तंगहाल खाली जेब और फड़कती जवानी

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

खाली जेब और तंगहाली वैसे तो एक अभिशाप है, लेकिन मेरे जैसे कई किस्मत वाले होते हैं, जो इसी तंगहाल फाकामस्ती में अपना रास्ता खोज कर बेफिक्र जिंदगी जीते हैं. माँ बाप कब चल बसे, मुझे खुद नहीं पता, किसी रिश्तेदार का मुँह कभी नहीं देखा, बस खुद को जब से याद करता हूँ तो एक जोड़ी कपड़े में आधे भूखे पेट ही याद करता हूँ.

आज मेरी उम्र बेशक 29 साल है, परन्तु कभी खुद को जवान महसूस नहीं किया. क्योंकि बचपन कभी आया ही नहीं. होश संभाला, तब ही से पेट भरने की जुगत में लगे रहे और इसी कशमकश में कब 29 साल के हुए हमें पता ही नहीं चला.

हां … इन 29 सालों में इतना तो किया कि मजदूरी करने से ऊपर उठकर एक 10′ गुणा 20′ का एक आशियाना बना लिया, जहां पहली मंजिल पर मैं रहता हूँ और नीचे छोटी सी दुकान चलाता हूँ. दुकान भी बस इतनी ही चलती है कि दो वक़्त की रोटी मिल जाए, जिंदगी के 21 साल आधे पेट सोते रहने के बाद ये दिन आये हैं कि भरे पेट सोये.

ऐसे ही एक दिन पड़ोस वाले चौबे जी ने बात छेड़ी- भाई अब शादी ब्याह भी कर लो. हमने बड़ी बेतकल्लुफी से कहा- चौबे जी, मुझ गरीब को कौन अपनी बेटी देगा, न तो मेरे खानदान का पता है और न ही माँ बाप का.. और रही सही कसर मेरी खाली जेब पूरी कर देती है. और फिर सही बताऊँ तो कभी किसी औरत के बारे में सोचा तक नहीं, कमबख्त लंड खड़ा होता है भी, तो नींद में जागते हुए, तो वो अपनी पिछले मोहल्ले वाली चमेली रांड की गोरी गोरी चूचियां देख कर भी खड़ा नहीं होता. आप क्यों मजाक उड़ाते हैं, कोई और बात कीजिये.

चौबे जी बोले- कल सुबह, तैयार रहना, इतवार है और मेरे साथ चलो. बस का खर्चा मैं दे दूंगा, तुम बस मेरे साथ चलो. बस इतना बताओ कि लड़की पढ़ी लिखी दिखाऊँ या तुम्हारी तरह काम चलाऊ पढ़ी हुई. मैंने कहा- ज्यादा पढ़ी लिखी कहां मुझ गंवार पर जंचेगी, दूसरी टाइप की ही देख लेते हैं.

अगले दिन सुबह बस पकड़ी और हम दोनों एक नज़दीक के गाँव में पहुँच गए. एक छोटे से घर में बुजुर्गवार दंपत्ति बैठे हुए थे. जा कर बात की, तो पता चला कि उनकी दो बेटियां हैं, एक की उम्र 28 साल (पद्मा) और दूसरी की उम्र 30 साल (शीला) है, दोनों विधवा हैं. बड़ी वाली के एक पैर में नुक्स है, इसलिए वो लंगड़ा कर चलती है और रंग गहरा सांवला है, वहीं छोटी वाली नाटे कद की और गहरे सांवले रंग की.

बुजुर्गवार दंपत्ति ने आवाज़ दे कर दोनों को बुलाया, तो उन दोनों को ध्यान से देख कर अचानक मुँह से निकला- चौबे जी, मेरा तो दोनों से ही ब्याह करवा दो. इतना सुनकर चौबे जी तो एक बारगी सफ़ेद हो गए, परन्तु दोनों लड़कियों के माँ बाप ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. बड़ी लड़की बोली- अगर माँ और बाबूजी हां कर देते हैं, तो हम दोनों बहनों को कोई परेशानी नहीं है.

वहीं बात पक्की हो गयी और मंदिर में जाकर उसी वक़्त ब्याह हो गया.

सब कुछ कर करा कर शाम 5 बजे तक घर पहुंचे, तो चौबे जी के घर से खाना वगैरह आ गया था. चौबे जी ने हमें घर में प्रवेश करवा कर, दोनों से चाय बनवाई और पीकर चले गए.

हमने भी नीचे जाकर चौबे जी को राम राम कह कर अलविदा कहा. फिर मैं नीचे का दरवाज़ा बंद किया और डोर-बेल का कनेक्शन बंद करके ऊपर आ गया.

‘शीला जी, पद्मा जी, आपकी और हमारी शादी तो हो गयी, पर हम आपको बता दें कि हमने कभी किसी औरत को हाथ भी नहीं लगाया और न ही कभी किसी को गलत नज़रों से देखा, आप दोनों तो फिर भी तजुर्बेकार हैं. हम तो बचपन ही से बस इसी जुगत में लगे रहे कि भूखे पेट न सोना पड़े, दो जोड़ी फटे हुए कच्छे बनियान और दो जोड़ी कपड़े हैं, न कोई धन.. न दौलत. आप दोनों को देखा तो पता नहीं कैसे मुँह से निकल गया कि दोनों से ही शादी कर लूँगा और आप मान भी गईं.

शीला ने शरमाते हुए धीमे से कहा- अशोक जी, आप कम से कम दो जोड़ी फटे हुए कच्छे बनियान पहनते तो हैं, हम दोनों पिछले चार साल से बस एक एक सलवार कमीज़ ही पहनती आई हैं, ये तीन तीन जोड़ी साड़ियां भी चौबे जी ने भाभी जी की पुरानी साड़ियां दी हैं, जिनके ब्लाउज छोटे है, आप कहें तो हम दोनों ब्लाउज उतार कर सलवार कमीज़ पहन लें. सुबह से छोटे और टाइट ब्लाउज पहने पहने छातियां दुखने लगी हैं.

इतना सुनकर मेरा लंड अचानक खड़ा हो गया, मेरे लिए ये अजीब और नया अहसास था. अब चूँकि कमरा एक ही था और शादी के बाद बेवजह शर्म दिखाने का कोई फायदा भी नहीं था.

तो मैंने कहा- मैं भी सोच रहा था कि कपड़े उतार कर कुछ देर सो लिया जाए. गर्मी भी लग रही है, आप दोनों एक काम करो, सलवार कमीज़ रहने दो और साड़ी ब्लाउज उतार कर आराम से बैठो, यहां किसी को आना तो है नहीं, फिर बेवजह हिचक कैसी. इतना बोलकर मैंने अपनी शर्ट और पतलून उतारी तो फटे कच्छे से लंड फड़फड़ा कर बाहर आ गया और फटी बनियान से मेरे दोनों निप्पल दिखने लगे.

मेरे शर्ट और पतलून उतारने के दौरान ही दोनों ने साड़ी-ब्लाउज उतार दिए थे और दोनों के मादक जिस्म को देखने भर से ही लंड खड़ा हो गया था, जिसको देखकर शीला और पद्मा दोनों का मुँह खुला का खुला रह गया. पद्मा बोली- दीदी, इनका लंड तो देखने में ही इतना प्यारा है.

अपनी बनियान और कच्छा उतार कर मैं नंगा दोनों के नज़दीक जाकर उनकी चूचियां दबाने लगा. मुझे चूचियां दबाते देख उन दोनों ने एक दूसरे के पेटीकोट खोल दिए और दोनों नंगी हो गयी.

मैंने कहा- तुम दोनों के चुचे और चूतड़ इतने सेक्सी हैं कि किसी बुड्डे का लंड भी खड़ा हो जाए, बेवक़ूफ़ हैं वो जिन्होंने तुम दोनों से शादी नहीं की, विधवा हुई तो क्या हुआ, इतना मादक बदन हर किसी का नहीं होता, देखो मेरा लंड आज पहली बार खड़ा हुआ है. शीला बोली- आप आराम से बैठो, हम दोनों आपके लंड को आराम से प्यार करती हैं.

मुझे बिस्तर पर लेटा कर शीला और पद्मा एक साथ लंड को अपनी अपनी जीभ से चाटने लगीं. थोड़ी देर बाद दोनों ने लंड के सुपारे को भी चमड़ी से आज़ाद किया और लिंग-मुंड को जीभ से चाटने लगीं. ‘पद्मा दीदी, आप लंड को संभालो मैं अपनी चूचियां और चूत इनसे मसलवाती हूँ, फिर हम दोनों जगह बदल लेंगी.’

इतना बोलकर पद्मा उठकर ऊपर आ गयी और अपनी दोनों चूचियां बारी बारी से मेरे मुँह में देने लगी, वहीं शीला पूरा लंड मुँह में लेकर जोर जोर से चूसने लगी. पद्मा के निप्पल और चुचे मेरे चूसने से लाल हो गए. फिर उसने अपनी चूत का मुँह मेरे होंठों पर लगा दिया और मैं भी उसकी मादक खुशबू में मदहोश होकर मुखमैथुन करने लगा.

एक तरफ मैं पद्मा की चूत की चुदाई अपनी जीभ से कर रहा था, वहीं शीला अपने मुँह को मेरे लंड से लगातार जोर जोर से चुदवा रही थी. थोड़ी ही देर बाद पद्मा गर्म होकर झड़ गयी और मेरा लंड भी शीला के मुँह में झड़ गया. जहां शीला ने मेरा सारा वीर्य पी लिया, वहीं मैंने पद्मा की चूत का पानी पिया.

‘बिल्लो, मज़ा आ गया, इसका लंड जितना स्वाद है, उससे ज्यादा इसके लंड का पानी है. अब तू आ, मेरी चूत और मेरी चूचियां इसके होंठों के लिए बेताब हैं.’ बड़ी शीला छोटी पद्मा से बोली. दोनों ने अपनी अपनी जगह बदल ली और पद्मा ने बैठे हुए लंड को साफ़ किया और चूस चूस कर उसे खड़ा करके अपने मुँह की चुदाई करवाने लगी.

शीला के चुचे पद्मा से बड़े और ज्यादा मुलायम थे और शीला की गांड भी पद्मा की गांड से बड़ी और सेक्सी थी. शीला के चुचे और चूत में मैं इस कदर खो गया कि मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि पद्मा ने कितनी बार मेरे लंड का पानी पिया.

फिर हम तीनों थककर लेट गए, दोनों मेरे अगल बगल में लेटकर मेरे दोनों निप्पल चूसने लगीं.

निप्पल चूसते चूसते पद्मा बोली- तू सही कह रही थी, दिल करता है कि अपने सैयां का लंड चूसते रहें और मज़ा लेते रहें. शीला मुझसे बोली- हम दोनों बहनों की सेवा पसंद आई पतिदेव को या नहीं? ‘तुम दोनों ने मुझे पागल कर दिया है, चार बार पानी छोड़ने के बाद भी लंड खड़ा है. देख, अब तुम दोनों की चूत की बारी है, अपनी अपनी टांगें ऊपर उठा लो और चुदने को तैयार हो जाओ.

मैंने दोनों की टांगें ऊपर उठवा कर दोनों की गांड साथ साथ में बिस्तर के कोने में लगा कर, बारी बारी से लंड दोनों चूतों में अन्दर बाहर करने लगा. अन्दर बाहर करने और चूत बदलते रहने से लंड को आराम भी मिल जाता था. जिसकी वजह से दोनों को मैं पौन घंटा तक चोदता रहा. इस पौने घंटे में दोनों तीन तीन बार झड़ गयी और मेरा लंड था कि झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था. आखिरकार मैंने दोनों चूतों में आधा आधा पानी छोड़ा और हम तीनों थककर ऐसे ही सो गए.

रात को करीब 12 बजे मेरी नींद खुली, तो मैंने अपने मुँह को शीला की चुचियों के बीच पाया. थोड़ा हटा, तो देखा कि पद्मा जागी हुई है और मेरे सोये लंड को चूस रही है. उसको लंड चूसता देखकर मैंने शीला को हिलाना चाहा, पर वो गहरी नींद में थी, इसलिए मैंने अपना सारा ध्यान पद्मा पर लगा दिया और कुछ ही सेकंड में लंड खड़ा हो गया.

मैं ज़मीन पर खड़ा हो गया और पद्मा स्टूल पर बैठ कर लंड चूसने लगी. मैंने उसको थोड़ी देर बाद गोदी में उठा कर उसके होंठों को, गालों को, उसके चूचों को, कमर को चूमना चाटना शुरू किया, तो वो उत्तेजना और हवस में पागल हो गयी.

वो बोली- हे मेरे लंड देवता, मुझे और पागल करो, मुझे चोद दो, मेरी गांड का भी कल्याण कर दो मेरे राजा, मेरी चूत को और मसलो अपने लंड से, मेरी गांड भी फाड़ दो है मेरे लंड नाथ.

ये सुनकर मैंने उसे कुतिया बनाया और उसकी चूत में लंड जोर के झटके से घुसा दिया. उसकी चूत ने थोड़ी ही देर में पानी छोड़ दिया, पर मेरा लंड अभी और बेकरार था, इसलिए मैंने चूत से लंड बाहर निकाल कर उसकी गांड में डाल दिया और पद्मा भी चूतड़ हिला हिला कर गांड मरवाने का मज़ा लेने लगी.

लगभग 25 मिनट तक उसकी चूत और गांड को पेलने बाद भी लंड लोहे की रॉड जैसे खड़ा था. पद्मा थककर निढाल थी.

तभी आवाजें सुनकर शीला उठ गई और लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी. वो मेरे लिंग मुंड को जीभ से सहलाने लगी. फिर वो भी कुतिया बनकर बोली- मेरी गांड और चूत का भी भला कर दो लंडराज.

मैंने उसकी गांड में लंड घुसेड़ा और शीला चूतड़ उठा उठा कर गांड मरवाने लगी. बस 5-7 मिनट उसकी गांड मारने के बाद मैंने लंड उसकी चूत में घुसा दिया और 20 मिनट तक उसको चोदता रहा. आखिरकार लंड जब अपना पानी छोड़ने वाला था, तब मैंने लंड उसकी गांड में घुसाया और सारा पानी उसकी गांड में छोड़ा.

इतनी ज़बरदस्त चुदाई के बाद हम तीनों ने खाना गर्म करके खाया और सो गए. सुबह फिर एक दूसरे को खुश करने के लिए जिन्दगी की गाड़ी आगे बढ़ने को थी.

कहते हैं न कि समय का फेर कब किस करवट ले ले, किसी को कुछ पता नहीं होता. बनाने वाला भी अपने खिलौनों से किस तरह का खेल खेलता है, ये किसी को आज तक न समझ आया है और न ही आएगा.

आशा आपको मेरी अजीब हिंदी सेक्स कहानी पसंद आई होगी. [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000