शादी में चूसा कज़न के दोस्त का लंड-7

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

अभी तक मेरी हिन्दी गे स्टोरी में आपने पढ़ा…

अचानक से वो दोनों हंसने लगे, एक ने कहा- भागती कहाँ है जाने-मन… थोड़ा सा प्यार हमें भी दे दे! मैं हैरान रह गया ‘ये दोनों कौन हैं और क्या कह रहे हैं?’

तभी दूसरा बोला- डरती क्यूं है साली रंडी… सुबह तो बड़े मज़े से किसी लौंडे की फ्रेंची को चाट रही थी. हम तो तुझे पूरा लंड ही दे देंगे. हमें खुश कर दे और हम तुझे खुश कर देंगे. मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई, ये दोनों तो वही लड़के हैं जो मुझे सुबह छत पर से देख रहे थे. फंस गया यार… अब क्या करूं?

हालांकि मुझे लड़कों के साथ सेक्स करना पसंद है लेकिन जब किसी के साथ कोई जबरदस्ती करता है तो वो अलग बात हो जाती है… ठीक इसी तरह जब किसी लड़की से जबरदस्ती होती है तो लोग कहते हैं… साली मज़ा तो तुझे भी आया होगा लंड लेने में! लेकिन यह तो वो लड़की ही जानती है कि उसके मन और आत्मा पर क्या बीत रही है.

उन दोनों को मैं पहचान गया, मैंने उनसे कहा- यार मैं ऐसा नहीं हूँ जैसा आप सोच रहे हो! ‘अबे चुप कर साले… हमें पता है तू कैसा है! हम जानते हैं और देख भी चुके हैं. अब चुपचाप से कपड़े उतार और सेवा देने के लिए तैयार हो जा!’

मैंने फिर कहा- आप लोग गलत समझ रहे हो, मैं ऐसा काम नहीं करता. तभी उनमें से एक ने मेरे बाल पकड़ लिए और मुंह को भींचते हुए बोला- साले गांडू, ज्यादा नाटक मत कर, चुपचाप से कपड़े उतार ले नहीं तो हम उतारते हैं!

आज मुझे अपने गे होने पर बहुत दुख हो रहा था ‘क्या गे होना मेरी गलती है?’ अगर नहीं तो दुनिया चैन से जीने क्यों नहीं देती? क्या गे होने का मतलब सिर्फ सेक्स होता है… लौंडेबाजी करना होता है? इन सब सवालों का जवाब मैं आज तक नहीं ढूंढ पाया.

इतनी देर में दूसरे लड़के ने कहा- ये ऐसे नहीं मानेगा. उसने मुझे ज़़मीन पर धक्का देकर पटक दिया और मैं नीचे गिर पड़ा. तब पहले ने कहा- चल सौरभ, इसकी पैंट उतार और इसे नंगा कर… मेरा लंड तो आज सुबह से इसकी मारने के लिए खड़ा हुआ है लेकिन साला अब जाकर हाथ लगा है.

उसने मेरे हाथ पीछे अपने मजबूत हाथों में बांध दिए और सौरभ मेरी पैंट को खींचने लगा.

उसने मेरी पैंट का हुक खोलकर उसे नीचे कर दिया और मैं अब सिर्फ अंडरवियर में था. मैं उन दोनों के सामने गिड़गिड़ाने लगा कि मुझे छोड़ दो. और मेरी हालत देखकर उनको मुझ पर रहम आ ही गया, कपिल बोला- ठीक है, वैसे तो तेरी हरकतें देखकर आज तेरी गांड को चोदे बिना हम जाने वाले नहीं थे लेकिन लगता है तू बाकी सब गांडुओं जैसा नहीं है, इसलिए कभी किसी के सामने आइंदा इस तरह की हरकत मत करना कि तेरी गांड चुदने की नौबत आ जाए. कहकर वो दोनों मन मारकर वहाँ से चले गए.

मैं कुछ देर तक यूं ही वहाँ पर पड़ा रहा, फिर धीरे-धीरे होश संभाला, मैंने गर्दन उठाई तो रात हो चुकी थी, आस-पास सन्नाटा ही सन्नाटा था जिसमें घास-फूस में छिपे छोटे-मोटे जीवों की आवाज़ें आ रही थीं. मैंने थोड़ी हिम्मत जुटाते हुए अपना शरीर संभाला और उठकर बैठ गया. आंखें नम और सीने में गम… क्या गे होना गुनाह है… मैं ऐसा क्यों हूं.. बाकी लड़के भी तो नॉर्मल हैं, फिर मुझे ही क्यों भगवान ने लड़कों के लिए आकर्षण दिया… और अगर दिया तो ऐसे समाज में पैदा ही क्यों किया. ये सब सोच-सोच कर मुझे काफी गुस्सा भी आ रहा था.

खैर जैसे-तैसे मैंने अपने कपड़े पहने और चलने की कोशिश की.

मैं मौसी के घर पहुंचा तब तक रात के 8.30 बज चुके थे. मौसी ने कहा- हिमांशु तू इतनी रात में बाहर से कहाँ से आ रहा है… अब मौसी को क्या जवाब देता… मैंने कहा- कुछ नहीं मौसी, मैं ऐसे ही पड़ोस के लड़के के साथ खेतों की तरफ टहलने निकल गया था. मौसी बोली- ठीक है, कुछ खा ले और आराम कर ले, तेरी मां भी तेरे लिए परेशान हो रही थी… जाकर उनको बता दे कि तू लौट आया है. मैंने कहा- ठीक है मौसी.

लेकिन मैं मां के पास नहीं गया, मुझे पता था कि अगर मां ने मेरी आंखों में आंसू देखे तो वो पूरी बात पूछे बिना नहीं छोड़ेगी इसलिए मैं सीधा ऊपर वाले कमरे में जाकर गद्दे पर गिर गया. थकान बहुत हो रही थी, इसलिए मुझे खाने-पीने का भी मन नहीं था और कब नींद आ गई मुझे कुछ पता नहीं चला.

सुबह 6 बजे मुर्गे की कुकडू कूँ से फिर आंखें खुलीं तो सूरज निकल चुका था.

मैंने कमरे से बाहर निकल कर देखा तो सामने का नज़ारा देखकर सहम गया. सौरभ और कपिल मेरी तरफ देखकर ज़ोर-ज़ोर से हंस रहे थे. मैं सीधा नीचे भाग गया, मैंने किसी से कुछ बात नहीं की और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया.

शरीर पर मिट्टी लगी थी और दिल में घाव हो गए थे लेकिन पानी से मिट्टी को तो धो लिया परंतु दिल के घावों पर मरहम कौन लगाए. शॉवर के पानी में आंखों से बहते आंसू भी मिल कर मुझे नहला रहे थे। मैं नहाकर बाहर आया और कपड़े बदलकर नाश्ता किया.

मैंने मां से कहा कि मुझे अब और नहीं रहना है यहाँ पर… मुझे घर जाना है. तो मां ने कहा- ठीक है, अगर तेरा मन नहीं लग रहा है तो हम आज ही शाम को वापस घर चल पड़ेंगे. वैसे भी शादी की सारी रस्में तो पूरी हो ही गई हैं, अब हम रुककर करेंगे भी क्या यहाँ पर!

मैं टीवी वाले कमरे में चला गया लेकिन किसी चीज़ में मन नहीं लग रहा था. एक तो रवि का जाना और ऊपर से बीती रात की घटना ने मुझे अंदर से तोड़ दिया.

बड़ी मुश्किल से शाम हुई और मैंने मां से कहा- चलो मां, अब किसका इंतजार है? मां ने कहा- ठीक है, तू अपना बैग तैयार कर ले. मैं तेरी मौसी से मिलकर आती हूं. यह कहकर मां चली गई और मैं इतने में अपना बैग उठाकर ले गया.

तब तक मां ने भी अपना सामान संभाल लिया था. मौसी ने हमारे लिए रिक्शा का बंदोबस्त किया ताकि वो हमें बस स्टैंड तक पहुंचा दे.

हम बस अड़्डे पर पहुंच गए और बहादुरगढ़ की बस का इंतज़ार करने लगे लेकिन बस का टाइम 6 बजे का था, तब तक हमें वहीं पर वेट करना था.

जैसे-तैसे 6 बजे और बस अपने निर्धारित स्थान पर आकर लग गई और हम बस में बैठ गए. हमारी सीट का नंबर 23 और 24 था और हमारी सीट की ठीक बगल में दूसरी सीट पर एक वैवाहित जोड़ा बैठा हुआ था, लड़की के हाथों में लाल चूड़ियों को जोड़ा था और मांग में सिंदूर… लड़की की उम्र लगभग 20-22 साल की रही होगी जबकि लड़का 26-27 के आस-पास का लग रहा था. लड़की ने लाल रंग का सूट सलवार पहना हुआ और सिर पर चुन्नी ओढ़ रखी थी जबकि लड़के ने सफेद रंग जींस के कपड़े वाली टाइट पैंट और ऊपर गहरे महरून रंग की शर्ट डाली हुई थी.

लड़की ने अपना सीधा हाथ लड़के हाथ में दे रखा था और वो उसके हाथ को अपने बाएं हाथ में रखे हुए अपने सीधे हाथ से सहला रहा था. मेरी नज़र थोड़ी नीचे की तरफ गई तो देखा कि लड़के का लंड उसकी पैंट की चैन के पास एक साइड में किसी मोटे डंडे की तरह तनकर साइड में निकला हुआ है.

आगे की हिंदी गे स्टोरी जल्दी ही लेकर लौटूंगा. [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000