मरीज की माँ को यौन सुख दिया-2

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मरीज की माँ को यौन सुख दिया-1 अब तक की इस कामुक सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा था मेरे एक मरीज की चुदासी माँ मेरे लंड से चुद गई थी. अब आगे..

रागिनी की चुत से रिसते हुए पानी को मैं जीभ से चाटता जा रहा था. मेरी चुत चुसाई से रागिनी सीत्कार उठी- अब नहीं रहा जाता डॉक्टर साब… चोद दो मुझे अपने मोटे लंड से.. अह.. आज तक किसी ने मुझे इतना प्यार नहीं दिया.. आह.. आपके प्यार करने का तरीका और आपका मोटा लंड ही बहुत कमाल का है.. आह.. आहहह.. सीईई.. आह अब मुझे चोदकर अपनी रखैल बना लो. उसकी इस बात पर मैंने उससे पूछा- अगर मैं तुमको अपनी रखैल बना लूँगा तो तुम्हारे पति का क्या होगा?

मेरे इतना कहते ही रागिनी एकदम से बिफर उठी- छोड़ दो उस नामर्द को.. मराने दो गांड मुम्बई में.. और आप उसके बारे में बात मत करो.. मुझे उसकी कोई परवाह नहीं है.. मुझे आज मालूम चला कि चुदाई का क्या सुख है. इतना कहते हुई रागिनी मेरे को अपने चुत पर चढ़ाने के लिए ऊपर खींचने लगी.

रागिनी का इशारा पाकर मैंने रागिनी को बांहों में भर कर अपना लंड रागिनी की चुत के छेद पर लगा दिया. रागिनी मेरे लंड को थामे आगे पीछे करते हुए अपनी चूत में रगड़ने लगी- आह.. सीई.. जल्दी से डाल दो मेरी जान.. इसे मेरी चूत में.. आह.. मेरी चुत तुम्हारे लंड को लेने के लिए तड़प रही है..आह.. मैं बहुत तड़प रही हूँ.. राजा.. अब चोद दो ना.. आह.. सीईईइ..

रागिनी ने लगभग सिसियाते हुए मेरे लंड को अपनी चुत के छेद पर लगा दिया और कमर उचका कर लंड का सुपारा चुत के अन्दर खींचने का प्रयास करने लगी. वो कामातुर होकर बोली- प्लीज डालो ना.. लंड पेल दो ना.. अब रूको मत प्लीज.. डाल दो मेरी बुर में.. यह कहते हुए रागिनी अपनी टाँगें चौड़ी करके छितरा दीं.

मैं तड़पती हुई रागिनी को देख रहा था. फिर मैंने अपने लंड को एक झटका मारा और रागिनी की चूत में पूरा लंड पेल दिया. रागिनी की चूत इतनी गीली थी कि मेरा मोटा लंड एक झटके में पूरा अन्दर चला गया.

रागिनी- आह्ऊह सीई आह आअह्ह रूको मत जान बस चोदते जाओ.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… सीसीई.. फिर मैं लंड को बाहर खींच खींच कर झटके पर झटका देते हुए रागिनी की बुर की चुदाई करता जा रहा था. उधर रागिनी भी कमर उचका उचका कर सटासट लंड अपनी चुत में अन्दर लेती जा रही थी. ‘हाय क्या लंड है.. मैं मर जाऊं.. आपके लंड पर..’

रागिनी की फूली हुई चुत चोदने का मजा लेते हुए मैं रागिनी के होंठों का किस करता जा रहा था. एक अजीब मस्ती के आलम में मैं जोरदार झटके लगाए जा रहा था, धक्के पे धक्का लगता जा रहा था.. और हर धक्के में रागिनी कमर उछला कर लंड अन्दर कर लेती और सिसियाती जा रही थी- आह.. सी.. आह.. ऊह.. सीईई.. जान बस ऐसे ही मार दो.. फाड़ दो.. चोद दो.. आज ऐसी चुदाई करो कि मेरी सारी वासना.. सारी खुमारी उतर जाए.. आह.. सीई.. रागिनी की मादक सिसकारियां और मेरी चुदाई की ‘फचफच और थप थप..’ की गूँज एक साथ सुनाई दे रही थी.

मेरी ताबड़तोड़ चुदाई से रागिनी चूत से पानी की धार निकलने लगी और रागिनी अपनी बुर और जाँघों को भींच कर झड़ने लगी. रागिनी की चुत के पानी की गर्मी पाकर मेरे लंड ने भी पिचकारी मार दी. रागिनी की चूत में मैंने अपना वीर्य छोड़ दिया.. और आँख बंद करके झड़ने लगा.

रागिनी की चुत की गहराई में लंड चांपकर मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया. रागिनी भी पुरसुकून से मेरी बांहों में सिमटी और अपनी चुत में लंड लिए हुए आँखें बंद करके अपनी साँसों को नियंत्रित करने लगी. ऐसा लग रहा था कि आज रागिनी पूरी मस्ती में है और पूरी तृप्ति पा चुकी है. रागिनी काफी देर तक यूं ही बिल्कुल नंगी बिना कपड़ों के मेरी बांहों में पड़ी रही. मैं भी रागिनी को अपनी बांहों में लिए हुए उसे सहलाए जा रहा था.

फिर कुछ देर बाद रागिनी अपनी बेटी के पास चली गई और ना जाने कब.. मैं भी नींद के आगोश में चला गया. मेरी नींद सुबह तब खुली, जब रागिनी मुझे जगाने आई- गुड मॉर्निंग! मैंने भी सुप्रभात कह कर तौलिया लपेट लिया.

तभी नीचे से मेरे स्टाफ का फोन आया- सर जी, सब मरीज को इंजेक्शन और दवाई दे दिया है और अब मैं घर जा रहा हूं. मेरे यहाँ तीन स्टाफ मेम्बर थे.. एक वार्डब्वाय, एक नर्स और एक दाई.

मेरे स्टाफ में एक यादव था, जो 24 घण्टे मेरे साथ ही रहता था, वो केवल नहाने और खाने के लिए ही जाता था. मैंने कहा- ठीक है, जाओ.

अब मैं बाथरूम में चला गया. जब मैं बाथरूम से रूम में आया तो रागिनी पूरे कपड़े निकाल कर अपनी बुर सहला रही थी. मैं रागिनी को बुर सहलाते हुए देखता रहा और मेरा लंड तौलिये में खड़ा होकर ऊपर नीचे होने लगा. मैंने भी अपने नंगे बदन पर सिर्फ तौलिया ही लपेटा हुआ था. तभी मुझे रागिनी की मादक सिसकारी सुनाई दी- आहहहसीसी कम ऑन मेरी चुत देखो.. आपके लंड के लिए फिर फड़क रही है.. आह.. सीसीई आ जाओ ना.. कम ऑन.. इतनी दूर क्यों हो.. मेरे चुत के मालिक.. आओ ना और मुझे अपनी बांहों में लेकर मेरी नस नस को तोड़ और मरोड़ कर मेरी बुर की पेलाई करो.. आह.. आहहहह..

रागिनी की इस मादक अदा को देखकर मैंने अपना तौलिया खोल कर फेंक दिया और रागिनी की चूचियां हाथों में लेकर मसलने लगा. रागिनी ने कामुकता से सिसियाते हुए मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया और सुपारे को चूसने लगी. वह मेरे लंड को पकड़ कर सहलाते हुए.. लंड की मुठ मार कर चुसाई कर रही थी. मैं आनन्द से आँख मूंद कर लंड चुसाई का मजा ले रहा था. मेरे लंड के सुपारे को कभी वो अपने होंठों से दबाकर चूसती, कभी पूरा लंड मुँह में भरकर आगे पीछे करके लंड चूसे जा रही थी.

मैं उत्तेजना में आकर अपने लंड को रागिनी के गले तक डाल कर आगे पीछे करने लगा. रागिनी अपने मुंह में मेरा पूरा लंड घुसवा कर गूंगू करके चूसे जा रही थी. मैं एक हाथ से रागिनी बुर में उंगली पेल रहा था और एक हाथ से रागिनी की घुंडियां मसकते हुए लंड चुसवा रहा था.

फिर मैंने रागिनी की बुर से लंड निकाल कर अपना मुँह रागिनी की चुत पर रख दिया. मैं उसकी रसीली बुर की फांकों को मुँह में भर कर चूसने लगा और जीभ से चुत के लहसुन को रगड़ते हुए रागिनी की गांड के छेद तक जीभ ले जाकर चाटने लगा. अब मुझे रागिनी की गांड का छेद लुभाने लगा था.

मैं कभी जीभ को बुर के छेद में डालता और कभी गांड के छेद को चाटता जा रहा था. रागिनी केवल कामुकता से सिसकार रही थी- आह.. आह.. ऊऊ.. ईऊईऊई.. वो बुर चटवाते हुए कहने लगी- आह मेरे प्रीतम अब चोद दो मेरी बुर को.. पेल दो अपना लंड.. मेरी बुर की ऐसी चुदाई करो की साली छितरा जाए.. आह सी..

मैंने उसकी चुत चूसना छोड़कर उसको कुतिया बना दिया. फिर पीछे से रागिनी की गांड और लंड पर थूक चिपड़ कर लंड का टोपा रागिनी की गांड के छेद पर लगा दिया. गांड के छेद को लंड की नोक से रगड़ते हुए मैं एक हाथ से उसकी बुर के लहसुन को मींज रहा था.

उसने अपनी पूरी गांड मेरे लंड से रगड़ दीhttps://www.antarvasnax.com/bhai-bahan/bahan-fati-salwar-chut-dekh-gand-mari/ अब मैं रागिनी की गांड में लंड धीरे धीरे डालने लगा. मेरे हाथ से रागिनी की चुत का लहसुन और बुर रगड़ने से रागिनी एकदम से सीत्कार कर अपनी गांड को मेरे लंड पर दबाने लगी. तभी उसने एक तेज झटका दिया और मेरे लंड को पूरा अपनी गांड में ले लिया.

लंड घुसने के साथ ही रागिनी की एक चीख भी निकली पर उसने वो चीख जज्ब कर ली. अब मैं रागिनी की गांड मारते हुए उसकी बुर को भी मसक रहा था. इससे रागिनी को गांड मराने का मजा आ रहा था.

मैं रागिनी के चूतड़ों को पकड़ कर धक्के मार रहा था. फिर मैंने एक हाथ से उसकी चूची पकड़ी और एक हाथ से चुत को कसके भींचते हुए रागिनी की गांड पर धक्के पर धक्के लगाकर लंड पेलने लगा.

मैं जितना ज़ोरदार धक्का ठोकता, उतनी ही तेज़ उसकी सीत्कार उसके मुख से निकल रही थी ‘आह.. उउईई.. आह.. सीई..’ रागिनी चिल्लाते हुए बड़बड़ाने लगी- और ज़ोर से पेलो मेरी गांड में अपना लंड.. मेरे प्रीतम और मेरी बुर को और तेज रगड़ो.. मेरा होने वाला है.. आह.. उई.. आह..

तभी रागिनी की बुर पानी छोड़ने लगी और इधर मैं गांड में लंड पेलना तेज करते हुए हुमुच हुमुच कर जबरदस्त धक्का लगाते हुए झड़ने लगा- आहसी ईईइइआह.. मैं भी झड़ गया रागिनी तुम्हारी गांड में.. आह.. मेरा पूरा रस निचोड़ लिया.. आह.. फिर मैं रागिनी को बेड पर लेकर लंड गांड में डाले पड़ा रहा.

इसके बाद की चुदाई की कहानी आपके मेल मिलने के बाद लिखूंगा. आपको मेरी कामुक सेक्स स्टोरी कैसी लगी? आपका आकाश जिगोलो [email protected]

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