देवर जी को ही पतिदेव मान लिया-2

देवर भाभी सेक्स की मेरी कहानी के पिछले भाग देवर जी को ही पतिदेव मान लिया-1 में आपने पढ़ा कि मेरे पति शादी के अगले दिन किसी रिश्तेदारी में चले गए थे. वह उसके एक दिन बाद आने वाले थे. मैंने मौके का फायदा उठाकर राहुल पर डोरे डालना शुरू कर दिया. राहुल भी मेरे जाल में फंस गया और मेरे होंठों को चूसते हुए मेरी गांड को दबाने लगा. मेरा मन कर रहा था कि अभी अपनी निगोड़ी चूत को इसके लंड से चुदवा लूं. अब आगे:

जिंदगी में पहली बार ऐसे किस किया था किसी ने मुझे. उसके अहसास से ही मेरी चूत में से पानी बहने लगा था। इतने में ही दरवाजे को बाहर से कोई ठोकने लगा. मैंने उठकर दरवाजा खोला तो बाहर ननद खड़ी थी। वो बोली- भाभी आप खाना खा लो और राहुल को भी खाना खिला दो.

मैंने कहा- ठीक है आती हूँ। मैंने राहुल से कहा- देवर जी, मैं आपके लिए और अपने लिए खाना लेकर आती हूँ, तब तक आप हाथ मुँह धो लो. राहुल ने हाँ में सिर हिलाया.

फिर मैं खाने की एक थाली लगा कर लायी और हम दोनों खाना खाने बैठ गए. कभी मैं राहुल को अपने हाथों से खाना ख़िलाती तो कभी राहुल मुझे खिलाते. खाना खत्म होने के बाद मैंने राहुल को गिलास में पानी दिया तो राहुल बोले- भाभी, पहले आप पानी पीओ. मैं आपका झूठा पानी पिऊंगा. मैं मुस्कराई और मैंने पहले पानी पीया, फिर राहुल ने मेरा झूठा पानी पिया. फिर मैंने भी उनका झूठा पानी पीया।

राहुल मुझे बोलने लगे- भाभी, आप कितनी अच्छी हो, मेरा कितना ख्याल रखती हो, और आप कितनी सुंदर हो. मैंने हँसते हुए राहुल को अपनी बांहों में ले लिया. राहुल भी अपने हाथ मेरी पीठ पर फिराने लगे.

मैंने राहुल की गर्दन पकड़कर उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया. राहुल भी जोश में आ गए. वो भी मेरे होंठों को चूसने लगे. वो कभी मेरी जीभ को चूसते तो कभी मेरे होंठों को. राहुल ने कहा- रुको भाभी! मैंने कहा- क्या हुआ? वो बोला- भाभी मेरे लिए संतरा और थोड़े अंगूर ले आओ. मैं चुपचाप वहाँ से उठकर चली गयी और वो सामान लेकर आई. राहुल के पास मैंने सामान रख दिया और राहुल से बोली- राहुल मैं अभी आती हूँ. पहले मैं फ्रेश होने खेत में जाऊंगी. फिर मैं थोड़ी देर सास के पैर दबा कर आपके पास आती हूँ तब तक आप संतरा और अंगूर खा लो. राहुल ने कहा- ठीक है।

मैं सब काम खत्म करके लगभग पौने दस बजे अपने कमरे में आ गयी और अंदर से कुंडी बंद कर ली. राहुल बेड पर लेटे थे. दीवार की तरफ मुँह करके वह लेटा हुआ था और मैं भी जाकर राहुल के पीछे लेट गयी. मैंने राहुल को सीधा किया और उनके ऊपर आ गयी और उन्हें किस करने लगी. मैं राहुल को कभी माथे पर चूमती तो कभी गर्दन पर. कभी कानों को काटती तो कभी गालों को. राहुल अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को सहला रहे थे. उनके हाथ मेरी पीठ और और चूतड़ों पर चल रहे थे।

तभी अचानक राहुल बोले- रुको भाभी … उन्होंने मुझे अपने ऊपर से उठाया और उन्होंने वो संतरा और अंगूर उठाए. मैंने कहा- आपने खाये नहीं? वो बोले- मैं आपके बिना कैसे खा सकता हूँ?

मैं बहुत खुश हुई. फिर वो संतरा छीलने लगे. छीलने के बाद उन्होंने एक टुकड़ा निकाला और आधा अपने होंठों में दबा लिया और मेरी तरफ इशारा किया. मैं समझ गयी, मैंने भी वो आधा टुकड़ा अपने होंठों में ले लिया और उसे हम दोनों चूसने लगे. जैसे ही वो टुकड़ा खत्म होता राहुल मेरे होंठों को चूसने लगते. सच में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. ऐसे ही हमने अंगूर और संतरा खत्म कर दिया। उसे खत्म करते ही राहुल ने मुझे बेड पर सीधा लिटा लिया और मेरे ऊपर आ गए.

सबसे पहले वो मेरे माथे को चूमने लगे, मेरे गालों को चूमने लगे, मेरे कानों की लड़ी को अपने होंठों से चूसते तो कभी मेरी नाक को चूसते. अब वो मेरी गर्दन को चूमने-चूसने लगे. मैं तो बस मरी जा रही थी. मेरी सीत्कारें निकल रही थीं आआहहह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊऊह … अब राहुल केवल मेरे होंठों को चूसे जा रहे थे. वो मेरी जीभ को पकड़ लेते तो काफी देर तक तो मेरी तो साँसें ही अटक जाती थीं। अब राहुल मेरे बोबों को मसलते हुए नीचे मेरे पेट को चूसने लगे और मेरी नाभि में अपनी जीभ डालने लगे.

सच्ची बहुत मजा आ रहा था। मैं तो जैसे स्वर्ग में थी. पूरी ज़िंदगी मिल गयी थी मुझे. अब ऐसा लग रहा था कि दुनिया बस यहीं रुक जाए. मेरा पेट चूसते-चूसते राहुल मेरी टांगों के बीच में आ गए. उन्होंने मेरी साड़ी और पेटीकोट को उठाकर ऊपर कर दिया और मेरी पैन्टी को उतार फेंका. राहुल ने मेरी दोनों टाँगों को फैला दिया और बड़ी गौर से मेरी चूत को देखने लगे. फिर राहुल ने मेरी चूत की चुम्मी ले ली. मैं सर से लेकर पांव तक काँप गई।

देवर जी अब अपनी जीभ मेरी चूत पर घुमाने लगे. राहुल मेरी चूत की पंखुड़ी (जो चूत के बीच में खाल सी होती है) को अपने होंठों से पकड़ कर चूस रहे थे. राहुल चुदाई में बहुत माहिर थे। मुझे लग रहा था कि राहुल मेरा पानी ऐसे ही निकाल देंगे। राहुल कभी मेरी चूत को चाटते तो कभी उसमे एक उंगली डाल कर अंदर बाहर करने लगते. मुझे बहुत मजा आने लगा। वो मेरी चिकनी चूत को बेदर्दी से चाट रहे थे. मैं तड़प रही थी. राहुल अपनी जीभ मेरी चूत के छेद के अंदर डाल रहे थे।

राहुल बहुत अच्छे से मेरी चूत को चाट रहे थे. वो जानते थे कि औरत को कैसे गर्म किया जाता है. राहुल मेरी चूत के दाने को अपनी जीभ से पकड़ कर चूसे जा रहे थे। बीच में राहुल अपनी जीभ को चूत के छेद में अंदर तक डालकर चाटते तो मैं तो बस पागल सी हो जाती थी. ज़िन्दगी का असली मज़ा तो यही होता है। मैं राहुल के सिर को पकड़कर कर अपनी चूत में दबाये जा रही थी। ऐसा मज़ा मैंने आज तक नहीं लिया था. मेरी चूत किसी ने नहीं चाटी थी.

अब मुझसे सहन नहीं हो रहा था।अब जैसे ही राहुल ने मेरी चूत से मुँह हटाना चाहा तो मैं राहुल के सिर को अपने हाथों से अपनी चूत पर दबा कर सिसियाने लगी- आआआ … आआअहह … ओह माय गॉड … चूसो मेरी चूत को राहुल … खा जाओ आप मेरी इस चूत को … इसने आपके बहुत सपने देखे हैं. मैं तुम्हारी बनकर रहना चाहती हूँ. राहुल मुझे चोद कर अपनी बना लो. राहुल मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। राहुल बोले- भाभी, मैं भी आपको बहुत प्यार करता हूं।

मैं बहुत मस्ती में आ गयी थी. मैं राहुल के सिर को अपनी चूत पर दबाते हुए अपना पानी छोड़ने लगी और अपनी चूत को झटकों के साथ राहुल के मुँह पर रगड़ना शुरू कर दिया। मैंने सिसकारते हुए अपना सारा पानी राहुल के मुंह में छोड़ दिया. राहुल पी जाओ मेरा पूरा पानी … आआआह … आहसीईई …. ऐस्स्स्से … ही चाटो आहह्ह … खा जाओ … मेरी चूत राहुल. मैं सिसयाते हुए राहुल का हाथ पकड़ कर अपनी चूचियों पर रखकर दबाने लगी। मेरा इशारा समझते ही राहुल मेरी चूचियाँ दबाते हुए मेरी चूत को पूरी तरह खींच-खींच कर चाट रहे थे।

राहुल का जब मन भर गया मेरी चूत चाटते हुए तब राहुल ने कहा- भाभी खड़ी हो जाओ. मैं बेड से नीचे उतर कर खड़ी हो गयी. राहुल ने बेड का गद्दा उतार कर नीचे ज़मीन पर बिछा लिया और मुझे खड़े-खड़े ही मुझसे लिपट गए.

अब राहुल ने मेरी साड़ी उतारनी शुरू कर दी. साड़ी के बाद ब्लाउज, फिर ब्रा और आखिर में पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया. मैं राहुल के सामने एकदम नंगी खड़ी थी. अब राहुल मेरे शरीर को देखने लगे. अब मैंने भी राहुल के सारे कपड़े उतार दिए. जैसे ही मैंने उनकी चड्डी उतारी राहुल का लण्ड निकल पड़ा. राहुल का लण्ड ज्यादा बड़ा नहीं था लेकिन एकदम सख्त लोहे की रॉड की तरह तना हुआ खड़ा था.

मैंने उसे पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया. सच में वो बहुत ही ज्यादा हार्ड था. मैं घुटने के बल बैठ गयी और राहुल के लौड़े को चूसने लगी. जितने गोरे राहुल थे वैसा ही उनका लण्ड था. उनका आगे का टोपा एकदम सुर्ख लाल था। राहुल मेरे बालों को पकड़कर अपने लण्ड के बेदर्दी भरे झटके मेरे मुँह में मारने लगे. मेरे मुँह से गप्प … गप्प … गप्प … अम्म … की आवाजें निकल रही थीं.

राहुल ने झट से मुझे जमीन पर बिछे गद्दे पर गिरा दिया और मेरे ऊपर आ गए. अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे हो चुके थे। उसने मेरे दोनों चूचों को दोनों हाथों से पकड़ा, फिर उन्हें गौर से देखते हुए बोले कि भाभी आपके चूचे कितने गोल और बड़े हैं. टाइट भी हैं। फिर उन्हें सहलाते हुए, खेलते हुए मेरे चूचकों को मसलने लगे. अब वह अपना मुँह लगा कर उन्हें बारी-बारी से चूसने लगे. मुझे भी पूरी मस्ती चढ़ गई थी। मैं भी पूरा मजा लेना चाहती थी. मैं अपने हाथ से राहुल के लण्ड को टटोलने लगी. यह देख उसने अपना लण्ड मुझे मेरे हाथ में दे दिया। मैं भी जोश में आ गयी और लण्ड को पूरे जोर से दबा कर मसलने लगी।

हम दोनों एक-दूसरे के शरीर से खेलने लगे। कभी वो मुझे चूमते, कभी मैं उन्हें. अब हम दोनों पूरी तरह से गर्म हो चुके थे। उनका लण्ड मेरी चूत से रगड़ खा रहा था। राहुल ने अपना लण्ड मेरी चूत पर जोर-जोर से रगड़ना शुरू कर दिया और साथ ही मुझे प्यार करने लगे। कभी मेरी चूचियों को दबाते, कभी चूसते, कभी मेरे चूतड़ों को दबाते और सहलाते. राहुल मेरी गांड के छेद में भी उंगली कर देते जिससे मैं उछल जाती। मुझसे अब सहन नहीं हो रहा था. मैं अब जल्द से जल्द चूत में उसका लण्ड डलवा लेना चाहती थी पर वो बस मुझे तड़पाए जा रहे थे। वो मेरी चूत की पंखुड़ियों के बीच अपने लण्ड को रगड़े जा रहे थे। मुझे बहुत मजा आ रहा था।

अब मैंने राहुल से कहा- प्लीज … अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता, जल्दी से अपना लण्ड मेरी चूत के अन्दर डालो और मेरी चूत का कीमा बना दो. मुझे और मत तड़पाओ राहुल … प्लीज अपना लंड मेरी चूत में डालो!

अब राहुल ने अपने हाथ में थोड़ा थूक लगा कर अपने लंड के सुपारे में लगाया और मेरी चूत पर रख कर थोड़ा रगड़ा। मैं सिहर गई। फ़िर राहुल मेरी दोनों टांगों को पकड़कर ऊपर उठाने लगे और उन्होंने मेरी दोनों टांगों को मेरे सिर के इधर-उधर गद्दे से लगा दिया. अब मेरी चूत बिल्कुल ऊपर उठ गई थी। मेरी चूत बिल्कुल छत की सीध में आ गई थी. इस स्थिति में लंड चूत की जड़ तक जाता है. सबसे ज्यादा मज़ा मुझे इसी पोज़ में आता है। उन्होंने फिर अपना लण्ड मेरी चूत के मुँह पर रखकर एक जोर का धक्का मारा. मेरी चीख निकल गयी. उनका वो धक्का बहुत ज्यादा तेज था। राहुल ने धीरे से अपने लंड को बाहर निकाला और फिर जोरदार धक्के के साथ अपना लंड मेरी चूत में पेल दिया. अब राहुल ने तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए और मैं चिल्लाने लग गयी. मेरी चूत … उफफ्फ़ … ओह्ह … माय्य … गॉडड … फ़क्क … मी … देवर जी. आज तो लगता है मैं मज़े से मर ही जाऊँगी … मेरे राहुल, आप मुझे चोद कर कितना मज़ा दे रहे हो. उफ्फ़ … अहह … हाँ … और चोदो, अपनी भाभी की चूत … अंदर तक घुसेड़ दो राहुल … अपने लण्ड को … उफ्फ … अह्ह … आह … चोदो.

मैं मस्ती में राहुल को और उत्तेजित करने लगी. हाँ … हाँ … बस ऐसे ही! ऐसे ही चोदो मुझे! चोद दो मेरी चूत को अपने इस लंड से! और ज़ोर से … और ज़ोर से! हाँ राहुल … ऐसे ही … बस ऐसे ही चोदो मुझे! आहहहह … आहह … अब राहुल और तेजी के साथ मुझे चोदने लगे। राहुल ने अपने हाथों से मेरे मम्मों को फिर से दबाना शुरू कर दिया, वो दोनों हाथों से मेरे मम्मों को जकड़े हुए थे। उनके धक्के लगातार मेरी चूत को अंदर तक निचोड़ रहे थे।

मैं काफी उत्तेजित हो चुकी थी। मैं उनके सुपारे को लगातार अपनी बच्चेदानी में महसूस कर रही थी. राहुल ने मुझे चूमते हुए कहा- भाभी तुम्हारी चूत कितनी कसी हुई है. मुझे कितना मज़ा दे रही है। मैं बोली- तुम्हारे भाई से तो कुछ भी नहीं होता. उसकी लुल्ली किसी काम की नहीं है राहुल. अब तुम ही मेरे पति हो. मुझे सुहागरात का मज़ा दो.

तभी राहुल ने मुस्कराते हुए मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये और मुझे चूमते हुए मेरी चूत में लगातार धक्के लगाने लगे। मैंने भी नीचे से अपनी कमर को उछालाना शुरू कर दिया। अब मुझे और ज्यादा मजा आने लगा. राहुल ने अब अपनी गति बहुत तेज़ कर दी. मैं सिसकारियाँ लेने लगी। मेरी चूत से पानी निकलने लगा. उनके धक्कों से मेरी चूत में उसका लंड बहुत आसानी से जा रहा था। मैं तो मस्ती में कभी उनके बाल नोंचती तो कभी उनकी पीठ नोंचती.

वो भी कभी मेरे गाल काटते तो कभी चूचुकों को और जोर से दबाते. हम दोनों कभी एक-दूसरे को देखते, कभी चूमते, चूसते या काटते और इस तरह वो तेज़ी से मेरी चूत को चोदे जा रहे थे। हम दोनों पसीने से भीग रहे थे। राहुल इतनी तेज ठोकर मार रहे थे मेरी चूत में कि उनका लंड मुझे मेरी बच्चेदानी से टकराता हुआ महसूस हो रहा था. मैं चीख रही थी. आआआ … आआहह … मार डालो मुझे राहुल … आपका लण्ड … ओह माई गॉड … मेरे राहुल.

वह अपने लण्ड को जड़ तक पेले हुए मेरी पसीने से भीगी हुई काखों के पसीने को चाट रहे थे. कभी चूचियों को पीते. कभी मेरे होंठों को पीते. मैं भी उनकी हर ठोकर पर अपने चूतड़ उठा कर उनका लण्ड चूत में ले लेती. जब राहुल का लंड मेरी चूत पर ठोकर मारता तो उनके अंडकोष मेरी गांड पर लगते तो ‘थप-थप-थप’ की आवाज से कमरा गूँज उठता। आह्ह् … चोदो.. मैं झड़ रही हूँ … आह्ह.. राहुल फाड़ दो मेरी जालिम चूत को आहह्ह्ह् … चोदो … पूरी तरह निचोड़ कर पानी निकाल दो.

राहुल ठोकर पर ठोकर मार रहे थे और मेरी चूत फचफचा रही थी। राहुल मैं झड़ रही हूँ … आहह्ह्ह … ठोको अपना लंड … चोदो … फाड़ दो मेरी चूत. आह्ह … मैं बड़बड़ा रही थी. मैं पूरी तरह से झड़ चुकी थी। अब उनकी बारी थी. राहुल के धक्के अब बहुत ज्यादा तेज हो गए थे. फिर 5-7 जोरदार धक्कों के साथ वो भी झड़ गए. मैंने महसूस किया कि उनका गर्म वीर्य मेरे अन्दर गया और मेरी चूत उसके वीर्य से भर गई। वो हाँफते हुए मेरे होंठों को चूसते हुए मेरे ऊपर निढाल हो गए।

करीब 5 मिनट वो मेरे ऊपर ही पड़े रहे। फिर वो मुझसे अलग हुए. उसका लंड सिकुड़ कर छोटा सा हो गया था और मेरी चूत से उसका वीर्य बहने लगा था। हम दोनों के ही शरीर से पसीना बह रहा था। उस रात राहुल ने मुझे सुबह 5 बजे तक कई बार चोदा। वो सब मैं आपको अगली कहानी में बताऊंगी कि राहुल ने उस रात और क्या-क्या किया.

2011 से अब तक मैं राहुल से चुद रही हूँ. जब वो यहाँ गांव आते हैं तब उनके लंड पर बैठकर खेलती हूँ।

मेरी देवर भाभी सेक्स की इस कहानी के बारे में आप अपने विचार मुझे मेल आई-डी पर भेज सकते हैं। आपकी प्यारी भाभी। [email protected]