मेरी कुंवारी बुर की पहली चुदाई

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दोस्तो, मैं पिछले कई सालों से अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज साईट की नियमित पाठिका रही हूँ, मैं यहाँ प्रकाशित होने वाली हर कहानी को मैं पढ़ती हूँ। मैं आदरणीय गुरूजी की बहुत बड़ी शुक्रगुजार हूँ कि सैक्स ज्ञान के दृष्टिकोण से ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि है जिसमें प्रकाशित होने वाली हर कहानी मेरे जैसी लड़की और लड़कों को जीवन का एक नया आयाम देती है।

दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है इसलिये सबसे पहले मैं आप सभी को अपना परिचय देना चाहती हूँ. मेरा नाम पायल शर्मा है और मैं आगरा में रहती हूँ. मेरी उम्र इस समय साढ़े अठारह साल है, मेरे परिवार में मम्मी पापा, भैया भाभी और मैं हूँ, मेरे पापा एक बिजनेस मैन हैं और मेरी मम्मी एक आई. ए. एस. अफसर हैं जो इस समय उत्तराखंड के एक जिले की जिलाधिकारी हैं और मेरे भैया विदेश में रह कर पढ़ाई कर रहे हैं, इस वजह से आगरा में मैं, पापा और भाभी ही रहते हैं और जब कभी पापा को बिजनेस के सिलसिले में आगरा या देश से बाहर जाना होता है तो केवल मैं और भाभी ही घर पर रह जाती हैं।

मैं इस साल आगरा कॉलेज से बी. एस. सी. प्रथम वर्ष में हूँ और मेरा फ़ीगर 36-30-36 है और मैं एक दम दूध के समान गोरी हूँ।

बात आज से करीब महीने पहले की है, एक दिन सुबह के समय मैंने अपने मोबाइल पर फेसबुक खोल कर देखी, तभी मैंने दो तीन फ्रेंड रेकुएस्ट देखी जिस में दो रेकुएस्ट तो लड़की की थी और एक लड़के की थी तो मैंने तीनों को एक्सेप्ट कर लिया और तीनों पर ही हाय बोलकर बात शुरू कर दी। उन तीनों में से केवल उस लड़के का जवाब आया तो उस लड़के ने बताया कि वो भी आगरा से है और वो अकेला ही आगरा में रहता है.

धीरे धीरे फेसबुक पर ही मैं उसे पसंद करने लगी और मैंने सभी से बात करना बंद कर दिया लेकिन उस लड़के से मैं बात करने लगी, उसे बातों से तो उसे पसंद करती थी लेकिन मैंने उसे अभी तक देखा नहीं था इसलिये मेरे मन में उसे देखने की बहुत इच्छा हुई. लेकिन मैंने अभी तक उसका नंबर नहीं लिया था और न ही उसने मेरा!

तो मैं उसके ऑनलाइन आने का वेट करने लगी, तभी कुछ देर बाद ही वो ऑनलाइन आ गया, मैंने उसको मिलने के लिये बोला, उसने मुझसे झट से कहा- आप मेरे घर आ जाओ! और उसने मुझे अपना पता फोन नंबर सहित दे दिया।

मैं उस दिन कॉलेज से बंक मार कर उस से मिलने चली गई क्योंकि उसका घर कॉलेज के सामने बने हॉस्टल के पीछे कॉलोनी में था। उस की कॉलोनी में पहुँचते ही मैंने उसे फ़ोन किया जिससे मुझे उसका घर मिल जाये. तो उसका फोन किसी लड़की ने उठाया तो मैंने उससे पूछा- क्या मैं अंशुल गोयल से बात कर सकती हूँ? उस लड़की ने जवाब दिया- 2 मिनट होल्ड कीजिये, अभी आपकी बात करवाती हूँ. और कुछ देर बाद अंशुल ने मुझसे बात की तो मैंने उसे बताया कि मैं आपके घर के पास ही खड़ी हूँ. उसने बोला कि आप दो मिनट रुकिये मैं आपके पास आ रहा हूँ और उसने फोन काट दिया.

कुछ देर बाद उसने मुझे कन्फर्म करने के लिये मुझे फोन किया और पूछा कि आप कहाँ हो तो मैंने उसे वो लोकेशन बता दी जहाँ मैं खड़ी थी. थोड़ी देर बाद वो मेरे पास आया और बोला- आइये! तो मैं उसके साथ साथ चल दी और अगले मिनट में हम घर के सामने थे. उसने अपना मेन गेट खोल दिया। और जैसे ही मैं घर के अंदर गई तो मुझे 4 लड़कियाँ मैक्सी गाउन पहने हुए दिखी तो मैं एक दम से चोंक गई, मैंने उससे अनायास ही पूछ लिया कि आपने तो बताया था कि आप तो अकेले ही रहते हो, फिर ये चारों कौन हैं?

उसने उन चारों का परिचय मुझसे करवाया और मुझ से चाय या कॉफी के लिये पूछा तो मैंने मना कर दिया। लेकिन फिर भी उसने उन चारों में एक लड़की से कॉफी बनाने के लिये बोल दिया और वो लड़की तुरंत ही 5 कप कॉफी बना लाई, सबने मिल कर कॉफी पी और बीच बीच में उन चारों लड़कियों के बारे में पूछा तो उसने बताया- शालू नाम की लड़की मेरी भाभी की बहन है और बाकी तीन उसकी सहेलियां हैं जो मेरे यहाँ ही रहकर आगरा कॉलेज में पढ़ रही हैं. मैंने ओ के कहा.

तभी अंशुल के मोबाइल पर एक कॉल आई जिसे शिखा नाम की लड़की ने अटेंड किया और वो बात करते हुए एक कमरे में घुस गई तो मुझे कुछ डाउट हुआ कि फोन अंशुल का है और ये हर फ़ोन शिखा ही क्यों अटेंड कर रही है? इस बात को मैंने पूछना चाहा पर पूछ न सकी।

फिर मैंने उन सब से इधर उधर की बात की तब तक अंशुल के मोबाइल पर कई कॉल आ चुकी थी और वो सभी कॉल शिखा ने अटेंड की और वो हर कॉल में सामने वाले को दो घंटे का 5000 और फुल नाईट का 15000 कह रही थी। मेरे मन में पहले से सवालिया निशान लग गए थे।

लेकिन जब वो हर कॉल के पिक करते समय सबसे रेट बता रही थी तो मेरा शक और गहरा गया तो मैं अपना सा मुँह लेकर लौट आई और अपने घर आ गई।

उसके बाद ऑनलाइन होकर भी मैंने उससे बात नहीं की, मतलब मैं उसे इग्नोर करने लगी।

फिर कुछ दिन बाद वो मुझे एक दिन मिला तो मैं उस पर एकदम से चढ़ बैठी और उससे एक सांस में मैंने कई सवाल कर डाले जिस में एक सवाल वो भी था जिसके कारण मेरे मन में शक पैदा हुआ था। वो काफी देर तक मेरी बात को सुनता रहा फिर बोला- देखो पायल, हो सकता है कि शायद तुमको अच्छा लगे या न लगे लेकिन मैं कभी झूठ नहीं बोलता, मैं तुम्हें शुरू से एक बात बताना चाहता हूँ लेकिन तुमने मुझे अपनी बात कहने का मौका नहीं दिया इस कारण मैं तुम्हें वो बात आज तक नहीं बता पाया. लेकिन इस सच्चाई को मैं और दबा नहीं कर सकता इसलिये मैं तुम्हें वो बात बताना चाहता हूँ. ओ के! लेकिन मैंने उसकी कोई बात नहीं सुनी और मैं ऑटो पकड़ कर अपने घर चली गई.

कुछ दिन बाद मेरी कुछ सहेलियों ने एक पार्टी रखी एक होटल में, जिस में उन्होंने सभी को इनवाइट किया तो सभी लड़कियाँ अपने अपने बॉयफ्रेंड के साथ पार्टी एन्जॉय कर रही थी जैसे डांस करना, हँसी मज़ाक करना वगैरह वगैरह लेकिन पूरी पार्टी में अकेली मैं ही एक ऐसी लड़की जो बिना बॉयफ्रेंड के थी.

उनमे से एक लड़की अपने बॉयफ्रेंड के साथ मेरे पास आई, उसे मैं नहीं जानती थी, वो मुझसे बोली- आप इतनी गुमसुम सी क्यों हो? पार्टी एन्जॉय करो! कम ओन लेट्स डांस! तो मैंने कह दिया- आप तो अपने साथी के साथ डांस कर लोगी लेकिन मैं आप लोगों के बीच में नहीं आना चाहती मतलब मैं आप दोनों के बीच में अच्छी नहीं लगूँगी। उस लड़की ने मुझसे पूछा- क्या आपका कोई बॉयफ्रेंड नहीं है या आपने बनाया नहीं है?

मैंने बताया कि मेरा कोई बॉयफ्रेंड तो नहीं है लेकिन हाँ एक फेसबुक फ्रेंड जरूर है. तो उसने मुझसे कुछ नहीं कहा. मेरी जिस सहेली ने पार्टी रखी थी, उसे आवाज़ देने लगी लेकिन पार्टी में म्यूज़िक तेज आवाज में चलने के कारण कोई किसी की नहीं सुन रहा था, सभी अपने अपने आप में मगन थे, मतलब सभी लड़कियाँ अपने अपने बॉयफ्रेंड की बाँहों में बाँहें डालकर म्यूज़िक की धुन पर थिरक रही थीं.

तभी मुझे कुछ फील हुआ कि मेरी पेशाब आ रही है तो मैं होटल के टॉयलेट में गई. वहाँ का नज़ारा देख कर मैं दंग रह गई. हालांकि वहाँ कुछ भी दिख नहीं रहा था लेकिन सुनाई सब कुछ साफ साफ दे रहा था। एक लड़की की सिसकारने की आवाज़ साफ साफ आ रही थी तो मैं वहाँ पेशाब करना भूल गई और एक साइड में खड़े होकर उस लड़की की सिसकारी सुनने लगी. थोड़ी देर बाद उसी टॉयलेट से लड़का सिसकारने लगा जिससे यह तो सुनिश्चित हो गया कि वो दोनों उस टॉयलेट में सेक्स कर रहे हैं। मैंने टॉयलेट के दरवाजे के पास खड़ी हो कर पूरे सेक्स को महसूस किया जिससे मेरी पैंटी बुर की जगह से पूरी गीली हो गई और बुर का गीलापन इतना ज्यादा था कि मेरी स्किन टाइट सलवार पर भी निशान बन गया जैसे कि मेरी पेशाब निकल गई हो.

और उन दोनों के टॉयलेट के निकलने से पहले ही मैं उस पार्टी को छोड़ कर चल दी और होटल से बाहर आ गई. मेरी कामुकता इतनी बढ़ा गई थी कि मैं वहीं से ऑटो पकड़ कर उसी समय अंशुल गोयल के घर आ गई तो मुझे पूछने पर पता चला कि वो एक जिगोलो है और इस समय किसी क्लाइंट को अटेंड करने गया हुआ है.

वहाँ उसके घर में वो ही चार लड़कियाँ थी जो उस दिन मुझे मिली थी, जिसमें एक लड़की गेट खोलने आई थी और बाकी तीन पलंग पर बिल्कुल नंगी लेटी थी। मैं कुछ देर तक यह ही सोचती रही कि ये सब लड़कियाँ कितनी बेशरम हैं कि उनके बदन पर एक भी कपड़ा नहीं है. तभी जो चौथी लड़की जो मेरे लिये गेट खोलने गई थी, उसने भी अपनी मैक्सी उतार दी और वो भी नंगी हो गई.

मैंने उन सब से पूछा- आप लोगों को जरा सी भी शर्म नहीं आती है जो इस तरह से एक दम से नंगी होकर लेटी हो? तो उन सब ने एक साथ जवाब दिया- अभी जीजू आने वाले हैं और उन्होंने हम में से किसी को कपड़े पहने हुए देख लिया तो उस को 500/- रूपये जुर्माने के रूप में देने पड़ेंगे इसलिये हम पाँचों घर में बिना कपड़ों के रहते हैं. “खैर पायल तुम यह बताओ कि इतनी रात गए यहाँ कैसे आना हुआ?” शिखा ने पूछा. तो मैंने शिखा को सारा वृतांत सुना दिया तो शालू बोली- इसका मतलब तुम जीजू से चुदने आई हो? तो मैं एक दम से शांत हो गई.

तभी शालू, शिखा, शांति और मोनिका ने मुझे भी पूरी नंगी कर दिया और शिखा मेरी बुर में उंगली कर करके मेरे बुर के दाने को चाटने लगी और दो लड़कियाँ शालू और मोनिका ने मेरे बूब्स दबोच लिये और शांति ने मेरे होंठ अपने होंठों में फंसा कर चूसने लगी.

मुझे उन चारों के चूसने और चाटने में इतना मजा आने लगा कि मैं सातवें आसमान में उड़ने लगी और मुझे ज़न्नत सी दिखने लगी.

तभी किसी ने मेन गेट की घंटी बजाई तो शांति ने मेरे होंठ छोड़े और मैक्सी पहन कर गेट खोलने चली गई और वो अंशुल के साथ उसी कमरे में आ गई. तब तक मैं पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी इधर अंशुल ने मुझे भी उन लड़कियों के साथ एकदम से नंगी देखा तो उसने सबसे पहले अपनी शर्ट उतारी और फिर उसने अपनी पैन्ट उतारी.

और जैसे ही उसने अपनी पैन्ट उतारी तो उसका लंड उछलकर बाहर आ गया. मैं किसी लड़के का लंड पहली बार देख रही थी, आज से पहले मैंने बच्चों की चोचनी तो देखी थी लेकिन किसी बड़े लड़के का लंड आज मैंने पहली बार देखा था जो करीब 9 इंच लंबा था और बहुत ही मोटा था.

इधर शिखा ने अंशुल का लंड अपने मुँह में भर लिया और बड़े मजे से चूसने लगी तो शालू बोली- जीजू, आप बिना समय गँवाए पायल की चुदाई कर दो! वह मान गया और वो मेरी बुर को देखने लगा; कुछ देर बाद उसने चारों लड़कियों से कहा- दो लड़कियां इसके दोनों बूब्स को चूसो और एक लड़की इसके होंठों को चूसो! तो उन तीनों लड़कियों ने वैसा ही किया जैसा अंशुल ने कहा था.

और वो खुद मेरी बुर पर आ गया, मेरी बुर पर अपना लंड घिसने लगा और फिर एक धक्का पूरी ताकत से मेरी बुर के छेद पर अपना लंड रखकर एक धक्का दे दिया तो उसका लंड मेरी बुर को फाड़ता हुआ घुस गया. मुझे अथाह दर्द हुआ और मेरे मुँह से निकल गया- आssssह मम्मी मर गई। ऐसा लगा मुझे जैसे किसी ने मेरी बुर में कोई चाकू डाल दिया हो। मैं दर्द से कराह रही थी, मैंने अंशुल से कहा- अपना लंड मेरी बुर से बाहर निकालो, मुझे नहीं चुदना!

तो अंशुल रुक तो गया लेकिन उसने अपना लंड मेरी बुर से बाहर नहीं निकाला और दो मिनट रुकने के बाद वो धीरे धीरे धक्के देने लगा, कुछ देर बाद मुझे भी मजा आने लगा तो मैं भी नीचे से अपनी कमर को हिलाने लगी. तभी अंशुल ने एक धक्का और जोर से मारा तो मेरी जान निकल गई. और वह फिर से धीरे धीरे धक्के देने लगा.

करीब 10 मिनट बाद मेरा शरीर ऐंठने लगा और मैं झड़ गई और शांत पड़ गई।

फिर से अंशुल ने दो धक्के लगातार मारे और मेरी बुर में उसका पूरा लंड घुस गया था क्योंकि उसकी गोलियाँ मेरी गांड के छेद पर टकरा रही थी. फिर वो थोड़ी देर रुका और धीमे धीमे धक्के लगाना शुरू किया और 5 मिनट बाद उसके धक्कों ने शताब्दी की तरह स्पीड पकड़ ली और वो मुझे तेज़ी से चोदने लगा। करीब 10 मिनट बाद फिर से मेरा बदन ऐंठने लगा और मैं फिर से झड़ गई लेकिन वो फिर भी मुझे लगातार पेलता रहा.

मैं हर 5 से 7 मिनट बाद ही झड़ जाती थी लेकिन वो झड़ने का नाम नहीं ले रहा थ. उसने मुझे कई मुद्राओं में चोदा जैसे कुतिया बना कर, अपने ऊपर बैठा कर, कभी मेरी एक टांग को हवा में सीधा करके और मुझे अपनी गोद में लेते हुए खड़े होकर वगैरह वगैरह। इस दौरान मैं कितनी बार झड़ गई मुझे नहीं पता लेकिन वो अभी तक नहीं झड़ा था.

फिर वो मुझे वापस बिस्तर पर लिटा कर मेरी बुर में धक्के लगाने लगा और करीब 10 मिनट बाद उसने मुझसे कहा- पायल, मैं अब झड़ने वाला हूँ, तो बताओ मैं कहाँ झडूं? मैंने उसको बोल दिया- तुम मेरी बुर में झड़ जाओ! और वो 5 मिनट बाद मेरी बुर में ही झड़ गया और उसके झड़ने के साथ ही मैं भी एक बार फिर से झड़ गई. फिर वो मेरे ऊपर धम्म से गिर पड़ा, उस समय हम दोनों की साँसें ऐसे चल रही थी जैसे कि कोई इंजिन चल रहा हो.

उसने मेरी पूरी रात में तीन बार और चुदाई की और सुबह करीब 6 बजे मैं उसके घर से निकल कर अपने घर आ गई लेकिन मैं ढंग से चल नहीं पा रही थी, मतलब लंगड़ा के चल रही थी क्योंकि उसके लंबे और मोटे लंड ने मेरी बुर को फाड़ के रख दिया था।

उसके बाद मैंने कई लड़कों से चुदवाया लेकिन कोई भी मुझे 10 या 12 मिनट से ज्यादा नहीं चोद पाया। मतलब जैसी चोदने की ताकत अंशुल के लंड में थी, वैसी मुझे आज तक किसी के लंड में नहीं दिखी क्योंकि एक तो उसका लंबा और मोटा लंड और उसके चोदने में लगने वाला समय दोनों ही असाधारण हैं।

तो दोस्तो, आप लोगों को मेरी कहानी कैसी लगी? यह मेरी पहली सच्ची कहानी है जिसे मैं आपके समक्ष रख रही हूँ. अगर इसमें कुछ गलतियां हो तो प्लीज मुझे माफ़ कर देना क्योंकि मुझे कहानी लिखने का कोई भी अनुभव नहीं है। कृपया अपने विचार अवश्य भेजें ताकि मैं अपनी कहानी को लिखने में सुधार कर सकूँ।

आपके मेल की प्रतीक्षा में आपकी पायल शर्मा! मेरी मेल आई डी है: [email protected] मेरी फेसबुक आई डी भी यही है।

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