श्रेया के साथ-2
प्रेषक : संजय कुमार कुछ देर बाद मैंने अपना एक हाथ …
तरक्की का सफ़र-16
आर्यन और सायरा एक दूसरे को चूमे जा रहे थे कि रूही …
वासना के पंख-10
दोस्तो, आपने पिछले भाग में पढ़ा कि कैसे संध्या ने अप…
चाची की सहेली-2
प्रेषक : मितेश कुमार वो और मस्त होकर चूसने लगी मुझे…
वासना का पुजारी
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को शर्मीले सिड की तरफ से प्…
तरक्की का सफ़र-11
राज अग्रवाल एक दिन ऑफिस में शाम को जब काम खतम हो ग…
संसर्ग : एक कविता
सभी गदराई हुई लड़कियों, भाभियों और आंटियों के गीले…
कुड़ी पतंग हो गई
आज मेरी बड़ी बहन को हॉस्पिटल में दाखिल करवा दिया था…
गन्दा पानी और चालू लड़की दोनों आग बुझाने के काम आ सकते हैं
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को पेनकिलर की नमस्ते। यह म…
ख्वाहिश पूरी की
दोस्तो, मैं अर्पित सिंह एक बार फिर से अपनी अधूरी प्र…