भानजी और बेटी की चूत गांड की चुदाई

कहानी का पहला भाग : साली की कमसिन बेटी मेरे हत्थे चढ़ गई

कहानी का पिछला भाग : सगी भानजी की कोरी गांड मारी

अभी तक आपने पढ़ा कि मैंने अपनी सगी बहन की बेटी यानि भानजी की चूत मारी, अपनी बेटी की चूत को चोदा, फिर अपनी बेटी के सामने भांजी की गांड मारी. अब आगे:

मेरी बेटी रेखा अभी भी यकीन नहीं कर पा रही थी कि पिंकी अपनी गांड में एक ही बार में इतना मोटा लंड ले चुकी है.

पिंकी की गांड में अब भी दर्द था. वह सोने चली गई. अब मैं और मेरी कमसिन बेटी अकेले थे. मेरी बेटी रेखा पिंकी की गांड चुदाई देखकर पूरी गर्म हो चुकी थी.

“उफ़ जानू… मेरी प्यारी बेटी..” यह कहते हुए मैंने रेखा को एकदम से उठा कर अपनी गोद में बिठा लिया. मेरा लंड रेखा के रानों के बीच में से बाहर को निकल कर उसके पेट से टच कर रहा था. मेरे लंड के मुँह से चिकना चिकना लेसदार पानी निकाल कर रेखा के पेट पर लग रहा था.

मैंने अपनी बेटी को अपने से लिपटा कर उसके मुँह पर, नाजुक होंठों पर प्यार करना शुरू किया. उसकी दोनों छातियाँ को मैंने अपने हाथों मे पकड़ कर मसलनी शुरू कर दिया. मैं- बेटी, आज मैं तुझे शीशे के सामने चोदना चाहता हूँ. रेखा ने कंधे उचका कर कहा- ओके डैड.. आपका जैसे दिल करे वैसे मुझे चोदो..

हम दोनों उठकर शीशे के सामने आ गए. मेरे कमरे में एक बहुत बड़ा शीशा लगा हुआ था जहाँ मेरी बीबी मेकअप किया करती थी.

जैसे ही मैं अपनी बेटी को शीशे के सामने लाया, वह शर्मा गई.. क्योंकि वह पूरी तरह से नंगी थी.. वो भी अपने सगे पापा के साथ, उसे और शर्म आने लगी. मैंने उसकी मॉम को खूब चोदा था तब जाकर मेरी बेटी पैदा हुई थी और आज मैं उसे चोदने वाला था. जब मैंने शीशे में अपनी नंगी कामुक बेटी को देखा तो वह झेंप गई और अपनी चूत और दूध को छुपाने लगी. मैं उसके दूध सहलाते हुए बोला- नहीं बेटी.. अपनी चूत को मत छिपाओ.. यही तो तुम्हारी असली खूबसूरती है.

सामने शीशे में रेखा की छोटी सी चूत साफ़ साफ़ दिख रही थी. पिछली रात में ही मैंने उसकी कुँवारी चूत को मस्त तरीके से चोदा कर खोल दिया था. रेखा की चूत एकदम गुलाबी गुलाबी थी, जो सामने शीशे में बंद खुल होते हुए दिख रही थी. मैंने अपनी बेटी को पीछे से पकड़ कर अपनी बांहों में भर रखा था.. और उसकी चुचियों को मसल रहा था. हम दोनों शीशे के सामने बड़ी देर तक खामोशी से एक दूसरे को चूम चाट रहे थे.

अब मुझे रेखा की चूत हर हालत में दुबारा से चोदनी थी क्योंकि मेरा लंड अब अपनी औकात पर आ गया था और रेखा की गांड की दरार में घुसा जा रहा था.

मैंने शीशे के सामने ही अपने दोनों हाथ उसकी चिकनी, पतली दुबली और छरहरी कमर में डाल दिए और झुककर उसके बाएं गाल पर किस कर लिया.. वह झेंप गई क्योंकि शीशे में उसे उसका बाप चूमते हुए उसकी चूत में आग लगा रहा था. मैं- बेटी… तुम शीशे में नंगी कितनी अच्छी लगती हो. तुम सच में कितनी मस्त माल लग रही हो. कोई भी तुम्हारे यौवन पर मर मिटेगा. मैं उसकी जवानी की प्रंशसा करते हुए शीशे के सामने ही उसकी चूत में उंगली करने लगा और उसकी नारंगी समान चूचियां चूसने सहलाने लगा.

रेखा ने मेरे लंड को टच करते हुए कहा- डैड.. आप सिर्फ मेरी तारीफ़ कर रहे हो. पर आप भी एकदम अनिल कपूर जितने हॉट और सेक्सी लग रहे हो. मैंने कहा- और तुम सोनम कपूर सी लग रही हो. वो मुस्कुरा दी. मैं उसके गाल पर किस करने लगा. बड़ी देर तक हम दोनों शीशे के सामने खड़े रहे और एक दूसरे के नंगे जिस्म को देखते और चूसते रहे.

फिर रेखा कुछ इस तरह बैठकर मेरा लंड चूसने लगी कि उसे शीशे में लंड चुसाई का सीन साफ़ साफ़ दिखे. वो शीशे में देखकर मेरा लंड चूसते हुए मुस्कुरा रही थी.

फिर मैंने शीशे के सामने ही रेखा को एक मेज से सहारा देकर खड़ा कर दिया और अपना घुटने के बल नीचे बैठ गया. अब मैं उसकी रसीली बुर में जीभ घुसेड़ कर चूत पीने लगा. रेखा मेरे बालों में अपनी उंगलियाँ घुमा रही थी. उसके मुँह से मादक सिस्कारियां निकल रही थीं- उंह उंह उंह हूँ.. हूँ.. हूँ.. हम्म.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… अहह्ह्.. अई.. अई.. डैड चूस लो.. वो तड़प रही थी.. ओह्ह.. कितना मधुर था ये मिलन..

मेरी लम्बी जीभ मजे से उसकी साफ चिकनी चूत को चाट, सहला और पी रही थी. मुझे फुल मजा मिल रहा था. रेखा यौन उत्तेजना कामुकता से पागल हुई जा रही थी. अब मैंने उसकी एक टांग ऊपर को उठा दी. अब तो मुझे उसकी बुर चाटने का और अच्छा मौक़ा मिल गया था.

उफफ्फ्फ्फ़… वह तड़प रही थी, काँप रही थी.. उसे झुरझुरी हो रही थी. मैं तो किसी चुदासे कुत्ते की तरह उसकी बुर चाट रहा था.

फिर मैंने अपनी बेटी रेखा को अपने आगे कर दिया और खुद उसके पीछे खड़ा हो गया. मैंने उसे थोड़ा आगे को झुका दिया और उसकी चूत में अपना मोटा लंड डाल कर उसे चोदने लगा.

उफ्फ्फ्फ़.. ये पहली बार था, जब मैं शीशे के सामने खड़े होकर अपनी सगी बेटी को पेल रहा था. मैंने रेखा को और थोड़ा आगे झुका दिया और पकापक पेलने लगा. वह शीशे के ठीक सामने खड़ी थी, मैं पीछे से उसे कुतिया की तरह चोद रहा था. ये बहुत रोमांटिक और जुनूनी सीन था. मेरा लंड तेज तेज उसकी रसीली चूत की चुदाई कर रहा था. उसके दोनों चूचे तेज तेज हिल रहे थे.

हम बाप बेटी शीशे के सामने खड़े होकर चुदाई का मजा ले रहे थे. वह “उ उ उ उ ऊऊऊ.. ऊँऊँ..ऊँ अहह्ह्ह्हह सी सी सी सी.. हा हा हा.. ओ हो हो…” करके चुद रही थी. मैं अब पूरे जोर से अपनी बेटी की कमसिन चूत चोद रहा था. मेरा लंड उसकी चूत में बहुत टाइट जा रहा था.

मैंने रेखा को टेबल पर बैठा दिया और अपने गले में हाथ डालने को कहा. उसने फट से वो मुद्रा बना ली, फिर मैंने अपने लंड को रेखा की कमसिन चूत में घुसा दिया. लंड को उसकी चूत में घुसेड़ने के बाद मैंने उसे अपनी गोद में भर लिया. मैंने उसे इस तरह उठाया था कि उसकी दोनों टांगों ने मेरी कमर को जकड़ लिया. मैंने खुद अपने दोनों हाथों से उसके नंगे मुलायम चूतड़ नीचे से पकड़ते हुए उसे साध लिया. अब मैं बेड से उतर कर उसे गोद में लेकर फर्श पर खड़ा हो गया. मेरा लंड उसी तरह से मेरी बेटी की चूत में फँसा हुआ था.

मैं इसी तरह अपनी बेटी को गोद में उठाए हुए ड्रेसिंग रूम के फुल साइज़ मिरर के सामने ले गया- जानू, देखो मिरर में.. कैसे लग रहे हैं हम दोनों बाप बेटी? रेखा मिरर में देख कर बुरी तरह शर्मा गई. ये खजुराहो की एक मैथुन मुद्रा थी. रेखा ने मेरे गले से लगते हुए मेरे कान में सरगोशी की- आह.. पापा… आप बड़े वो हैं…

मैं मिरर के सामने इस तरह खड़ा था कि मेरी बैक साइड मिरर की तरफ थी. मैंने एक बार फिर अपनी नेक घुमा कर मिरर की तरफ देखा. हम दोनों बाप बेटी बिल्कुल नंगे लंड चूत फंसाए खड़े थे. रेखा मेरी गोद में किसी बंदरिया की तरह लिपटी हुई थी. मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी गांड को थामा हुआ था. मेरी उंगलियाँ रेखा की गांड के गोश्त के अन्दर घुसती हुई दिखाई दे रही थीं. उसकी गांड का सुराख पूरी तरह से खुला हुआ था और उसके नीचे मेरा मोटा सख़्त लंड मेरी बेटी की चूत में जड़ तक फँसा हुआ था. चूत के छेद ने मेरे लंड को रबरबैंड की तरह ग्रिप किया हुआ था.

रेखा- कैसी बुरी लग रही हूँ मैं पापा…. मैं- नहीं जानू, तुम बहुत हसीन लग रही हो. बिल्कुल उतनी हसीन जितनी एक लड़की मज़े ले कर चुदवाते हुए लगती है. इतना हसीन जिस्म है मेरी बेटी का.. बिल्कुल सोनम कपूर की तरह.. देखो मिरर में कैसे मैंने अपनी बेटी की मोटी ताज़ी गांड को पकड़ा हुआ है… और मेरा लंड अपनी जानू बेटी की टाइट चूत मैं कैसा मस्त लग रहा है. मैंने यह कहते हुए उसकी गांड को ऊपर उठाया, यहाँ तक कि मेरा लंड खिंचता हुआ टोपी तक बाहर आ गया.

मैं- आह बहुत टाइट चूत है मेरी बेटी की.. उफ्फ मज़ा आ गया जानू.. इस तरह तो 3 या 4 धक्कों में ही मेरा वीर्य निकल जाएगा. यह कहते हुए मैंने उसकी गांड को नीचे करते हुए अपने लंड को उसकी चूत में पुश किया.. फिर बाहर निकाला, फिर किया और फिर बगैर रुके तेज़ी से अपने लंड को अपनी बेटी की चूत में अन्दर बाहर करता रहा. कुछ ही धक्कों में मैं पूरी तरह जोश और मस्ती में आ गया था. उसके गले से अजीब अजीब आवाजें निकल रही थीं. मेरी अपनी हालत खराब हो चुकी थी. मेरे मुँह से गुर्राने की सी आवाज़ निकल रही थी.

मैं- चोद रहा हूँ अपनी जानू को…. लंड जा रहा तेरी चूत में जानू… चुद मेरे लंड से मेरी बच्ची.. चुद अपने पापा के लौड़े से.. आह.. मज़ा आ रहा है.. टाइट चूत है मेरी बेटी की.. आह.. ले.. रेखा- आह.. पापा चोदो अपनी बेटी को.. चोदो मुझे… फाड़ दो मेरी चूत को.. उफ़ मर गई पापा… बहुत सख़्त लंड है आपका.. उफ़ आपका लंड मेरे पेट में चला गया.. आह.. पापा फट गई मेरी चूत.. चोद दो.. अह.. चोदो.. उफ्फ चुद गई मैं.. ओ मम्मी.. ओह मम्मी.. पापा ने चोद दिया मुझे.. पापा ज़ोर से चोदो.. और ज़ोर से चोदो.. तेज धक्के लगाओ ज़ोर ज़ोर से… अह.. मज़ा आ रहा है…

अब मेरा जिस्म अकड़ना शुरू हो रहा था. मुझे अपना दिमाग़ घूमता हुआ महसूस हो रहा था. मेरे लंड के सारे छल्ले अकड़ने लगे थे.. और उसकी चूत के अन्दर मेरा लंड फूलने और पिचकने लगा था. मैं- उफ्फ जानू मेरा वीर्य निकल रहा है तेरी चूत में..

इसके साथ ही मेरा जिस्म बुरी तरह उसे गोद में लिये झटके मारने लगा. मैंने उसकी गांड को पूरा नीचे खींच कर अपने लंड के साथ जमा दिया और नीचे से अपने लंड को पूरी तरह उसकी चूत में कॉर्क जैसा फँसा दिया.

मेरे गर्म गर्म वीर्य की पिचकारियां मुझे उसकी चूत की गहराइयों में जाती हुई साफ महसूस हो रही थीं. इसके साथ ही मैं झड़ रहा था और तभी उसकी चूत ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया था.

रेखा बुरी तरह मुझे चूमने चाटने लगी. मेरे मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं. मेरा पूरा जिस्म शिद्दत-ए-जज़्बात से काँप रहा था. मैंने प्यार करते करते उसे बेड पर लिटा दिया और खुद अपना लंड हाथ में लेकर उसके मुँह के ऊपर चढ़ गया. मैं लंड की टोपी को अपनी बेटी के होंठों से लगाते हुए बोला- रेखा मेरी गुड़िया मेरी प्यारी सी बेटी.. अपने पापा का लंड चूसो मुँह में लेकर.. इसे पूरा साफ कर दो. उसने मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया और साफ कर दिया.

इसके बाद हम दोनों आराम करने लगे. पिंकी अभी सोई हुई थी.

कुछ देर बाद मेरी बेटी रेखा बोली- चलो पापा, खाना खा लेते हैं. मैं बोला- ठीक है लेकिन हम लोग ऐसे ही नंगे रह कर खाना खाएंगे और तू मेरी गोद में बैठकर खाना खाएगी. तुझे खाने के साथ मेरी आइसक्रीम भी खानी पड़ेगी.. मंजूर है! मेरी बेटी बोली- ठीक है पापा आज आप जो कहोगे, वह मैं करूँगी.

फिर हम दोनों ने मिल कर टेबल पर खाना सजाया. मैंने अलग से फ्रिज से आइसक्रीम भी निकाल कर सजा दी. इसके बाद मेरी बेटी नंगी मेरी गोद में बैठ गई और हम लोग खाना खाने लगे. मैंने आइसक्रीम को मैंने उसकी चूचियों पर लगा दिया और चूचियों को चूसने लगा. मेरी बेटी भी बहुत गर्म हो गई थी.

मैंने कुछ आइसक्रीम अपने लंड पर भी लगा दी और अपनी बेटी को चूसने का इशारा किया. मेरी बेटी रेखा आइसक्रीम के साथ साथ मेरे लंड को भी चूस रही थी. फिर कभी कभी आइसक्रीम मैं उसके होंठों पर भी लगा देता था और हम दोनों फ्रेंच किस करने लगते. मैं आइसक्रीम के साथ साथ उसके चेहरे को भी चूस और चाट रहा था.

इस तरह हम लोग काफी देर तक खाना खाते रहे. कभी वह मेरे लंड पर आइसक्रीम लगाती और मेरा लंड चूसने और चाटने लगती, कभी मैं उसकी चूत पर दही डाल देता और चाटने लगता. इस तरह से खाने में कितना मजा आ रहा था, आप लोग सोच सकते हैं.

अब मैं उसकी चूत में उंगली डालने लगा. वह पूरी तरह से गर्म हो गई थी. मेरा भी लंड पूरा खड़ा हो गया था. मैंने कहा- तुम मेरे लंड पर अपनी चूत चौड़ी करके बैठ जाओ. उसके बाद हम लोग खाना खाते हैं. वो अपनी चूत में मेरा लंड लेकर मेरी गोद में बैठ गई. उसकी चूत में मेरा लंड अन्दर तक घुस गया. अब हम लोग खाना खाने लगे. रेखा बोली- बहुत दर्द कर रहा है पापा. लेकिन मैं उसके चेहरे को चूसते हुए नीचे से धीरे-धीरे उसकी चूत में लंड की ठोकर मारता रहा. हम लोगों ने खाना खा लिया था.

कुछ देर बाद मैंने उसे टेबल के सहारे झुका दिया और उसकी चूत चोदने लगा. कुछ ही देर में वो झड़ गई. मैं जोर-जोर से उसकी चूत में अपना लंड पेलता रहा. कुछ देर बाद मेरा माल निकलने वाला था तो मैंने अपना माल आइसक्रीम में गिरा दिया और अपनी बेटी को बोला कि वह मेरा पूरा माल आइसक्रीम के साथ चाट जाए. मेरी बेटी भी गर्म थी, वो आइसक्रीम के साथ मेरा लंड भी चाट रही थी.

एक ही दिन में मैंने उसे पूरा रंडी बना दिया था. इस वक्त मेरी बेटी एक रंडी कुतिया की तरह मेरे लंड के रस को आइसक्रीम के साथ चाट रही थी, जिसे देख कर मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा था. मैंने आइसक्रीम को उसके शरीर पर लगाना शुरू कर दिया और फिर उसके पूरे शरीर को चूसने लगा. कभी मैं उसकी चूचियों को चूसता, कभी गांड में उंगली डालता.

मैं अपनी बेटी से बोला- चलो अब थोड़ा आराम कर लेते हैं.. तब तक पिंकी भी उठ जाएगी, फिर एक साथ मज़ा करेंगे. फिर हम लोग नंगे ही सो गए.

करीब 2 घंटे बाद मेरी नींद खुली तो मैंने पिंकी को बाथरूम जाते देखा. मैं भी उसके साथ बाथरूम में चला गया. पिंकी शरमाते हुए बोली- मामा जी, आप बाहर जाइए ना मुझे टॉयलेट करना है. मैं बोला- कोई बात नहीं, मुझे तुमको टॉयलेट करते हुए देखना है. आज तक मैंने किसी लड़की को टॉयलेट करते हुए नहीं देखा है. सुबह सुबह मेरा लंड भी खड़ा हो गया है, तुम टॉयलेट करो. पिंकी- लंड खड़ा हो गया है तो क्या आप मुझे अभी ही चोदने की सोच रहे हैं? “देखेंगे डार्लिंग..”

यह कहकर मैं उसके सामने बैठ गया और उसकी छोटी सी बुर से निकलती हुई पेशाब की धार को देखने लगा.

अभी वो मूत ही रही थी कि तभी मैंने उसकी चूत को अपनी उंगलियों से बंद कर दिया. पिंकी बोली- मामा जी छोड़िए ना.. मुझे जोर से पेशाब लगी है.

फिर मैंने पिंकी को उठाकर शीट के सहारे घोड़ी बना दिया और उसकी चूत में लंड पेलकर बोला, अब जोर से पेशाब करो.

वो पेशाब करने लगी, मेरे लंड में जब गरम पानी का आभास हुआ तो बहुत मज़ा आया.

पेशाब धीरे धीरे नीचे बह रहा था. फिर मैं तेजी से अपना लंड पिंकी की चूत में पेलने लगा. वह कामुकता से सिसकारने लगी. मैंने पिंकी की गांड पे थूक दिया और उंगली से उसकी गांड सहलाने लगा. कुछ ही देर में उसकी गांड का छेद मुलायम हो गया. अब मैंने पेशाब से गीले लंड को चूत से निकालकर पिंकी की गांड के होल में घुसा दिया. वो “आअह्ह.. मामाजी..” करते हुए चिल्लाने लगी. मैं तेजी से पिंकी की गांड मारने लगा.

काफी देर तक मैं पिंकी की चूत में उंगली और गांड में लंड पेलता रहा. पिंकी दो बार झड़ गई.. लेकिन मैं उसको पेलता रहा.

फिर मैंने पिंकी की गांड में ही अपना वीर्य भर दिया. कुछ देर बाद पिंकी लैट्रिन करने लगी, मैं अपने लंड को उसके मुँह के पास ले गया और बोला- मेरे लंड को चूसो.

यह कह कर मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए. मेरा लंड फिर धीरे धीरे टाइट होने लगा. मैं अपने लंड को पिंकी के गालों से सटाने लगा. पिंकी मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी. मेरा लंड चूसते हुए वो लेट्रिन कर रही थी. मुझे बहुत मजा आ रहा था.

फिर मैं बोला- मुझे तुम्हारे बदन पर पेशाब करना है. पिंकी- छी: कितने गंदे हो आप! मैं- प्लीज जानू मेरा बहुत मन है कि किसी लड़की के पूरे बदन को अपनी पेशाब से नहला दूँ और उसको अपना पेशाब पिलाऊँ.

बहुत मनाने पर पिंकी राजी हो गई. मैं उसके पूरे बदन पर पेशाब करने लगा. फिर मैंने उसको मुँह खोलने को कहा. उसने अपनी आँखें बंद करके मुँह खोल दिया. मैंने अपनी कमसिन भांजी के मुँह में पेशाब की धार को छोड़ दिया.. जिसे उसने थोड़ा सा पीने के बाद थूक दिया.

फिर मैं पिंकी के साथ बाथरूम में ही नहाने लगा. मैं उसके पूरे शरीर पर साबुन लगा रहा था. वह भी मेरे शरीर पर साबुन लगा रही थी. हम दोनों एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे. कुछ देर बाद जब पानी से वह पूरा भीग चुकी, तब मैंने उसकी छोटी छोटी चुचियों को चूसना चालू कर दिया. बीच बीच में मैं उसके निप्पलों को अपने दांतों से दबा कर काटने लगा. वह मादक आवाजें निकाल रही थी. कुछ पल बाद वो बैठकर मेरे लंड को चूसने लगी.

इस तरह से हम लोग नहा कर नंगे ही बाथरूम से बाहर आ गए.

अब मैं बहुत थक गया था. सो हम दोनों लोग सो गए. शाम को मैं मेडिकल स्टोर से वियाग्रा की गोली ले आया. रात को पिंकी और रेखा ने मिलकर खाना बनाया और हम लोगों ने नंगे ही मस्ती करते हुए खाना खाया.

फिर मैंने वो गोली खा ली क्योंकि मुझे आज रात भर चुदाई करनी थी.

रात को दोनों मेरे बेड पर मेरे दोनों तरफ लेट गईं और दोनों मेरे लंड को चूसने लगीं. मैंने पिंकी से तेल मँगाया और अपने लंड पर लगाने को बोला. आज मुझे अपनी बेटी की कुँवारी गांड मारनी थी, इसका मैंने पिंकी से वादा किया था. पिंकी ने मेरे लंड और रेखा की कुँवारी गांड में बहुत तेल लगाया. मैंने अपनी बेटी रेखा की कुंवारी गांड मारी.

रात भर मैं दोनों की चूत गांड और मुँह चोदता रहा. कभी पिंकी को चोदता तो कभी रेखा को. एक बार तो दोनों को कुतिया बनाकर दोनों की गांड में लंड को बारी बारी से पेल कर गांड चुदाई की. मेरा लंड कभी भांजी की गांड में जाता तो कभी अपनी सगी बेटी की गांड में घुसता. रात भर मैंने दोनों को जी भर के चोदा.

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