जिगोलो बनने की राह-1

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

दोस्तो, भाभियो और हॉट गर्ल्स, मैं आपका राज, कोटा, राजस्थान से आज आप लोगों को एक नई और सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ कि कैसे एक ब्यूटी पार्लर की मालकिन ने मुझसे चूत चुदवा कर मुझे जिगोलो बना दिया. यह मेरी पहली कहानी है, तो इसमें अगर कोई गलती हो, तो माफ कर दें.

मैं आपको अपने बारे में बताता हूँ मेरी हाईट 5.5 फिट है, हेल्थ भी ठीक है. मेरे लंड की साईज 6 से 7 इंच है मैंने कभी नापा नहीं है.

ये बात पिछले साल की है, मैं जहां जॉब करता था, वहीं पास में एक ब्यूटी पार्लर था.उस पार्लर की ऑनर सारिका एक मस्त माल थी. वो एकदम खूबसूरत गोरी, लम्बी और फिगर एकदम हॉट. मैं उसे हमेशा देखा करता था. पर कभी कुछ बात नहीं हो पाई थी.

एक दिन मेरी शॉप पर कोई नहीं था, मैं किसी कस्टमर का इंतजार कर रहा था, वो नहीं आया, जिस वजह से मैं लेट हो गया. फिर 9.40 पर मैं दुकान बन्द करने लगा तो देखा कि सारिका भी अपना पार्लर बन्द कर रही थी. मैंने उसकी ओर देखा तो हमारी निगाहें मिलीं और हम न जाने क्यों मुस्कुराये. फिर अपनी अपनी गाड़ियों की ओर बढ़ गए.

मैंने बाइक स्टार्ट की, तभी पीछे से एक आवाज़ आई- ओह नो. मैंने पीछे देखा तो वो सारिका ही थी. मैं उनके पास गया और पूछा- क्या हुआ? तो सारिका ने कहा- गाड़ी पंचर हो गई और मैं लेट भी बहुत हो गई हूँ. तो मैंने कहा- चलिए मैं आपको ड्रॉप कर देता हूँ.

सारिका ने ‘हाँ..’ कहा और गाड़ी को पार्लर पर खड़ी करके मेरे साथ बाईक पर बैठ गई. सारिका का घर शॉप से 20 मिनट की दूरी पर था, तो हम बातें करते हुए जा रहे थे. पहली बार ऐसा हो रहा था, जब हमने इतनी बात की. उसने मेरे बारे में.. और मैंने उसके बारे में बात की.

उसने बताया कि उसके घर पर वो और उसकी सास ही रहती हैं. सारिका के पति दिल्ली में जॉब करते हैं. वो यहां पार्लर चलाती है. उसकी शादी को 4 साल हो गए है और कोई बेबी नहीं है.

हमारी बातें चल ही रही थीं, तभी एक बड़ा ब्रेकर आ गया.. जो अंधेरा होने की वजह से दिखाई नहीं दिया और हम गिरते गिरते बचे. उसी बीच मुझे सारिका के मम्मों के बड़े आकार का अंदाजा हुआ.. लगभग 38-40 के तो रहे ही होंगे.

फिर मैं गाड़ी स्लो चलाने लगा और थोड़ा थोड़ा ब्रेक लगाकर उसके मम्मों की छुअन महसूस करता जाता. क्या मस्त अहसास था दोस्तो.. तभी उसका घर आ गया.

सारिका मुझसे कुछ अलग अंदाज में बोला- आपकी सेवा के लिए धन्यवाद.. बाय. मैंने समझते और मजाक करते हुऐ कहा- हम तो सेवक हैं, जब चाहो सेवा के लिए बुला लो. सारिका हंसने लगी- अच्छा.. तो फिर सोमवार को भी सेवा दो.. मुझे यहां से लिफ्ट दे देना पार्लर तक. मैं बोला- सेवक, आपकी हर सेवा के लिए हाजिर रहेगा मैडम..

हमारी इन बातों से शायद हम दोनों ही समझ चुके थे कि मम्मों की रगड़ाई का सुख हम दोनों ने ही लिया था.

हमने मोबाईल नम्बर एक दूसरे को दिये और मैं वहां से आ गया.

उस रात को 12.15 पर एक व्हाट्सैप मैसेज आया. उसमें ‘हाय..’ लिखा था. वो सारिका का ही मैसेज था. इस तरह हमारी बातें शुरू हुईं, उस रात हमने 1 घण्टा सामान्य बातें की और अगले दिन यानि रविवार को भी हम कई बार व्हाट्सैप पर बात की.

सोमवार को वादे के मुताबिक मैं सारिका को लेने उसकी बताई जगह पर पहुँच गया. उसको उसके पार्लर से थोड़ा दूर छोड़ा क्योंकि वो नहीं चाहती थी कि कोई हमें साथ देखे ओर कुछ गलत समझे. ये भी एक तरह का संकेत ही था.

फोन व्हाट्सैप पर बातें करते हुए हमें एक हफ्ता हो गया था. आज शनिवार था, रात को 12.5 पर सारिका का मैसेज आया. उसमें लिखा था कि आज मेरा बर्थ-डे है.

फिर मैंने उसे विश किया और पार्टी देने के लिए बोला, तो वो भी पार्टी देने के लिए राजी हो गई.

उसने मुझे अगले दिन रविवार को दिन में 1.00 बजे अपने घर पर बुलाया, कहा कि कल दिन में पार्टी है.

मैं तैयार होकर ओर उसके लिए एक अच्छा सा गिफ्ट लेकर 1.20 पर उसके घर पहुंच गया. मैंने बेल बजाई, तो 5 मिनट बाद सारिका ने गेट खोला. मैं उसे देखता ही रह गया. रेड सूट में वो कयामत ढहा रही थी.

फिर उसने हाथ पकड़ कर बोला- क्या हुआ? मैं बोला- कुछ नहीं.. तुम बहुत सुंदर लग रही हो. बोली- लग रही हूँ? मैंने झट से कहा- ये ड्रेस तुम पर बहुत जंच रहा है.

वो हंस दी और थैंक्यू बोल कर मुझे अन्दर आने का कहने लगी. हम दोनों अन्दर गए. वहां कोई नहीं था.

मैंने कहा- सारिका बर्थ-डे पार्टी है और यहां कोई नहीं है? सारिका ने कहा- यहां मेरा और कोई दोस्त नहीं है तुम्हारे सिवा.. तो तुम्हें ही इन्वाईट कर लिया. तुम्हारे साथ ही पार्टी कर लेंगे. मैंने कहा- ओके.

उसका घर काफी अच्छा था. सारिका 2 गिलास पानी लेकर आई और मेरे साथ सोफे पर बैठ कर बात करने लगी. हमने पानी पिया, फिर उसने मोबाईल पर लाईट म्यूजिक लगा दिया और हम बातें करने लगे.

मैंने सारिका से पूछा- तुम्हारी सास दिखाई नहीं दे रही हैं? तो उसने कहा- वो 3 दिन के लिए किसी रिश्तेदार के यहां गई हैं, सोमवार शाम तक आएंगी.

बस फिर क्या था मेरे दिमाग में कुछ और ही चलने लगा. शायद सारिका भी यही चाहती थी, पर मैंने जल्दबाजी करना सही नहीं समझा.

हम दोनों कुछ देर बातें करते रहे, फिर मैंने उसका हाथ पकड़ा और गिफ्ट उसके हाथ में दे दिया- जन्मदिन मुबारक हो सारिका! उसने हंसते हुए गिफ्ट ले लिया और बोली- चलो खाना खाते हैं. हमने खाना साथ खाया, फिर उसने पूछा- गिफ्ट में क्या है? मैं बोला- तुम ही खोल कर देख लो.

उसमें एक डार्क बल्यू साड़ी थी. उसे बहुत पसंद आई. मैंने कहा- तो चलो अब यही पहन कर आओ.. फिर केक काटते हैं.

वो चेंज करने चली गई. मैं कुछ सोच में था कि तभी सारिका साड़ी में आकर खड़ी हो गई. मैं तो उसे देखता ही रह गया. दूध सा गोरा बदन और डार्क ब्ल्यू साड़ी में गजब माल लग रही थी. उस पर उसके गहरे गले के बैकलैस ब्लाउज ने तो मुझमें करंट ही भर दिया. मेरी पेन्ट में भी भूचाल मच रहा था.

शायद सारिका ने मेरी पेन्ट का तम्बू देख लिया था और मुस्कुराते हुए बोली- तुम भी कम नहीं हो. मैं चौंक गया और बोला- क्या कहा तुमने? वो बोली- कुछ नहीं..

फिर वो केक लेकर टेबल पर आई और हमने पहले तो केक काटा. मैंने उसे केक खिलाया उसने मुझे खिलाया. मुझे थोड़ी आत्मीयता से लगी तो कहा- थोड़ा डांस हो जाए. वो मान गई.

फिर हम डांस करने लगे, मैं अपना हाथ उसकी कमर में फेर रहा था, जिससे वो थोड़ा हॉट होने लगी.

फिर मैंने केक लेकर उसके चेहरे पर लगाया और उसे फिर से खिलाया, फिर वो चेहरा धोने जाने लगी तो मैंने उसे दीवार से चिपका कर उसके चेहरे अपने होंठों से जीभ से उसका चेहरा साफ किया.

इससे वो गर्म हो चुकी थी और मेरा विरोध भी नहीं कर रही थी. मैंने होठों के चुम्बन एक के साथ सारिका को अपनी बांहों में भर लिया. वो भी शायद यही चाहती थी. हम दोनों में मूक सहमति बन चुकी थी.

मैं उसे लेकर बेड पर चला गया. मैंने उसकी साड़ी उतार दी. कुछ ही पलों में पेटीकोट और ब्लाउज भी उतर गया. अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी. वो शर्मा रही थी, मैं भी उसके पास जाकर उसके गुलाबी रस भरे होंठों का रस पान करने लगा. अपने हाथों से उसके बड़े-बड़े बोबों को मसलने लगा, जिससे उसकी उत्तेजना और बढ़ गई. उसके मुँह से सेक्सी आवाजें निकलने लगीं.

कुछ मिनट में ही हम पूरे नंगे हो गए. मैंने उसे फुल बॉडी किस किया. जैसे ही मैं उसकी चुत पर आया, उसकी उत्तेजना और बढ़ गयी, वो बड़बड़ाने लगी और मेरा सर चुत में दबाने लगी.

उसकी चुत की महक अजीब सी मदहोश कर देने वाली थी ‘उम्मममम..’

थोड़ी देर में वो झड़ने लगी और निढाल हो गयी. अब मैंने उसे लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा- लो मेरी जान.

तो उसने पहले तो मना किया, फिर मान गई. जैसे ही उसने अपनी जीभ मेरे लंड पर लगाई, आह.. मानो मैं स्वर्ग में पहुँच गया.

मैं उसका सर पकड़ कर आगे पीछे करने लगा. फिर मैंने उसे उठाया और बेड पर ले जाकर उसकी चुत, जो एक साल से नहीं चुदी थी, उस पर अपना लंड रखा और धक्का दे दिया. मेरा आधा लंड सारिका की चुत में घुस गया और वो चिल्ला उठी- आह आआ मर गई.. कमीने धीरे चोद..

फिर मैंने शरारत करते हुए लंड को थोड़ा बाहर निकाला और फिर पूरी ताकत से उसकी चुत में घुसा दिया. वो रोने लगी और लंड बाहर निकालने को कहने लगी. वो मुझे गालियां देने लगी- बहनचोद बाहर निकाल.. साले क्या रांड को चोद रहा है.. मैं रांड नहीं हूँ हरामजादे.. धीरे चोद.. उसकी गालियां मुझे जोश दिला रही थीं. मैं रूका नहीं और उसकी चुत में लंड अन्दर बाहर किये जा रहा था.

धकापेल चुदाई चलने लगी थी, वो भी चुत चुदाई का मजा लेने लगी. हम आनन्द के चरम पर पहुँच रहे थे. उसको भी मजा आने लगा, उसका दर्द कम हो गया था. वो नीचे से अपनी गांड हिलाने लगी और ऊपर से मैं उसके बोबे दबा रहा था. मैंने उसकी चुत में लंड की स्पीड बढ़ा दी. वो आहें भर रही थी और गालियां दिए जा रही थी.

“आ..ह आह.. चोद मेरी जान और तेज चोद.. आज बहुत दिनों में इसे लंड मिला है.. निकाल दे इसकी सारी गरमी.. और तेज चोद मादरचोद..”

कुछ ही देर में शायद वो झड़ने के करीब थी, मुझे भी ऐसा ही लगा रहा था कि मेरा भी आने वाला है, मैंने उससे कहा- अन्दर ही निकाल दूँ? तो वो बोली- हां, अपनी गरमी अन्दर ही डाल दो जानू!

हम दोनों ही साथ झड़ गए. उसने बताया कि इस चुदाई में वो 2 बार झड़ी थी. हम दोनों लेटे रहे. मैंने घड़ी की तरफ देखा तो उसमें 7.35 हो चुके थे. हम बाथरूम गए, नहाये और हमने एक बार बाथरूम में भी चुदाई की.

फिर नहा कर उसने खाना बनाया. मैंने खाना खाकर उससे जाने के लिये बोला तो उसने कहा- क्या तुम एक दिन यहां नहीं रूक सकते? मैं बोला- कल सोमवार है मैडम.. पार्लर नहीं जाना? वो बोली- कल की छुट्टी.. तुम रूको तो.. बस मैं रूक गया.

हमने पूरी रात 3 बार अलग अलग पोजीशन में चुदाई की. वो बहुत खुश थी. दूसरे दिन शाम को मैं अपने घर आने को निकला, तो उसने मुझे 3000 रूपये दिये. मैंने मना किया तो बोली- एक बार की बात होती तो नहीं देती, पर तुम्हें तो मेरे पास बार बार आना है. अब मना मत करना.

यह थी मेरी जिगोलो बनकर पहली कमाई. दरअसल सारिका के पार्लर पर बहुत सी चुदासी चूत आती थीं उनकी प्यास शांत करने के लिए सारिका ने मुझे एक तरह से बुक कर लिया था. उसने मुझसे कमाई भी की.. और मुझे चुदाई का सुख भी दिलाया.

आपको मेरी जिगोलो बनने की कहानी कैसी लगी, मुझे बताएं. फिर इससे आगे की कई सेक्स स्टोरी भी बताने वाला हूँ. मुझे आपके मेल का इंतजार रहेगा. आप मुझे फेसबुक पर भी अपनी राय दे सकते हैं. [email protected]

कहानी का दूसरा भाग: जिगोलो बनने की राह-2

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000