बड़ी सी चूत में अंदर बाहर हो रहा था और चूत फच-फच कर रही थी। इस तरह यह डबल चुदाई दस मिनट तक चलती रही। पायल और नेहा सिसकारियाँ ले रही थी और पहले भाभी की चुदासी मस्त चूत ने पानी छोड़ दिया और फिर पायल भी झड़ गई।

‘हाय पायल, यह क्या साली बदमाश.. अपना और भाभी का निकाल दिया.. मेरा क्या होगा? इतना तन रहा है, बस होने ही वाला है।’ मैंने दोनों हाथो से भाभी की कमर पकड़ कर झटका मारा। भाभी अकड़ गई और अपनी जांघों को भीच लिया- हाय मार डाला राजू… बहुत मोटा है तेरा तो… पूरा अंदर पेल दिया जालिम।

‘बस भाभी हो गया अपना भी… बाहर निकाल दूँ?’ ‘नहीं अंदर ही छोड़ दे राजा… उफ़… सी… आह… हां… कर दे जल्दी से!’ मैंने पूरा लंड घुसा कर भाभी की चूत की जड़ में अपना वीर्य निकाल दिया।

हम तीनों की सांसें बहुत तेज़ चल रही थी और एक दूसरे से लिपटे हुए थे। ‘वाह.. राजू आज तो असली मर्द के मस्त कड़क माल का आनन्द दे दिया।’ ‘अब इसके लिए मुझे थैंकयू बोल भाभी!’ पायल पीछे खड़ी अभी भी लिपटी थी और भाभी को छेड़ रही थी। ‘थैंक यू पायल और राजू… बस अब मुझे जाने दे.. मम्मी आने वाली ही होगी।’

नेहा भाभी टेबल से उतर कर अपनी साड़ी ठीक कर मुझे और पायल को चूम कर कमरे के बाहर चली गई। पायल ने भी मुझ से अलग होकर मुस्कराते हुए अपनी निक्कर ठीक पहन ली।

‘सच में कमल, तू तो बहुत मस्त जालिम बदमाश हो गया है। कॉलेज में कितनी गर्लफ्रेंड्स के साथ यह खेल खेला है राजू?’ पायल मेरे सामने नज़दीक खड़ी प्यार से शरमाते हुए फुसफुसा कर पूछ रही थी।

मैंने उसकी टीशर्ट के नीचे हाथ डाल कर उसकी गोरी चिकनी कमर पर अपने दोनों हाथ रख दिए- मैंने तो बहुत सारी गर्लफ्रेंड बना रखी थी और दो के साथ यह करा भी था। पर तूने भी कॉलेज में कुछ तो करा होगा? इतनी सीधी तो नहीं है। ‘हाय राम.. तू मुझे ऐसी समझता है?’ उसने मुझसे लिपट कर होंठ चूम कर जवाब दिया- एक दो बॉय फ्रेंड्स तो थे पर कभी यह नहीं किया… बस छूना चूमना तक ही हुआ था। मैंने तो सब मजा भाभी के साथ ही लिया है। आज तेरी और भाभी की मस्ती देख कर बहुत मन तो हो रहा है… पर तेरा इतना मोटा बड़ा है कि हिम्मत नहीं है यह सब करने की!’ पायल ने अपनी फुद्दी मेरे पाजामे में लटके लंड से रगड़ कर कहा।

‘अरे मेरी पायल रानी, इसमें इतनी फ़िकर की बात नहीं है.. जब मन होगा तो सब कुछ अपने आप हो जाएगा। परन्तु हम आज रात को तो मिल सकते हैं मेरे कमरे में.. वो अपनी पुरानी छुपम छुपाई खेलेंगे।’ मैंने हंस कर उसको अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसके मुलायम चूतड़ों को दबाने लगा। वो अपने बूब्स मेरे सीने में दबा रही थी और मुझे चूम चूम कर प्यार कर रही थी।

‘अच्छा चल आ जाऊँगी.. पर भाभी को नहीं बताना, नहीं तो बहुत छेड़छाड़ करेगी!’ पायल ने चूम कर कहा। ‘ठीक है, नहीं बोलूँगा… पर मुझे मालूम है तू अपने आप उसे बता दे देगी!’ मैंने भी उसकी कमर सहलाते हुए कहा।

थोड़ी देर के बाद हम दोनों भी नीचे आ गए.. मामी पड़ोस से वापिस आ गई थी और अपने कमरे में आराम कर रही थी। नेहा भाभी रसोई में डिनर बना रही थी, पायल अपने कमरे में चली गई।

मैं भाभी के पास रसोई में पर आ कर उनके सामने स्लैब पर टाँगें लटका कर बैठ गया। भाभी की साड़ी बहुत नीची थी, पेट नाभि से भी नीचे चूत का ढाल तक और साइड से थोड़े-थोड़े चूतड़ भी नज़र आ रहे थे। पल्लू चुची के बीच में था, ब्लाउज काफी गहरा था, गोरे गोरे 36 साइज के बूब्स बहुत सुन्दर लग रहे थे।

वो भी मुस्करा कर अपनी मस्त जवानी दिखा रही थी- क्यों राजू.. आज तो अंदर तक देख भी लिया और ठोक भी लिया। अब क्यों ऐसे देख रहा है? ‘क्या भाभी मैंने क्या किया? यह तो तेरी पायल का करा धरा था। मुझे तो तू ऐसे ही बहुत सुन्दर लगती है.. बस ऐसे ही अपनी मस्ती दिखती रहना.. मुझे और कुछ नहीं चाहिए।’

‘हाय राम साल बदमाश.. तुझे नहीं चाहिए.. पर मुझे तो बहुत कुछ चाहिए.. यह तो बस एक नमूना था.. अभी तो बहुत कुछ करना है।’ नेहा भाभी बदमाशी और शरारत से मुस्करा रही थी।

‘सच बोलूँ राजू… मुझे भी तुझे दिखाना… और तेरा इस तरह से देखना बहुत अच्छा लगता है… दिल में बहुत अरमान जाग उठते हैं.. और जब धींगा मस्ती में तू छूता है दबाता है.. हाय सच में अंदर तक गीला गीला हो जाता है… तू फ़िक्र मत कर राजू.. अब तो असली मज़े के दिन शुरू हुए हैं.. पर अब यह पायल कहाँ है? कहीं अपने कमरे में बैठ कर उंगली तो नहीं करने लगी?’

उस रात को जब पायल मेरा कमरे में आई तो पहले तो बस चूमना चाटना दबाना चलता रहा और हम बचपन की बातें करते रहे। फिर धीरे-धीरे हम दोनों ही खूब मस्ती में गर्म हो गए और पॉयल ने मेरा लंड चूस कर जोरदार खड़ा कर डाला और खुद उस पर चढ़ कर सिसकार सिसकार कर अपना पानी छोड़ दिया।

पर मेरा अभी नहीं निकला था तो मैंने उसको बिस्तर पर ही कुतिया बना कर पीछे से जम कर चोदा और अपना रस उसके मस्त चिकने चूतड़ों पर निकाल दिया।

इस तरह पायल और नेहा भाभी की मस्त चुदाई का सिलसिला शुरू हो गया और जब भी मौका मिलता, हम शुरू हो जाते थे। पायल बहन और नेहा भाभी की चुदाई कैसी लगी?

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ममेरी बहन की और भाभी की चूत की चुदाई-3

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