मजाक मजाक में भाभी की चूत मिली

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आपका रिक्की जय फिर एक सच्ची दास्तान लेकर हाजिर है; आपने मेरी पिछली कहानी दीदी की गलती से चुदाई हो गई पसंद की, मुझे बहुत से मेल आये; आप सभी को धन्यवाद.

अब मैं अपनी नई सेक्स कहानी पर आता हूँ. हमारे पड़ोस में एक फैमिली रहती है राकेश और उनकी पत्नी नीलम जिन्हें मैं भैया भाभी कहता हूँ. भैया की उम्र 35 साल और भाभी की उम्र 30 साल. उनकी एक सवा साल की बेटी है. भाभी के फिगर के बारे में बता दूँ, गोरा रंग, काली बड़ी बड़ी आँखें और फिगर 32-26-30… गजब का फिगर था, जो देखे उसका लण्ड खड़ा हो जाये.

मेरा उनके घर बहुत आना जाना था, मैं जब भी भाभी को देखता और सोचता कि कब इनको चोद पाऊँगा. मेरी भाभी से बहुत पटती है, मैं हर बात उनसे शेयर करता हूँ.

एक दिन मैं सुबह 10 बजे उनके घर पंहुचा और दरवाजा खटखटाया तो कोई जवाब नहीं आया. तो मैंने दरवाजा को धक्का दिया, दरवाजा खुल गया. मैं अंदर गया तो देखा कि गुड़िया सो रही है; भाभी को देखा; कहीं नहीं दिखी, भैया भी नहीं दिखे.

मैं बैडरूम में गया, देखा कि भाभी यहाँ भी नहीं हैं.

इतने में मुझे बाथरूम से पानी की आवाज आई, मैंने कीहोल से देखा कि भाभी पूरी नंगी शावर ले रही थी. पहली बार भाभी को नंगी देखा तो लण्ड अकड़ कर भुट्टा हो गया. शानदार कड़क बूब्स, क्या शानदार गांड!

इतने में शावर बंद हुआ तो मैं ड्राइंग रूम में आकर बैठ गया, भाभी नहा कर टॉवेल में ड्राइंग रूम में आई, मुझे देख कर बोली- अरे रिक्की, तुम कब आये?

मैं- बस भाभी, थोड़ी देर पहले ही आया! मेरा लण्ड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था.

मैं भाभी से कुछ ज्यादा बात न करके अपने घर आया, सीधा रूम में जाकर मुठ मारी, तब शांति मिली. फिर उस रात भर सोचता रहा कि भाभी की चूत कैसे लूँ! कब नींद आई पता ही नहीं चला.

सुबह 10 बजे नींद खुली, नहा कर दोपहर भाभी के घर पंहुचा, भाभी टीवी देख रही थी, गुड़िया सो रही थी. मैं अपना चेहरा परेशान सा करके उनके पास सोफे पर बैठ गया.

भाभी ने पूछा- क्या बात है, आज मेरे देवरजी परेशान दिख रहे हैं. किसी ने डांटा क्या? मैंने कोई जवाब नहीं दिया.

उन्होंने दोबारा पूछा तो मैंने कहा- भाभी, आप से एक बात करनी है!

भाभी- हाँ पूछो? मैं- भाभी, आप मुझे डॉक्टर के पास ले चलोगी? भाभी- क्या हुआ देवर जी? मैं- भाभी, मेरी सूसू कभी भी कड़क हो जाती है!

भाभी मेरे भोलेपन पर आश्चर्ययचकित होकर बोली- क्या? मैं- भाभी, कसम से आप कल नहा कर आई थी तब भी हो गई थी. तब ही तो मैं घर चला गया था. भाभी ने काली लेगी और रेड कुर्ता वी गले का पहना हुआ था, उनके बूब्स देख कर फिर मेरा लण्ड अंगड़ाई लेने लगा.

भाभी- चलो दिखाओ? मैं- आपके सामने मुझे शर्म आती है. भाभी- तुम दिखाओ तो, मैं देखूँ तो क्या बीमारी है?

मैंने शरमाते हुए पैन्ट खोल कर अंडरवीयर नीचे किया.

भाभी ने आँखें बड़ी करते हुए पूरा मुँह खोला और मुँह पर हाथ रखते हुए भाभी बोली- बाप रे! मैं- क्या हुआ भाभी? मुझे सचमुच कुछ बिमारी है क्या?

मेरा 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लण्ड अपने पूरे आकार में था.

मैंने फिर पूछा- भाभी, क्या हुआ?

भाभी- देवर जी, तुम्हारी ये शु शु नहीं, अब लण्ड हो गया है तुम बड़े हो गए हो! इतने में भाभी ने लण्ड को पकड़ा तो उनके हाथ की मुठ्ठी में आधा आया और आधा बाहर ही था. मुझे बहुत सकून मिला.

मैं- भाभी क्या हुआ? भाभी- तुम्हें कोई बीमारी नहीं, स्वस्थ हो; अब ये तुम्हारी शु शु नहीं है, इसको लण्ड कहते हैं. जब आपकी शादी होगी तो तुम इसको तुम्हारी बीवी की जो शु शु वाली जगह होगी, जिसे चूत कहते हैं, उसमें डालोगे तो तुम दोनों को मजा आएगा; और इस से बच्चा भी होता है; तुमने किसी औरत की चूत देखी है? मैं- हां देखी है… पर भाभी, वो जगह तो बहुत जरा सी होती है, उसमें ये कैसे जाएगा? मैंने अनजान बनते हुए प्रश्न किया.

भाभी- जायेगा… तुम्हारा थोडा बड़ा है, थोड़ी दिक्कत होगी पर चला जाएगा. मैं- मैं आपकी में डाल कर देखूँ?

भाभी आश्चर्यचकित होकर बोली- क्या? मैं- मैंने कुछ गलत कह दिया क्या? भाभी- हाँ, यह काम सिर्फ पति पत्नी के बीच होता है. मैं- सिर्फ एक बार भाभी, प्लीज!

भाभी काफी सोचने के बाद बोली- चल ठीक है, परन्तु एक प्रामिस करना होगा कि यह बात हम दोनों के बीच रहनी चाहिए.

मैं- पक्का प्रॉमिस आपकी कसम! भाभी- जा मेन गेट लगा कर आ!

मैं दौड़कर मेन गेट लगा कर आया और मन ही मन खुश हुआ कि एक और शानदार चूत मिली.

मैं बैडरूम में गया तो देखा भाभी बेड पर लेटी थी. मैं बेड पर जाकर बैठ गया. भाभी ने लेगी उतारी उसके साथ पेंटी भी उतार दी. क्या क्लीन शेव चूत थी, देखते ही जीभ लपलपाने लगी. मैंने अपने आपको रोक कर रखा कि कहीं भाभी को शक नहीं हो जाये!

क्या गोरी चिकनी टाँगें थी. मैं खोया हुआ था.

भाभी- रिक्की, अपने कपड़े उतारो!

मैंने फुर्ती से पैन्ट और अंडरवियर उतार दी, मेरा लण्ड फनफनाता हुआ सलामी देने लगा.

भाभी अपना हाथ अपनी चूत पर ले जा कर बोली- इसमें जाता है लण्ड! मैं अनजान बनते हुए- भाभी, इतनी सी जगह में कैसे जाएगा? भाभी- जाएगा देवर जी, पूरा जाएगा! आप बस देखते जाओ, आप घुटने पर खड़े हो जाओ!

मैं घुटने पर खड़ा हो गया, भाभी मेरा लण्ड हाथ से पकड़ कर उसकी चमड़ी को आगे पीछे करने लगी. मुझे बहुत मजा आ रहा था.

भाभी- आपका लण्ड बहुत बड़ा है, पहले इसमें चिकनाई लगा देती हूँ. और इतना कहते ही लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी.

कसम से क्या लण्ड चूस रही थी भाभी… मजा आ गया! भाभी ने पूरा लण्ड मुँह में ले लिया और चूसती रही मैं- भाभी, बहुत मजा आ रहा है! आह्ह्ह!

इतने में मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी, भाभी सारा वीर्य पी गई, मेरे लण्ड के सुपारे पर जीभ से एक एक बून्द चट कर गई.

भाभी बनावटी गुस्सा करते हुए- बताना चाहिए न कि निकलने वाला है!

मैं- मुझे क्या पता कि कुछ निकलता है? मुझे बहुत मजा आया बस!

भाभी- हाँ सही है… तुमको क्या पता! मगर बहुत टेस्टी था आपका रस!

मेरा लण्ड लटक गया, मैं बोला- भाभी, ये तो लूज हो गया! आपकी चूत में तो डाल कर देखा ही नहीं?

भाभी- चिंता मत करो, अभी फिर खड़ा होगा… तुम मेरी चूत चूसो, मैं तुम्हारा लण्ड चूसती हूँ.

मैं बनते हुए- छी… ये तो गन्दी जगह होती है! भाभी- कोई गन्दी नहीं होती! मैंने भी आपका मुँह में लिया न? चलो चूसो… वर्ना डालने नहीं दूँगी!

मैं- ठीक है!

और मैं भाभी की चूत को चूसने लगा, भाभी मेरे लण्ड को! थोड़ी देर में मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया और मैंने अपना पूरा मुंह चूत में घुसेड़ दिया और उन्होंने अपनी टाँग से मेरा सर दबा दिया. मैंने चूत में जीभ डाल दी और उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया. मैं सारा पानी चट कर गया, इतना स्वादिष्ट लगा कि मजा आ गया.

भाभी ने अपनी पकड़ ढीली की और अपनी कुर्ती भी उतार दी, अब सिर्फ लाल रंग की ब्रा थी, उन्होंने कहा- ब्रा का हुक खोल! मैंने दोनों हाथ से भाभी की ब्रा का हुक खोल दिया. 32″ साइज के दोनों अमृत कलश बाहर आ गए.

भाभी- इनको दोनों हाथों से दबाओ और मुंह से पियो!

मैं भाभी की चूची पर टूट पड़ा और चूसने लगा. उनको दूध आता था, मैं सारा दूध पी गया, क्या स्वादिष्ट दूध था… एक को तो पूरा खाली कर दिया और दूसरा चूसने लगा.

भाभी बोली- इसको तो मेरी बेटी के लिए छोड़ दो!

मैं- वो तो रोज पीती है, आज मुझे पी लेने दो! और दूसरे बूब को चूसने लगा और दूसरे हाथ से पहले को दबा रहा था. दूसरा बूब खाली करके मुँह ऊपर किया तो उनकी गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठ का रसपान करने लगा. भाभी भी साथ देने लगी.

मेरा लण्ड चूत पर टकरा रहा था, भाभी ने मुँह हटाया और बोली- देवर जी, अब आपका लण्ड डाल कर देख लो!

मैं- हां भाभी, मगर कैसे? “तुम उठो. मैं बताती हूँ.”

मैं घुटने के बल बैठ गया, भाभी ने अपनी दोनों टाँगें खोल दी और एक हाथ से मेरा लण्ड पकड़ा और चूत के मुँह पर रखते हुए बोलीं- दो बात का ध्यान रखना, एक तो एकदम मत डालना, धीरे धीरे डालना क्योंकि तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा और बड़ा है. दूसरी अपना प्रोमिस याद रखना, एक बार पूरा डाल कर निकाल लेना!

मैं- जी भाभी!

मैंने धीरे से धक्का लगाया, भाभी की चूत बहुत टाइट थी, सुपारा अंदर गया, भाभी को थोड़ी दिक्कत हुई, भाभी- देवर जी, आपका बहुत मोटा है!

मैं- मैंने बोला था न कि नहीं जाएगा.

भाभी- जाएगा… पूरा जायेगा! तुम मेरी चिंता न करो, बस धीरे धीरे पूरा उतार दो!

मैंने एक धक्का दिया और 3 इंच गया. भाभी- आह… धीरे… दर्द हो रहा है!

मैं- निकाल लूं क्या? ज्यादा दर्द हो रहा है तो?

भाभी- नहीं, एक बार पूरा चला जाएगा तो चूत जगह बना लेगी, डालो आप!

तो मैंने दोनों बूब्स को दोनों हाथ से दबाया और होंठ से होंठ चिपका कर एक करारा शॉट दिया, पूरा लण्ड चूत में उतार दिया. भाभी की आँखों से आँसू आ गए, वो चीखती रही पर मैंने उनको पूरा पकड़ के रखा था और होंठ से होंठ चिपके होने के कारण आवाज दब गई, वो पैर चलाने लगी, मैंने होंठ छोड़े तो भाभी की आँखों में आँसू थे.

वो गुस्सा होकर बोली- मैंने तुमसे बोला था न कि धीरे डालना! मैं- सॉरी भाभी, क्या करूँ, पहली बार है न, कंट्रोल नहीं हुआ! भाभी- देखो, पूरा गया न अंदर!

मैं- हां भाभी, सच में पूरा चला गया!

भाभी को मैंने अपना प्रोमिस याद दिलाया, मुझे पता था कि भाभी पूरा गेम ख़त्म करके ही निकालने देगी- भाभी निकाल लूं?

भाभी- रुको थोड़ी देर… अब धीरे धीरे अंदर बाहर करो!

मैं- भाभी, वो मेरा प्रॉमिस टूट जाएगा न! भाभी- नहीं टूटेगा, मैं बोल रही हूँ न… करो, आज पहली बार इतना जबरदस्त लण्ड मिला है, मजा आएगा!

बस फिर क्या था, भाभी के ऊपर पूरी पकड़ बनाई, दोनों हाठों से दोनों बूब्स को मसलते हुए होंठों का रसपान करते हुए लण्ड को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा, चूत ने अपना रस छोड़ना चालू कर दिया, अब आसानी से लण्ड जा रहा था.

भाभी बोली- वाह मेरे चोदू राजा… मजा दिला दिया आह… मजा आ गया! अब मैं तेज झटके लगाने लगा. भाभी बोली- उम्म्ह… अहह… हय… याह… देवरजी, आपने मेरी चूत का कचूमर निकाल दिया!

मैं एकदम रुक गया तो भाभी बोली- रुक क्यों गए? करो न… बहुत मजा आ रहा है! मैं बोला- आपको एक प्रोमिस करना होगा कि आप मुझे आगे भी चूत में लण्ड डालने से रोकेंगी नहीं! तो भाभी बोली- कौन पागल औरत होगी जो इतना शानदार लण्ड नहीं लेना चाहेगी? मैं तो तुम्हारा लण्ड देख कर ही दीवानी हो गई थी, आज से ये चूत आपकी ही है!

फिर मैंने तेज तेज शॉट मारना चालू किये, चूत अपना पानी छोड़े जा रही थी. भाभी बोली- इतना पानी आज तक नहीं निकला! कसम से देवर जी, बहुत मजा आ रहा है! मैंने काफी देर तक भाभी को चोदा, भाभी थक गई और बोली- बस करो देवर जी! मैंने कहा- मेरा तो अभी हुआ नहीं? भाभी बोली- कितना टाइम लोगे? भाभी कई बार पानी छोड़ चुकी थी.

मैंने भाभी से कहा- मैं आ रहा हूँ. और अंतिम 10 से 12 झटके मारे और पूरी चूत वीर्य से भर दी. भाभी आश्चर्यचकित होकर बोली- दूसरी बार में भी इतना वीर्य निकाला?

मैं भाभी के ऊपर ही ढेर हो गया, भाभी प्यार से मेरे बालों में हाथ से कंघी करने लगी. थोड़ी देर बाद मैं उठा, भाभी भी उठ कर बैठी और चूत की ओर देख कर बोली- क्या हालात कर दी तुमने मेरी चूत की! जब तुम्हारे भैया इसमें लण्ड डालेंगे तो उनको समझ आ जायेगा कि इतनी ढीली क्यों है. खैर छोड़ो… कुछ भी बहाना बना दूँगी!

मैंने भाभी से पूछा- एक बार और करें? भाभी बोली- तुम्हारे खून मुंहलग गया है, आज नहीं, कल करेंगे. मैंने भी जल्दी से कपड़े पहने और घर निकल गया.

अब तो जब भी इच्छा होती भाभी के पास पहुँच जाता या भाभी की इच्छा होती तो वो बुला लेती. अभी तो रोज चुदाई हो रही है मेरी और लण्ड की तो बल्ले बल्ले हो गई!

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