गन्दी कहानी माल में मिली मस्त मैडम की चुदाई की

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नमस्कार दोस्तो, मेरा गन्दी कहानी एक जवान मैडम की चूत चुदाई की है जो मुझे एक मॉल की कार पार्किंग में मिली थी.

मेरा नाम एबी जैन है मैं रायपुर छत्तीसगढ़ के पास एक छोटे शहर से हूँ. अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज पर मेरी यह पहली गन्दी कहानी है, उम्मीद करता हूँ आपको मेरी कहानी पसंद आएगी.

ये कहानी ज्यादा पुरानी नहीं है. आज से तीन महीने पहले की ही बात है. मैं रायपुर के एक मॉल में ऐसे ही एक दोस्त के साथ यह सोच कर गया था कि कुछ कुछ खाना पीना हो जाए, सैर सपाटा हो जाएगा.

पर शायद मेरी किस्मत को उस दिन कुछ और मंजूर था. मेरे दोस्त को उसकी गर्लफ्रेंड का कॉल आ गया, शायद उसे कहीं जाना था तो उसने मेरे दोस्त को बुला लिया.

अब मैं अकेला मॉल में क्या करता, यह सोच कर नीचे पार्किंग में आकर ऐसे ही किसी की बाइक पर बैठ कर मोबाइल पर गेम खेलने लगा. मैंने देखा मेरे सामने को कार पार्क की हुई थी उसका पीछे का टायर पंक्चर था. मैंने सोचा कि मुझे इससे क्या करना है और वापस से गेम खेलने लग गया.

थोड़ी देर ही हुई होगी उसी पंक्चर कार में ड्राइविंग सीट पर एक मैडम बैठी दिखाई दीं. मैंने उनसे कहा- मैडम आपकी गाड़ी का पीछे का टायर पंक्चर है. कार का गलास चढ़ा हुआ था, उन्होंने मेरी आवाज को सुना नहीं तो मैं उनके पास गया और इशारे से उन्हें शीशा उतारने को कहा और बड़ी विनम्रता के साथ उनसे कहा- मैडम आपकी गाड़ी का पीछे का टायर पंक्चर है.

“शिट यार… सच में? मजाक तो नहीं कर रहे हो?? उन्होंने कहा. मैंने कहा- मैं क्यों भला मजाक करूँगा, आप खुद देख लीजिये. वो उतर कर आईं और पंक्चर टायर देख कर सर पकड़ लिया. “अरे यार, अब मैं घर कैसे जाऊँगी?” उन्होंने परेशान से स्वर में कहा. “उतनी भी चिंता की बात नहीं है मैडम, आपकी कार में स्टेपनी तो होगी ही ना?”

मेरा जवाब सुन कर मुझे उनमें थोड़ी राहत दिखी. “अरे लेकिन मुझे व्हील चेंज करनी नहीं आती यार..” उन्होंने कहा. मैंने कहा- आप डिक्की खोल दीजिये, मैं आपकी मदद कर देता हूँ. उन्होंने कहा- थैंक यू वैरी मच.. लेकिन आप क्यों परेशान होते हैं? “कोई बात नहीं, मैं खाली बैठा बोर ही हो रहा था तो आपकी हेल्प ही कर देता हूँ.”

उन्होंने एक बार और ‘थैंक यू…’ कहा और डिक्की खोल दी.

अब मैं अपने काम में लग गया, मैंने डिग्गी से स्टेपनी, जैक पाना वगैरा निकाले और जैक चढ़ाने में लग गया. मैंने कहा- मैडम, वो पाना पकड़ा दीजिये. उन्होंने कहा- मेरा नाम मैडम नहीं, रूचि है. (बदला हुआ नाम)

अब जब रूचि मुझे पाना पकड़ाने नीचे झुकीं तब मैंने उनके वक्ष के उभारों के दर्शन किए.. तब मेरा ध्यान रूचि जी के भूगोल पर भी गया.

रूचि जी एक तीस बत्तीस साल की आकर्षक महिला थीं, उन्होंने सफ़ेद रंग की गोल गले की टीशर्ट पहनी थी और नीचे ब्लू कलर की जीन्स, जो उन्हें और आकर्षक बना रही थी. उन्हें शादीशुदा होने का प्रमाण पत्र.. उनकी मांग में भरा हुआ हल्का सा सिंदूर दे रहा था.

नट खोलते खोलते मैंने खुद से बातों का विराम तोड़ा- मेरा नाम एबी है. रूचि जी ने कहा- आप तो मेरे लिए फ़रिश्ता बन कर आए एबी जी. मैंने हंस कर कहा- फ़रिश्ते टायर चेंज करते हैं क्या? उन्होंने भी हंसते हुए कहा- हा हा हा.. आप का सेन्स ऑफ़ ह्यूमर तो कमाल है.. क्या करते हैं आप?

मैंने फिल्मी स्टाइल में जवाब दिया- मैं एक बेरोजगार इंजीनियर हूँ, लोगों के टायर चेंज करता हूँ. वो फिर हंसने लगीं.

इस प्रकार हमारे बीच बातों का हल्का फुल्का दौर चला और मैंने बताया कि मैं क्यों मॉल आया और क्यों पार्किंग में टाइम पास कर रहा था. इस दरमियान मैंने टायर बदल दिया, बीच बीच में मैं उनके 34 साइज़ के दूध दर्शन कर ही रहा था.

जब मैं पुराने टायर को वापस रख रहा था, तब उन्होंने कहा- चलिए, मैं आपको छोड़ देती हूँ, आपके दोस्त को तो वक़्त लग जाएगा. मैंने कहा- अच्छा हुआ आपका टायर पंक्चर हो गया, मेरे ऑटो के पैसे बच गए. उन्होंने मुस्कुरा कर पूछा- कहाँ छोड़ दूँ आपको?

मैंने उस जगह का पता बताया तो उन्होंने कहा कि इसी रास्ते में उनका भी घर पड़ेगा तो उनके घर में चाय भी पी लूँ और थोड़ा हाथ मुँह भी धो लूँ जो स्टेपनी बदलने के चक्कर में गंदे हो गए थे. मेरी जींस भी थोड़ी गन्दी हो गई थी. मैंने कहा- चलो, अच्छी बात है, ऐसी सुन्दर महिला के घर जाने का मौका क्यों छोडूँ!

रास्ते में थोड़ा और बातचीत करते करते हम उनके घर पहुंच गये… उनका घर अच्छा खासा बंगला था. उन्होंने लॉक खोला तो मैं समझ गया कि रूचि जी आज घर पर अकेली हैं. फिर भी मैंने पूछा- इतने बड़े घर में दरवाज़ा खोलने वाला कोई नहीं क्या? “मेरे पति मेरे बेटे को लेकर दुर्ग गए हैं. वहां उनके एक दोस्त के यहाँ एक फंक्शन है, मुझे शॉपिंग करनी थी इसलिए मैं नहीं गई.” मैंने सोचा कि मौका तो अच्छा है, चौका लगा पाऊँगा या नहीं.

खैर उन्होंने मुझे बाथरूम की ओर इशारा करके उंगली दिखाते हुए कहा- एबी, उधर बाथरूम है.. आप हाथ मुँह धो लीजिये. मैंने बाथरूम में हाथ धोते समय अपनी शर्ट भिगा ली और भीगी शर्ट के साथ ही बाहर आ गया. रूचि जी ने कहा- अरे… आपकी शर्ट तो पूरी भीग गई, ये कैसे हो गया? मैंने कहा- वो वाश बेसिन का नल थोड़ा ज्यादा खुल गया था. “कोई बात नहीं.. लाइए मुझे दे दीजिये, मैं आयरन कर देती हूँ, फिर पहन लीजियेगा.”

थोड़ी ना नुकुर के बाद मैंने उन्हें अपनी शर्ट उतार कर दे दी. शर्ट के नीचे मैंने कुछ नहीं पहना था तो मेरा सीना नंगा हो गया था. इस तरह मैंने अपने कपड़े खोलने का जुगाड़ तो कर लिया था और अब सोच रहा था कि उनके कपड़े कैसे उतारे जाएं. यह ही सोचते सोचते मैंने दस मिनट लगा दिए और वो मेरी शर्ट सुखा कर ले आईं. उन्होंने कहा- आप दो मिनट बैठिये, मैं चाय लेकर आती हूँ. मैं बैठ कर सोचने लगा कि क्या किया जाए जिससे बात आगे बढ़े लेकिन मुझे कुछ तरकीब ही नहीं सूझी.

करीब पंद्रह मिनट बाद जब वो चाय लेकर आईं तो उन्होंने जीन्स टी शर्ट चेंज करके नाईट गाउन पहना हुआ था. मेरून कलर का गाउन उनकी खूबसूरती को चाँद लगा रहा था. मैं उनको देखते ही हक्का बक्का सा रह गया. ये बात उन्होंने भी नोट की.

रूचि जी जब मुझे चाय देने झुकी तो मैंने बड़ी बेशर्मी से उनके मम्मे ताड़े. अब वो चाय का अपना कप लेकर मेरे पास ही बैठ गईं. मैंने चाय पीते हुए उनसे कहा- इस गाउन में आप बहुत ज्यादा से.. मेरा मतलब खूबसूरत लग रही हैं. मैं सेक्सी कहने वाला था, वो समझ गईं और पलट कर बोलीं- सेक्सी भी बोलोगे तो भी मैं बुरा नहीं मानूंगी. और यह कह कर खड़े होकर अपने बाल अपने हाथों से उठा कर मस्त सा पोज़ बना कर मुझसे पूछा- बताओ हूँ न मैं सेक्सी!

मैं आक्रमण कैसे करूँ, यही सोच रहा था और यहाँ पार्टी खुद सरेंडर करने को राजी थी. मैंने मन में सोचा कि अब सामने से लाइन मिल रही है. मैंने कहा- रियली… आप तो इतनी सेक्सी हैं कि.. “कि..?” उन्होंने प्रश्नवाचक दृष्टि से मुझे देखा. “कि मुझसे कण्ट्रोल करना मुश्किल हो रहा है.” “तो क्यों कंट्रोल कर रहे हो एबी जी?” उन्होंने कहा.

अँधा क्या मांगे दो निप्पल..!

मैंने हरी झंडी समझ कर चाय टेबल पर रखी. रूचि जी को जोर से गले लगा लिया और उनके बालों में उंगलियों को फंसा कर उनके चेहरे को अपनी ओर खींच कर लम्बा सा चुम्बन होंठों पर धर दिया. यह पहला चुम्बन इतना लम्बा था कि मेरे होंठों ने उनके होंठों के हर हिस्से को इत्मीनान से महसूस किया. साथ ही मेरा लंड जो अब तक आधा सोया आधा जगा था.. पूरा तन गया. अब मेरे हाथ अपनी जगह पर पहुँच गए और रूचि जी के चूचों को दबाने लगे. उन्होंने दूध मसलवाते हुए कहा- लगता है तुम्हें ये बहुत पसंद हैं. “ये तो मेरी फेवरेट चीज है, आपको कैसे पता? मैंने कहा. “बहुत देर से इसी में लगे हो.. आप इनके पीछे आपकी गन्दी नज़रें आपकी शराफत में बट्टा लगा देती हैं.. मिस्टर एबी.” “क्या करूँ आप हैं ही इतनी सुन्दर प्रॉपर्टी की मालकिन.. रूचि जी.”

बस इतना बोलने के बाद मैंने वहीं उनका गाउन उतार दिया और फिर जो दोनों चुचियों को इतना प्यार किया कि बता नहीं सकता. एक हाथ से मैं एक चूची को दबा रहा था, मसला रहा था तो दूसरी चूची को मैंने अपने होंठों में लेकर चूस रहा था, निप्पल पर जीभ फिरा रहा था.

मेरी इन हरकतों से रुचि की कामुकता जानने लगी, वो बेचैन होने लगी, उसके मुख से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ जैसी आहें निकलने लगी. आखिर जब रूचि से रहा नहीं गया तो वो बोली- चलो, अब बाकी का काम बेडरूम में करते हैं.

उन्होंने ऐसा कह कर मेरा हाथ पकड़ा और अपने बेडरूम में ले गईं. मुझे बेड पर लिटाया, फिर प्यार से मेरे पैन्ट खोली, फिर चड्डी उतारी और मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगीं. मुझे लगा मैं जन्नत में हूँ और जब उन्होंने लंड को चूसने का काम चालू किया तो मुझे सारा माज़रा समझ में आ गया. इतनी देर से मैं खुद को शिकारी समझ रहा था, अब मुझे लगा कि शिकार तो मैं हूँ.

रूचि ने पहले तो मेरे लंड के सुपारे को जीभ से चाटा, होंठों से किस किया और फिर धीरे धीरे पूरा लंड मुंह में लिया. मेरे आनन्द का कोई पारावार ना रहा. मैं तो चूतड़ उछाल उछाल कर रूचि का मुख चोदन करने लगा.

खैर जो भी हो.. उन्होंने लंड चूस चूस कर मेरा माल निकाल दिया पूरा माल अंदर गटक लिया और चाट कर पूरा लंड साफ़ भी कर दिया. ये सब जरा जल्दी हो गया था, क्योंकि पहली बार में मैं जरा जल्दी में रहता हूँ.

कुछ देर के बाद जब दूसरी दफा उन्होंने मेरे शेर को तैयार किया तो मैं 69 में हो कर उनकी सफाचट झांट रहित गुलाबी चिकनी चूत को भी चाट कर उन्हें गरम करता रहा, जिससे उनको बड़ी सुखद अनुभूति हुई. लेकिन रूचि तो चुदने को बेचैन हो रही थी, उसे अपनी चूत में लंड चाहिए था तो वो मुझे अपने नंगे बदन पर खींचने लगी.

इसके बाद मैंने लंड को काम पर लगा दिया और उन्होंने अपनी कसी हुई चूत में मेरे लंड को ऐसे लील लिया, जैसे बहुत दिनों से लंड की भूखी हों.

करीब मिनट तक उनको उनके ऊपर चढ़ कर चोदता रहा. फिर अगली बार डॉगी स्टाइल में चोदा और उनको मेरे ऊपर बैठा कर काफी लम्बे समय तक चुदाई का आनन्द लिया.

फिर एक घंटे में मैंने रूचि की दो बार चुदाई की और फिर चुदाई से दोनों का मन भर गया तो हम बेडरूम से बहार निकल आये. कुछ देर हम ड्राइंग रूम में बैठ कर बात करते रहे, हमने अपने अपने नंबर एक्सचेंज किए और फिर थोड़ी सी चुम्मा-चाटी के बाद जब मैं जाने लगा, तो उन्होंने मुझे पांच हज़ार रूपये दिए और कहा कि अब तो मिलते रहेंगे जानेमन.

पैसों की मुझे जरूरत थी ही, तो मैंने ले लिए और रूचि मुझे घर छोड़ने के लिए आने लगी तो मैंने कहा- आप आराम कीजिए, मैं ऑटो लेकर चला जाऊँगा. इस प्रकार मैं अपने घर आ गया.

अब जब भी रूचि जी को मेरी जरूरत रहती है, वे मुझे वाट्सएप करती हैं, मैं उनके घर जाकर उनको जरूर खुश करता हूँ. इससे मेरा भी थोड़ा फायदा हो जाता है.

मेरी गंदी कहानी कैसी लगी दोस्तो, मुझे जरूर बताइएगा.. मेरा मेल है. [email protected] धन्यवाद दोस्तो!

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