बुद्धू बालम

नेहा वर्मा आज मेरी भाभी कंचन वापस घर आ गई। यहां से…

अमरूद के बाग़ में गांड मरवाई

कैसे बन गया मैं चुदक्कड़ गांडू और मेरी बाकी कहानियो…

वो कच्ची कलियाँ तोड़ गया

प्रेषिका : सिमरन सिंह मेरा नाम सूर्यप्रभा है, मैं अट्…

खुजली मैं दूर कर दूंगा !

दोस्तो, मेरी पिछली कहानी बस में दो आंटी के साथ मज़ा…

इंग्लैंड आकर बन गई मैं टैक्सी-1

लेखिका : रूही सिंह सभी अन्तर्वासना पढ़ने वालों को र…

पड़ोसन दीदी की वासना और उनकी चुत चुदाई

बारिश का मौसम था। एक दिन मैं घर पर अकेला था परिवा…

रीना ने अपनी सील तुड़वाई

हैलो दोस्तो, मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि …

रात कटती नहीं

प्रेषिका : रीता शर्मा मैं अपनी चालीस की उम्र पार कर …

प्रगति का अतीत- 3

मास्टरजी के घर से चोरों की तरह निकल कर घर जाते समय…

रेलगाड़ी में मिले बढ़िया लौड़े

लेखक : तरुण वर्मा सभी अंतर्वासना पढ़ने वाले लोगों क…