गाँव की गोरियाँ देसी छोरियां

सुबह के 9 बज रहे थे मुझे पुणे से अपने गांव जाने के लिये बस लेनी थी तो मैं बस स्टैंड पहुंच गया। मै आज बहुत दिन बाद अपने गांव जा रहा था! बस लगी हुई थी, मैं बैठ गया और पिछले ख्यालों में खो गया। मैं 4 साल पहले इधर पुणे में आया था काम की तलाश में घर से भागकर आया था… मुझे भागना पड़ा गाँव से क्योंकि मैं जब उन्नीस साल का था तब मेरी पड़ोस वाली लड़की जो मुझसे एक साल की छोटी थी … उसके गोल गोल स्तनों को देखकर हर किसी का जी ललचाता था, उसके होंठों को देखकर प्यासा भी तृप्त हो जाये … उसके मदमस्त नयनों को देखकर सपनों में खो जाए। उसका नाम था सुजाता … सुजाता का नाम सुनते ही मेरा शांत सोया हुआ वासना का घोड़ा जाग कर दौड़ने लगता! वाह … क्या चीज थी वो कसम से … वो मेरी नजरों के सामने से कभी हटी ही नहीं थी।

“हेलो … टिकट टिकट!” कंडक्टर ने आवाज लगाकर मुझे मेरी यादों से बाहर निकाला। मैंने पैसे देकर अपने गाँव का टिकट लिया। और फिर वापिस उन्ही यादों में चला गया.

सुजाता 10वीं में थी और मैं 12वीं क्लास में था क्योंकि गाँवों में देर से ही पढाई शुरू होती है. हम दोनों ही हर रोज एक दूसरे घर जाते आते रहते थे. उस समय सुजाता के घर में टी वी नहीं था तो वो देखने के लिए मेरे ही घर आती थी।

एक दिन रविवार को वो मेरे घर टी वी पर उसका फेवरेट सीरियल देखने के लिए आई थी. उस समय घर में अकेला था। वो आई और बोली- रेक्स आज कहाँ गए सारे? कोई भी नहीं है? मैंने कहा- आज सब लोग शहर गए हुए हैं, इसलिए मैं अकेला हूँ. सुजाता- तो तुम क्यों नहीं गए? मैं बोला- कुछ नहीं यार … मेरा सिरदर्द हो रहा था इसलिए नहीं गया!

सच तो यह था कि मुझे पक्का पता था सुजाता आज मेरे घर जरूर आयेगी टीवी देखें… और उसको आज किसी भी स्थिति में पटाकर ही छोड़ना है? और मान गई तो चोदना भी था। मैं यह प्लान बनाकर ही अपने परिवार के साथ शहर नहीं गया था।

मैंने सुजाता को टी वी लगाकर दिया और मैं उधर ही साथ में सिंगल बेड था, उस पर लेट कर टी वी देखने लगा!

कुछ समय बाद मैंने सुजाता को कहा- सुजाता, थोड़ा इधर आकर सिर को दबाओगी क्या? सुजाता- हां, क्यों नहीं … आ रही हूँ। वो मेरे पास आकर बैठ गई और सिर पर एक हाथ से दबाने लगी. जैसे ही उसने मुझे छुआ, वैसे ही मेरे अंदर एक सुरसुर सी दौड़ी लेकिन मैंने अपनी वासना पर काबू रखा.

कुछ समय बाद मैंने उसका हाथ अपने हाथ से पकड़ा तो उसका शरीर भी एकदम से तपा हुआ लगा। तो मैंने मजाक में कहा- यार तुझे तो बुखार है! उसने कहा “नहीं तो …पता नहीं तुमने मेरे हाथ पकड़ा तो अजीब सा महसूस हो रहा है। मैं समझ गया उसको क्या हो रहा है।

मैं फिर करवट लेकर उसके जांघ पर अपना सिर रखा तो वो घबराकर बोली- रेक्स कोई देख लेगा। मैंने कहा- कोई नहीं देखेगा, तुम सिर दबाओ। फिर मैंने उसे कहा- तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो यार! उसने भी मेरे बात का जवाब दिया- चलो झूठे कहीं के? तू तो उस दिन सीमा के साथ खेत में गया था. पता नहीं क्यों … पर मुझे बहुत गुस्सा आया था।

“मतलब तुम मुझसे प्यार करती हो?” सुजाता ने शरमा कर हाँ कर दी और मैंने झट से उसकी गर्दन को एक हाथ से झुकाकर किस कर दिया. एक सेकेण्ड में क्या से क्या हो गया था, पता नहीं चला। मुझे ऐसा लगा कि मुझे लॉटरी लग गई हो।

वैसे मैंने उसकी एक सहेली सीमा को उस दिन खेत में ले जाकर चोद दिया था। वो मेरी पसंद नहीं थी लेकिन मजे के लिए थी वो। मैं भी सुजाता को मन ही मन में चाहता था पर कभी हिम्मत नहीं हुई थी कि उससे प्यार का इजहार करूँ।

अब पहले मैं वो घटना सुनाता हूँ जब मैंने सीमा के साथ चुदाई की थी.

सीमा एक गरीब घर की मेरे ही मोहल्ले में रहने वाली लड़की थी। वो दिखने में सांवली थी लेकिन दिखने में फिर भी बहुत सुंदर थी। सीमा अक्सर अपनी भैंस के लिए घास लेने के लिए मेरे खेत में आती रहती थी।

एक दिन छुट्टी के दिन में अपने खेतों में था और पापा शहर गए थे. और अकेले में होने के कारण मुठ मारने के लिए मेरा दिल बेचैन हो रहा था. तो मैं मक्की के खेत में थोड़ा सा अंदर गया और अपनी लुँगी को हटाकर अंडरवियर भी निकालकर एक तरफ रख दिया और अपनी आँखें बंद करके ‘सुंदर सी सुजाता को नंगी करके चोद रहा हूँ.’ यह कल्पना कर मैं अपने लंड को हिलाकर मुठ मारने में मग्न हो गया था।

सुजाता को मैं मन ही मन में हर पोजीशन में … झुकाकर … लिटाकर … उसकी गांड में … उसके मुंह में … ऐसे सोच सोच कर मुठ मार रहा था। मुझे क्या पता था वहां मेरे अलावा कोई और भी था। वो थी सीमा…

सीमा मेरे खेत में घास लेने आई थी तो वो सीधे हमारे मक्की के खेत में आ गई थी. उसने मुझे मुठ मारते हुए देखा. मैं मेरा मोटा लंबा लंड आंखें बंद करके हिला रहा था, उसने देख लिया तो उसके मन में भी मुझसे चुदने की इच्छा जागृत हो गयी … तभी उसने मेरे पास दबे पांव आकर मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी। मैंने एकदम घबराकर आंखें खोलकर देखा तो सीमा ने मेरे लंड को पकड़ा हुआ था।

मैं समझ गया कि साली की कामवासना उठान पर है, आज तो ये चुद कर ही जायेगी. मैं चुपचाप खड़ा हुआ और उसे अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपने सामने किया. फिर उसकी सलवार का नाड़ा पकड़ कर खींच दिया तो उसकी सलवार सर्र से नीचे गिर गयी. खोलकर सलवार को दूर कर दिया। अब थी उसकी चड्डी उसे भी निकालकर साइड में फेंक दिया।

तब मैंने सीमा को नीचे बैठाया और मेरा लंड उसके मुँह में दिया और वो बिना किसी आनाकानी के चूसने लगी। उसके बाद फिर मैंने उसे घोड़ी बनाया और उसके चूत पर रखकर झट से मेरा लण्ड को अंदर किया, वैसे ही उसके मुँह से एक चीख निकली लेकिन फिर भी वो खुद अपने मुंह पर हाथ रखकर चुपचाप मेरे लण्ड को अंदर बाहर करने में मदद करने लगी। मैं भी सीमा की देसी चूत को जोर जोर से चोदने लगा।

फिर मैंने उसे जमीन पर लिटा लिया और उसके ऊपर आकर चूत में लण्ड डालकर कर जोर जोर से चोदने लगा। कुछ ही समय बाद मेरे लण्ड ने सारा वीर्य उसके चूत में ही छोड़ दिया। वो खड़ी होकर बोली- रेक्स, आज पहली बार तुमने खूब मजा दिया… उस विनोद का लंड तो छोटा पतला है, वो इतना मजा नहीं दे पाता है। मैंने कहा- क्या तुम पहले चुद गई हो? सीमा बोली- हाँ… बहुत बार!

मुझे आश्चर्य हुआ कि मुझसे भी आगे तो ये लड़कियाँ हैं। जिस लड़के का नाम उसने लिया था विनोद … वो तो मेरा दोस्त था लेकिन उस कमीने ने कभी बताया नहीं था इस देसी चुदाई के बारे में!

एक दिन सुबह ही मैं अपने कमरे के खिड़की के पास खड़ा था तो मैंने देखा कि सीमा सुजाता के साथ खेतों की ओर जा रही थी. मैं सीमा को पहले ही चोद चुका था, आज फिर मेरी तमन्ना जाग उठी कि फिर से एक बार सीमा के साथ खेत में सेक्स का खेल खेलना है. यह बात दिमाग में आते ही मेरा लंड खड़ा होकर बाहर आने को फड़फड़ाने लगा था. मैंने अपने लंड को हाथ से पैंट के ऊपर से सहलाया. मेरा अंडरवियर तक गर्म हो गया था. कुछ भी हो सीमा को आज ही चोदना है.

मैं जल्दी से सीमा और सुजाता के पीछे पीछे कुछ दूरी रखकर जाने लगा था. उनसे छुपकर उनका पीछा करने लगा था. वो दोनों सुजाता के खेत पर पहुंचीं और एक इमली के पेड़ के नीचे खड़ी हो गईं. आज ही सुबह सुजाता के मम्मी पापा किसी रिश्तेदार की शादी में गए हुए थे. तब ये दोनों खेतों में आई … पर क्यों? सवाल मेरे दिमाग में घूम ही रहा था कि मैंने देखा राहुल, मेरा एक और दोस्त वहां आ गया था. अब मुझे स्पष्ट पता चल गया कि आज यहां क्या होने वाला है. राहुल भी सीमा को मिलने या यों कहें कि चोदने आया था. पता नहीं कितने यार थे इस सीमा के, एक विनोद, दूसरा मैं, तीसरा ये राहुल… सीमा थी ही चालू… यह समझ कर मेरे दिल को बड़ी ठेस पहुंची कि क्या सोचा था, क्या हो गया.

फिर मैं सुजाता को आज चोदने की सोचने लगा. प्लान मेरे दिमाग आने लगे थे कि कैसे उसे चुदवाने के लिए राजी करना है. मैंने देखा कि सीमा और राहुल साथ वाले नाले के पास को चली गई थी. उधर बहुत ऊंची झाड़ियां थीं. उसमें अगर कोई खड़े होकर भी चुदाई करे, तो भी बिल्कुल नजर नहीं आएगा. सुजाता वहां से मेरे पास वाले नीम के पेड़ की नीचे आकर खड़ी हो गई और कुछ सोचकर उसने अपना सलवार का नाड़ा खोल दिया और अपना बांयाँ हाथ अन्दर डालकर चूत सहलाने लगी थी. इस वक्त उसकी आंखों में वासना का खुमार चढ़ा हुआ साफ़ दिख रहा था.

मुझे यही मौका सही लगा और मैंने दबे पांव जाकर उसे पीछे से कमर में हाथ डालकर अपनी बांहों में जकड़ लिया. मेरे अचानक इस हमले से वो एकदम से घबरा गई और अपने आपको मुझसे छुड़वाने की कशमकश करने लगी थी. वो अच्छा हुआ कि मैंने अपना एक हाथ उसके मुँह पर रख दिया था, नहीं तो वो चिल्लाने ही वाली थी.

वो छटपटाते हुए छूटने का प्रयास कर रही थी. मैंने उसे चूमा और चुप रहने का कहा, मैंने कहा- शांत रहो.. कुछ नहीं कर रहा हूँ. उसने मेरी आवाज पहचान ली थी और शांत खड़ी हो गई. जब उसने मुझे देखा तो वो चुप हो गई.

मैंने उसके मुँह पर से हाथ हटाया और दूध सहलाते हुए कहा- तुम बहुत सुंदर हो. सुजाता- सच में? मैं- हां. सुजाता- तुम यहाँ कब आये थे? मैं- जब तुम अपनी चुत को सहला रही थीं.. तब आया था. सुजाता- तुमने देखा था मुझे? मैं- हाँ.. पर पूरा नहीं देख पाया था इसलिए पूरा देखने के लिए आया हूँ. सुजाता- ठीक है, पर पहले एक कसम खाओ कि किसी को बताओगे नहीं. मैं- तुम मेरी जान हो… कई दिन से तुम्हारे ख्यालों में रहता हूँ. आज खुले में मिली हो जान.. मैं कैसे ये सब किसी से कह सकता हूँ. सुजाता- रेक्स सुनो, अभी मेरे साथ सीमा भी आई है.. और वो राहुल के साथ में है!

मैं- उन्हें तो अभी टाइम लगेगा, अभी तो वे कपड़े ही खोल रहे होंगे. तुम चाहो तो आज हम अपना खेल खेल सकते हैं. सुजाता- लेकिन मुझे डर लग रहा है कि कोई आ ना जाए. मुझे कुछ न हो जाए. मैं- डरो मत.. मैं आराम से करूँगा और कोई नहीं देखेगा.. आओ चलो मेरे साथ.

मैंने उसे अपने दोनों हाथों से अपनी बांहों में उठा लिया और उसी झाड़ी में ले चला.. जहां राहुल सीमा अपने सम्भोग में लीन हो रहे थे.

हम उनसे थोड़ी दूरी पर ही चुदाई का शुभ काम शुरू करने वाले थे. वहां से वो दोनों दिखाई दे रहे, लेकिन हम दोनों उन्हें नहीं दिखने वाले थे. हालांकि वे देख भी लेते तो क्या कर लेते. हम सब काम एक ही तो कर रहे थे.

सुजाता थोड़ी सी घबराई हुई थी. मैं उसे बांहों में लेकर उसके मम्मों को सहलाने लगा. वैसे ही उसने मुझसे और चिपक कर कसकर पकड़ लिया.

अब तो मेरा लंड बाहर आने को उतावला हो गया था और मैंने उसे बाहर निकाल कर सुजाता के हाथ में थमा दिया. उसने मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर महसूस किया और फिर उसे बड़े ध्यान से देखने लगी, वो कहने लगी- आज पहली बार किसी का हाथ में पकड़ा है. मैंने उससे कहा- अब देख लिया हो, तो इसे प्यार भी करो न.

फिर उसने नीचे बैठ कर मेरे लंड को सहलाते हुए चूम लिया.

सुजाता ने लंड को हिलाते हुए पकड़ा और कहा- यह तो बहुत बड़ा है.. मेरे अन्दर कैसे जाएगा. मेरी चुत तो फट ही जाएगी. मैं- मेरी जान चिंता मत करो.. मैं बड़े प्यार से और आराम से चोदूंगा.

मैंने कुछ देर तक सुजाता से अपना लंड चुसवाया. उसको भी लंड से खेलना अच्छा लग रहा था. कुछ देर बाद मैंने सुजाता की सलवार को घुटने तक करके घोड़ी बना दिया. अब मैं उसके पीछे खड़ा होकर अपने लंड को उसकी बुर पर रगड़ने लगा.

उसकी बुर अब पूरी तरह गीली हो चुकी थी.. एकदम चुदने के लिए तैयार थी.

मैंने पहले अपनी एक उंगली उसकी सील पैक बुर के अन्दर कर दी.. और अभी अन्दर बाहर करने ही वाला था कि उसके मुँह से ‘आह.. उह…’ की सिसकारियां आने लगीं. कुछ ही देर में चूत की गर्मी और अधिक भड़क उठी और उसकी बुर ने बहुत ज्यादा प्रीकम छोड़ कर चूत को चिकना और लिसलिसा कर दिया था.

अब वो चुदाई के लिए पूरी तरह तैयार थी. मैंने उंगली हटा कर अपने लंड को बुर की फांकों में फंसाया तो वो लंड की गर्मी से समझ गई कि लंड बुर में जाने वाला है. उसने अपनी टांगें और अधिक फैला ली थीं. चूंकि उसको चुदास चढ़ चुकी थी और आने वाले पल का जरा भी अहसास नहीं था. वो बस मस्त हुए जा रही थी.

मैंने हल्का सा दबाव बना कर लंड अन्दर धकेला, तो वो कराह उठी. मैंने उसे सहन करने को कहा और एक जोर का झटका लगा दिया. मेरा आधा लंड उसकी बुर में घुस चुका था.. उसकी आंखों से आंसू टपक पड़े और बुर से खून निकलने लगा था. यह उसका पहला बार था. उसकी झिल्ली टूट चुकी थी. वो दबी आवाज में कराहते हुए कहे जा रही थी- आह.. बहुत दर्द हो रहा है.. बस्स करो.. मैं मर जाऊंगी. निकाल लो प्लीज़.

लेकिन मैं अब रुकने वाला नहीं था, मैंने पूरी ताकत से एक और झटका दिया और पूरा लंड बुर में समा गया. न चाहते हुए भी उसके मुँह से चीख निकल गई. जो उन दोनों ने सुन ली. राहुल और सीमा उधर सामने चुदाई के खेल में लगे थे. सुजाता की चीख से उन दोनों की कामक्रीड़ा में व्यवधान आया और वो दोनों हमारी ओर गौर और आश्चर्य से देखने लगे.

मैंने उनके देखने पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. मैंने अपने लंड को सुजाता की चुत में अन्दर बाहर करना जारी रखा. अब तक दस बारह चोटें लग चुकी थीं जिससे सुजाता को भी दर्द कम हो गया और वो भी आगे पीछे करने लगी थी.

तभी राहुल और सीमा पास आकर खड़े हुए तो हम भी उन्हें देखकर रुक गए. हम दोनों भी चुदाई रोक कर उसी मुद्रा में खड़े हो गए थे.

राहुल ने कहा- रुक क्यों गए.. जारी रखो यार.. हम दोनों भी शुरू करते हैं. वो दोनों ने भी हमारे पास ही कुत्ते कुतिया बन कर चुदाई करना शुरू कर दिया. इधर हम दोनों भी फिर से चालू हो गए. हम दोनों जोड़े एक ही पोजीशन में चुदाई करने लगे थे.. खूब मजा आ रहा था.

यह एक अलग ही मज़ा था. चुदाई करते समय दूसरे को चुदाई करते देखना भी हम चारों को एक अलग सी उत्तेजना दे रहा था. मुझे सुजाता से दूध दबाते हुए चुदाई करने बड़ा मजा आ रहा था. मेरे जैसे राहुल भी सीमा की चूचियों को भींचता हुआ चुदाई कर रहा था.

इतनी अधिक उत्तेजना बढ़ गई थी कि राहुल अचानक झड़ गया और तभी मैं भी निकल गया.

हम चारों शिथिल हो गए थे. कुछ देर चूमा चाटी का दौर चला और हम चारों अपने कपड़े पहन कर जाने को तैयार हो गए.

सीमा, राहुल, सुजाता और मैंने हम चारों ने खेत में संभोग किया था। फिर आज मैंने और राहुल ने प्लान बनाया कि हम सब एक साथ ग्रुप सेक्स करेंगे। इसके लिए हमने सीमा और सुजाता को भी बताया तो वो दोनों तो समझो कि इसी बात का इंतजार में थी। हम सबको उस दिन सेक्स में एक अलग मजा आया था तो उसे आज फिर दोहाराने का प्लान बना दिया। बस अब हम सबको उसके लिए एक सही दिन का इंतजार था।

वो दिन भी जल्दी आ गया। उस दिन गांव में मेला था और लोग उस मेले में व्यस्त थे, सारे अपना काम धाम छोड़कर गांव में मेले का आनंद ले रहे थे। यह दिन हमें सही लगा और हम चारों ने वही जगह चुनी जहाँ हमने पिछली बार सेक्स का मजा लिया था। आज कोई भी खेत में नहीं था. तो मैं और राहुल खेत में गए और उसी जगह पहुँच गए जहां एक बार पहले ग्रुप सेक्स का खेल हो चुका था। आज कुछ नया करना था जो हमारे एकदम कुछ हट के था। सबको इसमें एक अलग अनुभव आना था, खूब मजा आने वाला था।

नियत स्थान पर पहुंचने के उपरांत सभी ने सारे कपड़े निकाल दिए. सीमा आज अपनी चूत शेव करके आई थी तो उसकी चूत एकदम चमचमा रही थी। सुजाता की चुत पर कुछ बाल थे। मेरे लंड के आसपास भी बहुत झांटें थी और राहुल ने भी कुछ दिन पहले ही शेव किया होगा, ऐसा लग रहा था।

हम सब खड़े खड़े एक दूसरे की चुत और लण्ड को देख रहे थे। अजीब लग रहा था. फिर मैं सीमा को अपने पास खींचकर उसे किस करने लगा तो उसने भी मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया. हमारी इस हरकत को देखकर वो दोनों भी वासना के खेल में कूद गए।

सुजाता सीमा की ओर मुंह करके खड़ी हुई तो सीमा उसके मम्मों को सहलाने लगी, सुजाता भी उसकी चूचियों को अपनी उंगलियों से दबाने लगी। सुजाता के पीछे राहुल खड़ा होकर अपना लण्ड उसके कूल्हों पर रगड़ने लगा। और मैं सीमा की गांड पर हाथ फेरकर चांटें मारने लगा। क्या मजा था … क्या नशा था।

फिर मैं और राहुल दोनों खड़े हो गए और उन दोनों नंगी लड़कियों को अपने लण्ड चूसने के लिए कहा। लेकिन यहां पर पार्टनर बदल दिए, सुजाता मेरा लण्ड और सीमा राहुल का लण्ड घुटनों पर बैठकर चूसने लगी। हम उनके बालों को पकड़ सहलाने लगे थे।

कुछ देर बाद उन दोनों को खड़े होने को कहां, वे खडी हुई तो हम दोनों ने नीचे बैठ कर उन दोनों की चुत चाटनी शुरू कर दी। उधर ऊपर सीमा और सुजाता … वो दोनों भी एक दूसरी के मम्मों को चूसने लगी थी। अब हमारी कामवासना की गाड़ी ने रफ्तार पकड़ ली थी।

मैंने सुजाता को झुकाया और उसकी चुत पर लण्ड रगड़ने लगा। सीमा ने भी राहुल के सामने घोड़ी बन कर अपनी चुत के उभार को राहुल के लण्ड को अंदर लेने के लिए आगे कर दिया। राहुल ने अपना लण्ड सीमा की चूत में घुसा दिया और हिलाने लगा। राहुल का लण्ड मेरे लण्ड से छोटा और पतला था। सीमा को थोड़ा भी दर्द नहीं हुआ और वो चुपचाप आराम से चुद रही थी।

कुछ देर बाद अब हम दोनों ने एक साथ सिर्फ एक लड़की को चोदना था तो हमने पहले सीमा को चुना क्योंकि वो पहले कई बार चुद चुकी थी. इसमें मैं नीचे लेटा और सीमा अपनी चूत मेरे लण्ड पर रखते हुए लंड निगलती हुई बैठ गई और मेरी ऊपर झुक गयी. इससे उसकी गांड थोड़ी ऊपर की ओर उठ गयी।

अब राहुल ने अपने लण्ड पर थूक लगाकर सीमा की गांड में घुसाया। सीमा ने पहले भी कई बार गांड मरवा रखी थी तो उसे दर्द कम ही हुआ। सुजाता मेरे चेहरे पर अपनी चुत रख कर बैठ गई। मैं उसकी चुत को मेरी जीभ से चाटने लगा, उसमें उसे बहुत मजा आ रहा था।

यह खेल चलता रहा! कुछ समय बाद मैंने सीमा को नीचे लिटाया और उसके दोनों पैर अपने कन्धों पर लेकर मेरे लण्ड को चुत में घुसेड़ कर जोर जोर से धक्के मारने लगा। सीमा भी मुझे कसकर पकड़कर ऊपर की ओर अपने कूल्हे उठाकर साथ देने लगी।

उधर सुजाता भी राहुल के लण्ड पर बैठ कर उछल रही थी। कुछ देर बाद हमने पार्टनर चेंज किया और मैं सुजाता को झुकाकर मेरा लण्ड उसकी गांड में डालने लगा. सुजाता ने पहले कभी गांड नहीं मरवायी थी तो उसे काफी दर्द हुआ और वो बिदकने लगी. जैसे कैसे मैंने सुजाता की गांड का उद्घाटन कर ही दिया और झटके मारने लगा. सुजाता को काफी दर्द हो रहा था पर वो शान कर रही इथी.

उधर राहुल ने सीमा को घोड़ी बनाकर उसकी चुत में अपना लण्ड घुसेड़ दिया और धक्के मारने लगा। जैसे ही वो झड़ने वाला था तो उसने अपना लण्ड निकालकर सीमा के कूल्हों पर सारा वीर्य छोड़ दिया और निढाल होकर जमीन पर लेट गया।

मेरा अभी झड़ा नहीं था तो अभी भी मैं सुजाता की गांड को बुरी तरह से चोद रहा था, अब तो वो भी मेरा पूरा पूरा साथ दे रही थी। सीमा और राहुल अब हमारी ओर देख रहे थे। सीमा के चहरे से लग रहा था कि उसे भी इस प्रकार गांड मरवाने की चाह होगी।

मेरा लण्ड वीर्य छोड़ने वाला था तो मैंने अपना लण्ड निकाल कर सुजाता के कूल्हों पर छोड़ा तो उसकी धार सुजाता की पीठ तक गयी।

अब सब शांत हो गए थे और सब साफ करके कपड़े पहन कर अपने अपने घर लौट गए।

मेरी कहानी पसंद आई या नहीं, मुझे मेल अवश्य करें! मैं जरूर आपके लिए और कहानी लिखूंगा। आपका रेक्स [email protected]