रैगिंग ने रंडी बना दिया-87

अब तक की इस सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा था सुमन ने एक सेक्सी नाइटी पहनी हुई थी और उसके पापा गुलशन उसके मम्मों को चूस कर उसकी खुजली मिटाने का खेल खेल रहे थे. तभी सुमन ने एक दूसरा दांव खेला. अब आगे..

दोस्तो इन बाप बेटी के बीच का ये खेल, बाप बेटी का सेक्स अब सारी सीमाओं को लाँघ चुका था. ये सब कैसे हुआ.. वो आप खुद देख लो.

सुमन- आह.. पापा बस भी करो.. अब ठीक हो गया है. मुझे बहुत बेचैनी हो रही है. गुलशन जी समझ गए ये उत्तेज़ित हो गई है और इसकी चुत रिस रही होगी. गुलशन- कैसी बेचैनी बेटा.. मुझे ठीक से बता ना.. मैं सब कुछ ठीक कर दूँगा. सुमन- पापा व्व..वो वो शायद चींटी ने मेरे पैरों के ऊपर भी काटा है.. वहां भी खुजली हो रही है. गुलशन- पैरों पर कहाँ? बता मुझे मैं अभी चूस कर ठीक कर देता हूँ.

सुमन खुलकर बोल नहीं सकती थी कि मेरी चुत को चाटो, वहां बेचैनी हो रही है और गुलशन जी अच्छी तरह जानते थे कि उनको कहाँ चूसना है. मगर ये शर्म का झूठा परदा भर दोनों ने लगाया हुआ था. सुमन- अब आपको कैसे बताऊं पापा.. वो नीचे मेरा मतलब पैरों के ऊपर एकदम वहां.. गुलशन- अच्छा अच्छा वहां.. मैं समझ गया, तू रहने दे. बस अपने पैरों को थोड़ा खोल दे, मैं अभी ठीक कर देता हूँ.

सुमन ने नाइटी ऊपर कर दी और घुटनों को मोड़कर अपनी चुत गुलशन जी के सामने खोल दी.

वैसे तो कमरे की लाइट बंद थी मगर बाहर से हल्की रोशनी अन्दर आ रही थी और उसने सुमन की चुत एकदम चमक रही थी. चूंकि उसकी चुत का रस बहकर चुत पर फैल गया था और अंधेरे में चमक फैला रहा था. सुमन की चुत से भीनी भीनी खुशबू आ रही थी, जो गुलशन जी को और पागल बना रही थी.

गुलशन जी ने पहले तो उसकी जाँघों को चूमा-चाटा, उसके बाद वो सीधे चुत को चूसने में लग गए.

सुमन- आह.. सस्स पापा.. आह.. यहीं बहुत खुजली हो रही है.. उफ्फ आह.. आह…

गुलशन जी तो खुद चुत के आशिक थे. अब तो सुमन ने उनको खुला निमन्त्रण दे दिया था. वो बड़े मज़े से चुत को चूसने लगे. चुत चूसते हुए उनको एक ख्याल आया कि ये जो हो रहा है, सुमन जानबूझ कर तो नहीं करा रही ना. कहीं वो अपनी उंगली से चुत को चोदती होगी या किसी लड़के के साथ कहीं चुदवा तो नहीं ली. बस यही ख्याल उनके मन में घूमने लगा. अब गुलशन जी कभी अपनी जीभ से चुत को कुरेदते, अपनी जीभ की नोक चुत में घुसेड़ने की कोशिश करते और एक बार तो उन्होंने उंगली चुत में घुसाने की कोशिश भी कि जिसका परिणाम जल्दी उनके सामने था.

सुमन- ओह पापा.. क्या कर रहे हो आह.. सस्स दुख़्ता है ना.. बस चूस के दर्द दूर कर दो.. आप हाथ मत लगाओ.

सुमन की चीख उनके लिए ये इशारा थी कि वो एकदम अनछुई कली है. अब वो और जोश में चुत चुसाई करने लगे. परिणाम स्वरूप अब सुमन अपने चरम पे पहुँच गई थी. सुमन ने अपनी चुत उठा कर अपने पापा के मुँह से लगा दी- आह.. पापा सस्स.. आह.. ज़ोर से यहीं चींटी ने काटा था आह.. जल्दी आह.. बहुत तेज खुजली हो रही है.

गुलशन जी समझ गए कि ये अब झड़ने वाली है. वो चुत के होंठों को अपने मुँह में भरकर ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगे और सुमन का रस बह गया, जिसे गुलशन जी ने चाट कर साफ कर दिया. अब सुमन की आग तो ठंडी हो गई थी और ये सब अंजाने बहाने में ही सही.. मगर दोनों को पता था कि अभी क्या हुआ है.

सुमन- आह.. सस्स बस पापा.. अब ठीक है.. ठीक हो गया.

गुलशन जी ने चुत को एकदम चाट कर साफ कर दिया. फिर सुमन के पास बैठ गए और उसके सर को सहलाने लगे. सुमन तो ठंडी हो गई थी मगर वो जानती थी कि उसके पापा अब वासना की आग में जल रहे हैं और अब उनको शांत करने की उसकी बारी है. मगर उसके लिए भी कोई आइडिया तो लगाना ही पड़ेगा.. और वो सोचने लगी.

सुमन- पापा आप बहुत अच्छे हो.. मेरा कितना ख्याल रखते हो आप. गुलशन- अरे तू मेरी लाड़ली बेटी है.. तेरा ख्याल ना रखूं तो किसका रखूं. सुमन- पापा मुझे भी आपके लिए कुछ करना है.. आप बताओ मैं क्या करूँ. गुलशन- अरे तू क्या करेगी.. चल आजा मेरी गोद में सो जा, तेरे सर को सहला देता हूँ.

गुलशन जी की बात सुनकर सुमन को आइडिया मिल गया. जब उसके पापा आसानी से उसकी चुत को चूस सकते हैं तो वो उनके लंड को क्यों नहीं पकड़ सकती. वो जल्दी से उनकी गोदी में लेट गई. अब उसके होंठ लंड के एकदम करीब थे और लंड अभी भी खड़ा हुआ था. सुमन- पापा वो हम खेल रहे थे तो आपने मुझे क्या चूसने को दिया था.. उसका स्वाद बहुत अच्छा था. प्लीज़ एक बार दिखाओ ना.

सुमन ने इनडाइरेक्ट्ली अपने पापा के लंड को देखने की इच्छा जाहिर कर दी. गुलशन- अच्छा तुझे इतना पसंद आया वो..? सुमन- हाँ पापा रियली उसका टेस्ट बहुत ही ज़्यादा अच्छा था. काश वैसा बहुत सारा रस एक साथ मिल जाए.

सुमन के इशारे गुलशन जी को समझ में आ रहे थे. वो ये भी समझ गए कि सुमन को लंड का पता लग गया है और अब उसका दोबारा उसको चूसने का मन कर रहा है.. वीर्य पीने का दिल कर रहा है.

गुलशन जी सुमन की बात को समझ तो गए मगर वो सीधे कैसे उसके मुँह में लंड घुसा देते. वो कुछ सोचते तभी सुमन ने धीरे से उनके लंड पे उंगली टिका दी, जिससे उनका काम आसान हो गया.

गुलशन- मैं तुझे सुला देता हूँ. तू एक काम कर, मेरी जाँघ पर थोड़ा खुजा दे, थोड़ी बेचैनी हो रही है. सुमन- पापा आपको तो चींटी ने नहीं काटा ना.. मैं देखूं क्या? गुलशन- अरे नहीं नहीं, ये तो ऐसे ही हो रही है.. तू ऐसे ही खुजा दे.

सुमन को इशारा मिल गया था, अब वो धीरे-धीरे उनकी जाँघ पे हाथ घुमा रही थी.. साथ ही साथ लंड को भी हाथ लगा देती.

गुलशन- हाँ ऐसे ही कर.. अच्छा लग रहा है.

सुमन कुछ देर तो डरते-डरते लंड को छू रही थी मगर थोड़ी देर बाद वो खुल गई और सीधे लंड को पकड़ लिया और जैसे ही गुलशन जी का अज़गर उसके हाथ में आया, उसकी साँसें ऊपर-नीचे हो गईं और होती भी क्यों नहीं.. आपको तो पता ही है. वो एक 10″ का काफ़ी मोटा लौड़ा था.

सुमन अपने मन में बुदबुदाने लगी- हे राम इतना बड़ा है पापा का लंड.. और मोटा भी कितना है, तभी मेरे मुँह में ठीक से नहीं घुस पा रहा था. इसको तो आज चूस कर ठंडा कर दूँगी, तभी मुझे सुकून मिलेगा.

सुमन का हाथ लंड पर पड़ते ही गुलशन जी ने भी चैन की सांस ली. अब उनको यकीन हो गया था कि ये खेल मजेदार होने वाला है.

गुलशन- आह.. बेटी ऐसे ही सहलाती रह.. इससे मुझे बड़ा आराम मिल रहा है. सुमन ने लंड को मसल कर उसे जांघ कहते हुए कहा- पापा आपकी जाँघ इतनी गर्म क्यों है.. और कितनी सख़्त भी है ये.

सुमन अब भी अंधेरे में नासमझी का नाटक कर रही थी मगर इससे क्या फर्क पड़ता है. दोनों अब वासना के जाल में फँस चुके थे. अब इनकी ये वासना इन्हें कहाँ लेकर जाएगी ये तो आने वाला वक़्त बताएगा. अभी तो इन्हें ही देखते हैं.

गुलशन- आदमी की जाँघ ऐसे ही सख़्त होती है.. तू बस सहलाती रह बेटा.

सुमन- पापा आपकी लुंगी की वजह से ठीक से नहीं कर पा रही.. इसको थोड़ा साइड में कर के कर दूँ क्या?? सुमन की सारी शर्मोहया अब हवा हो गई थी. वो खुलकर लंड को सहलाना चाहती थी.

गुलशन- तेरा जैसा मन करे, तू वैसे कर ले बेटी.. मुझे क्या दिक्कत है.

सुमन ने लुंगी को एक तरफ़ सरका दिया. अब गुलशन जी का लंड आज़ाद था और वो किसी ज़हरीले नाग की तरह फुंफकार रहा था. उसे तो बस चुत की जरूरत थी.. मगर इस वक़्त उसको चुत तो नहीं मिली लेकिन एक कमसिन कली का स्पर्श उसको और पागल बना रहा था.

सुमन अब बड़े प्यार से लंड को सहला रही थी. ऊपर से नीचे तक पूरा हाथ में लेकर लंड को आगे-पीछे कर रही थी.

गुलशन- सस्स सुमन.. आह.. अच्छा लग रहा है.. मुझे लगता है यहाँ मुझे भी चींटी ने काटा होगा.. थोड़ी जलन हो रही है अगर तुझे कोई दिक्कत ना हो तो बेटा थोड़ा चूस दे ना. सुमन- पापा आप कैसी बात कर रहे हो.. मुझे क्या दिक्कत होगी, आपने भी तो मुझे कितना आराम दिया है.

इतना कहकर सुमन ने अपने सर को ठीक किया. वो अपने पापा के लंड सुपारे को जीभ से चाटने लगी और धीरे-धीरे उसने सुपारा मुँह में लेकर चूसने लगी.

गुलशन जी धीरे-धीरे सुमन की पीठ को सहला रहे थे और मज़ा ले रहे थे. इधर सुमन बड़े मज़े से अपने पापा के लंड को चूस रही थी. उसकी पूरी कोशिश थी कि ज़्यादा से ज़्यादा लंड वो निगल जाए. मगर इतना बड़ा लौड़ा पूरा मुँह में लेना उसके बस का नहीं था. बस जितना वो ले सकती थी, उसने लिया और लंड पे चुप्पे मारने लगी.

गुलशन जी तो अपनी बेटी से लंड चुसवा कर स्वर्ग की सैर पर निकल गए. उनके मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं. काफ़ी देर तक सुमन उनको मज़ा देती रही.. जब वो चरम पर पहुँच गए तो.. गुलशन- बस सुमन सस्स आह.. अब आराम है.. आह.. रहने दो नहीं करो.. आह…

मगर सुमन कहाँ मानने वाली थी. उसको पता था जिस वीर्य से उसका जन्म हुआ है.. आज वही उसको पीने को मिलेगा. उसने और तेज़ी से लंड की चुसाई शुरू कर दी और अगले ही पल वीर्य की तेज धार उसके गले में उतर गई. एक के बाद ना जाने ऐसी कितनी धारें निकलीं, जिसे सुमन ने गटक लिया और आख़िरी बूँद तक सुपारे से निचोड़ डाली. उसके बाद वो अलग होकर लेट गई.

सुमन- पापा लगता है बहुत सारी चींटियों ने आपको काटा था, तभी बहुत सारा जहर निकला. अब आपको आराम मिला ना..! गुलशन- हाँ सुमन बहुत आराम मिला.. तू बहुत अच्छी है मगर ये जो हुआ सही था क्या..? हम बाप बेटी हैं बेटा..! सुमन- ये आप क्या बोल रहे हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा. इसमें सही ग़लत कहाँ से आ गया? चींटी ने काटा तो आपने मेरी हेल्प की.. और मैंने आप की हेल्प की. अब आप जाओ मुझे बहुत नींद आ रही है, सुबह कॉलेज भी जाना है.

गुलशन जी समझ नहीं पाए ये क्या है. सुमन अब भी परदा बनाए हुए है. वो उठे और वहां से निकल गए.

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