बेशर्म साली-5

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अभी तक आपने पढ़ा:

अब रेखा रानी ने अपने को पूरा घुमा के अपनी पीठ मेरी तरफ कर ली और हाँफते हुए बोली- राजे… मेरे हाथ दुख गये दूधों को दबाते दबाते… अब तू इनको ज़रा ताक़त लगा के मसल. पीछे से जकड़ेगा तो ज़्यादह ताक़त लगा पायेगा… समझ ले तुझे इनका कीमा बनाना है.

मैंने वही किया जो रेखा रानी की फरमाईश थी. साली के चूचे कस कर जकड़ लिए और दोनों पंजे अकड़ा कर उँगलियाँ अंगूठे उनमें गाड़ कर ऐसे मसलने लगा जैसे सचमुच में उनका कीमा बनाना हो. निप्पल को उंगली और अंगूठे के बीच ज़ोर ज़ोर से उमेठ देता जैसे निम्बू का रस निकलते हैं. कुचों और निप्पल के इस प्रकार हो रहे मर्दन से मेरी रेखा रानी बौरा सी गयी थी. बेतहाशा फुदक फुदक कर चोदन खेल खेल रही थी. कमरिया उछाल उछाल के अपने जीजा को चोद रही थी. क्या ज़बरदस्त चुदक्कड़ थी मेरी ये हरामज़ादी साली! क्या धक्के लगाती थी!! क्या सीत्कारें भरती थी!!! सुभानअल्लाह!!!!

हर धक्के पर मेरा टोपा धाड़ से जाकर रानी की बच्चेदानी पर धमाका करता जिसकी ठनक मुझे सिर तक महसूस होती. बहुत ही जबरजंग चुदाई हो रही थी. अचानक से रेखा रानी ने चार पांच धक्के बिजली की तेज़ी से ठोके और एक गहरी सीत्कार भरते हुए राजे… राजे… राजे… मेरे राजे पुकारते हुए स्खलित हो गई. वो एक बार नहीं कई दफा झड़ी. बुर की रसमलाई की तेज़ फुहारें मेरे लंड पर चारों तरफ से पड़ती हुई महसूस हुईं.

और तभी मुझे यूं लगा कि मेरे भीतर एक पटाखा फूटा. बड़े ज़ोर से मैं भी झड़ा जैसे कोई ज्वालामुखी फटा हो. दनादन मेरे लंड से वीर्य के मोटे मोटे लौंदे एक के पीछे एक बड़ी रफ़्तार से छूटे. रानी की सारी चूत भर गई मेरे मर्द मक्खन से. मेरा गर्म गर्म लेस चूत में जाते ही रेखा रानी फिर से झड़ी और एक दम से मेरे ऊपर गिर पड़ी. क्योंकि उसकी पीठ मेरी तरफ थी, इसलिये उसका मुंह मेरे घुटनों पर आ गया. उसके मुंह से गर्म गर्म साँसें हाँफते हुए मेरे घुटनों को भी गरम कर रही थीं.

मैंने रेखा रानी के निश्चल से निढाल शरीर को उठाकर अपनी बगल में लिटा दिया और खुद करवट लेकर उसकी तरफ मुंह करके लेट गया. आपकी बार मैंने रेखा रानी की चूचियों को सहलाता रहा जिससे रानी चुदने के नशे में फिर से न सो जाए. लगता है यह दोनों लौड़ाखोर बहनों की खासियत है कि चुदाई हुई और इन्हें नींद आयी. जूसी रानी का भी यही हाल है. उसको भी बार बार चोदने के लिए मुझे जगाये रखना पड़ता है क्यूंकि मेरा लंड इतना हरामी है कि कमबख्त को जब तक तीन बार चूत में घुसकर उसकी खबर अच्छे से न मिले तब तक जान में आफत किये रखता है. हालाँकि इस खासियत का बाद में बहुत फायदा मिला जब कुछ रानियां घर में आने जाने लगीं. तब जूसी रानी को एक बार चोद के सुला दिया और चले गए घर में ठहरी हुई रानी की आगोश में. रेखा रानी ने मेरी नाक को उंगली और अंगूठे से बीच कर दो तीन बार हिलाया और मुस्कुराते हुए बोली- कितना दुखी करेगा साले वहशी दरिंदे… अभी तो दूध ऐसे दुःख रहे हैं जैसे इनका कचूमर निकल गया हो.’

मैं- तूने ही तो कहा था कमीनी रंडी इनका कीमा बना दो… तो बजा दिया रानी का हुक्म. रेखा रानी- बड़े आए हुक्म बजाने वाले… तुम जैसों से तो मैं दूर से ही भली… पता नहीं तुम्हारी जूसी रानी तुम्हें कैसे झेलती है. मैं- जैसे तूने झेला, वैसे ही वो भी झेलती है… क्यों आनन्द आया ना? सच सच बोलियो साली बदचलन रंडी. रेखा- हाँ आया हरामी… खूब आया. जैसा मैंने तुझे पहली बार देख कर सपना लिया था वैसा ही मज़ा आया बल्कि उससे भी ज़्यादा.

मैंने पूछा- अच्छा? कब सपना देखा तूने इस चुदाई का? रेखा बोली- मैं क्यों बताऊँ? मैं न बताती अपने सपने को… यह तो मेरा प्राइवेट मामला है.’ मैंने ज़ोर से रेखा रानी के उरोजों को भँभोड़ा, तो रानी हुमक उठी.

“हरामज़ादी बोलेगी या असल में कीमा बना दूँ तेरा.” “साले भेड़िये… बोलती हूँ न अब छोड़ भी दे… नहीं तो दर्द की गोली लेनी पड़ेगी… जिस दिन मैंने तुझे पहली बार देखा ना तुम्हारी शादी में उसी वक़्त जूसी से जल भुन के मैं तो फुंक गई थी. ऐसा सजीला पति उसको मिला तो मेरी क्या गलती थी जो मेरे नसीब में शशिकांत जैसा निकम्मा आदमी लिखा था… पता नहीं क्यों मुझे लगने लगा था कि तू चुदाई के लिए एक जोरदार मर्द होगा… फिर कल जब तुझे फिर से देखा तो सच कहती हूँ राजे मेरी चूत ने बगावत कर दी… मुझ से एक एक पल काटना भारी पड़ रहा था… रात को जो तुम दोनों ने शोर मचाया ना उसने तो सच में जलती आग में घी टपका दिया… मुझे बहुत ज़्यादा जलन होती है जूसी से… मैं तो खुद ही चाह रही थी कि तू कुछ आगे क़दम बढ़ाए तो तेरा लंड का मैं भी स्वाद चखूं, मेरी चूत भी चखे… तू तो निकला एक नंबर का बदमाश… चोद ही डाला न मुझको.”

मैंने हँसते हुए कहा- रानी, मेरा भी यही हाल था. कल जब तुझे देखा तो लंड में तेज़ सुगबुगाहट सी हुई. जब तूने गांड पर हाथ फेरने पर कुछ नहीं कहा तो समझ में आ गया कि तू चुद लेगी… कल तेरे हाव भाव भी मुझे लुभाने वाले थे. रेखा रानी- ओये… लड़की हूँ… तुझे और कैसे संदेशा देती अपनी इच्छा का… मैंने कहा अगर समझदार होगा तो यह इशारे पढ़ लेगा, नहीं तो यह है ही नहीं मेरे लायक… अच्छा एक बात बता तू किरण को जूसी रानी क्यों कहता है. तुझे उसकी चूत का जूस बहुत अच्छा लगता है इसी लिए ना? मैं बोला- दो कारण हैं… चूत रस बहुत पसंद है वह तो बात है ही परन्तु उसकी चूत से रस इतना ज़्यादा निकलता है जितनी उसकी सू सू निकलती है… जूस की फैक्ट्री है… इसलिए जूसी रानी.

इन सब बातों से रेखा रानी उत्तेजित होनी शुरू हो गयी थी. उसके हाथ मेरे लंड को सहलाने लगे थे. लंड को तो अकड़ने में देर ही कितनी लगती है. बहनचोद रानी के हाथ लगते ही फुंफकारें मारने लगा. रेखा रानी ने धीरे से अण्डों को सहलाया तो लौड़ा और ज़ोर से उचका. रेखा रानी ने कहा- राजे अब तेरी रेखा रानी तुझे इनाम देगी… तूने बहुत मस्त कर दिया अपनी रेखा रखैल को… अब चुप चाप बिना हाथ पैर हिलाए पड़ा रह और इनाम का मज़ा लूट.

इतना कह कर रानी उठ बैठी और मेरी टाँगें चौड़ी करके उनके बीच में बैठ गयी. झुक के लंड पर चुम्मियों पर चुम्मियाँ दागीं. फिर उसने सुपारी की खाल पूरी पीछे कर के सुपारी नंगी कर दी. जहाँ सुपारी का लंड पर टांका होता है वहां जीभ घुमाने लगी. “आह! आह! आह!” कुतिया जैसे जीभ पूरी बाहर निकाल के सुपारी को खूब अच्छे से लप लप लप करके चाटा. लंड की नीचे वाली मोटी सी उभरी हुई नस को दबाते हुए रानी ने गप्प से लौड़ा होंठों में दबा लिया और लगी चूमने. मज़े की अधिकता से लौड़ा फड़क उठा. कमीना पूरा फूल गया और रानी के मुंह की गर्मी का आनन्द उठाने लगा.

अब रानी ने हौले हौले मेरे टट्टे झुलाने शुरू किये और सुपारी पर जीभ से टुकुर टुकुर करने लगी. उसके मुंह में लौड़ा घुसा होने की वजह से हरामज़ादी के मुंह में पानी भर आया था. इसलिए जीभ खूब गीली थी और उसकी टुकुर टुकुर से मेरे तमाम बदन में एक तेज़ झनझनाहट ऊपर नीचे, नीचे ऊपर दौड़ने लगी.

मस्ती में डूबकर मैं चिल्लाया- हाँ हाँ मादरचोद रंडी… चूसे जा साली… ऐसे ही चूसती रह… बहुत मस्त चूसती है बेटी की लौड़ी… कमीनी कुतिया… तेरी बहन को चोदूँ साली… हराम की ज़नी को बीच सरे बाजार नंगी नचवाऊं. रेखा रानी ने लण्ड बाहर निकाल के कहा- चुप करके पड़ा रह राजे… अब ये मेरा है… मेरा जैसा दिल में आएगा वैसा चूसूंगी… बिलकुल मत बोल बीच में… यह तेरा इनाम है बस मज़ा लूट.

यह कह के रानी ने गप्प से लण्ड को फिर से होंठों में दबा लिया और लगी पहले की तरह टुकटुकारने. काफी देर तक रानी ऐसे ही चूसती रही. कुछ समय पश्चात् रेखा रानी ने लंड को बाहर निकला, खाल पीछे करके एक बार फिर से टोपा पूरा नंगा कर दिया. सिर्फ टोपा मुंह के अंदर ले कर रानी ने खाल ऊपर नीचे करना शुरू किया. उसका मुंह बहुत गरम था और तर भी. लंड के मज़े लग गये.

अचानक रानी ने जीभ की नोक सुपारी के छेद में घुसाने की कोशिश की. मेरे पूरे बदन में एक सरसरी सी दौड़ गयी. मज़े की पराकाष्ठा हो चली थी. उसने तेज़ तेज़ लंड को हिलाना शुरू कर दिया. उसकी जीभ कमाल का आनन्द दे रही थी. कभी वह अपनी गरम गरम राल से तर जीभ टोपे पर घुमा घुमा के चाटती और कभी वह दुबारा जीभ को मोड़ के नोक लंड के छेद में डाल के एक तेज़ करंट मेरे बदन में फैला देती. क्या बढ़िया इनाम था!

यकायक रेखा रानी ने लंड पूरा का पूरा मुंह में घुसा लिया. वह ब़ड़े प्यार से अंडों को सहला रही थी और तेज़ तेज़ सिर को आगे पीछे करती हुई लंड को मुंह में अंदर बाहर, अंदर बाहर, अंदर बाहर कर रही थी. उसके घने बाल इधर उधर लहरा रहे थे.

मज़े के मारे मेरी गांड फटी जा रही थी. मैं बड़ी तेज़ी से चरम सीमा की ओर बढ़ रहा था. मेरी साँसें तेज़ हो चली थीं और माथे पर पसीने की बूंदें झलक आईं थीं. रेखा रानी ने रफतार और तेज़ कर दी. उसे महसूस होने लगा था कि मैं जल्दी ही झड़ सकता हूँ. रानी का मुंह रस से लबालब था, लौड़ा अंदर बाहर होता तो सड़प… सड़प… सड़प की आवाज़ें निकलती थीं.

रेखा रानी ने लंड और गांड के बीच में जो मुलायम सा भाग होता है, उसे ज़ोर से दबा दिया. उसने अपने दोनों अंगूठे उस कोमल जगह पर गाड़ दिये. एकदम से एक तेज़, गरम बिजली के करंट जैसी लहर मेरी रीढ़ से गुज़री, मेरे मुंह से एक ज़ोर की सीत्कार निकली और मैं झड़ा, मैंने रानी के बाल जकड़ के एक ज़ोरदार धक्का मारा. लंड बड़ी तेज़ी से उसका पूरा मुंह पार करता हुआ धड़ाम से उसके गले से जाकर टकराया. ऊँची ऊँची सीत्कार की आवाज़ें निकलता हुआ मैं बहुत धड़ाके से झड़ा.

मेरे लौड़े ने बीस पचीस तुनके मारे और हर तुनके के साथ गरम वीर्य के मोटे मोटे थक्के रेखा रानी के मुंह में झाड़े. सारा मक्खन निकल गया. मैं बिल्कुल निढाल हो कर बिस्तर पर फैल गया और अपनी सांसों को काबू पाने की चेष्टा करने लगा.

मेरा लंड झड़के मुरझा चुका था और रानी की लार व मेरे माल की बूँदों से लिबड़ा एक तरफ को पड़ा हुआ था. रानी ने सारा वीर्य पी लिया था और फिर उसने मेरे लौड़े को चाट चाट कर अच्छे से साफ किया, नीचे से ऊपर तक. रेखा रानी ने लंड के निचले भाग में जो मोटी सी नस होती है, उसे दबा दबा के निचोड़ा. वीर्य की एक बड़ी बूंद टोपे के छेद से निकली जिसे उसने जीभ से उठाया और पी लिया. अब वह मेरे बगल में आकर लेट गई और प्यार से मेरे बालों में उंगलियाँ फिराने लगी- सच बता न राजे… आया मज़ा मेरे राजा को?

मैं- हाँ रेखा रानी, बहुत मज़ा आया… तू वाकई में चुदाई और चुसाई दोनों की बेहतरीन खिलाड़ी है… मस्त कर दिया रंडी तूने मुझे… तेरे इनाम पर मैं जाऊं कुर्बान! “अच्छा राजे ज़रा टाइम तो देख कितना हुआ है?”

घड़ी मैंने उतार कर टेबल पर रख दी थी, मैं उठ कर गया और देखा कि पौने छह बज चुके थे. रेखा रानी ने कहा- तो काफी टाइम हो गया अब चलना चाहिए. मैंने कहा- ठीक है, पहले तू निकल होटल से, तेरे जाने की दस पंद्रह मिनट की बाद मैं चलूँगा. दोनों का एक साथ पहुंचना गलत हो जायगा. “सच कहता है तो राजे… पहले मैं ही निकलती हूँ.” कहकर रेखा रानी ने अपने कपड़े पहने, बाथरूम में जाकर मुंह हाथ धोये और हल्का सा मेक अप करके तैयार हो गई.

मैंने भी तब तक अपने कपड़े पहन लिए थे. चलते चलते एक बहुत लम्बी चुम्मी ली, रानी की चूचियां थोड़ी सी निचोड़ी और थोड़े से नितम्ब दबाये. आलिंगन में बंधे बंधे हमने आगे चुदाई के प्लान बनाये. मैंने उसके प्रशांत भाई की बेटी जूही को सेट करने को कहा. जूही तब कम उम्र की थी परन्तु वो क्या आफत बनने वाली थी यह दिखने लगा था. जूही की नथ खुलने का किस्सा फिर कभी.

फिर रानी बाय कहकर चली गई. पूरे पंद्रह मिनट बाद मैंने भी होटल का बिल अदा किया और वापिस वहीं चला गया जहाँ से आए थे.

तो यारो, यह थी मेरी अपनी बड़ी साली रेखा रानी की साथ चुदाई के संबंधों की शुरुआत. आशा है चुदाई का यह वृतांत आपको अच्छा लगा होगा. अपनी राय लिखना न भूलियेगा. धन्यवाद चूतनिवास [email protected]

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