मेरी जयपुर वाली मौसी की ज़बरदस्त चुदाई-3

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कहानी का पहला भाग: मेरी जयपुर वाली मौसी की ज़बरदस्त चुदाई-1 कहानी का दूसरा भाग: मेरी जयपुर वाली मौसी की ज़बरदस्त चुदाई-2

अभी तक आपने पढ़ा कि मैं मौसी के घर आया हुआ था, मौसी का सेक्सी बदन देख मेरी नियत डोल गयी और किस्मत से मौसी भी मान गयी थी. रात को मैं और मौसी बेड में थे, मौसी नंगी हो चुकी थी. अब आगे:

मैंने मौसी को उल्टा करके लेटा दिया, पीछे से भी मौसी भरपूर मांसल थी। मैंने सबसे पहले अपने कपड़े उतारे और पूरी तरह नंगा हो कर मौसी की जांघों पर चढ़ बैठा। मेरा लंड मौसी की गांड को छू रहा था। मैंने कटोरी से तेल ले कर, मौसी कंधों पर लगाया, फिर पीठ पर और फिर कमर पर! जैसे जैसे मैं तेल लगा रहा था, वैसे वैसे मैं अपना तना हुआ लंड भी मौसी की गांड पर रगड़ रहा था, मौसी भी नीचे लेटी मज़े ले रही थी।

फिर मैंने उनके चूतड़ों को तेल से मालिश दी, और काफी सारा तेल उनकी गांड की दरार में लगाया और एक उंगली तेल में भिगो कर उनकी गांड में डाल दी। वो उचकी- अरे ये क्या कर रहे हो? मैंने कहा- मौसी तुम्हारी गांड को तर कर रहा हूँ, अभी तो इसमे उंगली गई है, जल्द ही इसको मेरा लंड भी खाना पड़ेगा। वो चहक कर बोली- ना जी, गलत काम मैं नहीं करती, सिर्फ सीधा काम ही करूंगी, डालने वाली जगह में जितना चाहो डाल लो, पर इसको तो मैं कुँवारी ही रखूंगी। मैंने मन में सोचा ‘साली, अगर तेरी गांड नहीं फाड़ी तो मेरा भी नाम नहीं, पूरा लंड घुसेड़ूंगा इसमें!’

पीछे तेल लगाने के बाद मैंने मौसी को सीधा करके लेटाया, फिर उनके पाँव से शुरू करके ऊपर की और बदन की मालिश की। तेल की वजह से मौसी का कामुक बदन दमकने लगा था। चिकनी जांघें और चमक उठी थी। मौसी की चूत में भी मैंने तेल लगाया, मगर उनकी चूत तो पहले से ही पानी पानी हुई पड़ी थी। मैंने उनके मम्मों को मालिश करते हुये खूब दबाया, खूब मसला, जब उनकी निपल को उँगलियों से मसलता, मौसी सिसकारियाँ भरती।

जब मालिश पूरी हो गई तो मौसी ने खुद मुझे अपने ऊपर खींच लिया। मैं उनके ऊपर लेटा, तो मेरा तना हुआ लंड उनके पेट पर लगा। मेरे बालों में हाथ फेरते हुये वो मेरे चेहरे को देखने लगी और बोली- जानते हो… जब तुम पैदा हुये थे और मैंने तुम्हें अपनी गोद में उठाया था, बचपन में जब तुमसे खेला करती थी, तो कभी भी नहीं सोचा था कि एक दिन हमारे बीचे ऐसे संबंध भी बनेगे। मैंने कहा- और मैं जब से जवान हुआ हूँ, तब से मैं हमेशा सोचता था कि काश मुझे भी मौसी जैसी सुंदर पत्नी मिले, या कभी मौसी ही मिल जाए, जिसे मैं अपनी पत्नी की तरह प्यार करूँ, और देखो मेरा सपना सच हो गया। कहते कहते मैंने मौसी के होंठों को अपने होंटों में ले लिया और चूसने लगा।

मेरे होंठों से होंठ लगते ही मौसी ने अपनी टाँगें फैला दी और मैं उनकी जांघों के बीच में आ गया। हम दोनों की सांस तेज़ चल रही थी, दोनों के जिस्म गर्म थे। मौसी ने खुद अपने हाथ में मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत पर रख लिया। मैंने पूछा- शुरू करें? वो बोली- हाँ, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा, डाल दो अंदर!

मैंने जैसे ही हल्का सा ज़ोर लगाया तो मेरा लंड फिसलता हुआ मौसी की चूत में घुस गया। ‘अह…’ करके मौसी ने एक ठंडी सांस छोड़ी। मैंने अपना लंड फिर से बाहर को खींचा और दोबारा से अंदर धकेला और इस बार मेरा पूरा लंड मौसी की चूत में समा गया।

मौसी ने मुझे कस के अपनी बाहों में जकड़ लिया, उनके दोनों मोटे मम्मे मेरे सीने में दब गए, मौसी ने जैसे ही मेरे होंटों को अपने होंठों में लिया तो अपनी लंबी जीभ भी मेरे मुंह में डाल दी।

मैंने उनकी जीभ को चूसा, उन्होंने मेरे जीभ को चूसा। क्या स्वाद, क्या आनन्द आया, इस तरह एक दूसरे की जीभ चूसने का, एक दूसरे के होंठ चूसने का। नीचे मैं धकाधक मौसी चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था, ऊपर मौसी अपनी जीभ मेरे मुंह में अंदर बाहर कर रही थी। जैसे जैसे हमारा उन्माद बढ़ रहा था, मौसी का जैसे लालच बढ़ रहा था, वो मेरे सारे मुंह को चाट रही थी, मेरे गालों को कई बार काटा, ठुड्डी को चूसा, जबड़ों पर काट खाया।

उन्हें शायद सब्र नहीं हो रहा था, सिर्फ चुदाई ही नहीं, उन्हें ठुकाई, चबाई और न जाने क्या क्या चाहिए थे। मैं उनके मम्मों को बहुत बेरहमी से दबा रहा था, उनके निप्पल को मैंने दाँतों से काट खाया, उन्हें दर्द हुआ तो उन्होंने मेरे सर पे मारा भी मगर मुझे रोका नहीं। मैंने उनकी गोल गोल गाल काट खाये, अपनी पूरी भूख दिखाई कि मैं कितना भूखा हूँ। उनकी गर्दन पर जगह जगह मेरे काटने के निशान थे, मेरी उंगलियों के निशान उनके सारे मम्मों पर छाप दिये। मगर वो औरत फिर भी खुश थी। उन्होंने अपनी दोनों टाँगें ऊपर हवा में उठा ली और अपने दोनों पाँव के अंगूठे अपने हाथों में पकड़ लिए, इस तरह से उनकी चूत पूरी तरह से उभर के बाहर को आ गई। मैंने देखा उनकी चूत से जैसे सफ़ेद रंग के पानी बह रहा था और उसी पानी की वजह से उनकी चूत पूरी चिकनी हुई पड़ी थी जिसमें मेरा लंड फिसल फिसल कर अंदर बाहर जा रहा था और पिच पिच की आवाज़ हो रही थी।

मौसी की हालत काफी बिगड़ती जा रही थी, वो जैसे रोने को तैयार हों, मैंने पूछा- क्या हुआ मौसी? वो बोली- कुछ नहीं, तू बस लगा रह, और ज़ोर से मार, पीछे से ला कर मार, पूरा अंदर तक मार। आज तो मुझे तू जान से ही मार दे बस। पर रुक मत, और ज़ोर से मार! मैंने अपनी पूरी ताकत झोंक दी, बड़ी ज़ोर ज़ोर से मैं मौसी की चुदाई करने लगा। मगर न जाने क्यों तभी मौसी रोने लगी, उनकी आँखों से आँसू निकल पड़े, उन्होंने अपनी दोनों टाँगें मेरी कमर के गिर्द लपेट दी, मुझे कस के अपने सीने से लगा कर मेरा नीचे वाला होंठ अपने दाँतों में लेकर चबा दिया। मुझे दर्द हुआ.

मगर इतने में मौसी झड़ गई, शायद अपनी पूरी ताकत से उन्होंने मुझे अपनी बांहों में भरा कि मेरी तो जैसे हड्डियाँ कड़क गई। कुछ देर वो वैसे ही मुझसे चिपटी रही, मगर मैंने चुदाई नहीं रोकी, थोड़ी स्लो ज़रूर थी, मगर अब भी मैं मौसी को चोद रहा था। फिर वो नीचे को गिर गई, जैसे उनके बदन में जान ही न बची हो। वो नीचे लेटी मुझे देखती रही, और रोती रही।

मैं उनके रोने से थोड़ा परेशान तो था, मगर अपनी चुदाई को मैं रोक भी नहीं सकता था। फिर मैं भी झड़ गया, अपनी मौसी की चूत को अपने माल से भर कर मैं भी ठंडा सा हो कर लेट गया। इस तरह से मैंने अपनी मोटी गांड वाली मौसी की चूत चुदाई की!

कुछ देर बाद मौसी बोली- दूध पिएंगे आप? मैंने हैरान हो कर पूछा- आप? वो बोली- हाँ, आप! मैंने उनका मतलब समझ लिया, बोला- हाँ, जा जाकर लेकर आ! मेरे बोलने में अधिकार था।

वो उठी और किचन में गई, मैं उन्हें जाते देखने लगा, क्या मस्त कूल्हे, जांघें और भरी हुई पीठ थी। एक मस्त और कामुक जिस्म, जिसे जितना भी चोदा जाए मर्द का मन न भरे।

थोड़ी देर में वो दूध के दो गिलास ले आई, मैं चादर लेकर बैठा था, उन्होंने एक गिलास मुझे दिया और चादर ले कर लेट गई, मैं दूध पीने लगा तो उन्होंने अपना मुंह चादर के अंदर कर लिया और मेरी जांघ पर अपना सर रख कर मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया। उनकी गर्म सांस मैं अपनी जांघ पर महसूस कर रहा था।

थोड़ी देर उनकी नर्म उँगलियों के अहसास के बाद मुझे एकाएक अपने लंड पर बहुत कोमल अहसास हुआ, यह अहसास मौसी के गुलाबी होंठों का था, जिनसे वो मेरे लंड को चूसने लगी थी। मैंने अपना दूध खत्म किया और चादर उठा कर अंदर देखा, मौसी से पूछा- फिर से मन कर रहा है? वो उठी और मेरी टाँगों के ऊपर लेट गई, उनके दोनों विशाल मम्मे मेरे पेट पे रख कर अपना सर मेरे सीने पर रख दिया- मेरे स्वामी, मेरे प्यार, मेरे यार। आज मैं बहुत खुश हूँ। आज अगर तुम न आते तो जानते हो मैं अपने पड़ोस वाले राजन भाई साहब को लाईन देने वाली थी। तुम नहीं जानते मैं कितने समय से इस सुख से वंचित थी। मैं हर रोज़ तड़प रही थी, लोगों को देखती तो सोचती हर औरत अपने पति से अपने जिस्म की आग ठंडी करती होगी, मगर एक मैं हूँ जो सेक्स की आग में जल रही हूँ, मगर मेरी आग ठंडी करने वाला कोई नहीं है।

मैंने पूछा- तो क्या कभी हाथ से नहीं किया? वो बोली- बहुत कुछ करके देखा है राजा, मगर जो तृप्ति तुमने दी है, और किसी भी नकली चीज़ से नहीं मिल सकती। मुझे हैरानी हुई कि ऐसा मैं क्या कर दिया और खुद पे बड़ा गर्व भी हुआ कि कमाल है यार, एक औरत मुझसे इतनी तृप्त हुई कि उन्होंने मुझे अपना सब कुछ मान लिया।

मैंने कहा- रजनी, अगर मैं तुम्हारी गांड मारना चाहूँ, तो मारने दोगी? मौसी उठी और उठ सरक कर मेरे चेहरे के सामने अपना चेहरा लाई। अब उनके मोटे मम्मे मेरी छाती से और उनकी चूत मेरे लंड के ऊपर रख बोली- मेरी जान, आज से मैं तुम्हारी गुलाम हूँ, तुम्हारी दासी, तुम्हारी कुतिया हूँ। जो तुम्हारा दिल करे कर लो मेरे साथ। जहां दिल करता है डाल दो अपना लंड!

उनके मुंह से लंड शब्द सुन कर मुझे बड़ा अच्छा लगा. मैंने पूछा- तुम्हें दर्द होगा तो? वो बोली- पहले दर्द दे दो, फिर मज़ा दे देना! कह कर वो हंसी।

मैंने कहा- कुतिया, अपनी जीभ निकाल और मेरे मुंह में डाल। मौसी ने वैसे ही किया, अपनी लंबी सारी जीभ निकाल कर मेरे मुंह के सामने की तो मैंने उनकी जीभ अपने मुंह में चूस ली। मौसी ने फिर से मुझे अपनी बांहों में कस लिया, और मेरे होंठों को बहुत प्यास से अपने होंठों में लेकर चूसा। ऐसा चूसा कि मेरा लंड गनगना उठा।

मैंने मौसी को बेड पे उल्टा लेटाया और एक तकिया उनकी कमर के नीचे रखा, जिससे उनकी गांड थोड़ी और ऊपर को उभर आई। फिर मैंने कटोरी से तेल लेकर उनकी गांड पे लगाया, दो तीन बार अपनी बड़ी उंगली पूरी तरह से तेल में भिगो कर उनकी गांड के अंदर बाहर की, फिर अपने लंड को भी अच्छी तरह से तेल से चुपड़ा। फिर मैंने मौसी से पूछा- जानेमन, डालूँ क्या? वो नीचे से बोली- हाँ, मैं तैयार हूँ, डालो!

मैंने अपना लंड मौसी की गांड पे रखा और जैसे ही हल्का सा दबाव बनाया, तेल की चिकनाहट की वजह से लंड का टोपा उनकी गांड को भेदता हुआ अंदर को घुस गया। अभी पूरा टोपा भी अंदर नहीं घुसा था कि मौसी की चीख निकल गई- आह, मेरी माँ, मर गई मैं! मगर मैं पीछे हटने वाला नहीं था, बेशक मौसी ने अपनी गांड भींच ली थी, मैंने थोड़ा सा तेल ऊपर से टपका कर और ज़ोर लगाया और मेरा पूरा टोपा मौसी की गांड में घुस गया, एक बड़ी सारी “उफ़्फ़…” मौसी के मुंह से निकली।

मैंने पूछा- ज़्यादा दर्द हो रहा है क्या? वो बोली- इतना दर्द तो तेरे मौसा ने सुहागरात पर भी नहीं दिया था। मैंने पूछा- क्यों शादी से पहले नहीं चुदी थी क्या? वो बोली- नहीं।

मैंने और ज़ोर लगाया, मगर मेरा हर धक्का मौसी को चीखने पर मजबूर कर रहा था तो मैंने सिर्फ आधा लंड ही मौसी की गांड में डाला और उनकी गांड मारने की अपनी इच्छा को पूरा किया। मैंने ज़्यादा देर मौसी की गांड की चुदाई नहीं की क्योंकि उनको दर्द हो रहा था, सिर्फ अपने मन की संतुष्टि के लिए ही थोड़ी देर उनको चोदा। 4-5 मिनट मौसी की अनचुदी कुँवारी गांड को चोद कर मैं नीचे उतर गया। मौसी ने पूछा- क्या हुआ राजा, और करो न? मैंने पूछा- क्यों तुम्हें मजा आ रहा था? वो बोली- तुम्हें तो आ रहा था न? तुम अपना मन तो भर लो, बाद में तो मेरे ही हो, बाद में मैं अपना मन भर लूँगी। मैंने कहा- नहीं, मेरे मन की हो गई, अब तुम्हारे मन की होगी।

वो खुश हो गई, और एकदम उछल कर सीधी होकर लेट गई। मैंने अपना लंड उनके पेट पर रखा तो उन्होंने खुद ही पकड़ कर उसे अपनी चूत पर रख लिया और अगले ही पल मेरा लंड उनकी चूत की गहराई में उतर चुका था।

उस रात मैंने 3 बार मौसी को और चोदा। हर बार जब भी वो स्खलित होती, उनकी आँखों में आँसू आ जाते, जो उनके पूर्ण रूप से तृप्त होने के उनकी प्यास बुझने का प्रतीक थे। मैं 20 दिन मौसी के घर रहा, बीसों दिन मैंने और मौसी ने दिन रात अपने अपने काम की आग को शांत किया।

आज भी मेरे और मौसी के बीच अटूट प्रेम है। अब तो वो खुल कर अपनी गांड मरवा लेती हैं, अब उन्हें कोई दर्द नहीं होता, अब तो वो खुद कहती हैं कि जब तक वो गांड में लंड न लें, उन्हें चुदाई अधूरी लगती है। हमारे समाज के ये रिश्ते ही ऐसे हैं, अगर इस समाज का चक्कर न हो तो मैं अपनी मौसी से शादी करना चाहता हूँ, क्योंकि मैंने देखा है, जितना खुल कर अपनी काम इच्छाएँ वो मुझे बताती हैं, अपने पति को भी नहीं बताती।

यह सेक्स कहानी पढ़ने वाली हर लड़की हर औरत से मैं कहना चाहता हूँ कि अपनी काम इच्छाओं को दबाओ मत, उन्हें किसी न किसी तरह बाहर निकालो। अगर आप अपने पति या प्रेमी के सिवा किसी और के बारे में नहीं सोचती, पर आपका प्रेमी या पति आपको संतुष्ट नहीं कर पाता तो अपनी सेक्सुअल फैंटेसी को लिख डालो और अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज़ डॉट काम पर भेजो. आपकी कामकुंठा कम होगी और आपका मन हल्का हो जाएगा।

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