भाभी सेक्स स्टोरी: बस में मिली भाभी के घर में चुदाई

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मेरा नाम राज है ये भाभी सेक्स स्टोरी फरवरी 2016 की है, ये मेरा पहला सेक्स अनुभव था. चूंकि मैं अन्तर्वासना को 5 साल से पढ़ रहा हूँ.. तो मुझे भी लगा कि मुझे अपने अनुभव अन्तर्वासना से शेयर करना चाहिए.

मैं पहले अपने बारे में बता दूँ. मैं गुजरात के भावनगर का रहने वाला हूँ और मेरी उम्र 20 साल है.

मेरी हाइट 5 फुट 5 इंच है. मैं दिखने में गोरे रंग का हूँ. सब मिला कर देखें तो मैं किसी भी लड़की के लिए एकदम परफेक्ट मर्द हूँ.

मैं भावनगर में अपनी बी ए की पढ़ाई कर रहा हूँ. एक बार मैं कॉलेज के काम से जब बड़ौदा गया था और मैं जब बड़ौदा से वापस भावनगर लौट रहा था. उस वक्त बस में जो घटना हुई, वो आपके सामने लिख रहा हूँ.

बस में ज्यादा भीड़ नहीं थी तो मैं एक विंडो सीट पे जाके बैठ गया. फिर थोड़ी देर बाद बस चलने ही वाली थी कि मेरी बगल वाली सीट में एक सेक्सी भाभी आ गईं और मेरे पास आकर बैठ गईं. वो ग्रीन साड़ी में क्या हॉट माल लग रही थीं.. मैं तो उनको देख कर ही मस्त हो गया था. उनका फिगर करीब 32-30-34 का था.. और उनकी गांड.. सुभानअल्लाह.. क्या फूली थी, उस पर तो कोई भी लट्टू हो जाए यार.

बस स्पीड से चलने लगी और हम बड़ौदा से बाहर निकल आए थे.

अचानक से मैंने महसूस किया कि मेरे कंधे से कुछ छू रहा है. जब मैंने देखा तो मुझे पता चला कि भाभी मेरे कंधे पर सर रख कर सो गई हैं. जैसे जैसे बस चलती गई, वैसे वैसे हमारा स्पर्श बढ़ता गया. यहाँ तक कि मुझे ये भी नहीं पता चला कि मेरा हाथ भाभी के मम्मों को कब से टच करने लगा था.

इतने में बस एक ढाबे पे चाय पानी, फ्रेश आदि होने के लिए रुकी तो भाभी जाग गई, सीधी होकर बैठ गयी. फिर मैंने नाश्ता किया और कोल्डड्रिंक पीकर बस में वापस आ गया.

जब बस फिर से चली तो थोड़ी देर में भाभी फिर से सो गई थीं. लेकिन इस बार भी उसका सिर मेरे कंधे पर था. फिर धीरे धीरे मुझे भी जोश आ गया तो मैंने अपना एक हाथ धीरे धीरे भाभी के मम्मों पर फिराना शुरू कर दिया. अबकी बार मेरा एक हाथ उनकी जांघ को भी छू रहा था.

अब उसे भी पता चल गया था कि मैं क्या कर रहा हूँ. पर उसने मेरा ना तो कोई विरोध किया, ना ही मेरा हाथ हटाया. इससे मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं उसके मम्मों और जांघ को जोर से दबाने लगा. बस आधी खाली थी और मेरे आस पास कोई बैठा भी नहीं था.

धीरे धीरे मैंने उसकी साड़ी को ऊपर उठाया और उसकी टांगों को थोड़ी देर सहलाने के बाद मैंने उस भाभी की चूत में उंगली करना चालू कर दिया. वो मेरे सामने देख कर मुस्कुरा रही थी. ऐसे तक़रीबन 30 मिनट तक चला होगा. वो मेरे हाथ से ही 2 बार झड़ गई थी.

अब वो मेरे लंड को मेरे पेंट के ऊपर से ही सहला रही थी. मैंने विंडो से बाहर देखा तो पता चला कि हम लोग भावनगर पहुँचने वाले हैं, तो जल्दी से हमने अपने कपड़े ठीक किए और सही से बैठ गए.

हमने अपने नंबर एक्सचेंज किए उसने नम्बर देते हुए कहा- मैं फोन करूँगी, तुम मुझे फोन नहीं करना. इतने में ही उसका स्टॉप आ गया, वो मुझे बाय बोलकर चली गई.

मैं भी उनकी चुत के रस से भीगी अपनी उंगली को चूसता हुआ अपने घर चला गया. मैं घर आकर उसके कॉल का इन्तजार कर रहा था.

पर उस दिन उसका कॉल नहीं आया.

फिर दूसरे दिन एक अनजाने नंबर से किसी का फ़ोन आया. जब मैंने फ़ोन रिसीव किया तो सामने से एक सेक्सी आवाज आई- मैं निशा बोल रही हूँ. हम बस में मिले थे. मैंने बोला- यार, कल से में तुम्हारे कॉल का इंतजार कर रहा था.

फिर हमने थोड़ी इधर उधर की बातें की और तभी उसने सीधे मुझसे कह दिया- क्या तुम मेरे घर पे आ सकते हो. मैंने कहा- हां क्यों नहीं. उसने मुझे अपने घर का अड्रेस दिया.

मैंने बाइक निकाली और कॉलेज जाने की बजाए सीधे उसके घर पहुँच गया. उसके घर पहुँकर मैंने डोर बेल बजाई तो अन्दर से निशा आई. उसने मुझे अन्दर आने को कहा. उसका घर इतने सुन्दर तरीके से सजाया गया था कि दिल खुश हो गया. मुझे तो वो काफी रिच लग रही थी.

मैंने उसके पति के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वो एक इंटरनेशनल कंपनी में काम कर रहे हैं, इसलिए वह अक्सर बाहर ही रहते हैं.

इतनी बातें करने के बाद वह मेरे लिए कोल्डड्रिंक ले आई. फिर मैंने कोल्डड्रिंक खत्म करके बात करना चालू किया तो उसने मेरे लबों पे हाथ रख कर कहा कि अब और बातें नहीं.

इतना कह कर बस वो मेरे होंठों पे टूट पड़ी. उसकी बेचैनी से लग रहा था मानो वो अपनी बरसों की प्यास आज बुझाने का प्रयास कर रही हो.

फिर उसने एक एक करके मेरे सारे कपड़े उतार दिए और जानवरों की तरह मुझ पर टूट पड़ी. उसने मुझे बाहर सोफे पे लिटा कर मेरे जिस्म को कितनी देर तक चूमा. मैं भी उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसके मम्मों को दबा रहा था.

मैंने उससे पूछा कि खेल शुरू करें? उसने कहा- बेडरूम में चलो.

मैंने उसको उठाया और उसके बेडरूम में ले गया.. और एक एक करके उसके जिस्म से सारे कपड़े उतारने लगा. फिर उसके मम्मों को बहुत देर तक चूसा.

वो ‘आह आह..’ की आवाज करके पूरे मजे ले रही थी. उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गई. उसने अपने कोमल हाथों से मेरे लंड को पकड़ा और आगे पीछे करने लगी. कुछ पल बाद ही उसने मेरे लंड को किसी छोटे बच्चे के जैसे लॉलीपॉप समझ कर चूसना शुरू कर दिया. दस मिनट लंड चुसवाने के बाद मैं उसके मुँह में ही झड़ गया. वह मेरा सारा पानी पी गई और मेरे लंड को चूसकर उसने साफ़ कर दिया.

मेरा नशा अभी खत्म नहीं हुआ था.

मैं उसे धक्का देकर उसके ऊपर आ गया और फिर उसके सारे जिस्म को चूमा. उस पर नशा सा छा गया. मैंने 69 में आकर अपना मुँह उसकी चुत पर लगाया और उसकी चुत को चूसने लगा. वो मदहोश हो चुकी थी. मुझे पता लगा कि उसका पति कभी उसकी चूत नहीं चाटता था. मेरी जीभ के स्पर्श से वह पागल हो गई थी. उसने मेरा सर अपने हाथों से जोर से दबा दिया. करीब दस मिनट चुत चुसवाने के बाद वो भी भलभला कर झड़ गई.

इतनी देर में मेरा भी लंड अपनी औकात में आ गया था, पूरा 6.5 इंच का हो गया था.

मैंने उसे उठाया और डॉगी स्टाइल में होने को बोला, वो झट से कुतिया बन गई. मैं पीछे से आकर उसके दोनों मम्मों को हाथों से पकड़ कर मेरा 6.5 इंच का लंड को उसकी चुत में डालने लगा.

पर उसकी चुत टाइट थी.. शायद उसने कई दिनों से सेक्स नहीं किया था. मैंने उसे दस मिनट डॉगी स्टाइल में चोदा, फिर मैंने पोजीशन चेंज की और उसे खड़े खड़े चोदा. वो निहाल हो गई थी.

अब मेरा पानी आने वाला था.. तो मैंने पूछा- कहां निकालूँ? उसने कहा- अन्दर ही निकाल दो.. मैं कई दिनों से भूखी हूँ.

मैंने अन्दर ही रस निकाल दिया और फिर हम बेड पर लेट गए. दस मिनट बाद खेल शुरू हो गया. उसके लंड चूसने के बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने उसे बेड पर चित लिटाया और उसके दोनों पैर मेरे कंधे पर रख कर उसे चोदने लगा.

अबकी बाद बीस मिनट की चुदाई में वो दो बार झड़ गई थी. इसके बाद मैं भी उसके अन्दर झड़ गया.

फिर थोड़ी देर बाद आराम करने के बाद हमने साथ में नहाया. नहाते वक़्त वो मेरे साथ मस्ती कर रही थी. मेरे लंड पर साबुन मल रही थी. इससे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और हमने बाथरूम में एक बार फिर से चुदाई की.

फिर हम नहा कर बाहर आ गए और फोन से रेस्टोरेंट से खाना आर्डर किया. बीस मिनट बाद खाना आ गया. हम दोनों ने नंगे ही खाना खाया.

फिर खाना खत्म करने के बाद मैंने उसे कहा कि मुझे तुम्हारी गांड मारनी है. पहले उसने मना किया कि मैंने सुना है कि गांड में ज्यादा दर्द होता है. मैंने तो कभी ट्राई भी नहीं किया.

मेरे बहुत कहने पर वो मान गई. मैंने तो तय किया था कि वह अगर प्यार से गांड मरवाना चाहती है.. तो ही मैं उसकी गांड मारूँगा वरना मुझे गांड नहीं मारनी. क्योंकि जो मजा प्यार से करने में है. वह मजा जबर्दस्ती से करने में नहीं है.

मैंने उसके पास रखी वैसलीन की शीशी ली और उसमें से उसने मेरे लंड पे वैसलीन से मालिश कर दी.

मैंने उसको डॉगी स्टाइल में आने को कहा और थोड़ी ज्यादा सी वैसलीन उसकी गांड की छेद में लगा दी. उसकी गांड काफी टाइट होने की वजह से मेरी एक उंगली भी ठीक से नहीं जा पा रही थी.

फिर जैसे तैसे करके उसकी गांड में वैसलीन लगाई. मैंने जैसे ही थोड़ा सा लंड उसकी गांड में डाला, वह दर्द के मारे चीख उठी. मैं रुक गया और उसे किस करने लगा. किस करते करते मैंने एक झटके में आधा लंड उसकी गांड में डाल दिया. किस के कारण मेरे होंठ उसके मुँह की बंद किये हुए थे. वो चीख भी न सकी.

मैंने दूसरे झटके में पूरा लंड डाल दिया. थोड़ी देर दर्द कम होने के बाद वह गांड उछाल उछाल के मजे लेने लगी. दस मिनट के बाद मैं उसकी गांड में ही झड़ गया.

फिर हमने साथ शावर लिया और मैं अपने घर जाने लगा.. तो उसने मुझे 5000 रूपये दिए. मैंने मना किया ,फिर भी वह नहीं मानी. मैंने उसके दिए गए पैसों को रख लिया और जब मैं घर जा रहा था तो रास्ते में जो बचे नंगे भीख मांग रहे थे.. उन सभी बच्चों के लिए कपड़े और खाना ले दिया.

इस तरह भाभी ने जम कर चुदाई करवायी और मैंने बस में मिली भाभी को संतुष्ट किया.

मुझे भाभी सेक्स कहानी लिखने में कोई भूल हो गई हो तो आपसे निवेदन है कि नजरअंदाज कर दीजिएगा.

आप लोगों को मेरी भाभी सेक्स स्टोरी कैसी लगी, मेल जरूर कीजिएगा. [email protected]

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