भिलाई वाली सोनल जी

प्रेषक : आशु मेरा नाम आशु है और मैं ६ फीट का एक सा…

वो पूस की एक रात-2

मैंने हाथ बढ़ाया, जैसे ही उसने रूमाल लेना चाहा… मै…

एक ही बाग़ के फूल-5

छाया ने कहा- जब कभी कभी मैं सोई रहती हूँ तब ऐसा ल…

एक ही बाग़ के फूल-1

दोस्तो, कैसे हो आप सब लोग! आपने मेरी पिछली कहानी द…

एक ही बाग़ के फूल-3

मैंने भी उसको देख के हाथ हिलाया और फ़ोन में सन्देश …

एक ही बाग़ के फूल-2

मेरी नज़र अब आंटी की चूत पे गयी जहाँ उसके हल्के बाल…

एक ही बाग़ के फूल-4

मैं और छाया का भाई गन्दी गन्दी बातें करने लगे कभी ग…

बुआ की चुदाई का मज़ा

मैंने अपनी बुआ की चुदाई कैसे की, पढ़ें इस इन्सेस्ट स…

एक शाम बरसात के नाम

लेखिका : कामिनी सक्सेना हम लोग जहां रहते हैं वो एक…

ऑफिस गर्ल की चुदाई

सभी पाठकों को भी बहुत-बहुत धन्यवाद जिन्होंने मेरी क…