मेरी माँ की चुदाई दर्जी ने की

मैं रोहन शर्मा भोपाल का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 24 साल है इस कहानी की नायिका मेरी माँ सुनीता शर्मा उम्र 42 साल है। माँ की लंबाई 5 फीट 4 इंच होगी रंग गोरा ओर शरीर की बनावट ऐसी की मेरी गली के छोटे से लेकर बूढ़े तक माँ को गिद्ध की तरह भूखी नज़रों से देखते हैं। माँ अक्सर साड़ी या सूट ही पहनती है साड़ी को नाभि के 2 इंच नीचे बांध कर जब निकलती है तो गाली के सभी लंड सलामी देते हैं। माँ का फिगर 38-32-42 के करीब होगा, अब बिल्कुल सही तो नहीं बता सकता, माँ है मेरी, कभी नापा नहीं है उसका फिगर।

माँ की छाती भारी है और वो थोड़े गहरे गले के ब्लाउज पहनती है जिनसे उसके मम्मे उनके ब्लाउज़ और सूट के गले से बाहर झांकते रहते हैं। खास तौर पर वो जो ब्लाउज़ पहनती है न, वो पीछे से बैकलेस होते हैं, जैसे बस थोड़ा कपड़ा या पीछे पीठ पर सिर्फ एक धागा होता है, गोरी खुली हुई मांसल पीठ और पीठ के बीच में बनती गहरी खाई। नाभि के नीचे तक गोरा मखमली पेट और चलते वक़्त उस पेट का थरथराना, वो मांस का हिलना तो बस बाहर वालों का तो क्या हमारे घर के सभी लंडों को खड़ा कर देता है।

मेरे पापा बाहर जॉब करते हैं जिसके कारण मेरी माँ की चुदाई बहुत कम होती है, ऐसा मुझे लगता है. मेरे परिवार के सभी चाचा, ताऊजी, दादा जी सभी माँ को जैसे हवस भरी नज़रों से देखते हैं; और देखें भी क्यों न… जब घर में इतना जबरदस्त कसा हुआ माल हो जिसका जिस्म गदराया हुआ हो। एक ऐसी मदमस्त औरत जो दिखने में ही इतनी छिनाल लगती थी; मानो कितने लंड निगल जाएगी। मेरी माँ मेकअप बहुत करती है घुंघराले काले बाल, आंखों में काजल, पलकों पर लाइनर होठों पर मैक की लाल गाढ़ी लिपस्टिक, हर वक़्त किसी हीरोइन की तरह बन संवर के रहती है। इतना ही नहीं, गहरा ब्लाउज़ नाभि से नीचे बांधी साड़ी ओर हील्स की बजह से उभरी हुई मोटी मस्त गांड जो ऐसे मटकती है कि मेरा खुद का लंड भी खड़ा हो जाता है जो बाहर वाले तो हिला हिला के कितनी बार अपने मन में मेरी माँ को अपनी रखैल बना कर चोद चुके होंगे।

एक दिन मेरी माँ और उनकी सहेली ममता शुक्ला, सीमा ओर रीमा आँटी हमारे घर आई हुई थी और चारों की किटी पार्टी और बातें चल रही थी। मैं घर में ही था, और इनकी बातें मैं चुपके से सुन रहा था। ममता आँटी बोली मेरी माँ से- और सुनीता तेरी जवानी कैसी कट रही है? तो मेरी माँ बोली- उंगली के सहारे! ओर सभी जोर जोर से हंसने लगी.

तभी सीमा आँटी बोली- यार सभी का यही हाल है, 35 के बाद सभी के पति बूढा जाते हैं और हम औरतों की सारी जवानी इस उम्र के बाद रंग देती है जिसे चखने के लिए कोई इन्सान या जानवर ही नहीं है। रीमा आँटी बोली- जरूरी है घर का जानवर ही चखे? जंगल में भूखे भेड़ियों की कमी नहीं है, बस इशारा करो, नोच नोच के खाएंगे! और सभी एक दूसरे की ओर शरारत से देख कर हंसने लगी और बाहर के मर्दों की बातें करने लगी जैसे; यार वो ठाकुर भी साहिब की क्या परसनेलिटी है, उनकी बीवी तो हाथ जोड़ती होगी. काश हम में से किसी का पति भी ऐसा ही जानदार होता तो सब मिल बंट के खाती! और फिर हंसने लगी.

तभी ममता आँटी बोली- यार तुम में से कोई मेरे दर्जी से कभी ब्लाउज़ या सूट सिलवाने गयी हैं? तो सब बोली- नहीं, क्यों? तो आँटी बोली- साला बहुत ठर्की है नाप लेने के बहाने चूचे दबाता है। रीमा आँटी बोली- अहह काश मेरे कोई दबा जाए।

ओर सब फिर से हंसने लगी और मेरी माँ ने शायद इस बात को अपने मन में बैठा लिया तो उनके जाने के बाद दूसरे दिन मेरी माँ बोली- रोहन बेटा, आज मुझे वो ममता आँटी का जो दर्ज़ी है वहाँ ले चल, मुझे एक नया ब्लाउज़ सिलवाना है। मैने कहा- चलो!

माँ तैयार होने लगी और जब बाहर निकली तो मै देखता ही रह गया कि ये ब्लाउज़ सिलवाने जा रही है या सुहागरात मनाने जा रही है। माँ ने ब्लैक साड़ी एकदम ओपन ब्लाउज़ जो कि सिर्फ नाम के लिए था जिसमें से उसके आधे चूचे बाहर आने को उतावले हो रहे थे पीछे से भी बैकलेस; गोरी, नंगी, दमकती पीठ; आगे भी नाभि का हिस्सा पूरा खुला हुआ और नाभि की गहराई इतनी कि लंड चला जाये; नीचे हील्स जिससे उसकी गांड सूमो पहलवान सी हिल रही थी। माँ मटक कर चलती हुई आई और मेरे साथ कार में बैठ गयी। मैंने कार स्टार्ट की उसे लेकर दर्ज़ी की दुकान पर पहुंचा।

दर्ज़ी का नाम रहमत था जो दिखने में लगभग 6 फ़ीट लंबा और तगड़ा किसी कसाई से दिख रहा था, उसने पठानी ड्रेस पहनी हुई थी। बड़ी बड़ी दाढ़ी, काला रंग… मेरी माँ को देखते ही रहमत की आंखों में मानो चमक आ गयी. माँ ने रहमत को बोला- नमस्ते भाई साहिब। रहमत बोला- आओ मोहतरमा, खुशामदीद, कहिए मैं आपकी क्या खिदमत कर सकता हूँ?

मैं भी वही खड़ा था, माँ बोली- आपकी कारीगरी की बड़ी तारीफ सुनी है, तो मैंने सोचा इस बार मैं अपनी नई साड़ी के लिए आपसे अपने ब्लाउज़ सिलवा कर देखूँ। मेरी माँ के चूचों को घूरते हुए रहमत बोला- जहे नसीब, आपने जो इस खाकसार को इस काबिल समझा, आप हुकुम करें कैसा डिजाइन पसंद करेंगी आप? मैंने देखा उसके पाजामे में हिलता उसका हथियार सनसना रहा था और शायद ये बात मेरी माँ भी ताड़ चुकी थी पर वो तो आयी ही इसीलिए थी, ब्लाउज़ तो बस एक बहाना था, उसे अपनी जवानी के रसदार फल को किसी तगड़े मर्द से निचोड़वाना था और शायद रहमत की कद काठी को देख कर मेरी माँ समझ चुकी थी कि अगर हुई तो आज उसकी चुदाई बहुत तसल्ली से होने वाली है.

मैंने देखा माँ ने अपना पल्लू सेट करते हुये हल्का सा सरका दिया था जिससे रहमत अच्छे से उसके चूचो को देख कर अपनी निगाहों से उनका रसपान कर सके। शायद ये कोई इशारा था, जो माँ ने रहमत को किया, पल्लू सेट करते हुये उसे अपने चूचे दिखा कर और रहमत भी समझ गया, रहमत ने भी अपने हाथ उसके लंड को सहला कर जैसे माँ को इशारे में जवाब दे रहा था।

उसकी हवस भारी नज़रें मेरी माँ के मदमस्त रसीले बदन पर थी और माँ बेशर्म होकर अपने बेटे के सामने अपनी मखमली जवानी का प्रदर्शन कर रही थी एक गैर मर्द के सामने!

तभी माँ बोली- मुझे ममता ने भेजा है और मुझे वैसा ही ब्लाउज़ सिलवाना है जैसा तुमने उसका सिला है। तो रहमत मुस्कुरा कर बोला- अच्छा आप ममता की फ्रेंड हो तो फिर तो अंदर आ जाओ, अंदर ट्राई रूम में मैं आपको कुछ नए डिजाइन भी दिखा दूँगा और आपका नाप भी ले लेता हूं अच्छे से! और माँ अंदर जाने लगी.

तो जैसे ही मैं माँ के साथ जाने के लिए आगे बढ़ा तो रहमत बोला- बेटा आप बाहर ही इंतज़ार करो, वहाँ सिर्फ लेडीज़ ही जाती हैं। मैं चुप करके बाहर ही खड़ा रह गया। माँ भी बोली- रोहन तुम यहीं रुको. और वो दोनों अंदर चले गए।

मैं भी समझ गया आज माँ की जम के चुदाई होने वाली है। मैंने सोचा कि क्यों न माँ की चुदाई का लाइव शो देख जाये। तो मैं उस ड्रेसिंग रूम के अंदर देखने की जगह ढूंढने लगा। मुझे एक छोटी सी खिड़की दिखी जिससे अंदर का साफ साफ दिख रहा था, मैं उस खिड़की के पास खड़ा हो कर अंदर देखने लगा।

माँ खड़ी थी ओर रहमत इंची टेप लेकर उनके पास आया- हां जी मैडम, तो कैसा ब्लाउज़ सिलवाना चाहेंगी आप? माँ ने कहा- आप कुछ डिजाइन दिखाओ? तो रहमत ने माँ को एक एल्बम दी जिसमें बहुत से डिजाइन थे, मुझे तो नहीं दिखे पर माँ ने एक डिजाइन पसंद करके रहमत को दिखाया। रहमत बोला- बिल्कुल बनेगा मैडम, आप बस अपना नाप मुझे ले लेने दो।

रहमत ने पहले माँ के एक कंधे से दूसरे कंधे तक का नाप लिया और अपनी डायरी में लिख लिया। फिर उसने माँ की बाजू ऊपर उठा कर बगल से पेट के ऊपर तक का नाप लिया, फिर पीठ का नाप लिया। जब पीठ का नाप ले रहा था तो माँ बोली- मैं हमेशा बैकलेस ही पहनती हूँ, तो पेट पे कम से कम कपड़ा लगाना, हो सके तो सिर्फ कोई सुनहरी डोरी या ऐसा कुछ ही लगाना। रहमत ने किसी बहुत ही आज्ञाकार बच्चे की तरह हाँ में सर हिलाया, मगर उसकी आँखों में वासना फूट रही थी।

फिर उसने सामने आकर इंची टेप से पहले माँ के एक चूचे का और फिर दूसरे चूचे का नाप लिया। “मैडम जी” रहमत बोला- अगर पीछे से बैकलेस रखना है तो सामने पैड लगाने पड़ेंगे, क्योंकि बैकलेस में ब्रा तो आप पहन नहीं सकती।

बेशक माँ को भी ये बात पता थी, पर माँ उसकी बात सुन कर मुस्कुरा दी, बोली- हाँ, बैकलेस में ब्रा तो पहनी नहीं जाती, आप मेरे इस ब्लाउज़ में ही ब्रा बना देना। तभी रहमत बोला- मैडम जी, अगर अंदरूनी ब्रा बनानी है तो प्लीज़ पल्लू को हटा दो, इसके साथ साइज सही नहीं आ रहा। तो माँ ने बिना कुछ बोले पल्लू हटा दिया.

माँ का पल्लू हटते ही रहमत की आंखें बड़ी हो गई, वो माँ के चुचों को घूरने लगा और माँ का चेहरा गुलाबी पड़ने लगा, पता नहीं शर्म से या माँ की बढ़ रही कामुकता से। माँ के 75% चुचे खुल चुके थे.

रहमत ने माँ को पलट दिया, उनकी पीठ को देखते ही रहमत का लंड खड़ा हो गया और वो अपने लंड को मसलने लगा. माँ ये नहीं देख पा रही थी, उसका मुँह दूसरी ओर था रहमत का लंड करीब 8 इंच का होगा. ऐसा ऊपर से किसी मूसल सा दिख रहा था. रहमत बोला- मैडम, आपको फिटिंग कैसी चाहिए टाइट या लूज़? तो मम्मी बोली- टाइट… ऐसा लगे जैसे बॉडी पे पेंट किया हुआ हो। तो रहमत बोला- फिर आपको अपना ब्लाउज़ उतारना होगा.

तो मम्मी ऊपर मन से थोड़ा सा गुस्सा दिखती हुई बोली- पागल हो? नहीं ऐसे ही लो! तो रहमत बोला- बुरा मन मानिए मैडम, दरअसल ब्रा वाला ब्लाउज़ सिलने के लिए आपके बदन के इन हिस्सों का मुझे बिल्कुल सही नाप चाहिए, तभी आपको सही फिटिंग आएगी। ममता मैडम ने भी उतारा था, तभी उसकी फिटिंग हुई, आप चाहो तो फोन करके ममता मैडम से पूछ लो। माँ बोली- नहीं, कोई ज़रूरत नहीं पूछने की, वैसे भी कहते हैं अपने टेलर, वकील और डॉक्टर से कुछ नहीं छिपाते, उतार देती हूँ पर तुम किसी को बोलना मत!

और माँ ने अपने ब्लाउज़ की डोरी खोली और उतार दिया। अब क्योंकि माँ पहले ही बैकलेस ब्लाउज़ पहन कर आई थी, तो नीचे से ब्रा तो पहना ही नहीं था, सो ब्लाउज़ उतरते ही माँ टॉपलेस हो गई और माँ के गोरे गोल मम्मे आज़ाद हो गए जिन्हें देख कर रहमत बोला- माशाअल्लाह क्या जिस्म है… काश आप हमारे होते! और चुप हो गया.

तो मम्मी बोली- तो क्या करते? वो बोला- कुछ नहीं! मम्मी बोली- बता दो? तो रहमत मेरी माँ के मखमली चुचों को अपनी मजबूत हथेलियों में भरते हुए बोला- इन्हें निचोड़ कर इनका सारा रस पी जाता!

रहमत के मजबूत हाथों में मेरी माँ के चुचे आते ही माँ की सिसकारी निकल गयी- अहह महः क्या कर रहे हो? तो रहमत बोला- जो करवाने तुम यहां आयी हो। मम्मी बोली- मतलब? तो रहमत बोला- अब ज्यादा बनो मत, तुम्हारी फ्रेंड ममता के जितने ब्लाउज़ सिले हैं उससे ज्यादा उसकी चुदाई की है। माँ बोली- हम्म… तो आज मेरी भी प्यास बुझा दो, बहुत प्यासी हूँ मेरे राजा!

और माँ ने अपनी बाहों को उसके गले में डाल दिया तो रहमत ने झट से माँ के गुलाबी रसीले होंठ अपने होंटों में ले लिए और माँ भी उसके मोटे काले होठों को चूसने लगी। रहमत किसी अफ्रीकन बैल से कम नहीं लग रहा था. रहमत ने माँ को दीवार से उल्टा करके टिका दिया और उसकी नंगी पीठ को चाटते हुए माँ के कलमी आम जैसे मोटे मम्मों को आगे हाथ डाल कर दबाने लगा।

माँ के कोमल नाजुक जिस्म पर अपनी जीभ चलाने के साथ साथ वो अपने दांत गड़ाने लगा जिससे मेरी माँ की आहें पूरे कमरे में गूंजने लगी. माँ बोल रही थी- आराम से करो, बाहर बैठा मेरा बेटा सुन लेगा. रहमत बोला- कोई बात नहीं, उससे भी उसकी चुदक्कड़ रांड माँ को चुदवा दूंगा।

मेरा तो सुनते ही खड़ा हो गया, मैं अपना लंड निकाल कर हिलाने लगा. अब रहमत मेरी माँ की साड़ी पकड़ कर उसे उतार रहा था ऐसा लग रहा था जैसे मेरी माँ अपना चीर हरण खुद करा रही हो और सही भी था; माँ आई ही इस लिए थी।

साड़ी खोल कर उसने माँ का पेटीकोट भी उतार दिया, अब मेरी आँखों में सामने मेरी माँ सिर्फ पेंटी में खड़ी थी वो भी किसी गैर मर्द का लंड लेने के लिए रहमत ने मेरी कमसिन नाजुक माँ को टेबल पर बिठा दिया और उसके बाल पकड़ कर माँ के होठों को चूसने लगा, उसके होठों को चबा रहा था और उसका एक हाथ मेरी माँ की पेंटी में था जो उसकी गर्म चूत को कुरेद रहा था, उसे सहला रहा था.

माँ की आंखें बंद थी और अपने हाथ से रहमत के मोटे लंड को उसके पजामे के ऊपर से सहला रही थी। रहमत माँ के होठों को चूसता हुआ उसकी गर्दन को चाटता हुआ उसके चूचे को मुँह में लिए चूस चूस कर उसके निप्पल्स को दांतों से खींच रहा था और मेरी माँ मानो आनन्द की चरम सीमा पर थी उसकी आहें मुझे झड़ने पर मजबूर कर रही थी।

अचानक रहमत ने माँ की पेंटी भी खींच कर उतार दी और माँ को घुटनों पर बिठा कर खुद झटपट अपने सारे कपड़े उतार कर खुद को पूरा नंगा कर दिया. रहमत का लंड देख हम माँ बेटे दोनों दंग रह गए; इतना मोटा और बड़ा लंड सिर्फ अफ्रीकियों का सुना था. रहमत ने माँ के बाल पकड़ कर लंड को माँ के मुँह के अंदर डाल दिया. लंड इतना बड़ा था कि माँ के मुँह से सिर्फ ‘गूँ… गूँ…’ की आवाज़ आ रही थी और रहमत तो जैसे पागल हो चुका था, वो लंड से माँ का मुँह ही चोदने लगा हुआ था।

माँ के मुँह से उसका थूक बह कर बाहर उसके गले तक चू रहा था। कुछ देर मुखमैथुन के बाद रहमत ने अपना लंड निकाल कर माँ के हाथ में दे दिया और माँ को लिटा कर उसकी चूत चाटने लगा। चूत से पानी आ रहा था जिसे रहमत कुत्ते की तरह चप्प चप्प की आवाज़ कर के चाट रहा था, माँ फड़फड़ा रही थी, तड़प रही थी, कभी कभी तो अपने हाथों से रहमत के सर बाल भी खींच देती। मगर रहमत जैसे जंगली सांड को थोड़े बहुत बाल खींचने से कोई फर्क नहीं पड़ता था। शायद माँ उसे चूत चाटने से रोकना चाहती थी, बार बार कह रही थी- बस करो रहमत, बस करो, मैं मर जाऊँगी, बस कर कुत्ते! मगर रहमत उसकी चूत चाटने से न हटा, तभी माँ बहुत तड़पी, अपने पैर पटके, कमर भी उछाली, रहमत के सर के बाल खींच दिया और फिर उसने अपना गरम लावा रहमत के मुँह में ही छोड़ दिया जिसे रहमत पी गया.

अब माँ से रहा नहीं जा रहा था, वो रहमत को गाली देते हुए बोली- रुक क्यों गया हरामी, आजा ऊपर आ, अब चोद न मुझे! पर रहमत माँ को तड़पाना और चाहता था, उसने लंड को चूत पर रखा और रगड़ने लगा जिससे माँ बेचैन होने लगी. तभी अचानक रहमत ने एक ही झटके में माँ की चूत में पूरा लंड पेल दिया, लंड अंदर जाते ही दर्द के मारे माँ का मुँह खुला का खुला रह गया. जैसे ही मुँह खुला मेरी नज़र पड़ी अंदर एक ओर आदमी साइड से दूसरा दरवाजा खोल कर अंदर आ गया, बिल्कुल नंगा, तना हुआ लंड। उम्र में 55 के आस पास होगा, बड़ी दाढ़ी वाला… उसने अपना लंड लाकर माँ के मुँह बंद होने से पहले अंदर डाल दिया.

लंड मुँह में जाते ही माँ घबरा गई और उठने की कोशिश करने लगी तो रहमत बोला- ये करीम चाचा हैं, इनको भी तुम्हारी चुदाई का मजा लेना है। मैं रोमांचित हो उठा कि आज मेरी मां दो लंडों से चुदेगी.

फिर शुरू हुआ असली खेल… रहमत मेरी मां की चुत चोद रहा था और रहीम चाचा मेरी मां का मुंह चोद रहे थे। माँ भी एक ही मिनट में इस बात के लिए मान गई कि चलो कोई बात नहीं। चुदवाना तो है ही, जहां एक लंड, वह दूसरा भी सही।

ऐसे ही दोनों ने मिल कर मेरी चुदासी मम्मी की जम कर चुदाई की. इस तरह दो मर्दों ने बेटे के सामने उसकी माँ को चोदा. मेरी माँ की चुदाई की कहानी कैसी लगी, मुझे जरूर बतायें, मेरी ईमेल आईडी है [email protected]