वासना का मस्त खेल-9

अब तक की इस मस्त सेक्स कहानी में आपने पढ़ा कि प्रिया ने मुझे फिर से उसके साथ सेक्स करने के लिए मजबूर कर दिया था और वो मेरे कपड़े उतारने के लिए उन्हें फाड़ने पर उतारू थी. अब आगे …

जैसे ही मैं अपने सारे कपड़े उतारकर बिल्कुल नंगा हुआ, प्रिया की नजर मेरे मुर्झाये लंड पर चली गयी, जिससे वो सवालिया निगाहों से मेरी तरफ देखने लगी. उसकी निगाहों से ऐसा लगा जैसे वो पूछना चाह रही हो कि मेरा लंड खड़ा क्यों नहीं हो रहा है?

मैं प्रिया के दिल‌ की बात समझ‌ गया था ‘ये नाराज है तुमसे, पहले तुम‌ इसे अपने होंठों से प्यार करके मनाओ!’ मैंने शरारत से हंसते हुए ही प्रिया से कहा‌.

प्रिया अब मेरी तरफ गुस्से से देखने लगी. मगर साथ ही उसने एक हाथ से मेरे‌ लंड को भी पकड़ लिया था. जिससे मेरे लंड ने प्रिया के हाथ में ही हल्की ठुनकी सी खाई.

एक हाथ से मेरे लंड को पकड़कर कुछ देर तो वो मेरी तरफ ऐसे ही गुस्से से देखती रही. मगर फिर बगैर कुछ बोले मेरे लंड को मुँह में लेने के लिए वो उस पर झुक गयी. इससे पहले भी मैं काफी बार प्रिया को मेरा लंड मुँह में लेने‌ के लिए बोलता रहता था मगर हमेशा वो मना कर देती थी. फिर आज पता नहीं कैसे वो एक बार बोलते ही मेरे लंड को अपने मुँह में लेने के लिए तैयार हो गयी थी.

ओह … शायद ये सारा असर नेहा का था, मेरी और नेहा की चुदाई देखने के बाद एक तो प्रिया काफी उत्तेजित थी और दूसरा वो नेहा से चिढ़ भी रही थी. इसलिए शायद वो किसी भी हाल में नेहा से कम नहीं रहना चाहती थी.

मेरे लंड को मुँह में लेने‌ के लिया प्रिया अब उस पर झुकी ही थी कि तभी‌ उसे मेरे लंड पर लगे‌ हुए सफेद सफेद धब्बे दिखाई दे गए और वो कहने लगी- छीईईई … पहले इसे साफ तो करके आओ. प्रिया ने मेरे लंड पर से हाथ हटाते हुए कहा. मैंने भी अब एक हाथ से अपने लंड को पकड़कर देखा तो मेरे चेहरे पर हल्की मुस्कान सी आ गयी क्योंकि मेरे लंड पर नेहा की चुत का रस लगा हुआ था, जोकि सूख कर अब सफेद हो गया था.

“अरे … कुछ नहीं है … तुम्हारी बहन का ही तो रस है ये …” मैंने शरारत से हंसते हुए कहा, इससे प्रिया के चेहरे पर फिर से गुस्से के भाव उभर आए. “नहींईईई … पहले तुम इसे साफ‌ करके आओ …” प्रिया ने अब गुस्से से कहा. “मगर क्योंओओ … देखो तो कितनी अच्छी‌ खुशबू आ रही है इससे …” मैंने जिस हाथ से अपने लंड को पकड़ा हुआ था, उसे पहले तो खुद सूंघकर देखा और फिर प्रिया के नाक की तरफ ले जाते हुए कहा. “छीईईई …ईई … हटाओ … इसे …” प्रिया ने मेरे हाथ को झटकते हुए कहा और खुद ही अपने सूट को उठाकर मेरे लंड को साफ करने लगी.

मेरे लंड को अच्छे से साफ करने के बाद प्रिया ने एक बार अब फिर से मेरे लंड को अपने मुँह लेने की कोशिश की, मगर जैसे ही वो अपने होंठों को मेरे लंड के पास लेकर गयी, उसने मितली सी ली और अपने मुँह को‌ वहां से हटाकर मेरी तरफ देखने लगी. शायद मेरे लंड से अब भी नेहा की चुत के रस की महक आ रही थी, जो कि प्रिया को पसंद नहीं आई.

मैंने अब उससे पूछा कि क्या हुआ?” तो उसने मेरी बात का तो कोई जवाब नहीं दिया मगर उसने अब अपनी ब्रा को उठा लिया और मेरे लंड पर ढेर सारा थूक कर उसे अपनी ब्रा से साफ करने‌ लगी.

इसी तरह दो तीन बार मेरे लंड को अपने थूक से गीला कर करके उसने अपनी ब्रा से बिल्कुल साफ कर दिया. प्रिया के गर्म गर्म थूक के अहसास से मेरे लंड में भी अब हल्की उत्तेजना सी आ गयी थी. मगर ये इतनी अधिक भी नहीं थी कि लंड अपनी दम पर खड़ा हो जाए.

अपने थूक से मेरे लंड को अच्छे से साफ करने के बाद प्रिया ने अपना मुँह फिर से मेरे लंड पर झुका दिया. उसने अब पहले तो मेरे लंड पर हल्की सी जीभ लगाकर उसके स्वाद को चखा और फिर धीरे से उसे अपने मुँह में भर लिया.

उफ्फ … क्या गर्म‌ गर्म‌ अहसास था वो प्रिया के मुँह का. उसके वो नर्म‌ नर्म नाजुक होंठ और उसके गर्म गर्म गीले मुँह की‌ गर्मी … मेरे लंड से होते हुए मेरे पूरे बदन पर चढ़ने लगी थी. इससे अपने आप ही मेरे में लंड में अब हल्की हल्की चेतना सी आने लगी. प्रिया भी अब मेरे लंड को मुँह में भरकर उसे हल्का हल्का चूसने लगी थी. जिससे प्रिया के मुँह में ही मेरा लंड अब धीरे धीरे फूलने लगा.

प्रिया मेरे लंड को चूस तो रही थी … मगर उसे शायद मेरे लंड को चूसना अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि मेरे लंड को चूसते हुए वो बार बार थूक भी रही थी. शायद अपनी उत्तेजना के वश मेरे लंड को खड़ा करने के लिए या फिर नेहा से जलन के कारण वो मेरे लंड को चूस रही थी.

मेरे लंड में अब हल्की हल्की चेतना आने लगी थी. इसलिए मेरे लंड को चूसते हुए प्रिया ने अब अपनी लचीली गर्म जीभ को भी धीरे धीरे मेरे सुपाड़े पर घुमाना शुरू कर दिया. इससे अब कुछ ही देर में मेरा लंड अकड़ कर फूल गया और मेरे सुपाड़े से प्रिया का पूरा मुँह भर गया.

प्रिया मेरे बगल में बैठकर मेरे लंड को चूस रही थी और मैं मजे से लेटा हुआ था. तभी‌ मेरी नजर प्रिया की कमर पर चली गयी. प्रिया की कमर पर एक लम्बी लाईन में बिल्कुल लाल निशान सा बना हुआ था‌‌, जो‌ छिलने‌ का निशान था.

ओह … शायद सलवार के नाड़े को‌ जोरों से खींचने के कारण उसकी कमर छिल‌ गई थी. प्रिया का इस तरह का ये बेसब्री वाला प्यार देखकर मुझे उस पर इतना प्यार उमड़ आया कि सच बता रहा हूँ उस समय मेरी आंखों में हल्की नमी सी आ गयी. मुझसे अब रहा नहीं गया, मैंने आगे बढ़कर उसकी छिलने वाली जगह को अपनी जीभ से चाट लिया.

“अ.आआ … उह्ह.” कहकर प्रिया जोरों से कराह उठी … मगर उसने कुछ कहा नहीं.

मैंने भी अब सोचा कि जब प्रिया मुझे इतना मजा दे रही है तो क्यों ना मैं भी प्रिया को मजे देने के साथ साथ खुद भी उसकी चुत के रस का स्वाद ले लूँ. प्रिया को‌ पकड़ने के लिए मैं अब थोड़ा सा उठा ही था कि तभी अपने कमरे की खिड़की पर मुझे नेहा दिखाई दे गयी. शायद उससे भी रहा नहीं गया था इसलिए वो भी अब खिड़की से मेरी और प्रिया की चुदाई देखने के लिए आ गयी थी.

मैंने अब अपना ध्यान खिड़की से हटाकर प्रिया पर लगाया और धीरे से उसकी‌ कमर में हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींचने लगा. प्रिया मेरा इशारा समझ गयी थी, इसलिए उसने एक ही झटके में अपनी पेंटी को उतार फैंका और बिना कुछ कहे चुपचाप मेरे सिर के दोनों तरफ पैर करके अपने घुटनों के बल ऐसे बैठ गयी कि उसकी गीली चुत सीधा ही मेरे मुँह पर लग गयी. बिल्कुल नेहा के जैसे ही.

मैंने भी अब अपनी पूरी जीभ बाहर निकालकर उसकी चुत की गीली फांकों को चाट लिया. इससे प्रिया के पूरे बदन ने झुरझुरी सी ली और ‘ओय्य्य … ईईई. श्श्शशश … आह्ह्ह्ह …’ की एक जोर की सिसकारी भरकर अपनी दोनों जांघों के बीच मेरे सिर को दबा लिया. मगर मैं अब रूका नहीं … मैं वैसे ही धीरे धीरे प्रिया की उस रस भरी चुत को चाट चाट कर उसके रस को पीने लगा.

मेरे आनन्द की अब कोई सीमा नहीं थी क्योंकि प्रिया को अपना लंड चुसाते हुए मैं खुद भी अब मजे से उसकी रसीली चुत के रस को गटक रहा था‌. उत्तेजना के वश अब अपने आप ही मेरी कमर हरकत में आ गयी‌ और नीचे से धीरे धीरे अपनी कमर को उचका उचका कर मैंने अपने लंड को प्रिया के मु्ँह में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.

मगर प्रिया को शायद इस तरह से मेरा ये आनन्द लेना सहन‌ नहीं हुआ. वो मुझसे गुस्सा थी, इसलिए उसने तुरन्त मेरे लंड को छोड़ दिया और मेरे लंड पर ढेर सारा थूक कर मेरे ऊपर लेट गयी. “क्या हुआ? कितना मजा तो आ रहा था!” मैंने हैरानी से प्रिया के चेहरे की तरफ देखते हुए उससे पूछा. प्रिया ने इस पर कुछ कहा तो नहीं, मगर एक बार मेरी तरफ गुस्से से देखा और फिर जोरों से मेरे होंठों‌ को चूसने और‌ काटने लगी.

प्रिया के इतनी जोरों से मेरे होंठों को चूसने और काटने पर मुझे दर्द होने लगा था. मगर मैंने उससे कुछ कहा नहीं क्योंकि मुझे पता था कि वो ऐसा मुझ पर अपना गुस्सा निकालने के लिए कर रही है.

वो तो मुझ पर अपना गुस्सा निकाल रही थी लेकिन मुझे उस पर बहुत ही प्यार आ रहा था. इसलिए मैंने भी उसके एक होंठ को अपने‌ मुँह में भर लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया मगर प्यार से.

प्रिया मुझ पर गुस्सा तो थी मगर वो काफी उत्तेजित भी थी, इसलिए कुछ देर मेरे होंठों को जोरों से चूसने और काटने के बाद उसने मेरे होंठों को छोड़ दिया और अपने पैर मेरी कमर के दोनों तरफ करके मेरे ऊपर बैठ गयी.

मैं अब बस मूक होकर उसकी हरकतें देखने लगा. मेरे ऊपर बैठकर प्रिया ने एक बार फिर से अब मेरी तरफ‌ देखा. इस बार उसकी आंखों में उत्तेजना के साथ साथ हल्की सी हया के भी भाव थे. तभी वो थोड़ा उठी और अपने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़कर उसे सीधा ही अपनी चुत के प्रवेशद्वार पर लगा लिया.

जैसे ही मुझे अपने लंड पर प्रिया के गर्म गर्म और गीले प्रवेशद्वार का अहसास हुआ, खुशी के मारे मेरे लंड ने तुनक कर एक झटका सा खाया और मेरा सुपाड़ा फूल कर और भी मोटा हो गया.

मेरे लंड को अपने प्रवेशद्वार पर लगाकर प्रिया अब धीरे धीरे उस पर बैठने लगी. उसकी चूत पहले ही गीली होने के कारण चिकनी हो रखी थी, इसलिए आसानी से ही मेरे सुपाड़ा प्रिया की चुत में घुस गया. सुपाड़ा घुसने के बाद प्रिया ने मेरे लंड पर से अपना हाथ हटा लिया और दोनों हाथ मेरे सीने पर रख कर धीरे धीरे मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर उतारते हुए उस पर बैठने लगी.

अब जैसे जैसे मेरा लंड उसकी चुत के अन्दर जा रहा था, वैसे वैसे ही प्रिया के चेहरे के भाव बदल रहे थे. शायद मजे के साथ साथ उसे हल्की पीड़ा का भी अहसास हो रहा था. मगर फिर भी वो रुकी नहीं. आधा लंड अपनी चुत में उतारने के बाद प्रिया ने अब फिर से मेरी तरफ देखा. मगर मैं अब भी मूक ही बना रहा.

प्रिया ने अपने होंठों को दांतों से भींच लिया और एकदम से मेरे लंड पर बैठ गयी, जिससे मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चुत में उतर गया और प्रिया के मुँह से ‘आअह्ह्ह् … मर गई मम्मीईई …’ की एक जोरदार कराह फूट पड़ी.

मेरा पूरा लंड अपनी चुत में उतारने के बाद कुछ देर तो प्रिया वैसे ही रुक कर हल्के हल्के सिसकती‌ रही. फिर धीरे धीरे उसने अपनी‌ कमर को आगे पीछे हिलाना शुरू कर दिया, जिससे मेरा लंड अब प्रिया की चुत की संकरी दीवारों पर घिसने लगा.

मुझे तो अब कुछ करना ही‌ नहीं पड़ रहा था. प्रिया खुद ही अपनी चुत की दीवारें मेरे लंड पर घिस रही थी, जिससे प्रिया के साथ साथ मेरे बदन में भी अब आनन्द की लहरें उठने लगीं. प्रिया की इस अदा पर तो मैं अब फिदा ही हो गया था.

अभी तक मैंने काफी बार और काफी औरतों व लड़कियों से सम्बन्ध बनाये थे, मगर इस तरह से मेरे लंड पर बैठकर अभी तक किसी ने भी मजा नहीं दिया था. मेरा ये पहला अनुभव था, जब कोई‌ लड़की मेरे लंड पर बैठकर इस तरह से खुद मजा लेने के साथ साथ मुझे भी उतना‌ ही मजा दे रही थी. मैंने इस तरह की सेक्स पोजिशन बस सेक्स वीडियो में ही देखी थी. मगर अभी तक मेरे साथ इस तरह से किसी ने भी सम्बन्ध नहीं बनाये थे. पता नहीं प्रिया ने ये सब कहां से सीखा था.

कुछ देर तक तो मैं अब प्रिया को बस प्यार से देखता ही रहा. फिर अपने हाथ आगे बढ़ा कर मैंने भी उसकी कोमल चूचियों को पकड़ लिया. अब जैसे ही मैंने उसकी चूचियां पकड़ीं, प्रिया के मुँह से एक‌ हल्की सीत्कार सी‌ फूट पड़ी और उसकी चुत में एक तनाव सा पैदा हो गया. ऐसा लगा जैसे कि उसकी चुत की दीवारें मेरे लंड पर कस सी गयी हों.

मैंने भी अब प्रिया की दोनों चूचियों को हल्के हल्के दबाना और मसलना शुरू कर दिया. इससे प्रिया के मुँह से हल्की हल्की सिसकारियां फूटनी शुरू हो गईं और उसने अपनी कमर को‌ भी थोड़ी गति दे दी.

तभी मुझे दरवाजे पर किसी के होने का आभास सा हुआ … मगर मैंने जब दरवाजे की तरफ देखा, तो मुझे‌ कोई नजर नहीं आया. मैंने अब एक बार खिड़की‌ की तरफ देखा तो नेहा अब भी खिड़की‌ पर ही थी. मैं अब सोचने‌ लगा कि अगर नेहा खिड़की‌ पर है … तो फिर दरवाजे पर कौन आया होगा? काफी देर तक मैं दरवाजे की तरफ‌ ही देखता रहा. मगर मुझे उधर कोई भी नजर नहीं आया. मैंने भी सोचा कि हो सकता है कि ये मेरा वहम‌ हो.

मैंने अपना ध्यान दरवाजे से हटाकर प्रिया की चूचियों पर लगा दिया.

प्रिया की चूचियों को‌ जोरों मसलते हुए मैं अब उसके चेहरे की तरफ देखने लगा. मगर उसे तो होश ही नहीं था, उसने अपना मुँह ऊपर छत की तरफ किया हुआ था और मजे से ‘इईईई श्श्शशश … आआह … अहह … इईईई … इश्श्शश … आआहह …’ की जोरों से सिसकारियां भरते हुए मेरे लंड की सवारी कर रही थी.

प्रिया ने अपने दोनों हाथों से मेरी बांहों को पकड़ा हुआ था और जैसे कोई घोड़े पर बैठकर उसकी सवारी करते हुए आगे पीछे हिलता है, बिल्कुल वैसे ही प्रिया भी मेरे लंड पर बैठकर आगे पीछे हिल रही थी. इससे उसकी पूरी चुत मुझ पर घिस रही थी तो मेरा लंड भी उसकी चुत की दीवारों पर घिस रहा था. मैं भी अब मज़े से प्रिया की दोनों चूचियों को दबा दबाकर मजे लेने लगा. तो प्रिया भी अपनी कमर को हिला हिला कर मेरे लंड को अपनी चूत से चूसने लगी.

प्रिया का ये बड़ा ही मादक और मनमोहक‌ अन्दाज था. कसम से बता रहा हूँ कि प्रिया के जैसी कोई भी लड़की या औरत अभी तक मुझे नहीं मिली थी. मैं बयान नहीं कर सकता कि कुदरत के बनाये इस खेल में कितना आनन्द भरा है. ये तो उस वक़्त बस मैं समझ रहा था या फिर प्रिया.

धीरे धीरे प्रिया की कमर की हरकत अब तेज‌ होने लगी थी, उसने मेरे हाथों को छोड़ कर अब मेरे सीने‌ पर अपने हाथों को रख लिया और थोड़ा तेजी से अपनी कमर को हिलाने लगी‌. साथ ही‌ प्रिया की सिसकारियां भी अब तेज होती जा रही थीं.

मेरे भी आनन्द की कोई सीमा नहीं थी, इसलिए उत्तेजना के वश मैं अब थोड़ा सा उठ गया और प्रिया की एक चूची को अपने मुँह में भर लिया, जिससे प्रिया और भी जोरों से चहक उठी. उसने दोनों हाथों से मुझे अपनी बांहों में भरकर पूरा ही ऊपर खींच लिया, जिससे मैं अब उठकर बिस्तर पर बैठा सा हो गया‌.

प्रिया की चूची को चूसते हुए मैंने भी अब अपने दोनों हाथों को पीछे ले जाकर उसके कूल्हों को पकड़ लिया और उसे अपनी ओर खींच लिया. जिससे प्रिया मेरे लंड को अपनी चुत में घुसाये घुसाये ही मेरी गोद में बैठ गयी और हम दोनों के नंगे बदन एक दूसरे के साथ बिल्कुल चिपक गए.

प्रिया की कमर की हरकत अब भी रूकी‌ नहीं थी. उसने अब अपनी बांहें मेरे गले में डाल ली थीं और जोरों से सिसकारियां भरते हुए अब भी लगातार अपनी कमर को हिला रही थी. प्रिया की चूची का रस पान करते हुए मैंने भी अब अपनी तरफ से धक्के लगाने शुरू कर दिए, जिससे प्रिया की सिसकारियां अब किलकारियों में बदल गईं और उसकी‌ कमर‌ की‌ हरकत और भी तेज हो गयी.

प्रिया ने अपनी बांहों‌ को मेरे गले में डाला हुआ था, जिनके सहारे वो अब जोरों से ‘ईईई श्श्शश … आआह …’ की किलकारियां सी मारते हुए जोरों से मेरी गोद में ही मे‌रे लंड पर फुदक‌ने लगी थी.

मेरे लंड पर उछलते हुए प्रिया ने अब एक‌ हाथ से मेरे सिर के बालों को पकड़ कर मेरी गर्दन को ऊपर उठा लिया. जिससे मेरे मुँह से उसकी चूची छूट गयी. एक बार तो मुझे ये बुरा लगा था, मगर तभी प्रिया ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर लगा दिया.

मैं अब फिर से खुश हो गया और प्रिया के होंठों को अपने मुँह में भरकर उन्हें जोरों से चूसने लगा.

मेरे हाथ अब भी प्रिया के कूल्हों पर ही थे. इसलिए उत्तेजना के वश मैंने प्रिया के कूल्हों को अब जोरों से पकड़ लिया और नीचे से धक्के लगाते हुए उसके कूल्हों को‌ पकड़कर उसे जल्दी जल्दी आगे पीछे करने‌ लगा. अब तो मानो‌ प्रिया पर कहर बरस पड़ा और वो और भी जोरों से‌ कूदने‌ लगी.‌ क्योंकि मेरा लंड प्रिया की चुत में अन्दर बाहर होने के साथ प्रिया की चुत के पास की चमड़ी पर भी लंड की रगड़ लगने लगी थी.‌ जिससे प्रिया के मुँह से अदभुत सी आवाजें निकलना शुरू हो गईं.

हम दोनों की ही सांसें अब फूल गयी थीं और हम दोनों पसीने से बदन नहा गए थे. मैं अभी अभी दो बार स्खलित होकर आया था, इसलिए मेरी मंजिल अभी दूर थी … मगर शायद प्रिया अब अपने चरमोत्कर्ष के करीब पहुंच गयी‌ थी. उसका बदन अब जलने सा लगा था और उसकी चुत में भी काफी संकुचन सा हो रहा था. ऐसा लगा रहा था जैसे कि प्रिया की चुत अब अपने आप ही मेरे लंड को अन्दर खींच रही हो.

मैं नहीं चाहता था कि इतनी जल्दी प्रिया स्खलित हो जाए क्योंकि मुझे पता था कि मेरी मंजिल अभी दूर है और स्खलन के बाद प्रिया ढीली पड़ जाएगी इसलिए मैंने अब धक्के लगाने थोड़ा धीरे कर दिए.

प्रिया ने अब मेरे मुँह से अपने होंठों को छुड़वा लिया और मेरी तरफ‌ घूर घूर कर ऐसे देखने लगी‌ जैसे कि कोई भूखी शेरनी के मुँह में हड्डी स्लो स्पीड से जाने लगी हो. “ज्यादा चालाक बन रहा है क्या?” प्रिया ने मेरी तरफ घूर घूर कर देखते हुए ही कहा. उसकी आंखें उत्तेजना के ज्वार के कारण जल सी रही थीं और अब भी अपनी कमर को जोरों से उचका रही‌ थी.

प्रिया काफी देर से उत्तेजना के कारण जल रही थी … क्योंकि जब से उसने मेरी और नेहा की चुदाई देखी थी. तब से ही वो उत्तेजित थी. इसलिए उसका शायद अब खुद पर ही बस नहीं रहा था.

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