दोस्त दोस्त ना रहा
यह उस समय की बात है जब मैं कुछ दिनों के लिए दिल्ली…
चुलबुली किराएदार
लेखक : सुनील पटेल सबसे पहले गुरूजी का शुक्रिया कि …
घर की बात-2
प्रेषक : राहुल जैन सभी पाठकों को राहुल जैन का तहे…
एकाकीपन में खुशी
प्रेषक : अशोक अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्क…
काम में मज़ा आया?
प्रेषक : आलोक कुमार मैं आप सबको अपनी बात बता रहा ह…
फ़ार्म हाउस में मम्मी
प्रेषक : विजय पण्डित मेरे पुरखे काफ़ी सम्पत्ति छोड़ गये…
नेपाली पक्षी
प्रेषक : शशांक रावत सभी प्यासी चूत-मरियों को मेरे ग…
जब मैं जिगोलो बना-2
जब मैं जिगोलो बना-1 मैं थोड़ा हैरान था, मैंने कहा…
अंग्रेजन को साड़ी पहनाई
प्रेषक : ऋषि मैं अन्तर्वासना का नया पाठक हूँ। कुछ कह…
शादी के बाद भी न बुझी प्यास
प्रेषिका : परमजीत कौर सभी अन्तर्वासना पढ़ने वालों को…