यह कैसा संगम-1

नेहा वर्मा यह कहानी तीन प्रेमियों की है। इस कहानी क…

बहन का लौड़ा -43

अभी तक आपने पढ़ा.. कुछ देर दोनों एक-दूसरे की बाँहो…

मौसी की चूत की आग

हैलो दोस्तो, कैसे हो आप सब..! मैं अन्तर्वासना का बहु…

तीन कलियां ९९९

रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे, होस्टल सुनसान सा हो ग…

कामदेव के तीर-1

मैं अपने ऑफिस में बैठा मेल चैक कर रहा था, इस बार …

गर्मी का एहसास

प्रेषक : मेरा नाम शाहिद है, अहमदाबाद का रहने वाला…

बहन का लौड़ा -44

अभी तक आपने पढ़ा.. ममता- अरे बाप रे रात को मीरा बी…

बहन का लौड़ा -46

अभी तक आपने पढ़ा.. दोस्तो, अब बार-बार एक ही बात को …

बहन का लौड़ा -48

अभी तक आपने पढ़ा.. दिलीप जी- अरे मेरी बच्चियों.. तु…

मर्द की ग़ुलाम

प्रेषिका – शोभा दोस्तो, अन्तर्वासना पर मैंने बहुत कहा…