कमसिन जवानी की चुदाई के वो पन्द्रह दिन-2

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अब तक आपने पढ़ा कि राज अंकल और जगत अंकल के साथ हम लोग कार में मानकपुर जा रहे थे. छोटी सी कार में हम सात लोग घुसे से बैठे थे. जगत अंकल मेरी जांघ पर हाथ फेरते हुए मेरे कान में फुसफुसा रहे थे कि मैंने उनको पंद्रह दिन तक खुली छूट देने का वायदा किया था.

अब आगे:

अंकल की बात सुनकर मैं कुछ नहीं बोली, बस थोड़ा सा स्माइल देकर आंखें नीचे कर लीं. जगत अंकल एक हाथ मेरे पीछे तरफ से कमर में डालकर मेरे कान में बोले- आई लव यू मेरी प्यारी बीवी … मेरी वन्द्या. मैं कुछ नहीं बोली क्योंकि थोड़े ही आगे मम्मी बैठी थीं.

जगत अंकल यह भी नहीं सोच रहे थे कि बगल से दो अनजान व्यक्ति बैठे हैं. उन्होंने एक हाथ आगे तरफ जो मेरी जांघ में रखा था, उससे मेरी स्कर्ट की इलास्टिक खींचा और सीधे अपना हाथ मेरे अन्दर घुसा कर पेंटी के ऊपर पहुंचा दिया. मैंने अंकल की तरफ जोर से घूरा कि बगल से दो अनजान व्यक्ति हैं … और आगे मम्मी हैं … तो वो इस तरह की हरकत न करें. जगत अंकल कान में फिर बोले- चिंता नहीं करो वन्द्या … कुछ नहीं होगा चुपचाप बैठी रहो, किसी को कुछ पता नहीं होगा … तुम बेफिक्र रहो, ये मेरी जवाबदारी है.

इसके बाद उन्होंने अपना तौलिया या गमछा जो वे कंधे में डाले थे, उसे इस तरह से मेरी जांघ में स्कर्ट के ऊपर डाल दिया कि नीचे कुछ भी हो, किसी को दिखे ही नहीं और किसी को कुछ समझ ना आए. इसके बाद जगत अंकल ने सीधे मेरी पेंटी के ऊपर से, जहां मेरी चूत थी, वहां पर हाथ रख दिया. मुझे बिल्कुल अजीब सा लगा. अब जगत अंकल अपने हाथ को चलाने लगे. उनके हाथ की रगड़ से मुझे थोड़ा थोड़ा कुछ होने सा लगा. जगत अंकल पेंटी के ऊपर से ही जहां मेरी चूत की रेखा थी, वहां उंगली चलाने लगे. इधर उन्होंने अपने दूसरे हाथ से, जो पीछे से मेरी कमर में था. उससे मुझे रगड़ते हुए पहले मेरी नाभि और पेट को सहलाया, फिर पीछे तरफ से ही हाथ को सीधे ऊपर किया, जहां से अंकल ने अपने हाथ इस हाथ को मेरी समीज के ऊपर से मेरे मम्मों पर पहुंचा दिया और धीरे से एक को दबा दिया.

कार चल रही थी, मैं बहुत घबरा रही थी कि कहीं कोई देख ना ले. मुझे बहुत ही अजीब भी लग रहा था.

तभी जगत अंकल ने अपने नीचे वाले हाथ से मेरी पैंटी की इलास्टिक को खींचने लगे. मैंने उनका हाथ पकड़ कर उन्हें रोकना चाहा कि कहीं किसी ने देख लिया, तो मेरा क्या होगा. परन्तु जगत अंकल ने मेरा हाथ हटा दिया और धीरे से बोले- कुछ नहीं होगा, चुपचाप बैठी रहो. मेरी सेक्सी पन्द्रह दिन की वाइफ वन्द्या!

वे बिल्कुल नहीं माने और अपनी मर्जी करने लगे. वे रुकने को जरा भी तैयार न थे. उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी पैंटी की इलास्टिक खींचकर पेंटी के अन्दर अपना हाथ घुसा दिया. मैंने अपनी जांघ और पैर सिकोड़ लिए कि उनका हाथ मेरी चूत पर न पहुंच पाए. जगत अंकल मर्द हैं, वो मेरे रोके कहां रुकते. उन्होंने अपने हाथ का जोर लगा के मेरी टांगों को चौड़ा कर फैला दिया और सीधे अपना हाथ मेरी चूत पर पहुंचा दिया.

अब अंकल मेरी चूत के पास के बालों सहलाने लगे और इधर एक हाथ जो पीछे से लाए थे, उससे समीज के ऊपर से ही मेरे मम्मों को धीरे धीरे दबाने लगे. वे करीब ऐसे ही पांच सात मिनट करते रहे. गाड़ी को चले हुए 20 मिनट करीब हो गए थे. मेरी हालत अब धीरे धीरे खराब होने लगी. मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी कि क्या करूं.

जगत अंकल के बगल से दो ठाकुर लोग बैठे थे, उधर बिल्कुल मेरे सामने आगे की सीट में मम्मी और राज अंकल बैठे थे. इस वजह से मैं कुछ भी बोल नहीं पा रही थी. ना बोलने की स्थिति थी, न ताकत से मना करने की हिम्मत कर पायी. उसी का फायदा जगत अंकल उठा रहे थे.

मैं अब बहुत असहज होने लगी और मेरे अन्दर कुछ कुछ होना शुरू हो गया था. अब कोई भी मेरी उम्र की लड़की के साथ ऐसे हरकत करें, तो भला वह कैसे अपने पर कंट्रोल रख सकती है. मैं कुछ कह पाती, ऐसा हो नहीं पा रहा था.

अब जगत अंकल ने मेरी जांघों के ऊपर अपनी हथेली रख दी और धीरे से उसे चलाने लगे. मेरी चूत की बीच रेखा पर कटाव पर उंगली से सहलाने लगे. मुझे बहुत कुछ हो रहा था. मैं बैठे नहीं रह पा रही थी कि तभी जगत अंकल ने अचानक अपनी एक उंगली मेरी चूत में घुसा दी. मैं एकदम से उछल पड़ी और एक हिचकी की आवाज निकली, पर जगत अंकल ने भी कुछ नहीं बोला.

चूंकि कार में गजल सांग बज रहा था और साउंड सिस्टम की आवाज कुछ तेज थी. इसलिए मेरी आवाज़ किसी ने नहीं सुनी थी.

इधर मेरी हालत खराब हो रही थी. जगत अंकल बिल्कुल मुझसे लिपटे जा रहे थे. उधर मेरी समीज को ऊपर कर के जगत अंकल अपना हाथ अन्दर डालने लगे. समीज के अन्दर से जगत अंकल ने मेरे एक दूध को पकड़ लिया और मेरे उस दूध जोर से दबाने लगे. साथ ही वे अपनी उंगली मेरी चूत में अन्दर बाहर करने लगे. जिसके कारण मैं जगत अंकल के आगोश में आ चुकी थी. मैं अब उनके काबू में हो गई थी. मुझसे रहा नहीं जा रहा था, तो मैं जानबूझ कर अपनी टांगें फैलाने लगी ताकि उनकी उंगली चूत में आराम से अन्दर बाहर जाने लगे.

इधर मेरी चूत अन्दर से बिल्कुल गीली हो गई थी, जगत अंकल मेरे कान में धीरे से बोले- वन्द्या तुम्हारी चूत मात्र दस मिनट में गीली हो गई. तुम इतनी जल्दी चुदासी हो गई हो … वाह तुम तो बहुत गर्म माल हो.

मैं अंकल की बात सिर्फ सुन सकती थी, मम्मी के बैठे होने के कारण कुछ बोल नहीं सकती थी. जगत अंकल अब मेरी चूत के अन्दर अपनी उंगली तेजी से जोर जोर से चलाने लगे, वे मुझे बिल्कुल पागल किए जा रहे थे. मुझसे रहा नहीं जा रहा था. मैं भी सब भूलने लगी थी. मुझे कुछ होश नहीं रहा. जैसे जैसे अंकल उंगली मेरी चूत में रगड़कर अन्दर बाहर कर रहे थे, मैं उतनी ही जोर-जोर से हांफने लगी थीं … वो भी तेजी से … मेरे ना चाहने पर भी मेरे मुँह से ‘उंह उंह आह वोहह …’ की आवाज निकलने लगीं.

जगत अंकल मुझसे बोले- वन्द्या अब बताओ, तुम्हारा चुदवाने का मन हो रहा है कि नहीं? इस पर मैं कुछ नहीं बोली, पर मैंने अंकल का हाथ पकड़ लिया और अपनी चूत में रखकर दबवाने लगी. अंकल बोले- उंगली और अन्दर घुसाऊं? मैंने हां में सिर हिला दिया और उनके तरफ अपना हाथ ले जाकर उनकी पैंट की ज़िप के ऊपर अपना हाथ रख दिया.

अंकल बोले- वन्द्या तुम कुछ नहीं करना … जो मैं बोलूं, बस उतना करते जाना. मैंने हां में सर हिला दिया. जगत अंकल जल्दी से अपने आपको संभाल के बोले- वन्द्या तुम थोड़ा उठ जाओ और मेरी गोद में बैठ जाना क्योंकि अब बैठते नहीं बन रहा है. मैं पहली बार धीरे से बोली- ठीक है अंकल.

मेरी आवाज सुनकर मम्मी ने पीछे मुड़कर देखा और पूछने लगीं- बैठते बन रहा है कि नहीं सोनू? तब जगत अंकल बोले- क्या बताएं थोड़ी परेशानी तो है … बेचारी बिटिया दबी जा रही है.

उस समय मम्मी को कुछ आइडिया तो था नहीं कि इधर जगत अंकल क्या खिचड़ी पका रहे हैं. तो मम्मी ने बोला कि सोनू तुम्हारे दादाजी की तरह हैं … न बने तो उनकी गोदी में बैठ जाना. थोड़ी देर की तो बात है. मैं बोली- जी मम्मी ठीक है.

मम्मी के मुँह से इतना सुनते ही जगत अंकल की तो जैसे बिन मांगे मुराद ही पूरी हो गई थी. वे तुरंत ही मुझसे बोले- बिटिया, तुमसे नहीं बन रहा है, तुम उठो और मेरी गोदी में बैठ जाओ. मैं बोली- जी अंकल.

अंकल ने अपनी ज़िप पैंट की खोलकर अपना लंड बाहर निकाल कर, मेरा हाथ ले जाकर उसे पकड़ा दिया. अंकल का लंड इस वक्त बहुत गर्म था. जगत अंकल का लौड़ा पूरा खड़ा हुआ था. अब गमछा जो मेरी जांघ पर था, उसे अपनी तरफ़ ले लिया और मेरे कान में धीरे से बोले कि वन्द्या तुम थोड़ा सा उठो ऐसे खड़े हो कि किसी को कुछ समझ न आए. मैं बोली- जी अंकल, समझ गई.

जैसे ही मैं थोड़ी सी उठी तो जगत अंकल ने अपना गमछा आधी अपने जांघों पर डाले रखी, आधी मेरे तरफ ऐसे कर दी जिससे जब मैं बैठूं या खड़ी होऊं तो किसी को कुछ समझ ही नहीं आए … और दिखे तो बिल्कुल भी नहीं. जगत अंकल गमछे का इस्तेमाल बड़े दिमाग से कर रहे थे. मैं जैसे ही उठी, तो जगत अंकल ने गमछे की ओट में मेरी स्कर्ट के अन्दर हाथ डालकर मेरी पैंटी को पकड़ कर नीचे खींच दिया.

मैं कान में धीरे से अंकल से बोली- मत करो अंकल … जरा भी किसी को शक हुआ सब गड़बड़ हो जाएगी. मैं मुँह दिखाने लायक नहीं बचूंगी. अंकल बोले- पहले तो तुम जब कान में बोलो तो अंकल मत बोलो, मुझे सिर्फ जगत बोलो. दूसरा इज्जत मेरी भी जाएगी, मुझे परवाह है इस बात की. जरा भी चिंता नहीं करो. मेरी गारंटी है, किसी को कुछ भी नहीं पता चलेगा.

जगत अंकल इतने कान्फीडेन्स से बोले कि अब मैं भी उनकी बातों में आकर बेपरवाह हो गई और अपने आपको उनके हवाले कर दिया. अब जगत अंकल मेरी पैंटी को धीरे-धीरे नीचे उतारने लगे और पैंटी मेरे पैरों के नीचे आ गई तो झुक कर मेरे पैरों से पैंटी खींचकर उसे फोल्ड करके अंकल ने अपनी पैंट की जेब में डाल लिया और बोले- वन्द्या, तेरी पैंटी मेरे पास है.

फिर अंकल विंडो तरफ और खिसक आए तो जगह और मिल गई. जगत अंकल कान में मेरे बोले कि अपनी टांगें फैला कर थोड़ा मेरी गोंद में ऐसे बैठना कि मेरा लौड़ा तेरी चूत में घुस जाए.

मैं कुछ बोली नहीं, पर यह सुनकर और सोचकर ही मेरी सांसें बहुत भारी होने लगी थीं. मैं अन्दर ही अन्दर बहुत एक्साइटेड होने लगी.

फिर जगत अंकल ने पीछे तरफ से मेरी स्कर्ट को ऊपर उठा दिया, तो मेरी गांड तक मैं बिल्कुल नंगी सी हो गई. अंकल ने उधर टॉवल कर दिया ताकि किसी को दिखे नहीं. गांड पर टॉवल डालने के बाद जगत अंकल ने मेरी चूत में अपनी उंगली तेजी से डाल कर जोर जोर से मेरे अन्दर बाहर करने लगे, जिसके कारण मैं बिल्कुल सुन्न हो गई और मेरी हालत बहुत खराब हो चुकी थी. मुझे लग रहा था कि अब अंकल से लिपट जाऊं, उन्हें खा लूं.

मेरी चूत से रस टपकने लगा था. मैं बिल्कुल लड़खड़ा रही थी. तभी अंकल बोले- लंड पर बैठो मेरी सेक्सी वन्द्या. मैं जैसे अंकल की गोद में बैठने लगी तो जगत अंकल का लौड़ा मेरी गांड के छेद पर टच हो गया. मुझे बहुत गुदगुदी सी लगी. अंकल बोले- थोड़ा आगे होकर बैठ वन्द्या ताकि चूत में घुसे … अगर गांड में डलवाना हो तो ऐसे ही बैठ जा … मेरा लंड तेरी गांड में बिल्कुल फिट आ जाता है.

मैं भी जोश में थी और मैंने भी धीरे से बोलना शुरू कर दिया था. मैं बोली- जहां डालना हो डाल दो जगत … पर अभी मेरी चूत में डाल दे, बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूँ. जगत अंकल ने मेरी कमर को पकड़ कर थोड़ा सा मुझे आगे खिसकाया और बोले- अब धीरे धीरे बैठ वन्द्या. इस बार बिल्कुल मेरी चूत पर अंकल का लंड सैट हो गया. जैसे ही अंकल का लौड़ा चूत में छू गया, मेरा दिल जोर से धड़कने लगा. मैं उत्तेजित हो कर सीधे बैठ गई. पर अंकल का लौड़ा फिसल गया और मेरी जांघों के बीच में चूत तरफ से आ गया. अंकल ने कहा- वोहह … सेक्सी बहुत मस्त है तेरी चूत.

अंकल को लगा कि उनका लंड मेरी चूत में घुसा है. मैंने उन्हें बताया अंकल आपका लंड अभी नहीं घुसा. अंकल बोले- अरे … मैंने सोचा घुस गया. अंकल का लंड पूरा जांघ के बीच में था. मैं उसी से बहुत एक्साइटेड हो रही थी.

फिर अंकल बोले- थोड़ा उठो और फिर से डालो. मैं उठी तो अंकल ने अपना लंड हाथ से पकड़ लिया और मुझे बोले- अब बैठ जा डार्लिंग.

उनके कहते ही मैं बैठने लगी. अंकल का लौड़ा पूरा मेरी चूत में फिट बैठ गया. अंकल बोले- सैट है? मैं बोली- जी अंकल … बैठूं मैं? अंकल- हां बैठ जा.

अब जैसे ही मैं बैठने लगी तो बहुत तेजी से दर्द होने लगा. अंकल का लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर घुसने लगा. मैं उठने लगी तो अंकल ने तुरंत मेरे कंधे पकड़ कर जोर से दबा दिया और एक ही झटके में जगत अंकल का लंड मेरी चूत को चीरता हुआ पूरा अन्दर समां गया. घुसते ही मेरी चीख निकल गई. मैं जोर से चिल्लाई- उई मम्मी मर गई.

मम्मी को ये सुनाई दे गया. मम्मी पलट कर मुड़ीं, मम्मी के सीट के जस्ट पीछे थी, तो मम्मी को सिर्फ मेरा चेहरा दिखाई दिया. मम्मी ने पूछा- क्या हो गया सोनू? मैं बहुत घबरा गई और डर गई. मैं बोली कि कुछ नहीं. तो जगत अंकल बोले- अरे उठते समय वन्द्या का सर कार की छत से लग गया था. मम्मी ने मेरे सर पर हाथ रखा और बोली- जोर से लगा क्या? मैं बोली- हां मम्मी, दर्द है. मम्मी बोलीं- देखकर बैठा कर.

मुझे बहुत तेज दर्द हो रहा था, पर दर्द को छुपाते हुए मैंने कहा- जी मम्मी …

अब मम्मी सीधी हो गईं. जगत अंकल का पूरा लंड मेरी चूत में घुसा हुआ था. मुझसे रहा नहीं जा रहा था. दर्द के मारे मेरे आंखों से आंसू निकल आए, पर अंकल उठने नहीं दे रहे थे.

करीब चार-पांच मिनट तक ऐसा लगा कि मैं अभी मर जाऊंगी … दर्द के मारे जान निकल रही थी. तब 5 मिनट बाद अचानक से दर्द मेरा धीरे-धीरे घटने लगा. तब अंकल बोले- अब भी भी दर्द है क्या? मैं बोली- थोड़ा कम है. तो जगत अंकल बोले- सेक्सी वन्द्या अब थोड़ा ऊपर नीचे बैठो … धीरे धीरे अन्दर बाहर होगा, तो दो-तीन मिनट में तुम्हें जन्नत लगने लगेगी.

मैंने वैसा ही किया, मैं थोड़ा थोड़ा उठ कर हल्के से बैठने लगी. तभी मेरे को फिर से दर्द बहुत हुआ, पर अब मैं रुकी नहीं और वैसा ही करती रही.

तब 3-4 मिनट बाद सच में ना जाने क्या हुआ … मेरा दर्द गायब हो गया. न जाने … इस खेल में ऐसा क्या जादू होता है कि सारा का सारा दर्द कहां गायब हो जाता है. मुझे भी नहीं पता, वैसे भी जगत अंकल का लौड़ा इतना बड़ा नहीं था, फिर भी मेरी चूत बहुत टाइट थी. मुझे एक अलग सी दुनिया नजर आने लगी. मुझे लगा कि जगत अंकल और अन्दर तक लंड डालें, पर मैं बोल नहीं सकती थी.

मैंने भी तेजी से उछलना शुरू कर दिया. मुझे यह भी ध्यान नहीं रहा कि बगल में कौन बैठा है. इतने में जगत अंकल भी फुल जोश में आ गए और मेरी टी-शर्ट के अन्दर दोनों हाथ डालकर जोर जोर से मेरे दूधों को दबाने लगे.

तब बगल वाले अंकल ने जब मुझे उछलते देखा तो उन्होंने मेरी तरफ ढकी हुई टॉवल को अचानक उठा कर अपना सर झुका कर देखा, तो उन्हें सब कुछ साफ साफ दिखाई दे गया कि मैं जगत अंकल से चुदाई करवा रही हूं.

मैंने तुरंत जगत अंकल को कान में बोली- जगत छोड़ जल्दी से … बगल वाले अंकल ने सब देख लिया है. मम्मी को पता चला या इन्होंने कुछ कहा तो मैं बेमतलब मारी जाऊंगी. मैं कहीं की नहीं बचूंगी, अभी छोड़ो.

तब जगत अंकल ने बोला- तू चिंता ना कर … ये दोनों वही ठेकेदार हैं, जो तेरे लिए आए हैं. ये सब समझते हैं, ये दोनों भी तुझे मस्त चोदेंगे … तू इन्हें बहुत पसंद आ गई है. ये तो संकोच कर रहे थे कि तेरी मम्मी आगे वाली सीट में बैठी हैं. एक दो बार मुझे इशारा कर चुके हैं कि थोड़ा कुछ तो जैसे तेरे बूब्स दूध दबा दें या चुम्मी ले लें, पर मैंने सोचा पहले मैं तुझे गर्म कर दूं, तो गर्म करने के चक्कर में मुझसे रहा नहीं गया और तू भी आउट आफ कंट्रोल हो गई. अपन दोनों चुदाई करने लगे. मैं तेरी चुदाई किए बिना नहीं रह पा रहा था, इसलिए तुझे चोदने लगा.

अंकल की बात से मैं समझ गई कि ये सब वही हैं. फिर भी मैं बोली- अंकल कुछ होगा तो नहीं … मम्मी से बोलेंगे तो नहीं? जगत अंकल बोले- अरे पगली वह खुद तुझे चोदने वाले हैं. वह क्या बोलेंगे तू इंजॉयमेंट कर बस … यह जो अपनी लाइन में उधर विंडोज तरफ बैठे हैं, सबसे बड़ी मूछें रखी हैं. वे धर्मेंद्र सिंह ठाकुर साहब हैं. इनका लंड तू डलवायेगी तो तुझे जन्नत नसीब हो जाएगी. बहुत बड़े वाले चोदू हैं. इनका लंड पूरे एरिया में फेमस है, तुझे आज जन्नत मिल जाएगी.

मैं बड़े लंड की बात सुन कर और चुदासी सी हो गई.

तभी अंकल बोले- रुक … मैं अभी कुछ और मजे दिलाता हूं. जो मैं बोलूं बस करती जाना. वन्द्या तू अगर बोल तो तुझे अभी ही इनका लंड दिखवा दूँ. चल अभी रहने दे … पर सच में मेरा बहुत मन कर रहा था. तो मैंने बोला- नहीं अंकल तुम जल्दी-जल्दी कर लो … मुझसे रहा नहीं जा रहा है … मुझे शांत कर दो … अभी डालो.

तभी बगल वाले अंकल जगत के कान में बोले- यार भैया आप इधर आ जाओ, थोड़ा उधर मैं तुम्हारी जगह हो जाता हूं यह बहुत मस्त सेक्सी लड़की है, मुझसे रहा नहीं जा रहा है. वह अपना लंड पैन्ट के ऊपर से ही मुझे देख देख कर रगड़ने लगे. मैंने देखा कि उनका लंड पेंट में ही बहुत फूल गया था. जगत अंकल बोले- ठीक है अन्दर ही अन्दर सीट बदल लो. मुझे जगत अंकल बोले- वन्द्या थोड़ा सा उठ खड़ी हो जा, मैं बताता हूं क्या करना है. मैं बोली- नहीं, यहां मुझे सिर्फ आप ही करो, उनसे मैं बाद में मिल लूंगी. अभी नहीं … मम्मी क्या सोचेंगी कि सबकी गोदी में सोनू बैठ रही है. आप पहचान के हैं और आपकी उम्र 65 के आसपास है तो मम्मी शक नहीं कर रही हैं. ये अंकल लोग जवान टाइप के दिख रहे हैं. करीब पैंतालीस पचास साल के हैं. इनकी गोद में बैठने से मम्मी को शक हो जाएगा. जगत अंकल बोले- मम्मी कुछ बोलेगी तो मैं बोल दूंगा कि मेरे पैर दर्द करने लगे हैं … इसलिए बदल लिया, तू चिंता मत कर मैं सब सम्हाल लूंगा. वन्द्या तुझे कोई प्रॉब्लम नहीं होगी.

जगत अंकल ने मेरी एक भी नहीं सुनी और मुझे उठा दिया. अब जगत का लंड बाहर निकल गया, तो मुझसे रहा नहीं जा रहा था. मेरा चुदने का बहुत मन कर रहा था. लड़की को अधूरे में कोई चोदना छोड़ दे तो वह सोच नहीं सकता कि लड़की की क्या हालत होती है. वही हालत मेरी हो रही थी.

फिर अन्दर ही अन्दर दोनों अंकल उधर उधर हो चेंज कर लिए. जगत अंकल बीच में हो गए और बीच वाले अंकल जगत की जगह पर आ गए. मतलब मेरी तरफ आ गए. मैं सीट पकड़े खड़ी थी तभी वहीं टॉवल जगत अंकल ने उनको दे दी, मेरी स्कर्ट नीचे हो गई थी तो टॉवल की ओट बना कर उन अंकल ने अपनी तरफ टॉवल करके अपना जिप खोल कर लंड को बाहर निकाल लिया.

वे मेरे कान में बोले- बैठ जा रानी … तू बहुत मस्त है. तेरा ही नाम वन्द्या है ना?

मैं कुछ नहीं बोली. वह मेरे लिए बिल्कुल अनजान थे. फिर उन्होंने स्कर्ट को पीछे से ऊपर किया और मेरी चूत में अपनी हथेली को लगाया. एक उंगली भी डाली तो मैं थोड़ा सा उछल गई.

इस कहानी में इन पन्द्रह दिनों तक मेरी चुत की आग को ठंडा करने वाली चुदाई की कहानी में आपको सब पूरे विस्तार से लिखूंगी. आपके कमेंट्स का इन्तजार रहेगा. [email protected] कहानी जारी है.

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