लड़की ने धोखा दिया तो मैं बन गया प्‍लेब्‍वाय

नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम आदित्‍य है। मैं जम्‍मू का रहने वाला हूँ। मेरा कद पाँच फुट दस इंच है। मेरा रंग गोरा, आँखें भूरी, बाल काले और दिखने में आदित्य पंचोली जैसा लगता हूँ। मैं अन्‍तर्वासना का बहुत बड़ा फैन हूँ।

अब देर ना करते हुए मैं अपनी कहानी पर आता हूँ- मैं तब बारहवीं कक्षा में पढ़ता था। मेरे जीजा की बहन की शादी थी और हम सब घर के लोग वहॉं गये थे। जब मैं शादी में पहुँचा तो मेरे जीजा के साथ एक लड़की और उसकी माता जी खड़े-खड़े कुछ बातें कर रही थीं। जब मेरी नज़र उस लड़की पर पड़ी तो मेरी नज़र उसके जिस्‍म पर चिपक सी गयी; 36-28-38 की फिगर में वह लड़की इतनी गोरी थी मानो भगवान ने किसी अप्‍सरा को मेरे सामने लाल सारी में भेज दिया हो।

मैं एकटक उसको देखे जा रहा था.

तभी मेरे मम्मी ने मुझे आवाज़ दी और कहा कि चलो खाना खा लो। मैं उस समय अपनी जवानी की कगार पर था। मम्‍मी के आवाज देने पर मेरी निगाह उधर से हटी मगर ध्‍यान उस लड़की पर से हट ही नहीं रहा था। मुझे लगा कि जैसे मुझे उससे प्‍यार हो गया हो।

खाना निपटाने के बाद मैं जल्‍दी से जीजाजी के पास गया और बहुत हिम्‍मत करके उनको बोला कि आप उस लड़की से मेरा थोड़ा परिचय करवा दो। उन्‍होंने पूछा- किससे? तो मैंने कहा- उसी से … जो अभी थोड़ी देर पहले आपसे बात कर रही थी, वह मुझे पसन्‍द है। जीजा ने कहा- मरवाओगे क्‍या? फिर बोले- अच्‍छा बाद में उस लड़की की मम्‍मी से कुछ जुगत लगा कर उस लड़की का नम्‍बर पता करके तुमको दे दूँगा।

अगले दिन मैंने जीजा को फोन किया, मैंने पूछा कि उस रोज वाली लड़की का कुछ पता चला तो उन्‍होंने बताया कि उस लड़की का नाम अंजलि है। वह लड़की बारहवीं कक्षा में पढ़ती है। इतना सब बताने के बाद जीजा जी ने बताया कि उन्‍होंने उस लड़की से मेरे बारे में बात भी की है। मेरा तो खुशी का ठकिाना न रहा। मेरे मन में लडडू फूट रहे थे।

जीजा जी ने मुझे अंजलि का नम्‍बर दिया और कहा कि तुम उससे बात करके देख लो। जीजा जी से अंजलि का फोन नम्‍बर नोट करके मैंने अंजलि का नम्‍बर लगाया। उधर से उसकी आवाज सुनते ही पता नहीं क्‍या हुआ कि मेरी आवाज जैसे रुक सी गयी।

वो उधर से बार-बार हेलो हेलो कर रही थी और मैं इधर पसीने पसीने हो रहा था। मैं चाह कर भी कुछ बोल नहीं पा रहा था। थोड़ी देर तक हैलो हैलो करने के बाद भी इधर से कोई जवाब न मिलने के कारण उसने फोन काट दिया।

मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था; थोड़ी देर बेचैनी के कारण मैं टहलता रहा; फिर मैंने हिम्‍मत करके उसको फोन लगाया। उधर से उसने फोन उठाया और कड़क आवाज में बोली- तुम कौन हो? बात करनी हो तो बात करो, नहीं तो मैं तुम्‍हारा नम्‍बर अपने भाई को दे दूँगी। मैं अचकचा कर बोला- अंजलि, मैं आदित्‍य बोल रहा हूँ, मेरे जीजा जी को तुम जानती हो। उसने कहा- ओह तो आप हो, आप इतनी देर से बात क्‍यों नहीं कर रहे थे।

उसने मुझसे पूछा- आप कैसे हो? मैंने कहा- मैं ठीक हूँ एकदम… आप बोलिए कि आप कैसी हैं? वो बोली- मैं ठीक हूँ.

फिर कुछ देर ऐसे ही बात होती रही। बात बस वो ही ज्‍यादा कर रही थी। मैं तो बस हॉं हूँ से काम चला रहा था। कुछ देर बात करते करते मैंने उससे कहा कि मुझे उससे बात करके बहुत अच्‍छा लग रहा है. फिर उसने कहा कि वह भी मुझे पसंद करती है। अंजलि के मुँह से ऐसा सुन कर मेरी तो खुशी का‍ ठकिाना न रहा।

दोस्‍तो, यह मेरा प्‍यार था या आकर्षण, मुझे पता नहीं, पर उसके साथ पूरी जिंदगी बिताने का ख्याल रह रहकर के मेरे मन में आता था।

एक रोज हम दोनों ने मिलने का प्‍लान बनाया। शहर के एक नामी रेस्‍टोरेंट में मिलने की बात तय हुई थी। उसकी बतायी हुई जगह पर मैं तैयार होकर वक्‍त से पहुँच गया था। थोड़ी देर प्रतीक्षा के बाद वह रेस्‍टोरेंट में अपनी बड़ी बहन के साथ दाखिल हुई।

मुझे देखते ही उसने दूर से हाथ हिलाया। करीब पहुँचने पर उसने अपनी बड़ी बहन से मेरा परिचय करवाया। मैं उस रोज बहुत शर्मा रहा था, मगर वह खुल कर बात कर रही थी। हम तीनों एक टेबल पर बैठकर बातें करने लगे।

मैं अंजलि की आँखों में झाँकते हुए बार बार खुद को जैसे भूल जाता था। उसकी बड़ी बहन साथ में थी इसलिए भी मैं कुछ कहना चाह कर भी खामोश रह जा रहा था।

करीब चालीस मिनट बाद उसकी बड़ी बहन ने कहा- हम लेट हो रहे हैं। वह घर जाना चाह रही थी। मैंने बेमन से उन दोनों को विदा किया फिर मैं भी थोड़ी देर इधर उधर घूमने के बाद अपने घर आ गया।

तब मैंने सोचा भी नहीं था कि आगे क्‍या होने वाला है।

उस रात उसकी बड़ी बहन का फोन आया। उसने कहा कि वह मुझे पसन्‍द करती है। मैंने उसकी बहन से कहा कि मैं तो अंजलि को प्‍यार करता हूँ। वह कहने लगी- तुम एक शरीफ लड़के हो इसलिए मैं तुमको धोखे में नहीं रखना चाहती।

उसने बताया कि उसकी बहन अंजलि का पहले से बहुत सारे लड़कों के साथ अफेयर चल रहा है। वह मुझसे कह रही थी कि मैं उससे दोस्‍ती कर लूँ। मेरा दिमाग घूमने लगा। मुझे पहले तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि वह सच बोल रही है, मुझे पूरा पूरा लग रहा था कि वह झूठ गढ़ रही है। हो सकता है कि वे दोनों मिलकर मेरा इम्‍तेहान लेना चाह रही हों।

मैं उसकी बात में नहीं आ रहा था, बल्कि बार बार अंजलि के खिलाफ कही जा रही उसकी बातों का विरोध कर रहा था। मैंने फिर दुहराया- आप भी अच्‍छी हो लेकिन मैं तो आपकी छोटी बहन अंजलि से प्‍यार करता हूँ। इस पर उसने कहा- अगर तुमको यकीन नहीं है तो कल मेरे घर के सब लोग जगराता में जा रहे हैं, उस रात घर में सिर्फ मैं और अंजलि ही रहेंगे। उसने कल रात अपनी फ्रेंड को बुलाया है। तुम खुद आकर देख लेना।

मैं अचम्भित हो रहा था। अगली रात मैं ठीक उसके बताये गये टाइम के अनुसार रात को एक बजे उसके घर के सामने पहुँच गया। मैंने उसकी बड़ी बहन को फोन किया, उसने आकर गेट खोला। हम दोनों घर के अन्‍दर दाखिल हुए। उसने मुझे आहिस्‍ता आहिस्‍ता चलने के लिए कहा।

हम दोनों सीधे अंजलि के कमरे की तरफ गये। उसकी बड़ी बहन ने दरवाजे से कान लगाकर सुनने के लिए कहा। मैंने दरवाजे से कान लगाया तो अन्‍दर से अंजलि की सिसकारियों की आवाज आ रही थी- आअहह उऊहह और ज़ोर से कर साले.. अंजलि कह रही थी। उसका फ्रेण्‍ड कह रहा था- साली रंडी, तेरी गांड मारने का मज़ा बहुत आता है.. माँ की लौड़ी, तेरी ये उभरी हुई गांड भी तो मेरी वजह से ही है.. ले हरामजादी धक्‍का।

यह सब सुन कर मैं बहुत उत्‍तेजित हो गया था; साथ में मुझे दुख भी बहुत हो रहा था। तब उसकी बड़ी बहन ने पीछे से मेरी पीठ थपथपाई और कहा- मेरे कमरे में चलो। वह भी बहुत उत्‍तेजित हो चुकी थी।

मैं उसके साथ उसके पीछे हो लिया। उसके कमरे में पहुँच कर हम दोनों बात करने लगे। मैं थोड़ा दुखी था। वह मुझसे सेक्‍स करना चाह रही थी; उसने मेरा ध्‍यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए सॉफ्ट ड्रिंक में थोड़ी शराब मिला कर दी। मैंने उसको पिया। मुझे यह सोच कर अजीब सा लग रहा था कि अंजलि ने मेरे साथ ऐसा क्‍यों किया।

थोड़ी देर बाद जब मुझे नशा हो गया तब उसने मुझे उसको हग करने के लिए कहा, उसने कहा- कोई बात नहीं यार… वो नहीं तो मैं तो हूँ तुम्‍हारे पास।

मैं पहली बार किसी लड़की को छू रहा था। मुझे अजीब सा करेण्‍ट लगा। अंजलि की बड़ी बहन की चूची लगभग 36″ की थी। उसने मुझे जोर से टाइट हग किया. तब मुझे लगा कि शायद कुछ हो रहा है। उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और चूसने लगी। फिर उसने अपनी कमीज खोल कर साइड में रख दी। उसने नीचे कुछ नहीं पहना था।

मेरा हाथ जब उसकी चूचियों पर गया तो उसके निप्‍पल कड़े हो गये थे। मैंने पहली बार किसी की चूची का स्‍पर्श किया था, इसलिए मैं पागलों की तरह टूट पड़ा। मेरे हाथ उसकी चूची को कस कर दबा रहा था और मेरे होंठ उसके होठों को चूस रहे थे।

अब उसने देर न करते हुए मेरा और अपना लोअर खोल दिया। हम दोनों नीचे से नंगे हो गये थे। उसने अपना हाथ जब मेरे लण्‍ड पर लगाया तो वह बोल पड़ी- तुम्‍हारा तो बहुत बड़ा और मोटा है। उसने मेरा लण्‍ड गप से अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।

दोस्‍तो, पता नहीं क्‍या हुआ और मेरे लण्‍ड से वीर्य सीधा उसके मुँह में चला गया। उसने सारा वीर्य पी लिया। उसने अपनी टांगें खोल दी और बोली- मेरे नीचे आ जाओ.. चाट लो मेरी फुद्दी को। मैं जीभ लगा कर उसकी फुद्दी को चाटने लगा।

थोड़ी देर बाद मेरा लण्‍ड फिर से खड़ा हो गया। अब उसने कहा- जानम देर मत करो, डालो अंदर! मैंने अपने लण्‍ड को उसकी फुद्दी पर सेट किया; चिकनी होने के कारण उसकी फुद्दी में मेरा लण्‍ड अन्‍दर घुसता चला गया।

दोस्तो, यह मेरी पहली चुदाई थी तो लग रहा था कि जैसे जन्नत में हूँ। अब मैंने उसकी फुद्दी में ज़ोर ज़ोर से धक्‍के लगाना शुरू कर दिये। वह अपनी गांड उठा उठा कर चुदवा रही थी। मेरा एक हाथ उसकी चूची पर था और दूसरा जमीन पर और होंठ उसके होंठों को चूस रहे थे।

उसने कहा- थोड़ा तेज करो. तो मैंने रफ्तार बढ़ा दी। उसकी इस बात से मेरे धक्‍के की स्‍पीड उत्‍तेजना में और बढ़ गयी। मेरा होने वाला था, मैंने उसे बताया तो उसने कहा- जब भी निकले, अन्‍दर ही डाल दो। मैंने अपना सारा वीर्य उसके अन्‍दर ही निकाल दिया। उसको भी अंदर गरम गरम महसूस हुआ, उसने मुझे जोर से हग किया। मैं उसके ऊपर निढाल पड़ गया था।

थोड़ी देर बाद उठ कर हम दोनों बाथरूम चले गये। बाथरूम में भी हमने चुदाई करी। उस रोज पूरी रात अंजलि की बड़ी बहन ने मेरे दमदार लण्‍ड का मजा लिया। बाद में सुबह के टाइम मुहल्‍ले वालों के जागने से पहले मैं अपने घर वापस आ गया।

मैंने उस दिन के बाद मन में यही सोच लिया कि अब जीवन में कभी भी किसी लड़की से प्‍यार नहीं करूंगा। बस सभी को अपने लण्‍ड से मज़ा मज़ा करवाऊँगा। अब तो बहुत सी औरतों को और लड़कियों को अपने लण्‍ड का मज़ा दे चुका हूँ। अब मैं प्‍ले ब्‍वाय बन चुका हूँ।

मेरी पहली चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी? मुझे मेल करके बताएं! धन्‍यवाद! [email protected]