चूत एक पहेली -64

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दोस्तो, अब तक आपने पढ़ा..

काका- बेटा वो ए सी वाला भी आया था.. लगाकर चला गया है। उसने कहा है कि कल उसकी माँ बीमार हो गई थी.. इसलिए नहीं आ पाया.. उसने माफी भी माँगी है। पुनीत- तभी मैं सोचूँ कि वो ऐसा तो नहीं कर सकता.. कुछ ना कुछ बात तो जरूर हुई होगी। चलो अब अच्छा है.. पायल तुम आज रात आराम से अपने कमरे में सो पाओगी।

पायल- हाँ भाई.. सही कहा आपने आज अकेली सुकून से सोऊँगी और आप भी मेरी वजह से परेशान नहीं होंगे। पुनीत- अरे मुझे क्या परेशानी हुई है.. तुम भी कैसी बात करती हो? चलो तुम जाकर चेंज कर लो.. मैं भी चेंज करके थोड़ी देर में तुम्हारे कमरे में आता हूँ। पायल- क्यों.. आप मेरे कमरे में क्यों आ रहे हो? पुनीत- अरे एसी चैक करने आऊँगा ना.. बराबर काम कर रहा है या नहीं..

पायल मुस्कुराती हुई बोली- अब चैक क्या करना.. उसने ठीक किया है तभी लगा कर गया है.. हाँ.. आपको देखना है तो आ जाना.. मुझे आपके आने से कोई दिक्कत नहीं है.. इतना कहकर पायल अपने कमरे में चली गई और पुनीत अपने कमरे में घुस गया।

अब आगे..

पायल और पुनीत अब चेंज करने चले गए हैं तो यहाँ से वापस आपको बिहारी के पास लेकर चलती हूँ.. वहाँ एक नया ट्विस्ट आपका इन्तजार कर रहा है या यूँ कहो कि एक पुराना राज खुलने वाला है।

भाभी की मस्त चुदाई करने के बाद बिहारी बहुत खुश हो गया था.. उसने सन्नी को फ़ोन किया और बता दिया कि सारा माल यहाँ रख दिया है। तो सन्नी ने कहा- तुम वहीं रूको.. मैं कुछ देर में वहीं आता हूँ। बिहारी वहीं बिल्डिंग के नीचे खड़ा होकर सन्नी का इन्तजार करने लगा.. उसका आदमी वहाँ से चला गया था।

अर्जुन नीचे आया तो उसने बिहारी को वहाँ देखा.. तो उसके पास चला गया। अर्जुन- क्या हुआ बिहारी जी.. यहाँ क्यों खड़े हो गए.. आपका भाभी से मन नहीं भरा क्या? बिहारी- अरे हम तो हमार काम से हियाँ खड़ा हूँ.. मगर सच कहूँ तोहार भौजी एकदम मल्लिका सेरावत जैसन वा.. मज़ा आ गया साली को चोदने में.. उसकी चूत और गाण्ड ऐसी कसी हुई है.. कि बस चोदते रहो.. चोदते रहो.. मन ही नहीं भरता.. कभी भी..

अर्जुन- अच्छा इतनी पसन्द आ गई आपको.. तो कल फिर आ जाना.. किसने रोका है.. बस हमारे भाई जी ठीक हो जाएं.. तब तक हमें यहाँ रहने देना और कुछ मदद कर सको.. तो आपकी बड़ी मेहरबानी होगी। बिहारी- अरे तुम चिंता काहे करता है.. हम हूँ ना.. जब तक चाहो.. यहाँ रहो और हम कल आऊँगा ना.. तो कुछ माल भी दे दूँगा.. तुम लोग आराम से खाओ-पियो.. मज़ा करो। अर्जुन- बहुत मेहरबानी जी आपकी..

बिहारी- अभी कहाँ जा रहे हो तुम..? अर्जुन- यहाँ खाना बनाने का तो कुछ है नहीं.. तो बाहर से ही लाते हैं बस वो सामने वाले होटल से खाना लाने जा रहा हूँ। बिहारी- अरे उस साला छोड़ के पास काहे खाना लाते हो.. वो हरामी यहाँ हॉस्पिटल में आए लोगों को लूटने बैठा है.. तुम ऐसा करो.. वो सामने की गली से जाओ.. सीधे जाकर बाएँ मुड़ जाना.. उसके बाद दो बिल्डिंग के आगे एक मस्त होटल है.. वहाँ से खाना ले आओ और हाँ उसको पैसा मत देना.. बस कह देना बिहारी ने भेजा है.. जो पसन्द आए ले आना.. अर्जुन- जी बहुत अच्छा.. मैं कह दूँगा उसको.. अच्छा अब मैं जाता हूँ।

अर्जुन खुश होकर वहाँ से चला गया। अब खाना भी फ्री में मिलने वाला है और कल कुछ पैसे भी मिल जाएँगे.. तो मज़ा ही मज़ा है। अर्जुन के जाते ही सन्नी वहाँ आ गया उसने दूर से उसको बिहारी से बात करते हुए देखा था, अब सन्नी को उसकी जाते हुए की पीठ दिखाई दी।

बिहारी- अरे आओ सन्नी महाराज.. अब तो आपको कोई शिकायत नहीं है ना.. आपका माल सही सलामत रख दिया हूँ। सन्नी- क्या बात है.. आज बड़े खुश दिखाई दे रहे हो.. और वो लड़का कौन था.. जिससे बातें कर रहे थे। बिहारी- अरे अब तुमो का बताऊँ भाई.. आज तो रात होने के पहले ही मूड बन गया.. साली क्या मस्त माल थी.. चोदने में मज़ा आ गया। सन्नी- अरे ये कोई वक्त है चुदाई का.. कौन मिल गई तुझे इतनी जल्दी? बिहारी- अरे वो लड़का गया है ना.. उसकी भाभी को चोदा है.. अब अपने फ्लैट में है.. तो कभी भी चोद लो.. क्या फ़र्क पड़ता है। सन्नी- अपने फ्लैट में.. कहाँ?

बिहारी ने शुरू से अब तक की सारी बात सन्नी को बताई तो सन्नी गुस्सा हो गया कि यहाँ हमारा माल रखने के लिए ये जगह मैडम ने दी है तुम यहाँ अय्याशी कर रहे हो।

बिहारी- अरे इतना भड़कता काहे हो.. उन लोगन को हमार माल के बारे में कुछ पता नहीं है.. बेचारे वो तो बीमार के साथ आए हैं। सन्नी- हाँ ठीक है.. ठीक है.. तेरा नसीब अच्छा है.. तुझे कहीं ना कहीं से जुगाड़ मिल ही जाता है.. वैसे ये भाभी में क्या रखा है.. कोई कच्ची कली हो.. तो बात भी बने.. बिहारी- अरे मौके पर जो मिले.. वही अच्छा होता है.. वैसे उनके साथ एक कच्ची कली भी है.. मगर छोटी है.. नहीं तो उसका भी काम तमाम कर देता मैं.. वैसे उसकी आँखों में मैंने एक नशा देखा है.. जरूर ससुर की नातिन ने मुझे उसकी भाभी को चोदते हुए देख लिया होगा.. कल ट्राइ करूँगा साली को.. आजमा के देखूँगा..

सन्नी- क्या बात करता है.. कली है.. और चुदाई भी देखी है.. तो जरूर अभी तक गर्म होगी.. चल ऊपर जाकर उस कली को छूकर देखते हैं कितनी गर्मी है उसके अन्दर.. वैसे भी बहुत दिन से कोई अच्छा माल नहीं मिला.. बिहारी- अरे इसमें सोचने जैसी का बात है.. चलो अभी दिखा देते हैं।

वो दोनों फ्लैट में ऊपर चले गए.. भाभी तो थकी हुई थीं.. तो निधि ने ही दरवाजा खोला.. जिसे देख कर सन्नी के मुँह में पानी आ गया। निधि बिहारी को देख कर एक तरफ़ हट गई.. वो दोनों अन्दर चले आए। भाभी आराम से लेटी हुई थीं.. उनको देख कर जल्दी से बैठ गईं।

बिहारी- अरे लेटो.. लेटो.. कोई बात नहीं है.. ये हमारा दोस्त है.. जो सामान हम इहाँ रखा हूँ ना.. ये बस उको देखने आए हैं आप काहे तकलीफ़ करती हो.. आ बछिया.. तोहार कमरे में जो हम सामान रखवाया हूँ ना.. वो साहेब को दिखा लाओ.. जाओ..।

बिहारी ने ये बात सन्नी की तरफ़ आँख मारते हुए कही थी। सन्नी भी समझ गया कि बिहारी उसको निधि के साथ अकेला क्यों भेज रहा है.. ताकि वो चैक कर सके कि लोहा अभी भी गर्म है या नहीं.. अगर है तो हथौड़ा मार देना चाहिए। निधि- आइए बाबूजी.. मैं दिखा देती हूँ आपको.. वो अन्दर कोने में पड़ा है आपका सब सामान..

निधि आगे-आगे और सन्नी उसके पीछे उसकी गाण्ड को घूरता हुआ कमरे में चला गया।

बिहारी- का हाल है आपका.. मज़ा आया कि नहीं चुदाई में? भाभी- क्या बात करते हो आप.. ऐसा मज़ा आया कि मैं बता नहीं सकती..

बिहारी इधर-उधर की बातों में भाभी को उलझाए हुए था.. उधर कमरे में जाकर सन्नी ने निधि को फंसाने के लिए अपना जाल फेंका। निधि- ये रहा आपका सब सामान। सन्नी- हाँ वो तो ठीक है.. मुझे तुमसे कुछ पूछना है.. सही-सही जवाब दोगी ना? निधि- हाँ बाबूजी.. पूछो क्या पूछना है.. मैं सब सही ही बताऊँगी।

सन्नी- ये जो बाहर मेरा दोस्त बैठा है ना.. ये थोड़ा रंगीन मिज़ाज का है। ये आज कब से यहाँ है और क्या-क्या किया इसने यहाँ?

निधि ने सन्नी को शाम की बात बताई कि कैसे ये आया और अर्जुन को अपने आदमी के साथ भेजा.. उसके बाद से ये यहीं है.. भाभी से बातें कर रहा था। सन्नी- ये अर्जुन नाम कहीं सुना हुआ सा लगता है.. चल जाने दो। ये जब भाभी के पास था.. तुम यहाँ क्या कर रही थी? निधि- मैं तो यहाँ सो रही थी।

सन्नी- देखो सच-सच बताओ ये मेरा दोस्त ठीक आदमी नहीं है.. अकेली औरत देख कर इसके मन में गंदे विचार आते हैं। इसने जरूर कुछ ना कुछ तो किया ही होगा। सन्नी ये बात बोलते वक्त निधि को घूर रहा था और उसकी हालत देखकर वो समझ गया कि इससे बात उगलवाना आसान है.. क्योंकि निधि थोड़ी घबरा गई थी। निधि- न..नहीं.. तो.. ऐसा तो उसने कुछ नहीं किया.. वो बस बैठ कर भाभी से बातें कर रहा था। सन्नी- तुम झूठ मत बोलो.. तुम सोई नहीं थी.. मुझे पता है तुमने जरूर कुछ देखा है.. सच बता दो.. नहीं कल से यहाँ रहने नहीं दूँगा।

निधि घबरा गई कि इसको जरूर पता लग गया है.. कि यहाँ क्या हुआ था। अब बात छुपा कर कोई फायदा नहीं है। निधि- आ..आप उनको मेरा नाम ना बताना.. मैं आपको सब बता देती हूँ।

सन्नी तो यही चाहता था.. चिड़िया जाल में फँस गई थी। उसने बड़े प्यार से निधि को विश्वास दिलाया कि वो बस पूछ रहा है.. किसी को कुछ नहीं बताएगा।

निधि- व्व..वो आपके दोस्त मेरी भाभी के साथ कर रहे थे.. मैंने चाबी के छेद से सब देख लिया था। मैं डर गई थी तो चुपचाप सो गई। सन्नी- अच्छा क्या कर रहे थे दोनों.. मुझे खुलकर बता.?

अब निधि एक अनजान आदमी के सामने कैसे सब साफ-साफ बता देती कि उसकी भाभी को वो चोद रहा था और वो देखकर मज़ा ले रही थी। निधि- व्व..वो मुझे शर्म आती है.. सब बताने में.. बस वो बिना कपड़ों के एक-दूसरे से चिपके हुए थे। मैंने इतना ही देखा और सो गई.. सन्नी- अच्छा शर्म आती है.. और तुमने कुछ नहीं देखा.. ये बातें किसी और को बताना.. तुमने दोनों की चुदाई बड़े आराम से देखी है और शायद मज़ा भी लिया है। निधि- नहीं नहीं.. बाबूजी ये गलत है.. मैंने कुछ नहीं देखा और ये चुदाई क्या होती है.. मुझे इसके बारे में कुछ पता नहीं है।

निधि एकदम अनजान बनने की नाकाम कोशिश कर रही थी.. मगर सन्नी जैसे चालाक आदमी से वो जीत थोड़े ही सकती थी। वो ठहरा एक नंबर का कमीना आदमी.. उसकी आँखों में वासना साफ दिखाई दे रही थी। निधि की बात सुनकर उसने निधि का हाथ पकड़ा सीधे उसके मम्मों पर हाथ रख दिया।

दोस्तो, उम्मीद है कि आपको कहानी पसंद आ रही होगी.. तो आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है।

कहानी जारी है। [email protected]

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