वो सात दिन कैसे बीते-3

मैंने उसके घुटने मोड़ कर दोनों जांघों को फैलाया कि…

विधवा आंटी की हवस

हैलो दोस्तो, मेरा नाम गौरव है। मैं लाल कोठी.. जयपु…

जिस्मानी रिश्तों की चाह-38

सम्पादक जूजा अब तक आपने पढ़ा.. आपी ने मेरी मुठ मार …

मेरा गुप्त जीवन- 180

मैंने बसंती से पूछा- क्यों बसंती, यहाँ दिल लग गया …

वो सात दिन कैसे बीते-7

‘मज़ा आ गया।’ थोड़ी देर बाद उसने करवट ली और मेरी आँ…

प्यास भरी आस: एक चाह-2

जब कॉलेज से लौट कर घर आ रहा था तो भाभी गेट पर थीं…

जिस्मानी रिश्तों की चाह -41

सम्पादक जूजा मैंने अपनी गली पर अपने लण्ड का जूस उठा…

जिस्मानी रिश्तों की चाह -39

फरहान ने आपी की चूत को चूसते हुए आपी की गाण्ड के स…

जिस्मानी रिश्तों की चाह-33

सम्पादक जूजा आपी एक हाथ से मेरे लण्ड को पकड़ कर दूसर…

Office Boy Se Gaand Chudai

Hello dosto dil khus ho gaya aap logo ko meri las…