चूत चुदाई का चस्का, चलती बस में चुदाई

मेरे प्यारे दोस्तो, मैं माया अपनी सच्ची सेक्सी स्टोरीज आपको सुनाती हूँ, आज फिर से मैं अपनी एक नई और सच्ची सेक्स कहानी लेकर आपकी समक्ष हाजिर हूं.

आपको मेरी पिछली कहानी भोला भाई और चुदक्कड़ बहन

याद होगी जिसमें मैं बहुत चुदक्कड़ किस्म की रंडी जैसी हो गई थी और चुदाई का चस्का लग जाने के कारण एक बार पापा ने मुझे बहुत मारा था तथा मेरा घर से बाहर निकलना बंद करवा दिया था. तब मैंने अपनी चूत की आग बुझाने के लिए अपने भोले भाई से ही अपनी चूत की खुजली मिटवाना शुरू कर दी थी. साथ ही अपनी छोटी बहन के साथ भी खेल शुरू करने की कोशिश करने लगी थी.

अब आगे..

एक दिन मेरी छोटी बहन वर्षा मुझ से बोली- दीदी, तुम्हारी ये हरकतें अच्छी नहीं हैं. तुम्हें शोभा नहीं देता. मुझे सोते वक्त किस करना, मेरे चूचों को दबाना और मेरी चूत पर हाथ फेरना.. और थूक लगा कर मेरी गांड में उंगली घुसेड़ना और हमारे भोले भैया को फुसला कर उससे चुदवाना.. ये सेक्स नहीं है, विकृति है. अबकी बार दीदी आपने ऐसा किया तो मैं पापा को सब बता दूंगी.

मैं तो ये सुन कर डर गई. खंडहर स्कूल वाली घटना हुई, तब से पापा ने मुझ से कभी बात तक नहीं की. मैं डर कर बोली- वर्षा, अब तक जो मैंने किया वो अब नहीं होगा. तुम को कभी मेरी तरफ से शिकायत नहीं मिलेगी. मैं कभी ऐसा दुबारा नहीं करूँगी. अब तक जो हुआ भूल जाओ और मुझे दिल से माफ़ कर दो. मैं सुधर जाऊँगी.

मुझे खुद से ग्लानि होने लगी. मैंने अपनी अन्तर्वासना बुझाने के लिए गलत किया. अब मैंने एक निश्चय किया कि मैं कभी सेक्स के बारे में नहीं सोचूँगी. मैंने ब्रह्मचर्य का नियम ले लिया.. और एक दिन एक हफ्ता एक महीना मैंने मन में सेक्स विचार को आने भी नहीं दिया.. मैं सुधर सी गई.

पर फिर कुछ ऐसी घटना घटी कि उसने सब नियम आदि को तोड़ दिया.

हमारा घर बहुत पुराना हो चुका था. छत के कभी कभी पोपड़े भी गिरते थे.

एक दिन हम सब खाना खा रहे थे. पापा बोले- मैं सोच रहा हूं कि नया घर बना लूँ. हमारे पास बजट भी है. मम्मी बोलीं- हम भी यही चाहते हैं वर्षा भी ‘हां..’ बोली. पापा मुझे देखने लगे, मैं कुछ नहीं बोली. बस नजरें झुकाए खाना खाती रही. पापा बोले- हमारी प्यारी बेटी माया कुछ बोल नहीं रही.. क्या हुआ माया हम नया मकान बनाएं? मुझे काफी अच्छा फील हुआ, खुद पर गर्व भी हुआ. मैं बोली- हां पापा नया घर बनाओ. पापा बोले- पहले हमें ये घर खाली करना पड़ेगा.. फिर ये घर तुड़वा कर नया बनाना पड़ेगा. तब तक रहेंगे कहां. तब तक मैं यहाँ मोहल्ले में ही कोई घर किराये पर ढूंढता हूँ.

हम सब खुश थे. पापा भी मुझे बात बात पर पूछते, इससे मुझे भी अच्छा लगता. सब पहले की तरह मुझ पे भरोसा करने लगे थे. अब हमारे घर में सिर्फ ख़ुशी थी. मैंने खुद को बदला इसलिए मैं भी खुश थी.

पापा ने रेंट पर घर ढूंढ लिया, जो हमारी पिछली गली में था. हम वहां शिफ्ट हो गए. फिर पापा ने मकान तुड़वाने का और बनवाने का काम एक कांट्रेक्टर को दे दिया, जो हमारे पैतृक गांव का था.. और हरिजन था.

पापा मुझसे बोले- माया बेटी, रोज हमारे घर पर जो काम करने मजदूर आएंगे, तुम उन्हें 2 टाइम चाय दे आना. मैं बोली- हां पापा, ठीक है.

दूसरे दिन मैं और मम्मी चाय देने वहां गए. उधर 5 लड़के काम कर रहे थे. एक लड़का कांट्रेक्टर का बेटा था. उसका नाम किशोर था वो 24 साल का रहा होगा. व हैंडसम था. वो मुझे लाइन मारने लगा. मैंने उसको ज्यादा भाव नहीं दिया. वो मम्मी को जानता था और मम्मी को आंटी कह कर बुलाता था.

एक दिन हमको अपने पैतृक गांव जाना था. मेरे चाचा की बेटी रश्मि की शादी थी मेरी चाची तो एक साल पहले ही गुजर गई थीं, इसलिये पापा को चाचा ने बोला था कि एक हफ्ता पहले माया और भाभी जी को घर पर काम के लिए भेज दो.

पापा ने कहा- माया, तुम और तेरी मम्मी गांव चली जाओ. इससे तुम्हारे चाचा को शादी में मदद हो जाएगी. वर्षा के एग्जाम हैं.. नहीं तो वो भी चलती. तुम दोनों जाओ, मैं ट्रेन की टिकट बुक कराता हूं, तुम तैयार रहना.

पापा ने शाम को मम्मी को फोन किया कि ट्रेन में रिजर्वेशन नहीं मिली, तुमको बस से ही जाना पड़ेगा. मम्मी ने कहा- माया, 6 घन्टे का सफर है, जल्दी चलो बस स्टैंड.. पापा ने स्टैंड पर जाने का कहा है कि बस मिल जाएगी.

अभी 6:30 बजे थे.. तभी वहाँ बस स्टैंड पर वही किशोर दिखा, उसकी पीठ पर पिट्ठू बैग था. वो मुझे देख कर पास आया मैंने मुंह फेर लिया.

वो मम्मी से बोला- आंटी जी आप कहां जा रही हैं? “हम गांव जा रहे हैं बेटा, तुम कहां जा रहे हो?” तो उसने कहा- मैं भी गांव जा रहा हूँ.

वो मम्मी से बात करने लगा. तभी बस आई, हमसे पहले कई लोग चढ़ गए बस पूरी पैक हो गई. हम भी चढ़े, पर जगह नहीं मिली. मम्मी आगे थीं, पीछे मैं थी और मेरे पीछे किशोर था. शायद उसने चालाकी की, वो मेरे पीछे आ गया.

मैंने कंडक्टर से कहा- हमें कब सीट मिलेगी? वो बोला- आपका स्टेशन दूर है इनके स्टेशन ज्यादा दूर के नहीं हैं. आप धीरज रखिये जल्दी ही सीट मिल जाएगी.

फिर बस 7:00 पर रवाना हुई, थोड़ी देर बाद मैंने पीछे से महसूस किया कि किशोर एकदम से मेरे से टच होते हुए खड़ा था. मैंने उसकी तरफ देखा, वो कहीं और देख रहा था. मैंने सोचा कि बस में होता ही ऐसा है. उसमें उसकी गलती नहीं है. मैं थोड़ी आगे को खिसक गई.. थोड़ी देर बाद बस ने ब्रेक मारी तो उसने मेरी गांड पर अपना लंड टच करा दिया. बस में और पैसेंजर भी चढ़ने लगे. भीड़ और बढ़ गई.. मैं बीच में फंस गई.

फिर मुझे उसके लंड का अहसास हुआ. उसका लंड खड़ा होने लगा. मेरी गांड के छेद के सेन्टर पर मेरी सलवार के नीचे दबाव बनाने लगा.. पर मैं क्या कर सकती थी.

तभी बस ड्राइवर ने ब्रेक मारे तो किशोर ने अपने लंड को पूरी ताकत से ऐसा झटका दिया कि मेरी चीख निकलते निकलते रह गई. उसके सख्त लंड का टोपा मेरी गांड में मेरी पेंटी सहित घुस ही गया होता, जो मैं आगे को ना खिसकी होती. फिर भी इस तगड़े झटके से मेरी थोड़ी सी पेंटी मेरी गांड की दरार के अन्दर चली गई.

मैंने चारों तरफ देखा, सब अपनी धुन में थे. मैंने किशोर की तरफ गुस्से से देखा तो उसने अपने कान पकड़े और सॉरी जैसा मुँह बनाया.

मैं हल्ला नहीं करना चाहती थी, मैंने सोचा जाने दो..

कुछ पल बाद फिर ख़राब सी सड़क आई और बस झटके देते हुए चलने लगी. उसका लंड फिर से मेरी गांड में झटके देने लगा. अब तो वो झुक कर मेरी चूत को लंड से टच कराने लगा.. साथ ही वो मेरी चूत पर धीमे से लंड को घिसने लगा.

अब जब जब बस झटका देती तो वो मेरी गर्दन पर किस करता. मैं भी कब तक खुद को रोक पाती, ये सब मुझे भी बहुत अच्छा लगने लगा. मेरी चूत में झरना झरने लगा, मेरा नियंत्रण खुद पर से जाने लगा.

फिर अचानक मुझे ख्याल आया कि मैंने ब्रह्मचर्य का नियम लिया है, मैं कैसे फिर से कैसे ऐसा कर सकती हूँ. ये याद आते ही मैं थोड़ी आगे खिसक गई और मैं फिर से गुस्से से उसकी तरफ देखने लगी. वो मुझे कान में बोला- अब की बार नहीं होगा. तुम्हें बुरा लगा हो तो मुझे माफ़ करना.

वो मेरे पीछे से बहुत दूर को खिसक गया. फिर 20 मिनट बीते, वो मेरे पास नहीं आया. मैं सोचने लगी डेढ़ महीने से मेरी चूत में पानी की बूंद तक टपकने नहीं दी थी, लंड तो दूर की बात है. मेरी चूत एकदम सूखी और कोरी सी हो गई थी.. पर ये क्या भगवान क्यों मेरी चूत को लंड छूने दिया.. चूत गीली हो गई. अब बर्दाश्त नहीं होता. मेरी चूत अन्दर तक कोयले की तरह जलने लगी है, अब तो हे भगवान माफ़ करना. ब्रह्मचर्य की ऐसी की तैसी, अब तो लंड लेकर ही रहूंगी. चाहे कुछ भी हो जाए.

मैंने पीछे मुड़ कर किशोर की तरफ नजर मिला कर देखा, तो उसने नजर नीची कर दी और मुँह फेर लिया. मुझे तो उसकी इस अदा पर उस पर प्यार आ गया. मैं सोचने लगी कि साले ने पहले तो मेरी गांड में पेंटी तक लंड की टोपी घुसा दी, चूत पर लंड रगड़ रहा था और अब कैसा भोला बन रहा है.. अब तो मैं तुझे मेरा आशिक बना कर ही रहूंगी मेरे कामदेव..

मैं थोड़ी पीछे खिसकी और अपनी गांड उसके लंड पर टच करा दी. उसका लंड खड़ा होने लगा, वो मुझे प्यार से देखने लगा. मैंने चारों तरफ देखा सब लोग अपनी धुन में खड़े थे. उसने मेरी मम्मी की तरफ देखा. वो आधे घन्टे से खड़ी रह कर थक चुकी थीं.. तो टिक कर आँखें मूंद कर सीट से टिकी थीं.

फिर मैंने अपनी गांड को उसके लंड पर दबाया तो उसकी “आह..” निकल गई. मुझे और मजा आने लगा. मैं थोड़ी आगे खिसक कर अपना हाथ पीछे किया और उसका लंड पकड़ लिया. उसका लंड 6 इंच का होगा. मैंने उसकी जिप खोली.. वो बस मुझे देख रहा था. मैंने उसका लंड पेंट से निकाल कर छोड़ दिया. इसके बाद मैंने अपने पैर थोड़े फैलाये और फिर से पीछे खिसक गई. अब मैंने उसका लंड मेरी दोनों टांगों के बीच फंसा लिया. इसके बाद अपनी सलवार में हाथ डाला और चूत से पेंटी साइड में को खिसका दी और आगे से थोड़ा झुक कर लंड को चूत में हाथ से दबा कर धीमे से आगे पीछे गांड हिलाने लगी. उसका लंड सलवार सहित मेरी चूत में दो इंच तक चला गया, पर पूरा नहीं जा सकता था. तो मैं फिर से आगे को खिसकी और अपने पर्स में से नेल कटर निकाल कर उसके चाकू से सलवार में हाथ डाल कर सलवार को उतना फाड़ दिया, जितने से लंड अन्दर चला जाए.

वो ये सब आँखें फाड़ कर देख रहा था. अब मैं फिर से पीछे को खिसकी, उसका लंड पकड़ कर मेरी फटी सलवार में डाल कर थोड़ा सा झुक कर मेरी चूत में रगड़ा. चूत चिपचिपी थी, सो लंड भी चिपचिपा हो गया. फिर मैंने अपनी चूत पर टोपे को उंगली से दबाने लगी. उसका आधा लंड चला गया. फिर मैं अपनी गांड हिलाने लगी.. तो उसका पूरा लंड मेरी चूत में चला गया. उसे भी मजा आने लगा, अब वो भी अब अपनी कमर हिला कर मुझे चोदने लगा.

करीब 10 मिनट बाद उसका वीर्य निकल गया. उसका लंड भी ढीला हो गया, मैं भी एक बार झड़ चुकी थी. अब तक बस में डेढ़ घन्टा हो चुके. तभी बस रुकी, आधी बस खाली हो गई.

कंडक्टर बोला- बस यहाँ आधा पौना घन्टा बस रुकेगी, जिसे डिनर करना हो या बाहर जाना हो, वो जा सकता है.

मैं मम्मी से बोली- मम्मी, तुम आराम करो, मैं तुम्हारे लिये कुछ खाने को लाती हूँ. मम्मी को जो सीट मिली थी, वो उस पर बैठ गईं और बोलीं- ठीक है बेटी ले आ.. पानी भी ले आना.

मैं नीचे उतरी और किशोर को इशारे से नीचे बुला कर कहा- जल्दी सेफ जगह ढूंढो. मैं पानी भर कर अभी आई. थोड़ी देर बाद वो आया और बोला- वहां टॉयलेट में चलो.

वो आगे गया, मैं पीछे से चली गई. ये टॉयलेट काफी बड़ा था, समझो एक छोटे कमरे जितना था. टॉयलेट के साथ में एक और खुला कमरा सा था जहाँ पुराना फरनीचर और कुछ आलू की बोरियां पड़ी थी. वो मुझे पकड़ कर उसी कमरे मेले गया और चूमने लगा और मेरे स्तन मसलने लगा. मैं एकदम गर्म हो गई थी और ‘अह्ह्ह आह्ह..’ करने लगी थी.

वो बोला- तुम तो कोई अप्सरा हो, मेरे लिए ऊपर से भेजी गई हो. पर ये समझ में नहीं आया कि घर पर तो मेरी तरफ देखती नहीं थीं और आज कपड़े फाड़ कर चुदवा रही हो? मैं बोली- जब लड़की की चूत को कोई भी चिपचिपा बना दे तो वो उस बंदे से वो चुद कर ही रहेगी, चाहे कोई भी हो.. और तुम हो ही ऐसे कामदेव के अवतार कि कोई लड़की पटाना तुमसे सीखे. उसने मुझे चूमते हुए कहा- सच में.. मैंने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा- जब तूने मेरी गांड में जो धक्का मारा था उस वक्त मैं चीखते चीखते बची थी, तुमने गांड में पेंटी तक लंड घुसा दिया था, ऐसा भी भला कोई करता है क्या.. मेरी गांड अभी भी दर्द कर रही है. उसने कहा- ओहो.. मेरी प्यारी सी परी को कहां दर्द हो रहा है? मैंने मेरी सलवार खोल कर नीचे कर दी, पेंटी नीचे कर दी और उल्टी होकर मेरी गांड दिखाने लगी- यहाँ पर.. वो मेरी गांड को देख कर बोला- क्या गांड पाई है तुमने.. क्या फिगर पाया है.

वो मेरे चूतड़ों को दबाने लगा, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. फिर वो झुक कर मेरी गांड के छेद के ऊपर जीभ फेरने लगा और कहा- बेबी, यहाँ पर दर्द हो रहा है.

उसकी नर्म जीभ का स्पर्श पाकर मेरी तो सांसें तेज हो गईं और मेरे मुँह से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ निकल रहा था.

वो अपनी जीभ धीमे धीमे घुसाने और निकालने लगा. अब तो वो मेरी गांड में पूरी जीभ डाल रहा था. मुझे स्वर्ग सा अहसास होने लगा. कसम से मैंने अब से पहले कभी गांड नहीं मराई.. पर मुझे लगा कि ये गांड भी मराने के लिए ही बनी है.

मेरी गांड को उसने थूक से चिपचिपा कर दिया और अपना लंड निकाल कर बोला- इसको प्यार नहीं करोगी? मैंने झुक कर लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी. उसका लंड एकदम टाईट हो गया. मुझे और चूसना था, पर हमारे पास टाईम नहीं था. उसने मुझे उल्टा किया और कहा- माया, मैं तेरी गांड मारना चाहता हूं. मैंने कहा- सच में.. मैंने कभी गांड मराई नहीं.. मैं तुमको मना नहीं कर रही हूं, पर आराम से मारना. वो बोला- एक बार मरवा कर तो देख.. फिर तू खुद ही कहेगी कि पहले गांड मारो.

उसने मेरी गांड पर अपने लंड का टोपा सैट किया और धक्का दे मारा. उसका लंड फिसल गया. उसने मेरी गांड को थूक से भर दिया और मुझसे बोला- बेबी गांड थोड़ी ढीली करो और अपने हाथों से इसे फैला लो.. तो आराम से अन्दर चला जाएगा.

उसने जैसा कहा, वैसा मैं करती गई. उसने लंड का टोपा मेरी गांड पर फिर से सैट किया और जोर से धक्का दे मारा. उसका लंड मेरी गांड में दो इंच तक चला गया. मेरी तो आँखें बाहर निकल आईं. मुझे लगा उसने गरम गरम लोहे का रॉड डाल दिया हो. मैं जोर से चिल्लाई- उईइ उईइ उई माँ मार दिया तूने..

मैं उसको अपने हाथों से धक्का मार कर मेरी गांड पर हाथ फेरने लगी. मेरे आंसू बहने लगे, मैं रोने लगी. मेरे पैर काँपने लगे.. मैं उसको गालियां देने लगी. उसने कहा- माया बेबी नाराज ना हो, पहली बार ऐसा होता है.. कसम से, मैं अब आराम से करूँगा. तुम खुद अपनी गांड में लो.. धीरे से लेना, तुम को मजा आयेगा.

वो अपना लंड निकाल कर उधर फर्श एक बोरी बिछा कर लेट गया. मुझे भी दर्द कम हुआ सा लगा तो मैंने अपनी गांड में उंगली डाल कर देखा. मेरी उंगली आराम से चली गई, फिर मैंने दो उंगलियां डाल कर देखीं तो दोनों आराम से चली गईं. उसके लंड ने मेरी गांड के छोटे छेद को बड़ा कर दिया था.

वो बोला- बेबी हिम्मत रखो, लंड पर बैठ जाओ.. अब कुछ नहीं होगा.. तुम्हारी गांड का छेद बड़ा हो गया है.

मैंने हिम्मत की. उसने फिर से अपने लंड पर थूक लगाया, मेरी गांड पर भी लगाया. अब मैं उसके लंड पर धीरे से बैठने लगी. अबकी बार उसका लंड आराम से तीन इंच चला गया.

फिर मैं बोली- अब इसके आगे मेरी गांड में नहीं जाएगा. उसने कहा- साँस अन्दर लो और वजन अपनी गांड पर दो, पैरों पर वजन कम करो.

मैंने पैर उठाए, वजन कम किया तो उसका लंड पूरे का पूरा मेरी गांड में घुस गया. मुझे हल्का दर्द हुआ, मैंने आँखें बंद कर लीं और किशोर पर गांड उठा कर लद गई. अब मैं दर्द से काँपने सी लगी थी.

उसने मुझे बांहों में भर लिया और बोला- ये हुई ना बात.. थोड़ी देर तक उसने मुझे पकड़े रखा. “अब धीरे से अपनी गांड हिलाओ.” अब मुझे दर्द ना के बराबर था सो मैं गांड हिलाने लगी. मुझे दर्द मीठा मीठा लगने लगा.

कुछ ही देर में मैं थक गई थी सो मैं बोली- अब तुम करो. मैं फर्श पर उल्टी हो गई. उसने मुझे उठने को कहा, आलू से भारी एक बोरी को उसने बीच में सरकाया और मुझे उसके ऊपर चूत रख कर उलटी लेटने को कहा. मैंने वैसे ही किया, मेरी गांड ऊपर को उभर आई, उसने मेरी गांड को थूक से भरा और अपना लंड डाल दिया. लंड आराम से मेरी गांड में जड़ तक चला गया.

मेरे मुँह से अपने आप “आह्ह्ह आह्ह ओयह्ह् ओयह्ह् हम्म्म और डालो फाड़ दो..” निकलने लगा. उसने अपना एक हाथ आगे लाकर एक उंगली मेरी चूत में घुसेड़ दी. वो भी लगातार देर तक मेरी गांड मारता रहा और चूत को उंगली से चोदता रहा. मुझे तो स्वर्ग मिल गया था. मैं उल्टी पड़ी रही, वो मेरी गांड चोदता रहा.

मेरी चूत एक बार अपने आप झड़ गई. फिर उसका लंड मेरी गांड में गरमागरम वीर्य की पिचकारी मारने लगा. कमाल की बात थी कि मेरी गांड को गरम माल से ठंडक मिली.

किशोर अब उठ गया मुझसे बोला- जल्दी करो.. बस चली जाएगी. मैं उठी तो मेरी गांड पर मैंने हाथ फेरा, वो एकदम चिकनी और खुली सी लगी.

मैंने उस लड़के किशोर का मोबाइल नंबर लिया और कहा- अब तो हमारी दोस्ती खूब जमेगी. हमारे घर पर काम करते समय मैं तुमसे चाय के बहाने मिलने आऊँगी.

मैंने उसको बांहों में भर लिया, उसके होंठों पर एक चुम्मा लिया, फिर हम बस की ओर चल पड़े.

मुझे तो बहुत अच्छा लगा गांड मरा कर.. जन्नत का अहसास है गांड चुदाई

इसके बाद तीन दिन तक मेरी गांड में मीठा मीठा दर्द होता रहा. जब मैं बैठती, उठती.. तब मुझे काफी मजा आता रहा. गांड खुलवा कर मुझे चूत से ज्यादा मजा आया और प्रेग्नेंसी का डर भी नहीं था. आज मुझे समझ आ गया था कि लंड की कोई जात पात नहीं होती, बस वो लंड खड़ा होना चाहिए.

आपकी माया [email protected]