बड़ी गांड वाली आंटी की काल्पनिक चुदाई

ये बात उन दिनों की है, जब मुझे एक शादी से निमंत्रण आया था. मैंने और मेरे एक दोस्त ने वहां साथ साथ जाना था. ये हमारे पड़ोस की आंटी के यहाँ का शादी का फंक्शन था. मगर पूरे टाइम पे मेरे दोस्त ने कहा कि कल उसका एग्जाम है और वो नहीं जा सकता, तो मैंने उससे बोला कि पहले तूने मुझे क्यों नहीं बताया कि तेरा एग्जाम है? वो बोला- मुझे खुद अभी पता चला.

मैं मायूस मन से उसे छोड़ कर फंक्शन के लिए चल दिया.

आंटी लोगों ने बस बुक करवा रखी थी क्योंकि फंक्शन की जगह काफ़ी दूर थी. इस वक्त सर्दी भी ज्यादा थी. आपको तो पता ही है कि अगर कोई फंक्शन होता है तो औरतें तो ट्रांसपेरेंट साड़ी में ही जाती हैं. लेडीज को पता नहीं सर्दी क्यों नहीं लगती है.

खैर.. लोग एक के बाद एक चढ़ने लगे, काफ़ी सीट्स पहले से ही आंटी और बच्चों ने ले ली थी. इससे हुआ ये कि बाकी लोगों को खड़ा होना पड़ा. उनमें मैं भी शामिल था. बस चल पड़ी थी और बहुत से लोग खड़े थे क्योंकि भीड़ ज्यादा थी. बस में कई लोग मेरी जान पहचान के थे और कुछ अनजान भी थे.

हमारे घर के पीछे एक आंटी रहती हैं, उनकी लड़की का नाम चाँदनी है. लड़की से ज्यादा उसकी माँ माल है, क्या गांड है उसकी यार एकदम मस्त.. मुझे पता नहीं था कि बस में वो भी हैं. आंटी की हाइट 5’4″ है, उनका फिगर बड़ी ही दिलकश है. बोबे तो बस 33 के हैं, कमर भी ठीक है लेकिन गांड 46 की है.. बाप रे क्या गांड है उनकी.. लंड के साथ कलेजा भी हिल जाता है.

बस चलने लगी तो कुछ लोग बस में आगे से और चढ़ गए. अब क्या हुआ कि आंटी के बीच और मेरे बीच कुछ और बच्चे और आंटियां खड़ी थीं, तो वो लोग भीड़ के वजह से पीछे को हो गए और मैं आगे को हो गया. अब मैं चाँदनी की माँ के बगल में था. उन्हें मेरी हरकतों का पता है मगर वो आगे से भीड़ में फंसी थीं, तो कुछ कह नहीं सकती थीं. बस चलने लगी.. सब अपने अपने लोगों से आपस में बातें कर रहे थे. वो भी अपने लड़के से बात कर रही थीं.

अचानक ड्राइवर ने ब्रेक लगाया तो वो अपने लड़के पर गिर गईं और ठीक मैं उनके पीछे था.. तो क्या मज़ा आया कि मेरा पूरा खड़ा लंड उनकी बड़ी गांड में घुस गया. वो हल्का सा कराह कर बोलीं- एयेए.. मेरा लंड उनकी गांड के छेद में उनकी साड़ी के ऊपर से लगा हुआ था और जैसे ही उन्होंने पीछे देखा, मुझे देख कर गुस्सा करने लगीं, मगर बोल भी क्या सकती थीं.

फिर कैसे ना कैसे करके हम सब एक दूसरे पे से अलग होकर खड़े हुए और जैसे ही मैं उन पर से हटने लगा कि ड्राइवर ने फिर से ब्रेक लगा दिया. इस बार तो मैंने अपने दोनों हाथ उनकी कमर पर रख दिए और अपना पूरा शरीर उनके ऊपर छोड़ दिया.

आह.. क्या मज़ा आया.. मेरा खड़ा लंड इस बार बिल्कुल सीधा आंटी की गांड में दरार में था और मेरे दोनों हाथ उनके बड़े बड़े कूल्हों पर थे. वो मेरा दुस्साहस देख रही थीं और गुस्सा कर रही थी. मैं अब भी उसी पोज़िशन में था और ड्राइवर भी ब्रेक लगा लगा कर तेज तेज बस चला रहा था.

वाऊ.. मैं तो जन्नत में था. आंटी की गांड में लंड क्या सुखद अहसास था.. क्या मस्त मज़ा आ रहा था.

अब थोड़ी देर बाद वो ठीक सी हुईं और उन्होंने मुझसे दूरी बना ली. अब वो दूसरी साइड जा कर खड़ी हो गईं लेकिन मेरा साथ मेरे भाग्य ने दिया, वहां मेरी दादी ने मुझे आवाज़ लगा कर बुला लिया और भीड़ ज्यादा होने की वजह से अब वो कहीं नहीं जा सकती थीं. वो फँस गई थीं और अब मैं भी ठीक उसके पीछे था.

वो अब रोशनी में थीं और उनकी बड़ी गांड पीली साड़ी में क्या सुनामी सी दिख रही थी. वो मेरी दादी से बात करने लगीं. मैं उनकी बातें सुनने लगा.

थोड़ी देर बाद मैं ठीक उनके पीछे हो गया और हमारे बीच का फासला भी कम हो गया. मैं उनके साथ ऊपर से टच हो रहा था. उनके बाल मेरी आर्म्स के पास टच हो रहे थे. तभी बस की स्पीड स्लो हुई तो मैंने थोड़ा नज़दीक जाकर बोला कि आंटी आप थोड़ा इधर हो जाओ.. लोग अब दारू लेने उतरेंगे.

वो शायद मेरी बात सुन कर सोच रही थीं कि झूठ बोल रहा हूँ.. सो वे वहीं खड़ी रहीं. लेकिन मेरी बात सही थी.

थोड़ी देर बाद बस रुकी और लोग नीचे उतरने लगे, वो सभी दारू के लिए उतरे थे. भीड़ की वजह से लोग धक्का मारने लगे, तो आंटी भीड़ के कारण साइड में नहीं हो पा रही थीं. मैंने कोशिश करके पीछे वाले आदमी को पुश किया और स्पेस बना लिया. मैं आंटी से बोला- आप यहाँ आ जाओ.

पहले वो मेरी तरफ गुस्से से देखती रहीं और फिर भीड़ के कारण मेरे पास आकर खड़ी हो गईं. भीड़ के दबाब के कारण मैं उन के ऊपर चढ़ सा गया. वो बस की सीट पकड़ कर खड़ी थी और एकदम से पीछे से बढ़ते दबाब के कारण मेरी दादी के पैरों तक झुक गईं. इधर मैं ठीक उन के पीछे था वाओ.. क्या बड़ी गांड थी आंटी की.. वो भी कुतिया सी झुकी हुई थीं. अब तो मैं भीड़ का बहाना करके पूरा उनके ऊपर चढ़ सा गया. मैं अपना खड़ा लंड अब आंटी की गांड में घुसेड़ता ही जा रहा था. इस स्थिति में वो कुछ नहीं कर पा रही थीं. क्या मस्त पोज़िशन थी हमारी..

शेरवानी में मेरा खड़ा लंड पूरा दिख रहा था और उनकी गांड में साड़ी का कपड़ा घुसता हुआ नज़र आ रहा था. मेरे लंड के दवाब के कारण वो खड़ी होने की कोशिश कर रही थीं. मगर जैसे ही खड़ी हुईं, मैंने उन्हें कमर से पकड़ लिया ताकि वो उठ सकें. वो एकदम से उठने की कोशिश में मेरे लंड से अपनी गांड सटा रही थीं. अब तो उनकी बड़ी गांड पे मेरा ही कब्जा सा हो गया था.

कुछ मिनट बाद लोग वापस आकर बैठ गए और बस चल दी. आंटी अब मेरी दादी से बात करने लगीं, इस वक्त मैं ठीक उनके पीछे था. मैं आंटी के और करीब आ गया था क्योंकि बीच बीच में मैं भी अपनी दादी से बात कर रहा था. अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उनकी गांड पर रगड़ रहा था. वो बार बार पलट कर मुझे देख रही थीं और कह रही थीं- भैया, आप थोड़ा पीछे खड़े हो जाओ. मैंने कहा- भीड़ ज्यादा है आंटी. मैं पूरी ढीठता से वहीं खड़ा रहा.

थोड़ी देर के बाद बस ड्राइवर ने एक कार में टक्कर मार दी और लोग देखने लगे कि क्या हो गया. आंटी भी देखने लगीं. तभी आंटी का लड़का कुछ दूसरे लड़कों के साथ बस से उतर गया और नीचे और लड़ाई के मज़े लेने लगा. भीड़ ज्यादा होने की वजह से आंटी आगे के गेट से उतरने की कोशिश कर रही थीं. मगर तभी भीड़ भी वापस बस में चढ़ने लगी, तो आंटी अपने आपको संभाल नहीं पाईं और मेरी तरफ गिरने लगीं. तब मैंने अपने दोनों हाथों से आंटी को गिरने से बचा लिया.

अब आंटी का लड़का हमारे बीच में आ खड़ा हुआ, वो मेरा दोस्त नहीं है मगर मुझसे बात कर लेता है.

आंटी को अब थोड़ा रिलीफ हुआ. वो दोनों हाथों से बस का ऊपर वाला डंडा पकड़ कर खड़ी हो गईं और उनका लड़का हमारे बीच में आ गया. थोड़ी देर बाद उनका लड़का पीछे जाकर दोस्तो में दारू पीने लगा और वहीं मस्त हो गया. अब मैं फिर आंटी के पीछे था और इस बार मैं अपना लंड आंटी की गांड के ठीक छेद में लगा रहा था और उनकी गांड पे धीरे धीरे लंड फेर रहा था.

वो सोचने लगीं कि उनका बेटा राहुल होगा मगर थोड़ी देर में ही वो होश में सी आईं और उन्होंने पलट कर देखा तो उनके होश उड़ गए. तब तक मेरा लंड टाइट हो चुका था और ऊपर से उनकी गांड के छेद में अड़ गया था.

अब धीरे धीरे मैंने उनकी साड़ी नीचे से उठाना शुरू कर दी क्योंकि मैंने अपनी सैंडिल से उनकी साड़ी का एक सिरा पकड़ रखा था. जैसे ही मैंने अपना पैर ऊपर को उठाया, उनकी साड़ी का एक सिरा मेरे हाथ में आ गया था. मैं उसे धीरे धीरे ऊपर उठाने लगा. वो तो यही सोच रही थीं कि मैं कुछ कर रहा हूँ.

अचानक हम शादी के टेंट से थोड़ी दूर रुके, वहां से कुछ और लोग बस में चढ़ गए.

अब आंटी ड्राइवर वाली दिशा में मुँह करके खड़ी हो गईं और कंडक्टर वाली दिशा में गांड कर ली. मैं ठीक उनके पीछे था. चूंकि भीड़ काफ़ी थी और कुछ अँधेरा भी हो गया था तो उन्हें पता नहीं चल रहा था कि मैं क्या कर रहा हूँ.

मैंने जल्द ही अपनी शेरवानी में से अपना लंड बाहर निकाला और उनकी गांड पर लगाने लगा. वो भीड़ की वजह से चुपचाप थीं और मैं पूरा लंड का ज़ोर उसकी गांड में लगा रहा था. वो बोलीं- पीछे हो जाओ. मैंने कहा- पीछे भीड़ है. अब मैंने देर ना करते हुए उनकी साड़ी धीरे धीरे ऊपर उठाने लगा.

मैं बोला- आंटी थोड़ा आगे होना, मुझे जेब से अपना फ़ोन निकालना है.

जैसे ही वो आगे को हुईं, मैंने उनकी साड़ी और ऊपर कर दी. अब मैंने उनकी गांड पर हाथ रख लिया. वो बोलीं- ये क्या कर रहा है? मैंने कहा- चुप रहो नहीं तो हल्ला मचा दूँगा कि तुम मुझसे गांड मारने के लिए कह रही हो. वो बोलीं- नहीं ऐसा मत करना.. मेरी बेइज्जती हो जाएगी. मैंने कहा- चुप रहो.

फिर मैंने उनकी गांड में अपना लंड लगाया और धक्का मारा मगर मेरा लंड फिसल गया.

मैंने कहा- अपने हाथ से मेरा लंड अपनी गांड की छेद में लगाओ. वो बोलीं- नहीं. मैंने कहा- बोलूँ अभी? वो तुरंत बोलीं- नहीं.. मैंने कहा- तो जल्दी से लगाओ.

उन्होंने मेरा मोटा लंड अपनी गांड की छेद पर रख दिया.

मैंने एक ही गच्चा मारा तो मेरा लंड उनके चूतड़ों को चीरता हुआ अन्दर हो गया. वो कराह कर बोलीं- आह.. आई.. मैंने कहा- हाय मेरी जान.. क्या रसीली गांड है तेरी..

फिर मैं उनकी गांड में धक्के लगाने लगा.

वो तड़फ कर बोलीं- मत मारो मेरी गांड.. मैंने कहा- बड़े दिन से इंतज़ार था इसका आंटी मेरी जान..

तभी बस की भीड़ उतरने के लिए मेरी तरफ आने लगी. मैं पूरा का पूरा उनके ऊपर चढ़ गया और वो आगे वाले आदमी पर टिक गईं.

अब मेरा पूरा लंड उनकी गांड के अन्दर था और मैं धीरे धीरे धक्के मार रहा था ताकि मेरे पीछे खड़ी आंटी को ये ना पता चले कि क्या हो रहा है. मैंने धीरे धीरे उनकी गांड मारना शुरू कर दी. मेरा लंड उसकी गांड में फँस गया और वो मेरी तरफ देख देख कर रोने लगीं कि मैं कब उन्हें छोड़ूँगा.

मैं पूरा उनके ऊपर सवार था. उसी वक्त ड्राइवर ने जैसे ही ब्रेक मारे, मेरा लंड उनकी गांड में और अन्दर तक घुस गया. मैं भी उनके ऊपर पूरा गिर गया. अब आंटी रोने लगीं.. और उनका मेकअप भी बिगड़ चुका था. मैं पूरे ज़ोर शोर से आंटी की गांड मार रहा था. उसी वक्त भीड़ के और तेज दवाब के कारण हम एक दूसरे से चिपक गए. उनकी गांड और मेरा लंड एक दूसरे में समाए हुए थे. आंटी सुबक रही थीं.

अचानक मेरे लंड ने अपना सारा पानी उनकी गांड के छेद में छोड़ दिया और मैं उनके ऊपर निढाल हो गया.

तभी पीछे वाली आंटी बोलीं- अरे बेटा चलो.. नीचे नहीं उतरोगे क्या? आंटी ने अपनी साड़ी नीचे की और बस से रोते रोते नीचे उतरने लगीं.

इसी वक्त मुझे झटका लगा. मेरी जैसे आँख खुली… देखा कि एक लड़का मेरी तरफ देख कर हंस रहा था. मैं बस की सीट पट बैठा सो गया था और जो कुछ मैंने ऊपर लिखा, वो एक सपना था. वो लड़का इस लिए हंस रहा होगा क्योंकि सपना देखते वक्त मेरे मुंह से अजीब अजीब आवाजें निकाल रही होगी और मेरा लंड भी तम्बू बनाए खड़ा था.

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