कमाल की हसीना हूँ मैं-16

“शहनाज़ ! बहुत टाईट है तुम्हारी…” कहते हुए फिरोज़ भा…

कुँवारी पड़ोसन की चूत किस्मत से मिली

मेरे पड़ोस में लड़की रहती थी आरती, 18 साल उम्र होगी …

कमाल की हसीना हूँ मैं-17

अचानक उन्होंने अपनी मुठ्ठी में बंद एक खूबसूरत लॉकेट…

कमाल की हसीना हूँ मैं-23

मैं उत्तेजना में अपनी दोनों जाँघों को एक दूसरे से …

कमाल की हसीना हूँ मैं-24

मैं उसके लंड की टिप को अपनी चूत की दोनों फाँकों क…

मेरी आप बीती- पहला सहवास-2

मेरी आप बीती- पहला सहवास-1 से आगे: महेश जी अपनी ज…

यौनसुख से वंचित पाठिका से बने शारीरिक सम्बन्ध -4

उसने मुझे बहुत ज़ोर से अपनी बाहों में कस लिया और ह…

कमाल की हसीना हूँ मैं-34

“मम्मऽऽऽ… शहनाज़… मीऽऽऽऽ… ऊँमऽऽऽऽ… तुम बहुत सैक्सी ह…

नवाजिश-ए-हुस्न-3

लेखक : अलवी साहब पूरी बस खाली थी, हम दोनों अन्दर अ…

कमाल की हसीना हूँ मैं-32

“आज मैं आपके बेटे की बीवी हूँ।” “लेकिन पहले तू मे…