होली के बाद की रंगोली-3

अब तक आपने पढ़ा कि कैसे पत्नी अपने भाई से चुदवाने के सपने देख रही थी और उधर भाई अपनी माँ को नंगी देख कर मुठ मार रहा था। इन सब से घर मे चुदाई का माहौल और भी गर्म हो गया था। ऐसे में एक दिन सचिन ने सोनाली को कॉल किया। अब आगे…

सोनाली ने फ़ोन उठाया देखा सचिन का कॉल है- हेल्लो! तुझे आज मेरी याद कैसे आ गई? सचिन- कुछ नहीं नहाने जा रहा था तो तुम्हारी याद आ गई। हा हा हा! सोनाली- हे हे… क्या बात है दो हफ्तों में तेरे तो पर ही निकल आये?

सोनाली के मन में यह सुन कर हल्की सी गुदगुदी तो ज़रूर हुई थी कि अब सचिन भी थोड़ा खुलने लगा था, इशारों में ही सही। लेकिन वो वो फ़ोन पर इशारों से आगे ज़्यादा खुलना चाहती भी नहीं थी क्योंकि फ़ोन पर एक हद से आगे आप जा नहीं सकते और फिर मामला बीच में लटक जाता है।

सचिन- काश पर निकल आते तो उड़ कर अभी वहां ही आ जाता। सोनाली- क्या बात है! रूपा से मिलने की इतनी जल्दी हो रही है क्या? सचिन- नहीं, रहने दो आप नहीं समझोगी।

सोनाली ने जान बूझ कर बात को घुमा दिया था। वो जानती थी कि सचिन उसी से मिलने के लिए इतना बेक़रार हो रहा था। इस बात से वो मन ही मन खुश भी थी- और सुना, मम्मी कैसी हैं? सचिन- मस्त हैं मक्खन मलाई के जैसी! सोनाली मन में सोचने लगी ‘ये आज इसे क्या हो गया है पहले तो कभी मम्मी के बारे में ऐसे बात नहीं की इसने?’

सोनाली- क्यों आज मम्मी को इतना मस्का क्यों मार रहा है तू? सचिन- मस्का मार नहीं रहा हूँ यार मम्मी तो खुद ही मस्का हैं। सोनाली- कहीं तू…? फिर मन में सोचने लगी ‘मम्मी के साथ भी वही गेम तो नहीं खेल रहा?’

सचिन- अच्छा दीदी मैं चलता हूँ. बुदबुदाते हुए ‘मम्मी नहाने चली गईं।’ और सचिन ने फ़ोन रख दिया।

सोनाली को अब यकीन हो गया था कि सचिन बाथरूम के छेद से मम्मी को नंगी नहाते हुए देखने जा रहा था। शायद ये पहली बार नहीं था तभी तो मम्मी को मक्खन मलाई बोल रहा था। ये सब बातें सोच कर सोनाली चिंतित भी थी और उत्तेजित भी।

शाम को जब सब खाना खाने बैठे तो सोनाली ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में उसकी सचिन से क्या क्या बातें हुई हैं और वो न केवल राखी पर आने को तैयार है बल्कि शायद वो इस बात को लेकर उत्तेजित भी है।

सोनाली- इशारों इशारों में मैंने छेड़ा कि अब वो मुझे बाथरूम में नहाते हुए नहीं देख पाता होगा। पहले तो वो थोड़ा झिझक गया था लेकिन आज तो उसने जो कहा उससे साफ़ समझ आता है कि न केवल वो मुझे फिर से नंगी देखना चाहता है बल्कि शायद उसने मम्मी को नहाते हुए देखना शुरू कर दिया है। रूपा- भाभी, मेरे ख्याल से तो आप पक्का चुदने वाली हो इस बार राखी पर अपने भाई से।

पंकज- लेकिन मेरे प्लान के हिसाब से तो सोनाली के पहले तुमको उससे चुदवाना पड़ेगा। रूपा- क्यों शुरुआत मुझसे क्यों? पंकज- देखो तुम उस से चुदोगी तो वो तुमसे अपने दिल की बात खुल कर करने लगेगा और फिर तुम आसानी से ये पता कर पाओगी कि वो बहन चोद बनने के लिए कितना तैयार है और फिर उस हिसाब से हम आगे की प्लानिंग आसानी से कर पाएंगे। रूपा- बात तो आप सही कह रहे हो।

सोनाली- हाँ वैसे भी मैंने उसको रूपा से दोस्ती कराने का लालच दे कर ही बुलाया है। रूपा- भाऽऽभी! चुदवाना खुद को है और नाम मेरा लगा दिया। सोनाली- अब यार अभी से ऐसे तो नहीं कह सकती थी न कि भाई मैं तेरे से चुदवाने के लिए बेक़रार हो रही हूँ, जल्दी आ जा। इस बात पर सभी हंस दिए।

फिर सोनाली ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- एक बात और है, जैसा मुझे पक्का लग रहा है कि सचिन आजकल हमारी मम्मी को नंगी देख कर मुठ मारने लगा है तो आज दिन भर मैं सोच रही थी कि कहीं ऐसा न हो कि मुझे चोदने के बाद उसकी हिम्मत बढ़ जाए और उसका अगला टारगेट मम्मी बन जाए। पंकज- वो बाद की बात है यार, पहले तुम तो चुद लो उसके बाद देखेंगे कि उसके भेजे में क्या चल रहा है।

रूपा- लेकिन भैया, इस बात से मेरे दिमाग में एक खुराफात आई है। पंकज, सोनाली- क्या? रूपा- हम तीनो बहुत दिनों से एक साथ सेक्स कर रहे हैं और सारे आसन और जुगाड़ ट्राई कर चुके हैं। बहुत दिन से कुछ अलग नहीं किया और हमारी चुदाई अब थोड़ी बोरिंग होने लगी है। सचिन को आने में अभी एक महीना बाकी है। तब तक क्यों न हम कुछ नया करें? सोनाली- क्या नया करने को बोल रही हो साफ़ साफ़ बताओ न यार? रूपा- देखो जैसे अभी भाभी ने कहा कि उनको लग रहा है कहीं सचिन उसकी मम्मी को चोदने की सोचने न लग जाए। तो क्यों न हम ऐसी ही कल्पनाओं को लेकर रोल प्ले करें। सोनाली- तुम्हारा मतलब पंकज सचिन बने और तुम मेरी मम्मी और मैं तुम लोगों की चुदाई देख कर अपनी कल्पना साकार करूँ?

रूपा- नहीं! मेरा मतलब भैया सचिन बने, मैं सोनाली, और आप सचिन की मम्मी। उसके बाद हम कोशिश करेंगे कि आपको सचिन से चुदवा दें। पंकज- क्या बात है… ये कुछ नया आईडिया है। सच में रोज़ रोज़ एक जैसी चुदाई थोड़ी बोरिंग हो गई थी। चलो आज यही रोल प्ले करते हैं।

रूपा- देखो! सचिन (पंकज) और सोनाली (रूपा) अंदर कमरे में चुदाई कर रहे होंगे तभी सचिन की मम्मी (सोनाली) आकर देखेगी और उन पर गुस्सा होकर चिल्लाने लगेगी। और फिर जैसे तैसे दोनों भाई बहन माँ को भी अपने खेल में शामिल कर लेंगे।

सोनाली- ठीक है! सचिन (पंकज), तुम बैडरूम में जा कर अपनी बहन चोदो। मैं कपडे पहन कर आती हूँ। तुम दोनों का तो नंगे रहने का ही रोल है। लेकिन माँ को तो कपडे पहन कर आना पड़ेगा न।

सचिन (पंकज) और सोनाली (रूपा) अंदर कमरे बेड पर एक दूसरे से लिपट कर लेट गए और चूमा चाटी करने लगे। सोनाली, रूपा के कमरे में जा कर साड़ी पहन कर शारदा के रोल के लिए तैयार होने लगी। 15 मिनट बाद जब वो शारदा के रूप में बैडरूम में पहुंची तो सचिन और सोनाली डॉगी स्टाइल में चुदाई कर रहे थे और दोनों के चेहरे दरवाज़े की और ही थे।

जैसे ही शारदा न दरवाज़ा खोला… गुस्से में चिल्लाते हुए- हे भगवान! ये हो क्या रहा है? तूझे ज़रा भी शर्म नहीं आई सचिन, अपनी सगी बहन के साथ ये सब करते हुए। और सोनाली तू तो बड़ी है तूझे भी इसको रोकते नही बना? सोनाली- अरे यार सचिन, तू क्यों रुक गया? तू चालू रख मैं बात करती हूँ मम्मी से।

यह सुन कर शारदा तो सकते में आ गई। उसने सोचा भी नहीं था कि उसे ऐसा कुछ सुनने को मिलेगा। सचिन ने सोनाली की बात मानते हुए वापस चोदना शुरू कर दिया। सोनाली ने आँखें बंद कीं और मम्मी को हाथ से एक मिनट रुकने का इशारा किया जैसे वो वापस अपने सुरूर में आने की कोशिश कर रही हो। थोड़ी देर रुक कर उसने आँखें खोलीं और बोली- देखो मम्मी, पहली बात तो मैं अभी बहस करने के बिल्कुल मूड में नहीं हूँ लेकिन एक बात बता देती हूँ कि ये सब करने के लिए मैंने ही सचिन को उकसाया था।

“सचिन! और तेज़ चोद!” सचिन ने रफ़्तार बढ़ा दी। सोनाली की आँखें फिर बंद हो गईं और माथे पर बल पड़ गए जैसे उसे कोई तीव्र अनुभूति हो रही हो। उसी अवस्था में वो फिर बोली- आपकी जनरेशन की यही प्रॉब्लम है। आप लाइफ को एन्जॉय करना जानते ही नहीं हो। सोचो आप कभी ऐसे झड़े हो जैसे मैं झड़ रही हूँऽऽऽ अह… ओह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… फऽऽ… क…

पंकज और रूपा भले ही रोल प्ले कर रहे हों लेकिन रोल में असली अनुभव डालने के लिए उन्होंने यह मान लिया था कि वे यह सब अपनी माँ शर्मीला के सामने कर रहे हैं। ऐसा करने की वजह से वो इतने उत्तेजित हो गए थे कि दोनों सच में बहुत जल्दी और बहुत ज़ोर से झड़ गये थे।

सोनाली (रूपा) एक झटके से आगे झुकी जिससे सचिन (पंकज) का झड़ा हुआ लंड सटाक से उसकी चूत से बाहर आ गया। सोनाली उछल कर बेड से उतरी और अपनी माँ शारदा के सामने खड़ी हो गई। शारदा अभी तक जो हुआ, उसके सदमे से बाहर नहीं आ पाई थी। इस बात का फायदा उठाते हुए सोनाली ने शारदा को अपनी बॉहों में लिया और उसके होंठों को चूसने लगी।

शारदा ने ऐसी किसी बात की सपने में भी अपेक्षा नहीं की थी। इस से पहले कि वो कुछ कर पाती, उसने वो अनुभव किया जो उसके जीवन मे पहली बार हुआ था। उसके पति ने कभी उसके होंठों को ऐसे नहीं चूसा था। उसके अंदर की माँ तो पूरी तरह जड़वत खड़ी थी क्योंकि सब कुछ न केवल उसकी अपेक्षा से बिल्कुल परे हो रहा था बल्कि इतना जल्दी हो रहा था कि उसे कुछ सोच कर प्रतिक्रिया करने का समय ही नहीं मिल पा रहा था।

दूसरी ओर उसके अंदर की औरत को ये स्वर्गिक अनुभूति पहली बार हो रही थी। वो किंकर्तव्यविमूढ़ सी इस वासना की धारा में बहने लगी।

सोनाली ने इसी बीच अपनी दो उंगलियां अपनी चूत में डाल रखीं थीं। उसने अपना चुम्बन तोड़ा और वो दो उंगलियां अपनी माँ को चटा दीं।

सोनाली- टेस्ट द न्यू जेनरेशन सेक्स! ( नए ज़माने के कामरस का स्वाद चखो)

शारदा ने आंखें बंद कर लीं। उसके अंदर की संस्कारी औरत ये सब होते देख नहीं सकती थी और जो दूसरी औरत थी वो इस नए स्वाद का पूर्ण आनन्द लेना चाहती थी। यही समय था जब सोनाली और सचिन ने मिलकर उसके सारे कपड़े निकाल दिये।

जब शारदा ने आँखें खोलीं तो उसके सामने उसके बेटे का वीर्य और चूत के रस में सना लंड था। ये वही रस था जिसका स्वाद वो अभी आँखें बंद करके ले रही थी। आखिर काम की प्यासी औरत की जीत हुई और उसने अपने बेटे का लंड अपने मुँह में भर लिया और उसे ताबड़तोड़ चूसने लगी। जल्दी ही लंड खड़ा भी हुआ और उसे अपनी माँ की चूत का प्रसाद भी मिला।

वैसे तो ये सब रोलप्ले था लेकिन जब भी कोई रोलप्ले पूरी शिद्दत के साथ किया जाता है तो सारी कायनात उसे सच बनाने की कोशिश में लग जाती है। पंकज, रूपा और सोनाली के रोलप्ले ऐसे ही चलते रहे जब तक सचिन के आने का दिन नहीं आ गया। और फिर…

दोस्तो, आपको यह भाई बहन, माँ की चुदाई कहानी कैसी लगी आप मुझे ज़रूर बताइयेगा। आपका क्षत्रपति [email protected]