बुआ की बेटी की चुदाई की सेक्स स्टोरी

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दोस्तो, मैं ये चुदाई की सेक्स स्टोरी आप लोगों के साथ इसलिए शेयर कर रहा हूँ क्योंकि मैं आज तक इससे बाहर नहीं आ पाया हूँ, मैं अभी भी इस खेल में लिप्त हूँ.

बात आज से 12 साल पहले की है, जब मैं जॉब के सिलसिले में अपने जीजाजी के पास जयपुर गया था. तब मैं कोई 23 साल का था. मेरी दीदी जो मेरी बुआ की बेटी हैं और मेरे से 6 साल बड़ी हैं, बहुत सुन्दर भी हैं. उनकी शादी को 5 साल हो चुके थे और उनकी एक बेटी भी थी. मेरी दीदी का नाम रेखा है.

मैं और दीदी बचपन से ही खूब मस्ती किया करते थे. जब मैं बुआ के घर जाता या जब वो मेरे घर आतीं, तो हम दोनों खूब धमाल मचाते थे. इसकी शुरूआत शायद तभी से हो गई थी. मैं जब जवानी की दहलीज पर कदम रख ही रहा था और वो पूरी मस्त जवान हो चुकी थीं. मुझे उनके साथ होना हमेशा से अच्छा लगता था. मैं रात को सोता भी उन्हीं के साथ था. सोते सोते वो मुझे अपने से लिपटा लेती थीं और मैं उनके बदन की गर्मी महसूस करता था. उनके चूचे काफ़ी मोटे और गोल थे और उनकी कमर तो मानो कयामत थी.

जब मैं उनसे चिपक कर सोता था तो मुझे उनके चूचे अपने सीने में बिल्कुल साफ साफ गड़ते हुए महसूस होते थे. दीदी का गोरा रंग, भरा हुआ शरीर और उनके बदन की वो मस्त खुशबू मेरे लिए बड़ी कामुक सी होती थी.

बात एक रात की है दीदी जब मेरे घर आई थीं. मैं और दीदी सो रहे थे. अचानक मैं रात को जगा तो देखा दीदी गहरी नींद में सो रही थीं और उनकी मैक्सी घुटनों से ऊपर आ गई थी. इतनी गोरी और भारी टांगें देख कर तो मैं देखता ही रह गया.

एकदम चिकनी और गोल जांघें.. मैंने उनकी टांगों पर हाथ फेरा तो वो जाग गईं और धीरे से बोलीं- क्या कर रहे हो? तो मैं बोला- दीदी आपके पैर खुल गए थे उन्हें देख रहा था, बहुत सुंदर हैं.

उन्होंने कुछ नहीं बोला और मैक्सी नीचे करके मुझे अपने से चिपका कर सो गईं. पर मेरे दिमाग़ में तो उनकी वो गोरी टांगें ही थीं.

फिर जब सुबह हुई तो पता चला कि पापा और मम्मी को गुरुजी के यहाँ जाना था. वो दोनों जब चले गए तो मैंने दीदी से पूछा- आपकी टांगें इतनी गोरी और चिकनी क्यों हैं और मेरी टांगों पर इतने बाल क्यों हैं? तो वो बोलीं- लड़कों और लड़कियों में यही फ़र्क होता है. लड़कियों के पूरे शरीर पर बाल नहीं होते. मैंने सवाल पूछा- पूरे शरीर पर? तो वो बोलीं- हां. फिर मैंने दीदी से कहा कि मुझे आपका पूरा शरीर देखना है. तो वो हंसने लगीं और बोलीं- ऐसी बातें नहीं करते. पर मैं कहाँ मानने वाला था. मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी और कहा कि मेरे तो पूरे शरीर पर बाल हैं. देखो ना सीने पर, बैक पर और हाथ पैरों पर भी बाल हैं.

वो हंसने लगीं, बोली- तेरे को शरम नहीं आती. तो मैंने कहा- नहीं.. काहे की शर्म? दीदी मेरे सीने को देखती रही और मुस्कुराती रहीं. फिर मैंने कहा- अब आपकी बारी. उन्होंने कहा कि ठीक है.. पहले गेट बंद करके आ जा.

मैंने झट से जाकर गेट बंद कर दिया और वापस आया तो देखा कि दीदी ने मैक्सी निकाल दी थी, वो सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थीं.

मैं तो उन्हें देखता ही रह गया. दीदी एकदम दूध जैसी गोरी थीं. उन्हें ऐसे देख कर मैं तो शरम के मारे इधर उधर देखने लगा, तो वो बोलीं- अब क्यों शर्मा रहा है, देख ले मुझे. मैंने कहा- नहीं.. आप कपड़े पहन लो.

इस पर वो बोलीं कि पानी गर्म हो गया है, मैं नहाने जा रही हूँ. मैंने कहा- ठीक है, आपके बाद मैं नहा लूँगा. तो इस पर वे बोलीं- चल दोनों साथ में नहाते हैं.

मैंने मना कर दिया.. पर अब वो नहीं मान रही थीं. मुझसे बोल कर जबान अपने साथ बाथरूम में ले गईं. बाथरूम में जाकर उन्होंने मुझ पर पानी डालना शुरू कर दिया, तो मैं भी कहाँ पीछे रहने वाला था, मैं भी शुरू हो गया.

दोस्तो, उस वक़्त तो ये सब एक खेल लग रहा था. लेकिन उस दिन दीदी की पीठ पर साबुन लगाने के बाद से, सब कुछ मानो बदल सा गया था.

जब रात को हम दोनों एक साथ सोये तो मुझे नींद नहीं आ रही थी, मैं बार बार करवट बदल रहा था. फिर पता नहीं क्या हुआ कि मैंने अपना हाथ दीदी के मम्मों पर रख दिया. बड़े कमाल के चूचे थे, एकदम गोल और टाइट.

उस दिन के बाद मेरे अन्दर औरत के शरीर को छूने की तमन्ना पैदा हो गई. मुझे दीदी को छूने से नशा सा हो गया था. उस पूरी रात को मैं सो नहीं पाया, बस दीदी को यहाँ वहाँ छूता रहा और मेरा लंड तन कर लोहे की रॉड जैसा हो चुका था और पानी सा छोड़ रहा था. अचानक दीदी ने करवट ली और उनका हाथ मेरे लंड पर आ गया, मेरी तो जान ही निकल गई, लगा कि जैसे जन्नत मिल गई.

तभी दीदी उठ कर बैठ गईं और बोलीं- तुझे क्या हुआ? मैंने कहा- पता नहीं दीदी, आज आपके साथ नहाने के बाद से ऐसा हो रहा है. अभी जब आपने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा, तो बहुत अच्छा लगा. प्लीज़ दुबारा करो ना. तो उन्होंने मुझे डांट दिया और कहा ये सब नहीं कहते. मैंने कहा कि दीदी मुझे आपको पूरी नंगी देखना है. दीदी बोलीं- नहीं ये ग़लत है, दोपहर को जो हुआ सो हुआ.

मैं चुप हो कर लेट गया, पर मेरा लंड शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा था, एकदम टाइट था.

दीदी करवट लेकर लेट गईं. उनकी पीठ मेरी तरफ थी, मैं उनसे चिपक गया तो मेरे लंड उनके शरीर से रगड़ने लगा. मुझे इसमें इतना अधिक मज़ा आ रहा था कि मैं एक मिनट में ही झड़ गया.

मैंने दीदी से कहा- मेरा निक्कर खराब हो गया है, मैं चेंज करके आता हूँ. वो बोलीं- तू रुक मैं लाती हूँ.

फिर मैंने दीदी के सामने ही निक्कर चेंज कर लिया. उसी वक्त दीदी ने देखा कि मेरा लंड अभी भी खड़ा था.

वो बोलीं- तू तो बहुत बड़ा हो गया है रे. अब मैं तेरे साथ नहीं सोऊंगी. मैं समझ तो गया था कि दीदी ऐसा क्यों बोल रही हैं, तो मैंने भी बोल दिया- ये सब आपके साथ नहाने की वजह से हुआ है.

हम फिर लेट गए. अब दीदी ने मुझे अपने से थोड़ा दूर करके लिटा लिया था.

मैंने कहा कि दीदी ऐसा क्यों? तो वो बोलीं- अब तुम मेरे पास नहीं लेटना. पर रज़ाई एक थी, तो हमें साथ ही लेटना था. फिर मैंने हिम्मत करके दीदी के कान में कहा कि दीदी आप बहुत सुंदर हो, मुझे आपसे प्यार हो गया है. इस पर दीदी बोलीं- पागल मत बन.. सो जा.

पर मुझे तो उनके बदन पर हाथ लगाने का नशा हो गया था, मैं फिर उनसे चिपक कर उनके मम्मों पर हाथ लगाने लगा. अब दीदी ने कुछ नहीं बोला तो मैंने उनका हाथ लेकर अपने लंड पर रख दिया और बोला- दीदी थोड़ा सहला दो ना, अभी भी टाइट है. उन्होंने मेरा लंड थोड़ा सा सहला दिया और मैं फिर से झड़ गया. तब जाकर मुझे नींद आई और हम दोनों चिपक कर सो गए.

अगले दिन दीदी को जाना था, मेरा दिल बहुत उदास था. जाते वक़्त दीदी ने मुझे अपने गले लगाया और कहा- मैं भी तुझसे बहुत प्यार करती हूँ. इतना कह कर वो चली गईं. अब मेरा दीदी के बिना जीना मुश्किल हो चुका था, मैं हर वक़्त उन्हीं के बारे में सोचता रहता. उनका गोरा बदन और बड़े बड़े चूचे मेरे दिमाग़ में घूमते रहते.

फिर गर्मी की छुट्टी में मुझे दीदी के घर जाने का मौका मिला. मैं सोच कर गया था कि इस बार कैसे भी करके दीदी को पूरा नंगा देखना है.

मैंने दीदी को फोन पर ही बोल दिया था कि मैं आऊंगा और आपको पूरी नंगी देखूँगा, रेडी रहना. तो वो बोलीं- बकवास मत कर.

मैं जून में बुआ के घर पहुँच गया. गर्मी के दिन थे, दीदी हमेशा लोवर और टी-शर्ट में रहती थीं. मैं मौके के इंतज़ार में था कि कब मौक़ा मिले और दीदी को नंगी देखूं.

एक दिन जब सारे लोग दोपहर को सो रहे थे, मैं और दीदी छत वाले कमरे में थे. उसमें कूलर लगा हुआ था, गर्मी बहुत थी और मैं और दीदी शतरंज खेल रहे थे.

मैंने दीदी से कहा कि आज अगर मैं जीत गया तो आपको पूरे कपड़े उतारने पड़ेंगे. वो बोलीं- ठीक है. मेरी दीदी बहुत अच्छा शतरंज खेलती हैं सो मैं हार गया, मैंने सोचा कि ये मौका भी हाथ से गया.

मैंने कहा- आप नहीं जानती दीदी उस दिन के बाद मैं आपको हमेशा याद करता रहता हूँ और कभी कभी तो मुठ भी मारना पड़ता है. दीदी बोलीं- हट गंदी बात नहीं करते. मैंने कहा- क्या करूँ, आपके शरीर से प्यार हो गया है, ना पढ़ाई में दिमाग़ लगता है और ना खेलने में. दीदी कुछ सोचने लगीं, फिर बोलीं- किसी को कहेगा तो नहीं. मैंने कहा- नहीं दीदी, आपकी कसम.

फिर दीदी ने दरवाजा बंद करके कुण्डी लगा दी और सारे पर्दे डाल दिए. मैं सोच रहा था कि आज मुझे दीदी को पूरी नंगी देखने का चान्स मिल ही गया.

पहले दीदी ने अपना लोवर उतारा और फिर टी-शर्ट उतार कर रख दिया. अब सिर्फ़ वाइट रंग की ब्रा और ग्रीन रंग की पेंटी में थी. क्या बताऊं दोस्तो क्या मस्त लग रही थीं दीदी. मेरा लंड एकदम से टाइट हो गया और निक्कर से बाहर आने को कोशिश करने लगा, मैं अपने हाथों से उसे दबाने लगा.

फिर मैंने दीदी से कहा कि दीदी पूरी नंगी देखना है, तो वो बोलीं- नहीं मुझे शरम आ रही है. मैंने कहा कि मैंने तो आपको नहाते हुए देखा है, फिर क्यों शर्मा रही हो? दीदी बोलीं- उस दिन मैंने पेंटी तो पहन रखी थी. मैंने कहा- चलो, मैं पहले नंगा हो जाता हूँ, फिर आप होना.

मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए, अपना अंडरवियर भी. मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था.

दीदी बोलीं- तेरा लंड तो बहुत बड़ा हो गया है.. जबकि तू इतना छोटा है और ये इतना बड़ा है. मैंने कहा- दीदी मेरा लंड आपको देखकर खड़ा हो जाता है, अब आप देर मत करो अपने कपड़े उतारो.

फिर दीदी ने पहले ब्रा उतारी और फिर पेंटी निकाल दी. अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थीं और मेरी हालत तो जैसे पागलों जैसी हो गई थी. मैंने पहली बार किसी जवान लड़की को पूरी नंगी देखा था. दीदी के इतने बड़े और गोल मम्मे, कम से कम साइज़ 36 साइज़ के तो होंगे ही.. और उनकी जांघें एकदम चिकनी केले के तने जैसी थीं.

दीदी की टांगों के बीच में चूत पर काले घने बाल देख कर मैंने दीदी से कहा कि आपने तो कहा था कि लड़कियों के बाल नहीं होते. तो वो बोलीं- सिर्फ चूत पर और बगल में होते हैं. मैंने कहा कि बगल के तो नहीं हैं. तो बोलीं- साफ किए हैं.

मेरा लंड फटने को हो रहा था. मैंने दीदी से कहा- प्लीज़ मेरे लंड को अपने हाथ से सहलाओ न, अपने हाथ से मजा नहीं आता. दीदी अपने हाथ से मेरा लंड सहलाने लगीं तो मानो जन्नत का मज़ा मिल गया था. मेरे मुँह से सिसकारी निकल रही थी. थोड़ी देर में ही मैं झड़ गया, मेरा पानी सारे फर्श पर गिर गया और थोड़ा दीदी के ऊपर भी.

दीदी ने उसे तौलिया से साफ किया और कहा- अब तुम बड़े हो चुके हो. मैंने कहा कि दीदी बड़ी तो आप भी हो गई हो. इतने बड़े बूब्स हैं, मैं इन्हें छू सकता हूँ. तो जैसे वो इस बात का इन्तजार कर रही थी और झट से बोली- हां छू ले.

मैंने उनको दोनों मम्मों को अपने दोनों हाथों में लेकर सहलाने लगा, तो दीदी के मुँह से गर्म सिसकारियां निकलने लगीं, ‘म्म्म्मो… उम्म्ह… अहह… हय… याह… उहाआआ..’ की आवाजें निकलने लगीं. दीदी ने आगे बढ़ कर कूलर को तेज़ कर दिया और बेड पर आकर लेट गई और मुझसे बोलीं- ऊपर बिस्तर पर आ जा.

मैं बेड पर लेट गया और उनके मम्मों को सहलाने लगा. अचानक से उन्होंने मुझे अपने से चिपका लिया और अपना एक हाथ अपने चूत पर रगड़ने लगीं.

फिर उन्होंने मेरा हाथ अपनी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया. मैंने कहा कि ये क्या कर रही हो? तो बोलीं- तुम इसे ज़ोर से सहलाओ मुझे बहुत अच्छा लगेगा. मैं उनकी चूत को सहलाने लगा और थोड़ी देर में ही वो ऐंठ सी गईं और झड़ गईं. दीदी ने मुझको ज़ोर से चिपका लिया और लेट गईं. मैं और दीदी दोनों बेड पर नंगे लेटे थे.

थोड़ी देर बाद दीदी ने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा और मेरा हाथ अपनी चूत पर रखा और हम दोनों फिर एक दूसरे को सहलाने लगे. तभी दीदी अचानक उठीं और मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं. मेरा लंड टाइट हो कर और भी बड़ा हो गया था. फिर दीदी ने कहा- अब तू अपने मुँह से मेरी चूत को चाट.

ये कह कर दीदी लेट गईं और अपनी टांगें खोल दीं. मैं उनकी चूत पर मुँह लगा कर चूत चाटने लगा. दीदी के मुँह से ज़ोर ज़ोर से ‘उहहह.. मम्म्म.. मस्स्स्स्स्..’ की आवाज़ें आ रही थीं. थोड़ी देर चूत चाटने पर दीदी का पानी छूट गया और सारा पानी बेड और मेरे मुँह पर आ गया. लेकिन मैं अभी शांत नहीं हुआ था, मेरा लंड अभी भी खड़ा था, मैंने कहा- दीदी मेरा अभी भी खड़ा है, इसे तो शांत करो. तो दीदी ने मुझे सोफे पर बिठा कर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं. दो मिनट बाद मैं झड़ गया और दीदी मेरा सारा पानी पी गईं.

उस दोपहर को हम लोगों ने 3 बार ओरल सेक्स किया. ओरल सेक्स का ये मेरा पहला अनुभव था.

बस दोस्तो, यहीं से मेरी दीदी और मेरा एक दूसरे के लिए लव या लस्ट, जो भी कहें.. शुरू हुआ. मैं एक वीक बुआ के यहाँ रुका और रोज़ हमने ओरल सेक्स किया, चुदाई नहीं हो पा रही थी, शायद इसकी वजह हमारा भाई बहन का रिश्ता था.

जब तक दीदी की शादी नहीं हुई हमारा ये ओरल सेक्स चलता रहा. जब भी हमें मौका मिलता, हम मुख मैथुन ज़रूर करते.

फिर दीदी की शादी हो गई और उनके बेटी भी हो गई. मेरी भी पढ़ाई पूरी हो चुकी थी और जॉब के लिए जीजाजी ने मुझे अपने पास बुलाया था. दोस्तो, तब ये सोचा भी नहीं था कि ओरल सेक्स एक दिन फुल सेक्स में बदल जाएगा.

जैसा कि आप जानते हैं कि दीदी और मेरे बीच कभी कुछ छुपा नहीं था सो उन्होंने बताया कि मोटी होने की वजह से जीजा जी का मन दीदी से हट गया था.

एक दोपहर को हम और दीदी पास पास सो रहे थे, अचानक दीदी ज़ोर ज़ोर से ‘म्म्म्मो .. उहाआअहह..’ की आवाज़ें निकालने लगीं. मैंने सोचा पता नहीं क्या हुआ, सो में उनको जगाने के लिए उठा, पर इतने में दीदी ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और ज़ोर से मुझे पकड़ लिया. मैं समझ गया कि दीदी कोई सपना देख रही हैं. मैंने भी दीदी को किस करना शुरू कर दिया और उनके मम्मों और गले पर किस करने लगा. अपना हाथ मैंने उनकी मैक्सी में डाल दिया तो देखा कि उन्होंने पेंटी नहीं पहनी थी.

उनकी चूत पूरी गीली हो रही थी, अब तक मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था. मैंने भी अपना लंड निकाल कर उनकी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया.

दीदी के मुँह से ‘आआ.. उहमम्म्म.. मम.. स्स्सुम..’ की आवाजें निकल रही थीं. मैं समझ गया कि दीदी को क्या चाहिए. मैंने दीदी की टाँगों को पूरा फैला कर अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर रख कर हल्का सा धक्का लगा दिया, चूत पूरी गीली होने की वजह से मेरा लंड एक ही बार में पूरा अन्दर चला गया.

पहली बार किसी चूत में मेरा लंड गया था. दीदी की चूत इतनी गर्म थी कि बता नहीं सकता. मैं तो जैसे सातवें आसमान पर था. मैंने दीदी को धीरे धीरे चोदना शुरू किया. तो दीदी ने मुझे और ज़ोर से पकड़ लिया और म्म्म्म… उहस्स्स्स… की ज़ोर ज़ोर से आवाज़ें करने लगीं.

मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और दीदी इधर उधर सर को पटकने लगीं. तभी अचानक दीदी ने अपना गर्म गर्म पानी छोड़ दिया. मेरा पूरा लंड गीला हो गया था. मैं समझ गया था कि दीदी झड़ चुकी हैं, पर मैं नहीं रुका और एक मिनट बाद मैं भी झड़ गया. मैंने अपना सारा पानी दीदी की चूत में ही छोड़ दिया और ऐसे ही दीदी के ऊपर लेटा रहा. इस तरह मैंने दीदी को पहली बार चोदा! जब हमारी आग शांत हुई तो दीदी बोलीं- ये तुमने क्या किया? मैंने कहा कि दीदी आप ही ने मुझे पकड़ लिया था.

फिर दीदी उठ कर वॉशरूम गई और अपने आपको साफ करके आ गईं.

दीदी बोलीं- ऐसा नहीं होना चाहिए था. मैंने कहा कि दीदी हमारे बीच में सेक्स छोड़ कर बाकी सब हो चुका था, तो आज अगर ये हो गया तो क्या गलत हुआ? दीदी बोलीं कि ओरल सेक्स तक तो ठीक है, पर सेक्स अलग बात है. ये सिर्फ़ पति और पत्नी में ही ठीक लगता है.

दीदी मेरे कंधे पर सर रख कर रोने लगीं.

मुझे दीदी पर बहुत प्यार आ रहा था, मैंने कहा- दीदी, हम शादी नहीं कर सकते क्योंकि हम भाई बहन हैं, पर हम एक दूसरे से बचपन से प्यार करते हैं.. उसका क्या? प्यार का चरम यही सेक्स होता है और आज हमारा प्यार पूरा हो गया. आज आप पूरी तरह से मेरी हो गई हो. इस पर दीदी मुस्कुराने लगीं.

फिर मैं दीदी को उठा कर दूसरे रूम में ले गया क्योंकि वहाँ उनकी बेटी सो रही थी. मैंने दीदी को बेड पर बिठा कर उनके हाथ को अपने हाथ में लेकर अपने सीने से लगा लिया. दीदी भी मेरे सीने में मुँह को छुपाने लगीं. फिर मैं उनका फेस ऊपर करके उनके होंठों को किस करने लगा. दीदी भी मुझे किस कर रही थीं. मैंने उन्हें खड़ी करके उनकी मैक्सी को ऊपर उठा कर उतार दिया और अपने कपड़े भी उतार दिए.

मैं दीदी को ले कर बेड पर लेट गया और उन्हें भी लिटा कर किस करने लगा. मैंने पहले दीदी के होंठ, फिर गले पर फिर मम्मों पर.. नाभि पर, फिर जाँघों पर चूमा. मैंने दीदी को ऊपर से नीचे तक चूमना और चाटना शुरू कर दिया. दीदी के मुँह से ओहह.. उमम्म्म.. इस्स्स्स्स्.. इस्स्स्स्स्.. की आवाजें निकल रही थीं.

मैंने दीदी की टांगों को खोल कर उनकी चूत को किस करना शुरू कर दिया. दीदी अब बहुत गर्म हो गई थीं और कामुक मादक सीत्कारें निकाल रही थीं-अहहा.. आआह.. उम.. इस्स्स्स्स्.. दीदी अपनी कमर उछाल कर मेरा पूरा साथ दे रही थीं, दीदी बोलीं- अब और बर्दाश्त नहीं होता.. प्लीज़ आ जाओ.

पर मैं दीदी को पूरा प्यार करना चाहता था. मैं दीदी के ऊपर आ गया और उनके मम्मों को चूसने लगा. दीदी की हालत खराब हो रही थी और मेरी भी. फिर जब कंट्रोल नहीं रहा, तो मैंने दीदी को दोनों टांगों को फैला कर उनके ऊपर चढ़ गया और चूत के मुँह पर लंड रख कर एक ही झटके में पूरा लंड दीदी की चूत में उतार दिया. दीदी के मुँह से ‘आआहह..’ निकल गया और दीदी ने मुझे कमर से पकड़ कर अपनी टाँगें मेरी टाँगों में फंसा दीं.

उसके बाद मैंने दीदी को चोदना शुरू किया तो दीदी भी कमर उठा उठा कर मेरा साथ देने लगीं. ‘उउऊह.. उमम्म्म.. इस्स्स्सस्स..’ की आवाजों से पूरा कमरा गूंजने लगा.

चूंकि मैं कुछ देर पहले ही झड़ चुका था, इसलिए मैंने दीदी को करीब बीस मिनट तक चोदा. दीदी भी इस मदमस्त चुदाई में करीब दो बार झड़ चुकी थीं. दीदी की शिथिलता देख कर मैं थम सा गया, जबकि मैं नहीं झड़ा था. दीदी बोलीं- रुकना मत.. जब तक पानी ना निकले.

मैं फिर पूरे जोश के साथ शुरू हो गया और दस मिनट के बाद दीदी और मैं एक साथ झड़ गए. मैंने सारा पानी दीदी के अन्दर ही छोड़ दिया. मैं और दीदी पूरे थक चुके थे, सो हम दोनों ऐसे ही बेड पर पड़े रहे. मैंने पूछा कि दीदी पानी अन्दर गिरा है, अगर बेबी हो गया तो? वो बोलीं- कोई बात नहीं अब हम तुम दो नहीं हैं.

उस दिन हमने दो बार सेक्स किया.

मैं एक महीने उनके साथ रहा दोस्तो, और उसका रिज़ल्ट ये हुआ कि वो प्रेग्नेंट हो गईं.

जब मैंने कहा कि सफाई करवा लो तो बोलीं- नहीं अब ये हमारे प्यार की निशानी है.

आज मेरे बेटा 12 साल का है दोस्तो. मुझे समझ नहीं आता कि मैं क्या करूँ.

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