लिफ्ट का अहसान चूत देकर चुकाया-8

अभी तक मेरी हिन्दी सेक्स कहानी में आपने पढ़ा कि मैं अपने दोस्त के खाली घर में दो लड़कियों को चोदने के लिए ले गया. अभी एक कुंवारी लड़की की बुर में लंड घुसाया ही था कि मेरे दोस्त की बीवी वहाँ आ गई और थोड़ा नाराज होने के बाद वो भी हमारे चुदाई के खेल में शामिल हो गई. अब आगे:

मैंने कॉटन लेकर अलका की चूत के अग्र भाग में भर दी और फिर रिमूवर को उसकी चूत में अच्छे से लगा कर उसकी टांगों के बीच बैठा जांघों को चूम रहा था। तभी दोनों लड़कियाँ पास आयी और बोली- कुछ मजा हमें भी दीजिए, हमारी चूत को भी प्यार करिये। मैं बारी-बारी से दोनों लड़कियों की चूत में अपनी जीभ फिराने लगा. तभी अलका बोली- एक लड़की मेरे पास आओ! सोनी अलका के पास चली गयी.

सोनी को देखकर अलका बोली- आओ मैं तुम्हारी इस छोटी मुनिया को प्यार करूँ! आओ मेरे मुंह में बैठो! सोनी अलका के मुंह में बैठ गयी, इधर मैं रेशमा की चूत चाटने के साथ-साथ अलका की जांघों को सहला रहा था, उसके पैर कांप रहे थे, रेशमा की चूत चाटने और अलका की जांघों को सहलाने से मेरे लंड में भी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और लंड टाईट होकर सीधा अलका की चूत से टच करने लगा।

इधर थोड़ी देर रेशमा की चूत चाटते हुए उसकी गांड में उंगली डाल रहा था।

इस समय हम सभी में मस्ती छाती जा रही थी; सभी के मुंह से उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाज आ रही थी जो कि उस कमरे के वातावरण को वासनामय बना रही थी। बीच बीच में मैं अपने लंड को मसल भी रहा था. अब रेशमा मेरे मुंह में झड़ चुकी थी, उसका रस का वो कसैलापन उसके लिये कोई शब्द नहीं है, बस कल्पना कीजिए कि फुहार के मौसम की पहली बारिश में जिस तरह से मिट्टी की सौन्धी खुशबू आती है, बस वही थी मेरे लिये।

जब रेशमा हटी तो फिर मैं कॉटन से अब अपने दोस्त की बीवी अलका की चूत पर लगाई बाल साफ़ करने की क्रीम को साफ करने लगा, क्रीम के साथ-साथ उसके बाल भी बड़ी आसानी से निकल आ रहे थे. अब सोनी भी अलका से अलग हो गयी थी और अलका का मुंह कुछ इस तरह बना हुआ था, जैसे कि वो कुछ गटक रही हो, जिसका मतलब साफ था कि सोनी का पानी अलका मजे ले कर पी रही थी।

इधर अलका की चूत से एक-एक बाल गायब हो चुके थे, फिर भी मैं उसकी चूत को कॉटन को गीला करके साफ कर रहा था, यहाँ तक कि चूत के मुहाने में जो कॉटन लगाया था उसको भी बाहर कर दिया और बहुत अच्छे से उसकी चूत की सफाई की। अब मेरे दोस्त की बीवी अलका की चूत चिकनी और गुलाबी हो चुकी थी, एक नयापन था.

अच्छे से साफ करके मैंने एक गहरा चुंबन उसकी चूत में जड़ दिया और फिर उससे अलग हो गया और बोला- मैडम, आपके आदेश का पालन कर दिया है, आपकी झांट साफ कर दी है; अब आगे क्या करना है? “बताती हूँ… मेरी झांट बना कर तुमने कोई दुनिया नहीं जीत ली है।” कह कर वो उठ खड़ी हुयी और पलंग पर आकर लेट गयी और अपने कमर के नीचे के हिस्से को पलंग के बाहर कर ली और फिर फांकों को फैलाकर अपनी मूत्र नलिका को दिखाते हुए बोली- तुम्हें इसे तब तक चूसना है, जब तक मैं तुमसे हटने के लिये न बोलूं!

मैं घुटने के बल उसकी जांघों के बीच एक बार फिर आ गया, मेरा लंड तना हुआ था और सुपारा पलंग के किनारे लगी हुयी पट्टी से लड़ रहा था, ऐसा लग रहा था कि चूत नहीं मिली है तो पट्टी को ही चूत समझ कर अपना सिर उस पर फोड़ रहा है। मुझे पक्का विश्वास था कि बन्दी बड़ी मादर चोद है, मुझे अपना मूत्रपान कराना चाह रही थी, और सच में मैं भी चाह रहा था कि उस जैसी खूबसूरत काम की देवी का मूत्रपान करूँ।

मैंने चूत की फांकों को चाटते हुए उसके मूत्र नलिका को अपने होंठों के बीच ले लिया। कुछ ही देर में गर्म गर्म पानी रोक रोक कर मेरे मुंह के अन्दर छोड़ रही थी, जब वो अपनी मूत्र को रोकती तो उसकी गांड आपस में चिपक जाती, जैसा कि हम सभी के साथ ऐसा होता है, जब मूत को जबरदस्ती रोकना होता है, तो गांड को ताकत के साथ दबाना पड़ता है।

करीब दो तीन मिनट तक ऐसा ही चलता रहा, इधर लकड़ी की पट्टी से सुपारा रगड़ने के कारण मेरा माल भी बाहर निकल चुका था। एक एक बूंद चुसवाने के बाद उसने मेरे सर को पकड़ा और अपनी कमर उचका कर चूत को मुंह से दूर करने लगी, जिसका मतलब था कि उसका काम पूरा हो चुका था।

मैं भी उठकर अलका के ऊपर लेट गया और होंठों को चूसते हुए बोला- अलका जी, आपने अपना काम कर लिया है, मुझे भी बहुत तेज आयी है, इस गुलाम पर मेहरबानी करें तो इस गुलाम का भी जीवन सुधर जायेगा। उसने मेरे बालों को सहलाया और बोली- मेरी जान तुम गुलाम नहीं हो, तुम जान हो, और अपनी जान की हर इच्छा मैं पूरी करूँगी।

कह कर वो उठी और मेरे मुरझाये हुए लंड को पकड़ते हुए बोली- ये क्या… कहाँ तुम्हारा माल निकल गया? “यहीं इसी पट्टी में… जब मैं तुम्हारी चूत का रसपान कर रहा था, तो मेरा लंड पट्टी से टकरा रहा था।” “ओह बेचारा…” कहते हुए अब वो नीचे घुटने के बल बैठ गयी और मैं पलंग पर, फिर उसने मेरे लंड को मुंह में लिया और बोली- धीरे धीरे छोड़ना!

दोनों लड़कियाँ पास खड़ी होकर देख रही थी, मैंने भी धीरे धीरे अपने मूत्र को छोड़ना शुरू किया, जिसको वो पी गयी, दोनों लड़कियाँ देखती रही. फिर जब हम दोनों का काम खत्म हो गया तो दोनों लड़कियाँ बोली- चलो अच्छा हुआ, एक बोतल और मिल गयी मूतने के लिये, अब जब हम लोगों को पेशाब लगेगी, तो एक दूसरे के मुंह में मूत लेंगी। “लेकिन अभी मुझे पेशाब आयी है!” सोनी बोली. “मैं क्या करूँ?” मुझे भी तपाक से रेशमा भी बोली। “तुम दोनों इस समय तो बाथरूम में घुस कर करके आ जाओ।” मैं बोला।

तभी अलका बोली- खड़ी होकर करना। “खड़ी होकर?” रेशमा बोली और दोनों अलका को देखने लगी। “हाँ मेरी छोटी छोटी चुदक्कड़ सहेलियो, खड़ी होकर करो, जैसे लड़के करते हैं; बहुत अच्छा लगता है। अकसर मैं भी खड़ी होकर मूत लेती हूँ।”

दोनों नंगी लड़कियाँ बाथरूम में घुसी, अलका ने मेरा हाथ पकड़ा और बाथरूम की तरफ चल पड़ी। दोनों ही खड़ी होकर मूत रही थी और एक दूसरी को देख कर मुस्कुरा भी रही थी।

मूतने के बाद दोनों लड़कियाँ थोड़ा सा पीछे की और अपनी गांड की और चूत को हाथ से साफ करने लगी, उसके बाद अपनी उंगलियों को मुंह के अन्दर लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। अलका बोल पड़ी- क्यों रे लड़कियो, अपने मूत और चूत का स्वाद कैसा लग रहा है?

दोनों बिना कुछ बोले बाहर निकल कर कमरे में आ गयी, मैं और अलका भी उनके पीछे पीछे आ गये।

अब बारी थी चुदाई की… तीनों कमरे में आकर सोफे पर बैठ गयी, अलका ने इशारे से मुझे अपने पास बुलाया और मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी। बारी बारी से तीनों लड़कियाँ मेरे लंड को चूस रही थी। जल्द ही मेरा लंड तन कर सख्त हो गया।

फिर तीनों एक दूसरी का हाथ पकड़े पलंग पर आकर लेट गयी। मेरे सामने तीन तीन नंगी चूत थी चोदने के लिये। सबसे पहले मैंने तीनों की चूत को चाट चाट कर गीला किया और फिर रेशमा की चूत को चुना चोदने के लिये क्योंकि रेशमा अभी ना बराबर ही चुदी थी।

चूत के मुहाने पर रख कर लंड अन्दर डालने की कोशिश की मैंने… लेकिन फिसल कर लंड बाहर आ गया।

रेशमा भी इतनी देर में खेल को समझ चुकी थी, उसने अपनी चूत का मुंह खोल दिया, एक बार फिर लंड को मुहाने पर सेट किया और एक हल्का सा धक्का लगाया, हल्की सी चीख निकली, लेकिन इस बार उसने उस चीख को अपने अन्दर ही दबोच लिया।

अभी भी उसकी चूत काफी टाईट थी; मैंने धीरे धीरे लंड को चूत के अन्दर डालना शुरू किया। अलका और सोनी रेशमा के अगल बगल हो कर लेट गयी और एक हाथ लगाकर उसकी चूची को दबा रही थी और दूसरे हाथ से अपनी चूची को दबा रही थी।

धीरे धीरे प्रयास से मेरा लंड रेशमा की चूत में घुस चुका था। लंड को अपने चूत के अन्दर लेते हुए जो दर्द वो महसूस कर रही थी और जिस तरह वो अपने मुंह को दबाये हुए थी, उसको दर्द काफी हो रहा था, मैंने लंड अन्दर डालने के बाद उसकी चूची को अपने मुंह में भर लिया और दाने को चूसने लगा। शायद उसको दर्द में राहत मिल रही थी, इसलिये अपनी कमर को हल्का हल्का हिला कर लंड को अपने अन्दर एड्ज्स्ट कर रही थी।

जैसे जैसे मैं धक्के लगाता जा रहा था, उसकी चूत में जगह बनती जा रही थी और वो भी अपनी कमर हिलाने लगी। मैं अपने स्नायुतंत्र को काबू में भी करने की कोशिश कर रहा था क्योंकि मुझे तीन तीन चूत का पानी निकलना था। फिलहाल मेरा मन रेशमा पर ही एकाग्र था, मेरी गति बढ़ती जा रही थी और रेशमा भी तेज तेज अपनी कमर उचका कर लंड को पूरा अन्दर लेने की कोशिश कर रही थी और चिल्ला रही थी- और तेजी से… और तेजी से।

इसी बीच मैंने अपना लंड निकाला और सोनी के चूत में फंसा दिया, उसकी भी चूत बहुत ही कसी हुयी थी, सुपारा अटक गया था। शायद उस दिन के बाद आज अपनी चूत में लंड ले रही थी, इसलिये वो भी लंड चूत के अन्दर जाने के साथ ही आह आह कर रही थी। रेशमा वाली प्रक्रिया भी सोनी में दोहाराई।

बाकी की दोनों लड़कियां अपनी चूत में उंगली कर रही थी। सोनी को चोदने के बाद अब बारी मेरे दोस्त की बीवी अलका की थी, मैंने अलका की चूत के अन्दर लंड डाला, इस बार लंड आसानी से चूत के अन्दर चला गया.

इससे पहले मैं अलका को चोदने के लिये धक्के लगाता, उसने मेरी दोनों कलाईयों को झटका दिया, मैं सीधे अलका के ऊपर गिर पड़ा. “जान थक गये क्या?” फिर खुद ही बोली- हाँ, थक तो गये होगे। ऐसा करो, आधा लंड चूत के बाहर कर लो और मेरा दूध पियो! मैंने अपने लंड को अलका की चूत से आधा से ज्यादा बाहर निकाला।

इधर अलका ने भी मेरी कमर को अपने पैरों के बीच फंसा लिया था। मैं अलका के निप्पल को दांतों के बीच फंसा कर काटने लगा, अलका अपनी कमर को उचका उचका कर मुझे चोदने लगी। थोड़ी देर तक अलका मुझे चोदती रही, फिर उसने अपने पैरों की पकड़ को ढीला किया।

मैंने अब अलका को छोड़ा और सीधा लेट गया; अलका मेरे लंड के ऊपर बैठ गयी और एक बार फिर से मुझे चोदने लगी।

फिर अलका हटी और रेशमा और सोनी की तरफ इशारा की, रेशमा मेरे बगल में ही लेटी थी, वो उठी और अलका के बताये हुए तरीके से मेरे लंड पर बैठ गयी और मुझे चोदने लगी, काफी देर ऊपर नीचे करने के बाद बोली- अरे वाह… इसमें कितना मजा आ रहा है।

अब बारी सोनी की थी!

इस तरह तीनों गीली गर्म चूत बारी बारी मेरी सवारी कर रही थी कि तभी अलका पलंग से उतर कर घोड़ी स्टाईल में खड़ी हो गयी, उसको देख कर दोनों लड़कियाँ भी उसी स्टाईल से उसके अगल बगल खड़ी हो गयी।

बाकी का काम मुझे करना था, इस बार जिसको जिसको मैं चोदता गया वो झड़ती हुयी हट गयी, अन्त में बची अलका, वो काफी खेली खाई थी, वो भी हार नहीं मानने वाली थी. इस बार मैंने जैसे ही उसकी चूत को चोदना शुरू किया कि वो खड़ी हो गयी, उसकी पीठ मुझसे चिपक गयी, उसने मेरे हाथ पकड़ कर अपने मम्मों के ऊपर रख दिए, उसके बड़े बड़े मम्में मेरे हाथों के बाहर थे, फिर भी मजा आ रहा था।

थोड़ी देर बाद वो फिर घोड़ी बन गयी, इस बार दोनों ही ज्यादा नहीं चली और दोनों साथ ही खलास हो गये। फिर सब एक साथ नहाये और कपड़े पहन कर सो गये। अलका के साथ दोनों लड़कियां आराम करने चली गयी, जबकि मैं उस कमरे में लेट कर आराम करने लगा और अपनी किस्मत पर खुश होने लगा।

पता नहीं नींद कब आ गयी।

आलोक ने आने पर हमें जगाया। उसके साथ अलका भी थी जो इस समय नाईटी में थी।

फिर हम सब साथ बैठकर काफी देर तक बातें करते रहे और फिर खाना खाने के बाद अलका और आलोक अपने कमरे में चले गये, फिर मैं और दोनों लड़कियां मेहमान वाले कमरे में आ गये। चूंकि अब सबके सोने की बारी थी, इसलिये हम तीनों को कोई डिस्टर्ब नहीं करता, इसलिये हम तीनों की आपसी सहमति से सभी ने अपने कपड़े उतारे और पलंग पर लेट गये, दोनों लड़कियां मेरे अगल बगल मुझसे चिपक कर लेटी थी।

लड़कियों का मुझ से चिपक कर लेटने के कारण उनके जिस्म से निकलती हुयी गर्मी मेरे जिस्म को पिघलाने के लिये काफी था, और हमारे नंगे जिस्म के कारण नींद न आना भी स्वाभाविक था। धीरे धीरे पहले दोनों लड़कियों के हाथ मेरे सीने में चलने लगे, दोनों ही लड़कियाँ मेरे सीने के बाल और निप्पल से खेल रही थी। दोनों ने अपने अपने उंगलियों के बीच में मेरे निप्पल को फंसा कर मसलना शुरू किया।

मुझे झुरझुरी सी महसूस होने लगी और तो और मेरे लंड में भी हल्का मीठा सा एक खुजली जैसा हो रहा था, तभी दोनों लड़कियों ने अपने पैर मेरे पैर पर रखे और अपनी तरफ खीचने लगी, मैंने उनकी बातों को समझ कर अपने पैर फैला दिये। फिर रेशमा ने अपने अंगूठे से मेरे सुपारे को रगड़ने लगी।

मेरे भी हाथ दोनों के चूतड़ों को सहलाने लगे और मेरी उंगलियाँ भी कोशिश कर रही थी कि उनकी गांड में घुस सकें, पर उंगली भी बाहरी दरार पर ही पहुंच पा रही थी। उसके बाद दोनों लड़कियाँ मेरे निप्पल को चूसने के साथ साथ दांतों से काट रही थी, दोनों बारी बारी से मेरे जिस्म को चाट रही थी, उसके लंड-पान करने से मेरा लंड राड की तरह कड़क हो गया। दोनों लड़कियां बारी बारी आकर मुझसे अपनी अपनी चूत को चटवा कर फिर से अपने काम में लग जाती।

काफी देर तक ऐसा ही चलता रहा, फिर सोनी मेरे लंड पर बैठ गयी और रेशमा मेरे मुंह पर’ इधर सोनी मुझे चोद रही थी तो उधर रेशमा की चूत की फांकें मेरे होंठ को रगड़ रही थी। फिर दोनों पाला बदल लेते, मुझे उठने ही नहीं दे रही थी। दोनों काफी देर तक ऐसा ही करती रही, फिर सोनी आयी और मेरे मुंह में बैठ गयी, उसकी चूत से बहता हुआ उसका वीर्य मेरे मुंह के अन्दर था, उसके बाद रेशमा आयी और उसने भी अपना वीर्य मेरी मुंह में डाल दिया, फिर दोनों लड़कियाँ मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी.

अन्त में मैं भी रूक नहीं पाया, मेरा शरीर अकड़ने लगा और मेरे लंड ने माल छोड़ना शुरू कर दिया। उसके बाद मैं शांत हो गया और मेरा लंड मुरझा कर छोटा सा होकर दुबक गया, उसके बाद दोनों लड़कियां मुझसे चिपक गयी और बात करते करते हम सभी नींद की आगोश में आ गये।

इस तरह तीन दिन तक हम लोग मेरे मित्र आलोक के घर में रह कर मजे करते रहे और इस मजे में अलका भी हमारा साथ देती रही पर आलोक ने कभी साथ नहीं दिया।

तो दोस्तो, मेरी हिंदी सेक्सी कहानी कैसी लगी, कृपा करके मेल के माध्यम से मुझे अपने विचार बतायें। धन्यवाद आपका अपना शरद सक्सेना [email protected] [email protected]