मेरी जवान भानजी ने कुंवारी बुर का तोहफा दिया

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मेरी पिछली कहानी ट्रेन में मिली एक नवविवाहिता की कसी चूत में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने अपनी भानजी के सामने एक नवविवाहिता लडकी की बुर ट्रेन में मारी.

अब आगे की कहानी पढ़ें!

मेरी भानजी पिंकी को देख कर मेरे दोनों बच्चे बहुत खुश हुए. पिंकी मेरे बच्चों और मेरी बीबी के साथ बातें करने व्यस्त हो गई. दूसरे दिन मैं ऑफिस चला गया. ऑफिस में मेरा बिल्कुल मन नहीं लगा, रह रह कर मुझे पिंकी की कमसिन बुर और टाइट चूची का ख्याल आता रहा. जहाँ भी मैं उस उम्र की लड़की को देखता मुझे चोदने का मन करने लगता. आखिरकार लंच में मैं छुट्टी लेकर घर आ गया.

घर आते ही मैंने अपनी बेटी रेखा से कहा- बेटी, पिंकी को कहीं घुमाने ले जाओ. उसे मैं घुमाने ही लाया था.

रेखा ने कहा- पापा, इसे मैं अकेले कैसे ले जाऊं. आप कार लेकर चलो न. मैंने कहा- अमित के साथ जाओ. रेखा बोली- अमित का अगले वीक एग्जाम है वो घर से नहीं निकलने वाला है. तब मेरी पत्नी ने कहा- आप ही ले जाइए दोनों को. मैंने कहा- ठीक है, तैयार हो जाओ दोनों.

दोनों तैयार होने चली गईं, तभी मैंने पिंकी को बुलाया और कहा कि तुम टॉप और छोटी स्कर्ट पहन कर चलना.

हम लोग घर से निकले. पिंकी ने मेरे कहे अनुसार कपड़े पहने तो रेखा ने भी टाइट जीन्स और टी शर्ट पहनी हुई थी. आज पहली बार ध्यान आया कि रेखा भी बड़ी हो रही है.

रात 8 बजे तक हम लोग घूमते रहे. लौटने के वक्त पिंकी ने कहा कि किसी पार्क में चल कर बैठेंगे और वहीं कुछ खा पी लेंगे. मैंने कहा- रात हो चुकी है, कल दिन में आ जाना. तो रेखा ने कहा- पापा कल मेरा स्कूल है. मैंने कहा- ठीक है, मैं पिंकी को अकेला ही लेकर चला आऊंगा, तुम शाम को क्लब चलना.

दूसरे दिन मैं पिंकी को लेकर पार्क में गया और एक सुनसान जगह पर बैठ गया. वहाँ मैंने पिंकी से कहा- डियर अब कैसे चुदाई होगी. अमित तो घर पर ही रहेगा. रेखा तुम्हें अकेला नहीं छोड़ेगी. रेखा तुम्हें छोड़ दे तो रात को मैं तुम्हें चोद सकता हूं लेकिन उसे अलग कैसे करोगी? वो बोली- कोई रास्ता निकालना होगा. ऐसा करते हैं, कल रात को दूध में नींद की गोली डाल देते हैं.. जब सब सो जाएंगे तब.. मैंने कहा- ठीक है.

वैसा ही किया गया. रात को डेढ़ बजे मैं पिंकी को लेकर छत पर चला गया, साथ में वैसलीन भी ले गया. अब पिंकी की बुर का उद्घाटन होना था. मैं अपनी सगी भानजी की चुत चुदाई का आनन्द लेने वाला था.

छत पर मैंने पिंकी को पूरी नंगी किया और उसकी निम्बू जैसी चूची को खूब चूसा, उसकी बुर चाट चाट कर दो बार उसे झाड़ा. उसके बाद मैंने उसे लिटाया और उस पर चढ़ गया, उसकी दोनों टांगें अपनी कमर के ऊपर लपेटीं, फिर उसकी बुर की फाँकें फैला कर उसमें खूब वैसलीन लगा दी. फिर मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी बुर की फाँकों में लगा कर फंसाया और जोर से दबाया. वो बोली- उई.. दर्द होता है. इतना मोटा लंड नहीं जाएगा. मैंने कहा- थोड़ा बर्दाश्त करो, सब ठीक हो जाएगा.

जब मैंने महसूस किया कि लंड बुर के छेद में सही जगह पर लग गया है, तब मैंने पिंकी का मुँह बंद किया और गच्च से लंड को धक्का लगाया. वह दर्द से छटपटा गई, मैंने दोबारा धक्का मारा.. गच्च से मेरा आधा लंड उसकी कुँवारी टाइट बुर में चला गया. पिंकी रोने लगी और हाथ पैर मारने लगी. मैं उसे जबरदस्ती पकड़े रहा. जब उसका छटपटाना बंद हुआ तो मैंने कहा कि पहली बार तो दर्द होता ही है, इसे बर्दाश्त करो.. दर्द जल्दी ही ख़त्म हो जाएगा. वो बोली- नहीं.. मेरी बुर फट गई है, मुझे नहीं चुदवाना है.. मुझे जाने दीजिए.

मैंने गच्च से एक झटका और दिया, मेरा लंड अन्दर हो गया. इसके बाद मैं कुछ देर तक शांत पड़ा रहा और वो रोती रही. मैं धीरे धीरे उसकी चूचियां सहलाता रहा और होंठों को चूसता रहा. कुछ देर के बाद उसका रोना बंद हो गया. तब मैं लंड को उसकी बुर में धीरे धीरे पेलने लगा लगभग. बस दस मिनट तक आगे पीछे करने बाद उसने अपनी टांगें मेरी कमर से लपेट लीं और अपनी बाँहें मेरे गले में डाल दीं, तब मैंने अपना हाथ उसके मुँह से हटाया और पूछा- दर्द कम हो गया? वो बोली- हाँ अब ठीक लग रहा है. मैंने कहा- ठीक है.. अब मजा आएगा.

इसके बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और दोनों हाथों से उसकी छोटी-छोटी चूचियां मसलने लगा. उसके मुँह से “उआह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आअहह..” की आवाजें आने लगीं. मैं अपना लंड उसकी कसी हुई बुर में आगे पीछे करने लगा. सच बताता हूँ कि मुझे कभी किसी को चोदने में इतना मजा नहीं आया, जितना पिंकी को चोदने में आ रहा था. दस मिनट में ही उसकी बुर ने पानी छोड़ दिया, वो मुझसे लिपट गई. मैंने रफ्तार बढ़ा दी.

वो बोली- और जोर से चोदो. मैं- हाँ ले.. अब तो हमेशा मैं तुम्हें चोदूँगा तुम्हारी जैसी कच्ची कली को चोद कर मेरा लंड तृप्त हो गया.. आह.. ले पिंकी अब मैं अपना पानी तेरी बुर में गिरा रहा हूँ. “हां आह.. मैं भी आसमान में उड़ रही हूँ.” ये कह कर वो शांत पड़ गई और मेरे लंड ने भी सारा माल उड़ेल दिया.

हम दोनों शांत हो गए. फिर 15 मिनट के बाद दोनों उठे. मेरे लंड में खून लगा हुआ था. मैंने उसे साफ किया और पिंकी को भी साफ़ किया.

उसके बाद मैंने पिंकी से कहा- अब तो रेखा तुम्हारे साथ रहेगी तो तुझे चोदूँगा कैसे? पिंकी बोली- मैं रेखा को पटा लूंग़ी. मैंने पूछा- क्या करोगी उसका? वो बोली- उसे भी तैयार कर लूँगी. मैंने पूछा- किस बात के लिए? वो बोली- आपसे चुदवाने के लिए.

मेरा दिमाग सन्न सा रह गया. मेरी खुद की बेटी के साथ सेक्स? फिर उसका सेक्सी बदन का ध्यान आया तो लंड खड़ा होने लगा. मैंने ऐसा कभी सोचा भी नहीं था, जिसे मैंने पैदा किया उसके साथ ये सब? नहीं! कभी नहीं!

मैंने पिंकी से कुछ नहीं कहा. इसके बाद हम दोनों सोने चले गए.

अगले दिन जब मैंने रेखा को स्कूल जाते हुए स्कूल ड्रेस में देखा तो मेरे मन में पाप आने लगा. रेखा की छोटी-छोटी चूचियां, उभरी हुई गांड, पतली-पतली टांगें देख कर मेरा मन ललचा गया. एकदम गोरा रंग गुलाब की जैसे गुलाबी होंठ, मेरे लंड में तनाव आने लगा. पिंकी और रेखा हमउम्र थी.

पिंकी मुझे रेखा की ओर इस तरह से देखते हुए देख कर मुस्कुरा दी. मैंने भी मुस्कराहट को नहीं रोका.

रेखा स्कूल चली गई, मैं अपने कमरे में आया तो पिंकी भी आ गई और धीरे से कहा- क्यों? रेखा को देख कर लंड खड़ा होने लगा? “तुमको चोदने के बाद मेरा लंड कच्ची बुर का दीवाना हो गया है, मुझे अब ऐसी बुर को चोदने का मन करेगा.” “उसकी बुर तो मैं दिलवा ही दूँगी.. लेकिन अभी चलो घूमने.”

मैंने अपनी पत्नी को बताया कि मैं और पिंकी घूमने जा रहे हैं. फिर पिंकी को साथ लेकर घूमने चला गया.

कार में मैंने पिंकी से पूछा- तुम्हारी बुर कैसी है अभी? “बहुत दर्द है.. आज चुदाई नहीं करूँगी.” “क्यों डार्लिंग? मेरे लंड का क्या होगा?” “मुठ मार लो.” “साली लंड को तेरी बुर का स्वाद लग गया है.. ये ऐसे नहीं मानेगा.” “कोई और बुर खोज लो.” ‘तेरी जैसी कोरी कली कहाँ मिलेगी मुझे. बुर नहीं देगी तो लंड चूस कर ही शांत कर दो.” “कर दूंगी, लेकिन एक बात बताओ.. रेखा की सबसे अच्छी चीज क्या लगी तुमको?” “उसकी गांड एकदम गोल है और उभरी हुई है.” “तब तो तुम उसकी गांड मारोगे?” मैं- अगर हो सका तो जरूर चोदूँगा. पिंकी- तब तो तुम बेटीचोद बन जाओगे. मैं- वैसी बुर के लिए तो मैं मादरचोद और बहनचोद भी बन जाउँगा. पिंकी- बड़े हरामी हो तुम.

मैं- हरामी नहीं बेटीचोद हूं.. मुझे बेटी की गांड याद आ रही है. पिंकी- हाँ तो बुला लूँ स्कूल से? अभी ही चोद देना उसे. मैं- आराम से चोदूँगा.. पर तुम उसे मनाओगी कैसे? पिंकी- ये मुझ पर छोड़ दो. मैं- कुछ तो बताओ साली तुम पूरी रंडी हो.. पता नहीं कितनों को तुम रंडी बनाओगी. पिंकी- अभी तो सिर्फ तुम्हारी बेटी को रंडी बनाऊँगी. मैं- वो मानेगी कैसे? उसे लंड, चूत, चुदाई की समझ है क्या? पिंकी- वो तुम्हारी बेटी है न, तुमसे कम नहीं है.. वो बहुत बड़ी चुदक्कड़ निकलेगी. मैं- क्यों किसी से चुद चुकी है क्या?

पिंकी- नहीं चुदी तो नहीं है, लेकिन चुदवाना चाहती है. मैं- क्या उसने बताया है तुम्हें? पिंकी- हां बताया है कि लड़कों को देख कर उसके लंड का साइज का अनुमान लगाती है. उसके चोदने की क्षमता नापती है. मैं- वो चुदाई के बारे में कैसे जानती है? उसने किसी को चुदाई करते देखा है.. और किसको देखा? पिंकी- ये नहीं बताया.. मैंने पूछा भी तो बोली कि समय आने पर बता दूँगी. मैं- क्या क्या देखा उसने? पिंकी- बहुत से आसन जानती है. मर्द कैसे-कैसे चोदते हैं, साली सब बताती है उसका इंतजाम हुआ तो वो पक्का किसी न किसी से चुदवा लेगी. मैं- तो उसे तुम जल्दी तैयार करो.

पिंकी- तैयार हो बेटी को चोदने के लिए? मैं- हां उसकी सील मैं ही तोड़ना चाहता हूँ.. उस कच्ची कली का रस सबसे पहले मैं ही चखना चाहता हूँ. पिंकी- बड़े हरामी बाप हो तुम? बेटी जवान हुई नहीं कि तुम लंड पेलने के लिए तैयार हो गए. मैं- सभी बाप को चाहिए कि वो अपनी बेटियों को चोद कर ही सेक्स की शिक्षा दें. पिंकी- मेरे पापा तो ऐसा नहीं चाहते. मैं- एक बार उन्हें अपनी चूचियां और बुर के दर्शन करवा दो, फिर देखना. पिंकी- इस शादी को होने दो, फिर मैं पापा को फसाऊँगी. मैं- सच में बाप से चुदना चाहती हो? पिंकी- हां क्यों नहीं.. तुम तो वापस यहाँ आआगे नहीं, फिर मेरी बुर की प्यास कौन बुझाएगा?

मैं- हां सही कहा तुमने.. लेकिन एक वादा करो. पिंकी- क्या? मैं- जब तुम्हारी शादी होगी तो पहला बच्चा मेरे लंड से पैदा करोगी और अगर लड़की हुई तो उसकी सील मुझसे तुड़वाना. पिंकी- तब तक तुम बुढ्ढे हो जाओगे, लंड खड़ा भी नहीं होगा. मैं- फिर भी तुम्हारी बेटी के बदन से सबसे पहले मैं ही खेलूंगा. पिंकी- बड़े कमीने हो, अभी बच्चा पैदा नहीं हुआ और तुम चोदने का प्लान बना रहे हो. ओके मैं वादा करती हूँ. मैं- इसी में तो मजा है. अपने लंड के वीर्य से पैदा की हुई लड़की को चोदने का. चलो अब बातें बहुत हो गईं, तुम मेरा लंड चूसो.. मैं कार ड्राइव करता हूं.

मैंने अपने पेंट की ज़िप खोल दी. उसने मेरा लंड निकाला और चूसने लगी. उसके कोमल होंठ लगते ही मेरा लंड फुल मस्ती में आ गया. मेरे लंड उसके मुँह में जा रहा था. जब मैं झड़ने को हुआ तो उससे कहा- सारा माल पी जाना. उसने ऐसा ही किया और चाट-चाट कर लंड को साफ़ कर दिया. फिर उसने लंड को पेंट के अन्दर करके ज़िप लगा दी.

मैंने कहा- पिंकी, मैंने तुम्हारी बुर को तो चोद दिया, अब गांड कब मरवाओगी? पिंकी- अब तो मैं तुम्हारी हो गई हूँ.. जब चाहो मार लो. मैं- तुम तो पूरी रंडी की तरह बातें करती हो. पिंकी- तुम भी तो हरामी हो.. मेरे बदन में भी तो वही खून है, जो मेरी माँ का है. मैं- तुम्हारी माँ भी तो शादी से पहले चुदाती थी. पिंकी- किसका लंड लेती थी वो? मैं- मेरे घर एक नौकर था उससे चुदवाती थी. पता नहीं कबसे चोद रहा था उसे, मेरे पिताजी ने उसे रंगे हाथ पकड़ा था.

पिंकी- माँ की उस वक्त क्या ऐज थी? मैं- अठारह की रही होगी. पिंकी- तब नानाजी ने क्या किया? मैं- नौकर को घर से निकाल दिया. पिंकी- माँ को कुछ नहीं कहा? मैं- नहीं. “क्यों?” मैं- पता नहीं क्यों. पिंकी- कहीं नाना ने माँ को चोदा तो नहीं? मैं- पता नहीं.. मैं छोटा था. पिंकी- तो मैं भी ऐसी हूँ.. रंडी की औलाद रंडी.. तभी तुम भी अपनी बेटी को चोदना चाहते हो. साला खानदान ही रंडीखाना जैसा है. मैं हंस कर बोला- उसे जरूर चोदूँगा.

पिंकी- तो आज ही चुदवा दूँ? मैं- मजा आ जाएगा.. लेकिन आज ही कैसे तैयार कर पाओगी? पिंकी- कल रात को उसने बताया कि उसके बुर में खुजली हो रही है. तब मैंने उंगली से तुम्हारी बेटी रेखा की खुजली मिटाई थी. मैं- रात को किस वक़्त? सब तो गोली के नशे में थे? पिंकी- रेखा नहीं थी. मैं चौंका- क्यों? पिंकी- उसने दूध नहीं पिया? मैं- नहीं.. क्यों? पिंकी- उसे पता था कि तुम मुझे चोदने वाले हो. मैं- कैसे? किसने बताया उसे? पिंकी- मैंने. मैं- हरामजादी रंडी के लक्षण दिखा दिए तुमने.

पिंकी- बड़े कमीने हो तुम. मैंने तो उसे बचा लिया है तुम्हारे लिए, नहीं तो कब का चुदवा चुकी होती. मैंने ही कहा कि पापा से ही चुदवाना. मैं- इसका मतलब वो तैयार है? पिंकी- हाँ. मैं- अभी बुलवा लूं? अभी तो स्कूल में होगी. पिंकी- बुला लो. मैं- फ़िर कहाँ जाएंगे? पिंकी- किसी पार्क में ले जाकर उसे गरम करो और रात को ठोक देना.

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कहानी का अगला भाग: मेरी जवान भानजी ने मेरी बेटी की कुंवारी बुर दिलाई

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