लड़की ने रूम पर बुला कर चुत चुदाई करवाई

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दोस्तो, आप लड़कों को नमस्कार और लड़कियों की चूत चूम कर प्यार. मेरा नाम मैं बताना नहीं चाहता, आप मुझे बस वर्मा जी के नाम से जान लो. वैसे भी यार नाम में क्या रखा है.

मैं इस देसी हिंदी कहानी की सबसे बड़ी साईट अन्तर्वासना पर रोज मजेदार कहानियां पढ़ता हूँ और मुठ मारता हूँ. मैं दिल्ली में रहता हूँ, अब मुझे भी दिल्ली की हवा पानी लग चुकी है. हालांकि मैं कोई हीरो नहीं हूँ जो हर लड़की मेरी तरफ भागे और इतना सीधा भी नहीं हूँ जो कोई लड़की देख कर अनदेखा कर दे. दिल्ली में मैं एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता हूँ. मुझे यहाँ तेज रफ़्तार की जीवनशैली के साथ तीन साल हो चुके हैं. इतना वक़्त कब बीत गया, मालूम ही नहीं पड़ा.

यह बात 25 जून शनिवार की शाम 5:00 बजे की है. यह हफ्ते का आखिरी दिन था तो मैंने सोचा ऑफिस का काम खत्म करके कहीं घूमने जाऊं. मैं ऑफिस से पांच बजे निकल कर मेट्रो की तरफ बढ़ रहा था. मेरा ध्यान कहीं और था तो एक आइटम मुझसे टकराई और गिर गई. मैंने उसको उठाया तो उसको देखता ही रह गया. उसने ब्लू कलर की स्कर्ट और ब्लैक कलर की छोटी वाली कैपरी, जो कि सिर्फ उसकी जाँघों तक ही थी, पहने हुई थी. क्या मस्त काँटा माल लग रही थी. उसका फिगर 30-28-32 का था.

उसको उठाते वक़्त मेरा हाथ उसके चुचियों को छू गया गया था. मैं उसको सॉरी बोल कर वहां से निकल गया, लेकिन तभी वो फिर मुझे मेट्रो में मिल गई. उसने मुझे देख कर स्माइल दी तो मैं भी मुस्कुरा दिया. उसने मुझे इशारे से अपने पास बुलाया तो हम दोनों एक साथ खड़े हो गए.

उसने ही मुझसे बात शुरू की. मेट्रो की भीड़ के कारण मेरा हाथ उसके शरीर पर कहीं न कहीं छू रहा था और कभी मैं खुद भी टच कर लेता था. एक बार तो उसने घूरा लेकिन फिर बाद में कुछ नहीं बोली. मैंने उससे कुछ नहीं पूछा लेकिन तब भी उसने मुझसे कहा कि वो इंडिया गेट जा रही है.

अब घूमने तो हम भी निकले थे, पर क्या करते उसके साथ तो बिना बोले जा नहीं सकते थे. किस्मत से उसने मुझे भी साथ चलने को कहा, मैंने पहले थोड़ी न नुकुर की फिर हां बोल दिया. इसके बाद हम दोनों इंडिया गेट पर काफी देर रुके. फिर मैंने उसको बोला कि मैं घर के लिए निकल रहा हूँ. उसने थोड़ी देर वहां और रुकने के लिए कहा, पर मैंने मना कर दिया.

फिर हम दोनों वहाँ से घर के लिए निकले. उसने मुझे अपने रूम चलने के लिए कहा. मैं एकदम हुए इस अचम्भे से डर गया और आखें फाड़ कर उसको देखने लगा. उसने मुस्कुरा कर दोबारा बोला- क्या देख रहे हो चलोगे न मेरे रूम? मैंने धीमी आवाज में हां बोला.

अब हम दोनों उसके रूम में जा पहुँचे. उसने मुझसे कुछ पीने को पूछा तो मैंने कोल्ड ड्रंक मांगी, लेकिन वो उसके रूम में नहीं थी.. तो उसने मना करते हुए कहा कि बाहर से लाना पड़ेगी.

मैं बाहर गया और एक शॉप से ठंडे की बोतल ली और उसमें बाजू में शराब की दुकान से हाफ लेकर थोड़ा सा अल्कोहल भी मिला लिया. इसके बाद कंडोम खरीद कर मैं वापस उसके रूम पर पहुँच गया.

हम दोनों कोल्ड ड्रिंक पी रहे थे. इतने में धीरे धीरे वो मेरे पास आकर बैठ गई. हम दोनों इधर उधर की बातें कर ही रहे थे लेकिन मेरे दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था. इस वक्त शराब का हल्का हल्का सुरूर चढ़ने लगा था और अब मुझे साली की नशीली आँखें थी लंड खड़ा करने पर मजबूर कर रही थीं.

सच कह रहा हूँ उस बंदी को अब तक नहीं भुला सका हूँ.

मैं अभी सोच ही रहा था कुछ करने की, तब तक वो मेरे पास आई और होंठ पर होंठ रख दिए. लगभग दस मिनट तक हम एक दूसरे के होंठों का रसपान करते रहे. उसने मुझसे ‘आई लव यू…’ कहा और बोली- मुझे आप देखते ही पसंद आ गए थे. इतना कह कर वो मुझे फिर चूमने लगी.

अब मैंने उसको कान के पीछे किस करने लगा तो वो थोड़ी देर में ही मचलने लगी और उसने कहा- मुझे कुछ हो रहा है प्लीज़ ऐसे मत करो. मैंने उसे समझाया तो वो मेरे गले लग गई. मैंने उसको फिर किस करना शुरू किया और गोद में उठा कर उसके बेड पर लिटा दिया. अब एक बार मैंने उसके पूरे बदन को सही से चूमा.. अह.. उसके शरीर से क्या भीनी भीनी सी खुशबू आ रही थी.

मैंने उसके साथ काफी देर फ़ोरप्ले किया और अब तो एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे. उसने चूत और मम्मों को छिपाने के लिए स्काई ब्लू रंग की छोटे से पैंटी और ब्रा पहनी हुई थी. मैंने उसकी ब्रा निकाल कर मम्मों का खूबखूब रसपान किया. वो कुछ ज्यादा ही मचलने लगी तो मैंने उसकी पैंटी भी निकाल दी.

मैं उसकी प्यारी सी मखमली चूत पर हाथ फेरने लगा, तो वो ‘सीईईई सीईईईई..’ की सेक्सी सी आवाजें निकालने लगी. फिर मैंने उंगली से थोड़ी देर तक उसकी चूत को चोदा, पहले ही उसकी चूत बहुत पानी छोड़ चुकी थी, जिससे उसकी पैंटी काफी गीली हो गई थी.

खैर मेरे ऐसा करने से वो एक बार झड़ गई और मेरे गले लग कर मुझे चूमने लगी. उसने मेरी अंडरवियर और बनियान निकाल दिए और मेरे सीने पर मेरी घुंडियों को चूमने और काटने लगी, जिससे शरीर में अजीब सा करंट लग रहा था.

मैंने उसको अपना लंड मुँह में लेने को कहा तो उसने कहा- इतना काला है.. और तुम इससे शुशु भी करते हो.. मैं मुँह में नहीं लूँगी.

हालांकि मेरे बार बार कहने से वो मान गई.. लेकिन काफी अजीब सा मुँह बनाते हुए उसने मेरे लंड को चूमा. एक बार लंड चूमा तो शायद पसंद आ गया और उसने मेरे लंड को काफी चूसा. इतने में मैंने अपना पानी उसके मुँह में निकाल दिया. उस बंदी ने भी कुछ पानी पिया और कुछ बाहर निकाल दिया.

हम दोनों ही एक बार ठन्डे हो चुके थे. उसने बाथरूम में जाकर पेशाब की और कुल्ला भी किया. मैं भी उसके साथ वहीं पर मूतने लगा.

फिर मैंने उसको पकड़ा और उसके होंठों को जोर से चूमने लगा और उसके दूध भी तेज से दबा दिए. वो चीख पड़ी और बोली- मैं तो तुम्हारी ही हूँ.. आराम से करो न.

हम दोनों बिस्तर पर पहुँचे और एक दूसरे को फिर से चूमने लगे. अब हम दोनों एक बार फिर गर्म हो गए थे. मैंने देर न करते हुए उसकी टांगें पकड़ कर उसकी बुर में उंगली डाल दी. उंगली डालते ही वो चिहुंक कर मेरे होंठों को चूमने लगी. उसने कहा- मुझे डर लग रहा है कुछ होगा तो नहीं?

मैंने फिर कंडोम का पैकेट उठाया और उसको मेरे लंड पर लगाने को कहा तो उसने लंड को चूम कर उस पर कंडोम चढ़ा दिया. मैंने उसको किस किया और उसके हाथ पकड़ कर अपना लंड उसकी चूत पर सैट किया. ऐसा करने से लंड दो तीन बार फिसल गया. मैंने उसकी कमर के नीचे तकिया लगाया और उसको अपनी बुर फैलाने को बोला. उसने चूत फैला दी और मैंने लंड चूत पर सैट करके हल्का सा धक्का मारा, वो तिलमिला उठी, वो बोली- प्लीज़ जानू, बहुत दर्द हो रहा है छोड़ दो मुझे..

मैंने उसको काफी देर तक चूमा और समझाया भी. वो शांत हुई तो मैंने फिर से एक धक्का दे मारा और इस बार लंड महाराज उसकी चूत की जड़ तक पहुँच चुके थे. उसकी तेज चीख निकल गई, मैं डर गया और मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया. वो रो रही थी उसकी चूत से खून भी निकल रहा था. मैंने उसके होंठ लॉक किए और थोड़ा इन्तजार किया. उसको थोड़ा आराम हुआ तब हम दोनों ने चुदाई शुरू की.

कमरे में सिर्फ चूत की फच्च फच्च की और हमारी सेक्सी आवाजें गूंज रही थीं. वो गांड उचकाते हुए कहे जा रही थी- आहहह.. जाआन्नन्न.. ऊऊऊ और्र तेज करो.. मैं उसके दूध भी पी रहा था और लंड से चुदाई भी कर रहा था.

लगभग दस मिनट के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और वो तेज आवाजें करते हुए झड़ गई. एक दो पल बाद मैंने उसको अपने ऊपर आने को कहा. वो मेरे ऊपर बैठ कर मेरे साथ सेक्स कर रही थी, इससे उसकी चूत और टाइट हो गई और मेरे लंड में भी दर्द होने लगा.

अब तक बीस मिनट हो चुके थे, वो भी थक रही थी.. मैं भी झड़ने वाला था लेकिन कंडोम की वजह से कोई डर नहीं था. सो मैं उसकी चूत में ही झड़ गया. हम दोनों एक दूसरे को बड़े ही प्यार से देख रहे थे. उसने मुझको स्मूच करना शुरू किया. हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे को चूमते चाटते रहे. हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर लेट गए. रात के दस बज चुके थे, भूख भी लग आई थी.

मैंने फोन से खाना ऑर्डर किया और अपनी मल्लिका को गोद में उठा कर बाथरूम में ले गया.

वहां पर हम दोनों ने एक दूसरे को नहलाया और वहां पर भी खूब किस किया. इसके बाद मैंने उसकी गांड और चूत को सुबह 4:00 बजे तक मजा दिया और लिया भी!

दोस्तों, आप हैरान होंगे कि एक कुंवारी लड़की ने ऐसे कैसे अपने रूम पर बुला कर चुत चुदाई करवा ली. मैं खुद उस दिन बहुत हैरान था इस बात को लेकर… लेकिन जो उस दिन हुआ, वो मैंने लिख दिया. आप इसे सच मानो या झूठ! सच कह रहा हूँ यह कहानी लिखते वक़्त भी वही सब नजारा सामने घूम रहा था.

आप सबने मेरी देसी सेक्स कहानी पढ़ी उसके लिए बहुत धन्यवाद. आपको कहानी कैसी लगी, अगर मन करे तो मुझे जरूर बताएं.. जिससे मैं यहाँ पर अपनी कहानी जल्दी और दोबारा लिख सकूँ. आपका दोस्त वर्मा [email protected]

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