Search Results for "होता-हे-जो-वोह-हो-जाने-दो"

सम्पूर्ण काया मर्दन, सन्तुष्टि-2

मूल लेखक : सिद्धार्थ वर्मा सम्पादन सहयोग : उर्मिला उसक…

सम्पूर्ण काया मर्दन, सन्तुष्टि-1

मूल लेखक : सिद्धार्थ वर्मा सम्पादन सहयोग : उर्मिला अन्त…

मेरी कामवासना और दीदी का प्यार-3

दीदी ने कहा- तुम्हारा जो मन हो वो करो. मैं नहीं रो…

ठोक दे किल्ली बागड़ बिल्ली की चूत में..

हरि सभी पाठकों को सादर प्रणाम। मेरी कहानी ‘मामा की…

चूची से जीजाजी की गाण्ड मारी-2

सुधा उनका पूरा लौड़ा सरसराते हुए मेरी बुर में घुस …

चूची से जीजाजी की गाण्ड मारी-3

सुधा मैं बोली- जीजाजी उसे ज़्यादा भाव ना दीजिएगा नह…

चूची से जीजाजी की गाण्ड मारी-4

सुधा जीजाजी चाय पीते हुए बोले- ठीक है, चमेली इस ब…

चूची से जीजाजी की गाण्ड मारी-9

अलीशा सुधा इसके बाद जीजाजी थोड़ी शैम्पेन कामिनी के …

चूची से जीजाजी की गाण्ड मारी-7

सुधा अचानक जीजा जी रुक गए, मैंने पूछा- क्या हुआ ? …

चूची से जीजाजी की गाण्ड मारी-5

सुधा मैंने मुँह से गिलास हटाते हुए कहा- जीजाजी, म…