फार्म हाउस के पूल में गर्लफ्रेंड गांड मारी

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सभी खड़े लंडों और टपकती चुत को मेरा प्रणाम! पिछली कहानी फ़ार्म हाउस में कुंवारी चूत चोदी

में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने अपनी क्लास मेट अपनी प्रेमिका अर्पिता गर्लफ्रेंड की चूत चोदी.

अब आगे हमारी मस्तियों को कहानी मेरी जुबानी! मैं और अर्पिता एक दूसरे से बहुत करीब आ गए, रोज़ फ़ोन पे बात होना और विडियो कॉल पर सेक्स करना हमारा प्रिय शगल बन गया था. चूंकि हम दोनों ही जॉइंट फॅमिली में रहते हैं इसलिए किसी के भी घर पर चुदाई का नो चांस! और चूंकि मैं और वो दोनों ही शहर के संभ्रांत घरों से थे, तो किसी होटल में जाने का रिस्क नहीं ले सकते थे. इसलिए फार्म हाउस ही हमारी पहली और आखरी पसंद था.

लगभग एक हफ्ते तक हम फार्महाउस नहीं जा पाए क्योंकि मैं सन्डे के अतिरिक्त कहीं जाने में सक्षम नहीं था. जैसे तैसे सन्डे आया, हमने प्लान बनाया फार्महाउस जाने का, रास्ते भर हम एक दूसरे का हस्तचोदन और चक्षुचोदन कर रहे थे. फार्म हाऊस पहुँचते ही वो इस तरह से मेरे से चिपक गयी जैसे फेविकोल का जोड़.

मैंने उससे गोद में उठाया किस करते हुए और पूल (ट्यूब वेल) की तरफ ले गया. अर्पिता- मुझे तैरना नहीं आता! “अरे ये गहरा नहीं है, सिर्फ 5 फीट ही गहरा है, तुम चाहो तो भी नहीं डूब सकती और वैसे भी तुम्हारे लिए तैरता हुआ हवा वाला बेड है.”

इतना बोल कर मैंने उसे पूल में डाल दिया और खुद भी पूल में उतर गया. उस दिन अर्पिता ने स्कर्ट पहनी हुई थी, जो पानी के कारण ऊपर हो रही थी. मैं बार बार पानी में डुबकी मार कर उसके भीगे हुस्न के दीदार कर रहा था. यह पहला मौका था जब मैं किसी लड़की के साथ पूल में था और फार्म हाउस पे कोई नहीं था. नौकर को मैंने पहले ही बाहर भेज दिया था.

हम दोनों दो भीगे बदन एक दूसरे के पास आ रहे थे और एक दूसरे की बांहों में समा गए, हम दो प्रेमी एक दूसरे को किस कर रहे थे और एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे. ऐसा पहली बार था, जब एक भीगा हुस्न मेरी बांहों में था, उसके चेहरे से टपक रहा पानी, वो भीगी भीगी जुल्फें, बदन पर चिपके हुए कपड़े पानी में आग लगाने को काफी थे. ऊपर से पानी में तैर कर ऊपर उठती हुई उसकी स्कर्ट, और गीले होने के कारण कपड़ों से झांकती हुई ब्रा, और उस पर तीखी तनी हुई निप्पल!

सच बताऊँ दोस्तो, उस दिन पहली बार हुआ जब मैं खड़े खड़े ही झड़ गया, शायद अधिक उत्तेजना के कारण पर पानी के अन्दर होने क कारण इज्ज़त बच गयी. मैंने पानी में एक डुबकी मारी और सीधा उसकी स्कर्ट में से पेंटी तक पहुँच गया और पानी के अन्दर ही उसकी पेंटी के ऊपर से चूत पर एक किस कर दिया. मेरी इस हरकत का उसको अंदाज़ा नहीं था. मेरे हाथ उसके नितम्ब से होते हुए उसके पीठ पर पहुँच गए और मैं उसके पेट पर किस करता हुआ उसके दो भीगे हुए स्तनों के बीच!

यह मेरे लिए एक नया अनुभव था, तो मैंने कई बार ऐसा किया, पेंटी उतार कर भी पानी के अन्दर जितनी देर चूत का मुखचोदन कर सकता था, किया. अर्पिता को भी ये सब पसंद आया, वो भी पानी में गोते मार कर मेरा लंड चूसती और फिर सांस लेने के लिए बाहर आती.

इसी बीच हम दोनों ने थोड़ी दारु भी पी ली जो पूल के किनारे पर ही रखी थी

हम दोनों के कपड़े धीरे धीरे हमारा साथ छोड़ रहे थे, मैं उसके और वो मेरे कपड़े उतार रही थी, ठन्डे पानी में भी हम एक दूसरे के जिस्म की गर्मी महसूस कर रहे थे. अब हम दोनों पानी में निर्वस्त्र थे और मेरा लंड उसकी चूत द्वार पर दस्तक दे रहा था.

एक बार फिर मैंने पानी में डुबकी लगायी, उसको नितंबों से पकड़ा और ऊपर उठा लिया. इस तरह कई बार हमने एक दूसरे को पानी में धकेला, उठा कर गिराया और एक दो बार दोनों एक साथ पानी के अन्दर जा कर किस भी किया. वैसी भी कलयुग की एक महान काम देवी (सन्नी लियोनी) ने एक चलचित्र मे हमारे जैसे अपने भक्तों को कहा था- लेट अस डू थिस… डू दिस… पानी वाला डांस, आजा पास मेरे और कर ले बेबी थोड़ा सा प्यार! तो बस हम अपनी आदर्श देवी को मन ही मन प्रणाम किया और पानी के अन्दर ही मस्ती करने लगे.

ऐसा करते करते हमने कई बार पानी के अन्दर एक दूसरे को किस भी किया, हालांकि ज्यादा देर नहीं क्योंकि सांस भी लेनी होती है. कुछ देर बाद उसको उठा के उसके पीछे हवा वाला बेड था उस पर बैठा दिया. अब अर्पिता कमर तक आधी पानी के बाहर थी, आधी अन्दर… मैं दोनों जांघों के बीच आया और उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा, पानी में भीगी हुई चूत, ताज़े पानी में भीगी हुई चूत, (क्योंकि वो एक ट्यूब वेल था, न कि पूल का बासी पानी) को जीभ से चोदने का अपना ही मजा है.

बीच बीच में मैं अपने मुंह में पानी भर कर उसकी चूत में तेज़ धार छोड़ देता. करीब 10 मिनट में चूत का रस निकलने लग गया और पानी में घुलने लग गया. अब मैं उस बेड पर बैठ गया और अर्पिता मेरा लंड चूस रही थी. बीच बीच में वो भी मेरी तरह पानी मुंह में भर कर कभी मेरे लंड पर कभी मेरे मुंह पर मार देती!

थोड़ी देर चूसने क बाद लंड आपने विकराल रूप में आ गया, मैं नीच उतरा और अर्पिता को गले से लगा लिया, उसे लगा कि इस बार मैं खड़ा खड़ा ही उससे चोदूँगा, पर इस बार मेरा मन कुछ और था, मैंने अर्पिता को पीछे से पकड़ा, उसके मम्मे मसलने लगा, मेरा लंड पानी में उसकी गांड में चुभने लगा.

अर्पिता- लगता है मेरी जान का मन आज फिर तड़पाने का है, मेरी चूत में पानी में भी आग लगी हुई है और तुम हो कि मेरे मम्मों से ही खेल रहे हो. अगर जल्दी ही मेरी चूत की आग नहीं बुझाई तो शायद पानी ही गरम हो जायेगा. इतना कह कर वो हाथों से मेरे लंड को पानी में मसलने लगी.

“अर्पी मेरी जान, आज मैं तुम्हारी चूत से पहले कुछ और मारूँगा!” और इतना बोल के उसके नितम्बों पर एक जोरदार चमाट मार दी, जिसके साथ पानी की भी आवाज हुई. अर्पिता- नहीं, उसमें तो बहुत दर्द होगा… और कोई तेल भी नहीं लगाया है, चिकना करने को! “मेरी जान, पानी से ज्यादा किसी चीज़ की जरूरत नहीं है!” इतना बोल के मैं उसके पीछे से ही उसके कान के पास किस करने लगा और हल्का सा काट भी लिया, ताकि उसका ध्यान भटका सकूँ.

अर्पिता- मैं तुम्हारी हूँ, जो चाहे करो, तुम्हारा हक़ है मुझ पर, मेरी चूत पर, मेरे मम्मों पर और मेरी गांड पर भी! मैं गांड पर लंड सेट किया और एक धक्के में सिर्फ आधा इंच ही अन्दर जा पाया, अर्पिता की आँखों में दर्द साफ़ दीख रहा था.

“अर्पी, मेरी जान, अपनी गांड को थोड़ा ढीला छोड़ो, सिर्फ एक बार दर्द होगा, फिर मजा ही मजा!”

जैसे ही अर्पिता ने थोड़ी गांड ढीली करी, मैंने एक जोरदार झटका मारा, क्योंकि इस बार नहीं डालता तो फिर शायद कभी नहीं डाल पाता. उसके मुख से एक चीख निकलते निकलते रह गयी. थोड़ी देर मैं उसी पोजीशन में खड़ा रहा. जब लगा उसको दर्द कम हो गया, तो धीरे धीरे लंड आगे पीछे करने लग गया.

अब अर्पिता को भी मजा आने लगा, वो भी गांड हिला हिला कर साथ दे रही थी, मेरा एक हाथ उसके स्तनों को मसल रहा था, तो कभी उसके मुख में उंगली डाल रहा था, तो दूसरे हाथ से उसकी चूत का दाना आगे से रगड़ रहा था. इस सब में पानी की आवाज छप छप, मानो आग लगाने का काम कर रही थी.

दस मिनट तक गांड मरने और चूत का दाना रगड़ने से मैं और अर्पिता दोनों पानी में ही झड़ गए, मैंने अपना सारा माल उसकी गांड में भर दिया, जो पूल के पानी में रिस रहा था. एक बार फिर पानी में डुबकी मारी और उसकी चूत और जीभ का मिलन हुआ, वो चूत जो अभी अभी कामरस छोड़ रही थी. पर पानी ने सब साफ़ कर दिया. उसके बाद हम पानी से बाहर आ गए.

पर अभी चूत की आग बाकी थी, बाहर आकर पहले तो हमने एक दूसरे को पौंछा ताकि सर्दी न लगी, और फिर एसी ओन करके नंगे ही कम्बल में घुस गए. “क्यों मेरी जान मजा आया, पानी में आग भुझवा कर?” अर्पिता- जानू, एक बार तो मेरी सांस अटक गयी थी. दोनों छेद खुल गए है मेरे… शुक्र है कोई और छेद नहीं है, वरना और भी दर्द सहन करना पड़ता हम लड़कियों को, हर बार कुछ नया करना कितना अच्छा लगता है ना! पर अब यह नयापन ख़त्म हो जायेगा, दोनों छेद खुल चुके हैं.

मैं- नहीं मेरी जान, सेक्स में नयापन कभी ख़त्म नहीं होता, हम हर बार कुछ नया करेंगे और हर आसन में चुदाई करेंगे, बस तुम मेरा साथ देती रहना! अर्पिता- धत! मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ, तुम्हें चाहती हूँ, जो बोलोगे वो करुँगी, इस चूत के मालिक तुम हो, जैसे चाहो इस्तेमाल करना, यह देखो तुम्हारे नाम की जो मेहँदी लगाई थी उसका रंग अभी भी कम नहीं हुआ है. कहते है जितना गहरा मेहँदी का रंग उतना गहरा प्यार!

मैं- पर हमारा प्यार तो सिर्फ कुछ इंच गहराई तक पहुँच सकता है! इतना बोल कर उसके चूत में उंगली डाल दी और वो उचक कर मेरे गले लग गयी. अब हम दोनों एक दूसरे को कम्बल के अन्दर ही किस करने लगे और फिर एक और दौर शुरु हुआ, हमारी चुदाई का… लंड चूसना वगैरा वगैरा!

अभी के लिए इतना ही… अगली कहानी में बताऊंगा कि कैसे मैंने अर्पिता के जी स्पॉट को खोजा और अर्पिता को एक और नया अनुभव करवाया और खुद भी पहली बार जी स्पॉट को महसूस किया. जी स्पॉट अपने आप में सेक्स का एक अनदेखा पहलू है, जो कई मर्दों को नहीं पता, यहाँ तक कि बहुत सारी लड़कियों को भी अपना जी स्पॉट नहीं मिलता. अन्तर्वासना सेक्स स्टीज पर में एक और कहानी का समापन!

कैसी लगी मेरी कहानी? आप मुझे मेल कर सकते हैं! मेरी मेल आईडी है [email protected]

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