मेरे दोस्त की पत्नी और हम तीन-1

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

मेरे सभी प्यारे पाठकों के लंड को आपके अपने सरस की तरफ से नमस्कार और सभी खूबसूरत हसीन पाठिकाओं की नाजुक गुलाबी चूत को प्यार भरा चुम्मा! सभी खूबसूरत पाठिकाओं से अनुरोध है कि जिन्होंने भी अपनी चूत पर मेरी गर्म सांसों को महसूस किया हो मुझे जरूर लिखें।

तो एक बार फिर आपका अपना सरस आपके सामने हाजिर है एक नई और बेहतरीन कहानी लेकर जिसे पढ़कर सभी सम्माननीय पाठकों के लंड चूत चोदने को बेताब हो जाएंगे और सभी चुदासी पाठिकाओं की चूत लंड के लिए पानी छोड़ने लगेगी। यदि ऐसा होता है तो मुझे लिखना जरूर क्योंकि आपके ईमेल ही मेरा मार्गदर्शन है जो मुझे रोज एक नई कहानी लिखने कि प्रेरणा देते हैं।

आप सभी ने मेरी कहानी मेरे सामने वाली खिड़की में के सभी भागों को खूब पसंद किया।

आज मैं आपके सामने हाजिर हूं एक नई कहानी जो मेरी कल्पना से उत्पन्न हुई है।

मेरी पिछली कहानी साली की चूत चुदाई को पढ़ने के बाद मेरे एक पाठक ने मुझसे अनुरोध किया कि मैं एक कहानी लिखूं जिसमे वो अपनी पत्नी को अपनी आंखों के सामने चुदत हुए देखना चाहता है और उसका आनंद लेना चाहता है। उन्हीं की ख्वाहिश को पूरा करने के लिए मैं अपनी नई कहानी ‘मेरे दोस्त की बीवी और हम तीन’ लेकर हाजिर हुआ हूं। यह एक काल्पनिक कहानी है जिसमें मुझे आप सभी के मार्गदर्शन की अत्यंत आवश्कता है. तो सभी से निवेदन है कि कहानी को पढ़ने के बाद आप अपने कीमती सुझाव मुझे मेल अवश्य करें!

तो दोस्तो, बात उन दिनों की है जब मैं उत्तरप्रदेश के एक जिले में रहा रहा था जहाँ मेरे ढेर सारे अच्छे दोस्त बने. उनमें से मेरा एक दोस्त था मोहित। मोहित के अलावा रमन और सोहित भी मेरे अच्छे दोस्त थे जिनके साथ मेरी ज्यादा बनती थी इसलिए मेरा उसके घर भी ज्यादा आना जाना बना रहता था।

मोहित एक बिजनेसमैन था और उसकी जिन्दगी बहुत अच्छे तरीके से चल रही थी। मोहित की पत्नी जिसका नाम नीलम था. नीलम बहुत ही खूबसूरत और बहुत ज्यादा खुले विचारों की लड़की थी। मैं नीलम को भाभी कहकर बुलाता था।

कभी कभी हम चारों दोस्त मिलकर मोहित के घर पार्टी कर लेते थे क्योंकि वहीं एक था जो शादीशुदा था। उसकी पत्नी बहुत अच्छा खाना बनाती और हमें खिलाती। नीलम पांच फीट छह इंच लंबी तीखे नयन नक्श वाली बहुत ही खूबसूरत लड़की थी जिसका फिगर 32-30-32 का था। उसकी 32″ के चूतड़ और बूब्स देखकर मेरा मन मचल जाता कि हुस्न की इस परी को पटककर चोद दूँ. लेकिन ‘दोस्त की पत्नी है’ यह सोचकर मैं अपने ख्याल बदल लेता था।

अपनी रफ्तार से चले जा रहे थे। नीलम कभी कभी मुझे फोन करके अपने किसी काम के लिए बुला लेती या मोहित खुद किसी सामान को घर पहुंचाने का जिम्मा मुझे सौंप देता। जब नीलम मेरे साथ होती तो मेरे दिल में एक अजीब तरह का भूचाल होता था जिसे नीलम शायद समझती लेकिन कुछ कहती नहीं थी।

लेकिन जो होनी को मंजूर होता है आखिर होता वही है। एक दिन मैं, मोहित और नीलम घर का सामान और कुछ कपड़े खरीदने के लिए बाजार चले गए। गाड़ी मोहित चला रहा था और मैं उसके साथ बैठा हुआ था। बातों ही बातों में तय हुआ कि आज रात पार्टी कर ली जाए लेकिन समस्या सामने थी। बाजार में खरीददारी करने में हमें बहुत वक़्त लगने वाला था जिसकी वजह से हम जल्दी फ्री नहीं हो पा रहे थे। इस वजह से हमे हमारी पार्टी कैंसिल होती हुई नजर आ रही थी।

हम दोनों चुप बैठे थे कि अचानक नीलम मोहित से बोली- आप घर का सामान ले आइए और मुझे सरस के साथ कपड़ों की दुकान पर उतार दीजिए। आप सामान लेकर आओगे, तब तक हम कपड़े खरीदकर फ़्री हो जाएंगे तो वक़्त भी बचेगा और आपकी पार्टी भी हो जाएगी।

मोहित को यह आयडिया पसंद आ गया। उसने हम दोनों को शहर की एक प्रसिद्ध दुकान पर उतार दिया और खुद गाड़ी लेकर घर का सामान लेने चला गया।

मोहित चले जाने के बाद नीलम मुझे देखकर मुस्कुराई और बोली- सरस, आज मुझे अपने पसंद की शॉपिंग करवा दो! और मेरा हाथ पकड़ कर दुकान के अंदर चल दी।

मैं एक समझदार बच्चे की तरह उसके नर्म और मासूस स्पर्श को पाकर रोबोट की तरह उसके साथ चल दिया। दुकान के अंदर जाकर सबसे पहले हम उस तरफ गए जहाँ साड़ियां मिलती थी। नीलम ने मेरी पसंद से उस दिन तीन साड़ियां खरीदी। साड़ी खरीदने के बाद नीलम मुझे उस तरफ ले गई जहां महिलाओं के अंतर्वस्त्र मिलते थे।

“नीलम भाभी, मुझे इन सब के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता तो तुम अपनी पसंद से ले लो!” मैंने कहा।

नीलम बोली- सरस, आज तो सारी शॉपिंग मैं तुम्हारी पसंद की ही करूंगी. देखती हूं कि तुम स्त्री मन को कितनी अच्छी तरह समझते हो। ” मुझे ये सब बहुत अजीब लगता है नीलम!” मैंने कहा.

लेकिन नीलम मुझे जबरदस्ती पकड़ कर अंदर ले गई। नीलम काउंटर पर जाकर खड़ी हो गई और मैं उसके पास। नीलम ने कुछ देर मुझे देखा और थोड़ी देर बाद कहा- सरस, कुछ दिलवाओगे नहीं? “मुझे इन सब के बारे में कुछ नहीं पता नीलम … और मुझे वैसे भी तुम्हारा फिगर नहीं पता तो मैं क्या करूँ?” अचानक मेरे मुंह से निकल गया।

यह सुनकर नीलम पहले तो चौंक गई और फिर मुस्कुराकर अपना मुंह दूसरी तरफ कर लिया। सामने खड़ी हुई सेल्स गर्ल भी इस बात पर मुस्कुराने लगी। दोनों के मुस्कुराने से मुझे थोड़ी सी झेंप हुई जिसे मैं दोनों से छिपा नहीं सका।

मेरी परेशानी समझते हुए नीलम ने कहा- आप अंदाजा लगाइए सरस बाबू! ” मैडम के लिए अच्छे से अंडर गारमेट्स दिखाइए प्लीज!” मैंने सेल्स गर्ल को कहा. सेल्सगर्ल भी मुझसे मजे लेते हुए हुए बोली- साइज बताइए सर? “आप जितना पहनती हैं उतना ही दिखाइए?” मैंने कहा। “मैं 32 नम्बर की ब्रा पहनती हूं!” सेल्स गर्ल ने बेबाकी से कहा।

अबकी बार चौंकने की बारी मेरी थी. और वे दोनों फिर मुस्कुरा दिये।

“फिर 32 नम्बर ही दिखाइए मैडम को!” मैंने थोड़ा खुलते हुए कहा। सेल्स गर्ल ने 32 की ब्रा निकाल कर दी जिसे देखकर नीलम बोली- मैं ट्राई करके आती हूं। शायद यह नीलम ने जानबूझकर कहा होगा क्योंकि उसका साइज उसे अच्छे से पता होगा. यह बात मैंने बाद में सोची।

थोड़ी देर बाद नीलम बाहर आयी और मुझसे शिकायत भरे लहजे में बोली- सरस, तुम्हें तो मेरा फिगर भी नहीं पता सरस … यह तो बहुत टाइट है। “आपने कभी ना दिखाया ना बताया भाभी, मुझे जैसे पता होगा?” मैंने कहा।

“34-30-36 है आज बता देती हूं देख कभी और लेना!” नीलम ने कहा।

मैं हैरान था कि आज नीलम को हुआ क्या है जो मुझसे इस तरह की बातें कर रही है। मैं यही सब सोचे जा रहा था कि फिर से नीलम ने मेरी तंद्रा को भंग किया और बोली- अब तो मेरा फिगर पता लग गया ना … अब तो दिलवा दो। मैंने जैसे नींद से जागते हुए हुए अपना होश संभाला और सेल्स गर्ल को 34 नम्बर की ब्रा दिखाने के लिए कहा। सेल्स गर्ल भी हम दोनों की बातों का भरपूर आनन्द ले रही थी।

जैसे तैसे करके मैंने नीलम के साथ शॉपिंग पूरी की और पेमेंट करके हम नीचे आ गए और मोहित का इंतजार करने लगे।

“भाभी, फिर आज वाले कपड़े आप मुझे कब पहन के दिखा रही हैं? मेरी आज की मेहनत का कुछ तो मुझे फल मिलना चाहिए।” इंतज़ार करते करते पता नहीं कैसे अचानक मेरे मुंह से निकल गया, मैं खुद चकित रह गया। भाभी मुस्कुराई और बोली- तुम्हें मैंने कब मना किया है सरस। तुम ही कभी मुझसे कहते नहीं। आज कहा है तो आज रात की पार्टी में तुम्हारे लिए इंतजाम करूंगी कुछ!

मैं यह सोचकर थोड़ा हैरान था कि भाभी मुझ पर इतनी मेहरबान हो सकती है मैंने कभी सोचा क्यों नहीं।

थोड़ी देर में मोहित वापस आ गया और हम दोनों कार मैं बैठ गए। नीलम पीछे वाली सीट पर बैठी हुई थी तो मैं भी जानबूझकर उसके साथ ही पीछे बैठ गया। एक अजीब सी खामोशी हम दोनों के बीच पसरी हुई थी और इस खामोशी से आगे हम दोनों के बीच क्या होने वाला था मैं समझ रहा था।

इस दिन के बाद से नीलम के लिए मेरा नजरिया अब बदल चुका था। मुझे उसके कपड़ों में छुपे 34 के चूचे अपने सामने नजर आने लगे और उसकी गुलाबी चूत को मैं महसूस करने लगा था।

खैर हम दोनों ज्यादा बात नहीं कर रहे थे लेकिन बिना बोले भी भविष्य में आने वाले आनंददायक वक़्त की कल्पना दोनों ही कर पा रहे थे और एक दूसरे को मौन स्वीकृति प्रदान कर रहे थे।

कहते हैं ना कि नज़रें बहुत कुछ कहती है बस पढ़ने वाला होना चाहिए। और जहां तक मैं समझता हूं नारी जाति बिना बोले बिना कहे भावनाओं को समझने में बहुत कुशल होती है।

यदि मैं अपनी बात पर सही हूं तो मुझे मेल करके जरूर बताइएगा और साथ ही यह भी लिखियेगा की कहानी आपको कैसी लगी।

कहानी आगे जारी रहेगी दोस्तो। मुझे आप सभी के मेल्स का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा।

मेरा ई मेल है [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000