भाभी के जिस्म की चाहत-2

मेरी भाभी सेक्स स्टोरी के पहले भाग भाभी के जिस्म की चाहत-1 में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने अपनी किरायेदार भाभी को पटा कर चोदने के चक्कर में था. अब आगे:

मैंने सोचा कि लगता है अब बात बन जाएगी. तभी मौका देखते हुए मैंने भाभी के होठों पे किस कर दिया। शगुफ्ता भाभी एकदम पीछे हो गयी और मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे घूरने लगी।

मुझमें तो जैसे आग लग गई थी और अब कहाँ मानने वाला था मैं! लेकिन भाभी कहने लगी- यह क्या कर रहे हो आतिफ? मैंने कहा- आप मुझे बहुत अच्छी लगती हैं भाभी… प्लीज मुझे आपको किस करने दीजिये! और इतना कहते ही मैंने अपने होंठ भाभी के होंठों से मिला दिए।

भाभी विरोध करने लगी और मैं भी लगातार उनके होठों को चूस्ता रहा और उन्हें पीछे हटने का मौका ही नहीं दिया।

दो मिनट तक भाभी को किस करते हुए मैंने भाभी को सहलाना शुरू कर दिया तो भाभी ने भी विरोध करना कम कर दिया। जब मैंने भाभी को किस करना बंद किया तो देखा भाभी रो रही थी। मैंने पूछा- क्या हुआ भाभी? तो भाभी मेरे सीने से चिपक के रोने लगी और मैं भाभी को चुप कराने लगा और फिर उनके होंठ चूसने लगा।

शगुफ्ता भाभी को किस करके ऐसा लग रहा था कि मानो मुझे दुनिया की सबसे कीमती चीज़ मिल गयी हो। मुझे पता था कि शगुफ्ता भाभी एक सीधी सादी, अच्छे दिल की औरत हैं और मुझे उनसे कोई खतरा नहीं और जिस तरह अब वो मेरा साथ देने लगी तो ऐसा लग रहा था कि मानो ये मेरी मुंह बोली भाभी नहीं बल्कि मेरी ही बीवी हो।

भाभी भी आंखों में अब भी आंसू थे मगर वे मुझे चूमे भी जा रही थी और मैं भी उनको हर तरह से चूम रहा था जैसा मेरे लिए कोई हीरा हो।

लगभग 15 मिनट तक हम दोनों एक दूसरे को चूमते चाटते रहे और एक दूसरे में इतना खो गए थे कि दरवाज़ा भी बंद करना भूल गए। तभी भाभी उठी और जाकर दरवाज़ा बंद कर दिया.

मैंने पीछे से जाकर भाभी को पकड़ किया और फिर दरवाज़े से सटा के भाभी को चूमने लगा और चूमते-चाटते हम कब बिस्तर पर आ गए पता ही नहीं चला।

भाभी बिस्तर पर बैठी थी और मैं भी बैठ के किस कर रहा था और किस करते करते मैंने भाभी के मम्मे धीरे से दबाया तो उनके मुख से लंबी अअअअअ… हहह हहह निकल गई। अब भाभी की आंखों से आंसू गायब हो चुके थे और चेहरे पर लाली आ गयी थी लेकिन अब भी भाभी कुछ नहीं बोल रही थी बस मेरा साथ दे रही थी।

मैंने बिस्तर से उठकर जल्दी से अपनी शर्ट निकाली और मेरा लंड तो पहले से ही लोअर में तंबू बन चुका था। भाभी मुझे घूरने लगी और फिर सर झुका के बोली- तुम जैसे बाहर से दिखते हो, अंदर से बिल्कुल अलग हो।

जैसा कि मैं पिछली कहानियों में पहले ही बता चुका हूं कि मैं एक लंबा चौड़ा जिम जाने वाला लड़का हूँ तो अपनी फिटनेस का हमेशा ही ख्याल रखता हूं।

मैंने देर न करते हुए अब भाभी की कुर्ती निकाल दी। भाभी का आधा नंगा जिस्म देख के मैं पागल सा होने लगा। भाभी ने गुलाबी रंग की पैड वाली ब्रा पहनी हुई थी और भाभी से अजीब नशीली खुशबू आ रही थी जो मेरी उत्तेजना और बढ़ा रही थी।

अब मैं धीरे से अपना हाथ भाभी के पीछे ले गया ब्रा खोलने के किये तो भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे किस करने लगी। मैं भी पागलों की तरह भाभी को चूमने लगा और भाभी की ब्रा निकाल दी।

अब भाभी के गोल मटोल दूध मेरे सामने थे, भाभी के दूध का आकार एकदम गोल और टाइट था जैसे किसी विदेशी पोर्नस्टार के बूब्स हो। मैं अपना मुंह दूध के पास ले गया और निप्पल पर जीभ फेरने लगा, भाभी पागल सी होने लगी और जोर जोर से सिसकारियाँ लेने लगी.

तभी मैं भाभी के मम्मे अपने मुंह में ले के चूसने और दबाने लगा। भाभी मेरा पूरा साथ दे रही थी और कभी मेरे बालों को नोचती तो कभी मेरा चेहरा अपने मम्मे पर दबाती।

10 मिनट तक इस चुम्मा-चाटी के बाद मैंने एक झटके में अपना लोअर उतार दिया और अपना लौड़ा भाभी के मुख के सामने रख दिया। भाभी लंड को देखने लगी तो मैंने भाभी को लंड को चूसने का इशारा किया, लेकिन भाभी ने मना कर दिया और मुझे किस करने लगी और किस करते करते मैंने भाभी की शलवार का नाड़ा खोल दिया, भाभी की शलवार नीचे उतर गयी। अब मेरी शगुफ्ता भाभी मेरे सामने पूरी नंगी खड़ी थी और मैं भी पूरा नंगा और मेरा लंड पूरी चरम सीमा पर।

भाभी को अब इस तरह देख के मेरा तो जैसे दिमाग खराब होने लगा, मैंने भाभी को अपनी गोद में उठाया और उनके होठों को चूसने लगा, भाभी भी मुझे पागलों की तरह किस किये जा रही थी, मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि मेरे साथ ये सब हो रहा है। अब मैंने भाभी को गोद से बिस्तर पर लिटा दिया और भाभी की दोनों टांगें पूरी तरह फैला दी, भाभी की कोमल गुलाबी चूत मेरी नज़रों के सामने थी। सच कहूं दोस्तो, मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि जिसके पीछे मैं कब से पागल था वो अब ठीक मेरी आँखों के सामने थी।

मैं अपना मुँह अब भाभी की चूत की तरफ ले गया तो भाभी मुझे रोकने लगी और अपना हाथ अपनी चूत पर रख लिया। इस बार मैंने भी एक न सुनी और भाभी का हाथ हटा के भाभी की चूत पर किस कर दिया। भाभी एकदम काम्प गयी और जैसे तड़पने लगी। अब मैंने भाभी की चूत चाटना शुरू की, भाभी का विरोध भी अब कम हो गया और मेरा मुंह अपनी चूत पर ज़ोर से दबाने लगी और लंबी लंबी सिसकारियाँ लेने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआआहह… हह… उउम… मम…’ लगभग 4-5 मिनट चूत चुसाई के बाद भाभी अकड़ने लगी और ज़ोर से मेरे बाल नोचने लगी और मेरा मुंह अपनी चूत में घुसेड़ने लगी. तभी एक दबी हुई चीख के साथ भाभी ने अपनी चूत का सारा पानी मेरे मुंह पर छोड़ दिया और उठ के मुझे किस करने लगी, किस करते हुए, मेरे मुँह में भाभी की कामुकता का जो पानी था वो मैंने भाभी के मुँह में छोड़ दिया।

अब मैंने फिर से भाभी की टांगें फैलाई और अपना लंड ले जा के भाभी की चूत पर रख दिया और ऊपर से ही रगड़ने लगा। भाभी तो जैसे अब पागल सी होने लगी और अजीब अजीब आवाजें निकालने लगी. मैं भी समझ चुका था कि भाभी अब अपनी चरम सीमा पर हैं और तभी मैंने अपना लंड भाभी की चूत से हटा के मुंह के पास ले गया और अपने लंड का टोपा भाभी के मुँह में घुसेड़ दिया। भाभी मुंह से निकालने लगी तो मैंने दम लगा के और अंदर डाल दिया और भाभी के मुंह को चोदने लगा और अपने एक हाथ से भाभी की चूत में उंगली करने लगा।

कुछ देर यूँ ही चलने के बाद भाभी बिल्कुल विदेशी रांड की तरह मेरा लंड चूसने लगी, अब भाभी कभी मेरे लंड के अंडों को चूसती तो कभी पूरा का पूरा लंड अपने मुंह में भर लेती और 5 मिनट ऐसे ही लंड चुसाई के बाद मेरा पानी निकलने वाला था तो भाभी अपना मुँह हटाने लगी। मैंने भाभी का मुँह और ज़ोर से अपने लंड से दबा दिया और एक सुखद आनंद चीख के साथ लंड का सारा पानी भाभी के मुँह में ही छोड़ दिया, जिसे भाभी ने थूक दिया।

अब हम दोनों कुछ देर शांत लेटे लेकिन जल्दी ही एक दूसरे को किस करने लगे और भाभी मेरा लंड भी हिला रही थी. फिर एकदम से भाभी से लंड चूसना शुरू कर दिया और चुदाई के लिए तैयार करने लगी। कुछ 5-6 मिनट बाद मेरा लंड फिर से फुंफकारें मारने लगा। मैंने भाभी को उठाया और एक जोरदार चुम्बन किया और फिर बिस्तर पर पटक दिया और दोनों टांगें फैला दी और अपना लंड सीधा भाभी की चूत पर रख दिया। मैंने भाभी की चूत पर थोड़ा थूक लगाया और अब अपना लंड भाभी की गुलाबी चूत में पेलना शुरू किया। एक हल्का सा झटका मारा और मेरा टोपा भाभी की चूत में घुस गया। भाभी की साँसे बहुत तेज़ हो गयी, मैंने देर न करते हुए एक और झटका मारा तो आधा लंड भाभी की चूत में उतर गया।

भाभी की एकदम चीख निकल गयी, उनका पूरा बदन कांपने लगा, उनकी आंखों में आंसू आ गए और मुझे ज़ोर से अपनी बांहों में जकड़ लिया। मैंने भी बिना रहम के एक और जोरदार झटका मारा जिससे मेरा पूरा का पूरा लंड भाभी की चूत में घुसता चला गया.

भाभी तड़पने, छटपटाने लगी, कांपने लगी. तभी मैंने झटके मारना बंद कर दिए और भाभी को चूमने लगा और दूध को जोर-जोर से पीने लगा और भाभी को शांत कराने लगा. 2-3 मिनट तक यूँ ही भाभी की चूत में अपना लंड डाल के लेटा रहा और भाभी को चूमता रहा।

अब धीरे-धीरे मैंने भाभी की चूत चुदाई शुरू की और 5 मिनट बाद अब भाभी को भी मज़ा आने लगा और चिपक के मेरा साथ देने लगी। मैं ऊपर से भाभी की चुदाई कर रहा था और भाभी नीचे से अपनी चूत उठा के भरपूर मज़ा ले रही थी, कभी मुझे किस करती तो कभी दाँत काटती और तरह तरह की आवाजें निकालती।

मैं एक बार झड़ चुका था तो दूसरा राउंड काफी लंबा ही मारता हूं। तो लगभग 20 मिनट तक चली चुदाई में मैंने भाभी को अपने ऊपर बैठा कर भी चोदा और कुतिया बना के और खड़ा कर के टांग उठा कर भी चोदा। कामुकता से भरी चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ ही चरम सीमा पर पहुँच चुके थे और बस इन्तज़ार था तो परम आनंद लेने का। अब मैंने झटके मारना और तेज़ कर दिए और भाभी को ज़ोर से किस करने लगा, भाभी की भी साँसें तेज़ हो गयी और मेरे बालों को धीरे से नोचने लगी और ऐसे ही झटके मारते मारते लंबी सिसकारियों के साथ पहले भाभी झड़ने लगी और फिर मैंने भी एक हल्की चीख के साथ अपना सारा रसपान भाभी की चूत बरसा दिया।

हम दोनों के झड़ने के दौरान भाभी ने मुझे इतनी जोर से जकड़ा कि उनके नाखूनों से मेरी पीठ में निशान पड़ गए और फिर हम दोनों निढाल होकर एक दूसरेसे चिपक कर ज़मीन पर ही लेट गए और एक दूसरे को चूमते-चाटते रहे। लगभग 10 मिनट बाद हम दोनों उठे, भाभी ने मुझे कपड़े पहनाये और मुझसे गले लग के रोने लगी और कहा- अब मुझे कभी अकेला न छोड़ना! जितनी खुशी आज तुमने मुझे दी है, इतनी खुशी मुझे शादी बाद भी नहीं मिली। और मुझे एक जोरदार किस किया और फिर मैं नीचे नहाने चला गया।

अगले 3 महीनों तक यूँ ही मैंने शगुफ्ता भाभी की जमकर चूत मारी और सब कुछ किया। हमने कभी किचन में चुदाई की तो कभी रात में खुली छत पर चुदाई की तो कभी बाथरूम में चुदाई की। हम एक साथ ही ब्लू फिल्म देखते और फिर ब्लू फ़िल्म जैसी ही चुदाई करते और बहुत मस्ती करते।

बस अफसोस इस बात का हमेशा ही रहेगा कि ये सिलसिला बस 3-4 महीने ही चला। उसके बाद शमीम भाई का दूसरे शहर में ट्रांसफर हो गया और हमारा मिलना जुलना भी खत्म हो गया।

सच कहूं दोस्तो, मुझे कभी कभी यकीन नहीं होता कि शगुफ्ता भाभी जैसी सीधी सादी, कम बोलने वाली, घरेलू औरत मेरे साथ 3-4 महीने तक मेरी बीवी बन के मुझे इतना प्यार करेगी और यही वजह है कि आज मेरे दिल में शगुफ्ता भाभी की बहुत इज़्ज़त है और हमेशा ही रहेगी क्योंकि शगुफ्ता भाभी ने मुझे ज़िन्दगी की सबसे बड़ी खुशी दी है।

तो मेरे प्यारे दोस्तो, यह थी मेरी अब तक की सबसे अच्छी कहानी जिसने मेरे सभी अरमानों को संतुष्टि के साथ पूरा किया और उम्मीद करता हूँ कि आपको भी यह कहानी पसंद आये और ये कहानी पढ़ के आप सब का भी पानी छूट जाए।

मेरी भाभी सेक्स स्टोरी पढ़ के आप सब अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं मुझे ज़रूर मेल कर के बतायें। [email protected] धन्यवाद।