तरक्की का सफ़र-14

राज अग्रवाल एम-डी के जाने के बाद प्रीती ने देखा कि …

तरक्की का सफ़र-17

मेरे घर में एक पार्टी थी। मैंने एक खेल रखा था और स…

अंगूर का दाना-3

प्रेम गुरु की कलम से उस रात मुझे और अंगूर को नींद …

अंगूर का दाना-1

प्रेम गुरु की कलम से एक गहरी खाई जब बनती है तो अपन…

अंगूर का दाना-6

प्रेम गुरु की कलम से प्रथम सम्भोग की तृप्ति और संतुष्ट…

अंगूर का दाना-8

प्रेम गुरु की कलम से मैं अपने विचारों में खोया था …

तरक्की का सफ़र-15

राज अग्रवाल प्रीती की बात सुनकर मुझे उस पर नाज़ हो ग…

वेब से बेड तक- 2

प्रेषक : लव गुरू वह मेरे दूसरे चुचूक को अपने हाथ क…

अंगूर का दाना-4

मैंने उसे बाजू से पकड़ कर उठाया और इस तरह अपने आप …

हरिद्वार से टिहरी- एक अधूरी हसरत

सभी दोस्तों को मेरा हार्दिक प्रणाम। मैं अपनी प्रथम सच्…