जिस्मानी रिश्तों की चाह -61
सम्पादक जूजा आपी मेरे ऊपर थी कि तभी आपी धीमी आवाज़ …
दोस्त को जन्मदिन का तोहफ़ा-2
अब तक आपने पढ़ा.. मेरे दोस्त बृजेश ने मुझसे जन्मदिन …
जिस्मानी रिश्तों की चाह-53
सम्पादक जूजा कुछ देर आपी की चूत के दाने को चूसने क…
बेइन्तिहा प्यार.. सत्य प्रेम कहानी-2
अब तक आपने जाना था कि प्रीति के बर्थडे पर जब उसने म…
मेरा गुप्त जीवन- 181
इंदु मेरे अभी भी खड़े हुए लंड को बड़ी हैरानी से देख…
मुझे जीना सिखा दिया-3
अरे हाँ.. काजल कहाँ है? सोचते हुए मैंने भी निगाह …
मुझे जीना सिखा दिया-1
यूँ तो कहानी लिखना कोई नई बात नहीं है पर यह कहानी…
भाभी की चचेरी बहन ग्रुप सेक्स में-4
रात का खाना हम सबने नीचे ही खाया और उसके बाद हम त…
जिस्मानी रिश्तों की चाह-57
सम्पादक जूजा आपी बोलीं- बस भाई, अब तुम जाओ.. मैं र…
जिस्मानी रिश्तों की चाह -58
सम्पादक जूजा मैं आपी की बात सुन कर उनकी चूत के दान…