मेरा गुप्त जीवन -60
कुछ दिन ऐसे ही बीत गए और हम सिर्फ कम्मो, पारो और मै…
दरवाजे में दरार
मेरे प्रिय अन्तर्वासना के पाठको, सब से पहले आप लोग व…
एक भाई की वासना -44
सम्पादक – जूजा जी हजरात आपने अभी तक पढ़ा.. जाहिरा ह…
एक भाई की वासना -43
सम्पादक – जूजा जी हजरात आपने अभी तक पढ़ा.. एक मर्द क…
ख्वाहिश पूरी की
दोस्तो, मैं अर्पित सिंह एक बार फिर से अपनी अधूरी प्र…
निदा की अन्तर्वासना-1
दोस्तो, मेरी पिछली कहानी में मैंने बताया था कि कैस…
पापा मम्मी की दूसरी सुहागरात -3
पापा बोले- तुमने कहा था कि अब की बार जब भी करेंगे…
ट्रेन में धकाधक छुकपुक-छुकपुक-4
प्रेषक : जूजा जी तभी शब्बो बोली- राजा इसकी सील तोड़न…
Gehili Bhaujanku Paisapain (Oriya)
Mora Samasta reader ku namas kar mu apanakar bika…
एक भाई की वासना -42
सम्पादक – जूजा जी हजरात आपने अभी तक पढ़ा.. जाहिरा- …