कमसिन कली की मस्त चुदाई-6

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दोस्तों आगे की कहानी- रात के 9.30 बजे डोर बेल बजी। मैंने दरवाजा खोला , सामने होटल स्टाफ ड्रेस में एक महिला खड़ी थी। मेरी नज़र उसके नेम प्लेट पर गई, ज्योति प्रिया।

मैं कुछ कहता इससे पहले वो ही बोल पड़ी।

ज्योति- सर गुड इवनिंग मैं ज्योति प्रिया, हाउसकीपिंग सुपर वाइजर। आपने ऐसी की कंपलेन की थी। अभी तो कोई प्रॉब्लम नहीं।

मैं- नहीं, अभी तो सही चल रहा है ।

ज्योति- ओके सर , आपने डिनर कर लिया?

मैं- यस ।

ज्योति- ओके सर, आपको कोई विशेष सर्विस चाहिए।

मैं उसके बोलने के तरीके से समझ गया कि वो क्या कहना चाह रही है । अगर आपने मेरी पिछली कहानियां पढ़ी होंगी तो आप जानते होंगे मैं कभी पेड सेक्स नही करता। फिर भी मैंने पूछा

मै- कंप्लीमेंट्री या पेड़ सर्विस।

ज्योति – स्माइल देते हुई बोली आपके लिए कंप्लीमेंट्री सर।

मैं- रियली ।

ज्योति- यस सर।

मैं- फिर तो मैं ट्राय करना चाहूंगा।

ज्योति- ओके सर, आप अभी तो सोने वाले नहीं है ना?

मैं- नहीं, मैं अभी दिन भर सो ही रहा था।

ज्योति- ओके सर 10.30 के बाद आपको सर्विस मिल जाएगी। बाई।

मैं- ओके।

मैं दरवाजा बंद करके अंदर आ गया और बेड पर लेट गया।

मैं ये सोच रहा था कि ये ज्योति खुद आएगी या कोई और आएगा। ज्योति 30-31 साल की ,सांवले रंग की थी। जिस्म उसका एक दम सही आकार में तो नहीं था, पर उसके बूबस बड़े बड़े थे। चेहरे पर उसके प्राकृतिक मुस्कान थी।

कमर पर थोड़ी अतरिक्त चर्बी थी।

मैं सोच रहा था चलो कोई भी आए, दिन में सो गया था तो अभी वैसे भी नींद नहीं आने वाली तो एक चूत और मिल जाएगी।

फिर लगभग 10 .40 पर बेल बजी। सामने ज्योति ही खड़ी थी। मैंने उसे अंदर बुलाया।

ज्योति – सर मेरे पास 30- 40 मिनट है हमें इतने में ही सब करना होगा।

मैं- बिल्कुल इतना टाइम बहुत है।

फिर मैंने उसे किस करने के लिये उसके कन्धों को पकड़ने के लिए आगे बढ़ा।

ज्योति- सर एक मिनट मैं अपने कपडे उतार देती हूँ। नहीं तो इनकी प्रेस खराब हो जाएगी।

वो अभी होटल ड्रेस में ही थी।

मैं- हाँ बिल्कुल।

फिर वो अपने कपड़े उतारने लगी। तो मैंने उससे पूछा।

मैं- तुम ये क्यों करती हो, क्या होटल वालों ने तुम्हें ये बोला है गेस्ट को खुश करने के लिए।

ज्योति – नहीं सर , उन्हें तो पता भी नहीं। ये तो मैं अपने लिए करती हूँ। सर शादी से पहले से ही मैं चुदाई के लिए प्यासी रहती थी। पर मैं कभी चुदी नहीं।

फिर जब शादी हुई तो मैने सोचा अब सारे अरमान पूरे करूंगी और शादी के एक साल तक हमने खूब मजे किये।

फिर ना जाने कैसे मेरे मर्द को नशे की लत लग गई। उसके बाद सब बरबाद हो गया।

अब तो वो 3- 4 महीने में एक बार चोद लेता है वो भी जब मैं जबर्दस्ती करती हूँ।

तो जब मुझे कुछ रास्ता नहीं मिला तो एक बार एक गेस्ट ने मुझे सेक्स के लिए आफर किया। तो मुझे अपनी प्यास बुझाने का मौका मिल गया। तब से मैं महीने में एक दो बार ऐसे चुदाई कर लेती हूँ।

इतने में ज्योति अपने कपड़े उतार कर एक तरफ रख दिये। वो काली ब्रा और पैंटी में थी। मुझे आश्चर्य हुआ कि उसके बदन पर एक भी बाल नहीं था। उसने अच्छे से वैक्स कराया हुआ था। उसका गहरा रंग का बदन एक दम चिकना था।

उसके बड़े बड़े स्तन ब्रा में नहीं समा रहे थे। उसकी गाँड़ एक दम शेप में तो नहीं थी, मगर बहुत बड़ी थी। उसकी पैंटी ब्रॉड टाइप थी । मगर मुझे अंदाज हो गया था कि वो भी एक दम साफ चिकनी होगी।

अदीला से ज्योति के जिस्म की कोई तुलना नहीं थी। मगर ईमानदारी से कहूं तो देसी पोर्न की मल्लू औरतों से काफी बेहतर थी। ज्योति के बात करने के तरीके से पता चल रहा था कि वो अच्छी पढ़ी लिखी होगी।

मैं उसके बैकग्राउंड की गहराई में नहीं जाना चाह रहा था क्योंकि मुझे अभी उसके जिस्म की गहराई में डूबना था। जिसके लिए मेरे पास समय कम था।

ज्योति मुझे देखने लगी। शायद वो चाह रही थी कि आगे का कार्यक्रम मैं शुरू करूँ। ज्योति ने अपनी ड्रेस की जेब से 2 – 3 कंडोम निकाल कर टेबल पर रख दिये।

मैं आगे बढ़ा और ज्योति को बाँहो में भर लिया। मैंने उसके कान में कहा कांडोम क्यों?

ज्योति- मैं गर्भवती नहीं होना चाहती। और अभी मेरा वही समय चल रहा है। मैं कोई चांस नहीं ले सकती।

मैं- ओके कोई बात नहीं।

मुझे उसके स्तन इतने मस्त लग रहे थे कि मैं उसके होठों के बजाय उसके स्तन पर टूट पड़ा। मैंने उसके स्तन को चूमते चूमते उसकी ब्रा के हुक खोल दिये। और उसके स्तन आजाद हो गए।

मैं उसके निप्पल बारी बारी से चुसने लगा।

मैंने अंडरवियर और गाउन पहना हुआ था। मैंने अपना गाउन उतार दिया। अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था।

मैं उसके निप्पल्स को फिर से चुसने लगा। मेरा लन्ड खड़ा हो गया था। जब मैं ज्योति के निपल्स चूस रहा था। ज्योति का एक हाथ मेरे लन्ड पर चला गया। वो ऊपर से ही मेरा लण्ड सहलाने लगी।

फिर ज्योति बोली- सर मुझे भी कुछ करने का मौका दो।

मैं- बिल्कुल पर एक शर्त है मुझे नीरज बुलाओ।

ज्योति- ओके नीरज , अब मैं तुम्हारे लन्ड की सेवा करती हूँ।

ज्योति की आँखों मे चुदाई की भूख साफ दिख रही थी।

वो सोफे पर बैठ गई।

मैं उसके सामने खड़ा हो गया। वो बिना मेरा अंडरवियर उतारे ,ऊपर से मेरा लन्ड चाटने लगी। वो बहुत अच्छे से नीचे से ऊपर तक चाट रही थी। मेरा लन्ड और ज्यादा सख्त होने लगा।

फिर उसने एक झटके से मेरा अंडरवियर उतार दिया, मेरा लन्ड स्प्रिंग की तरह हिलेने लगा। अब वो अंडे से लेकर ऊपर तक लन्ड को चाटने लगी।

फिर उसने मेरे लन्ड पर थूका और अपने हाथ से मेरे लन्ड की मालिश करने लगी।वो सब इतने अच्छे से कर रही थी कि इतना आनंद आ रहा था जिसे शब्दो मे बयान नहीं किया जा सकता।

फिर वो मेरा लन्ड चुसने लगी। बीच बीच मे वो पूरा लन्ड अंदर तक ले रही थी। मैं पागल हो रहा था मैंने उसके सिर को पकड़ा हुआ था। फिर मैंने उसके सिर को हटाने की कोशिश की ।

ज्योति- क्या हुआ।

मैं- तू अगर ऐसे ही चूसती रहेगी तो मैं झड़ जाउँगा ।

ज्योति- कोई नहीं आप मेरे मुँह में ही झड़ जाओ।

और वो फिर से चुसने लगी। इतने मेरे लण्ड को ठहराव मिल गया। ज्योति फिर अपने काम मे लग गई।

कभी कभी वो मेरी ऊपर मेरी आँखों मे झांक रही थी।

मैं- आह ज्योति तू तो कमाल चूसती है। तू तो लन्ड की भूखी है। चूस मेरा लन्ड चूस।

ज्योति ने चुसने की गति बढ़ा दी। अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा था।

मैं- ज्योति मैं झड़ने वाला हूँ , मैं झड़ने वाला हूँ।

ज्योति और जोर जोर से चुसने लगी।

मैं- आह आह और मैं उसके मुँह में झड़ गया। मैंने कस के उसका सिर पकड़ लिया। मेरे लन्ड की एक एक बूंद उसके मुँह में गिर गई ।

फिर ज्योति अलग हुई उसने टेबल से टिशू पेपर लिया औऱ उसमे सारा वीर्य निकाल दिया।

अब मैंने उसको सोफे पर पीछे किया। उसका सिर सोफे के बैक पर था, पांव नीचे । मैंने उसकी पैंटी उतार दी। और जैसा मैंने सोचा था

उसकी चिकनी चूत मेरे सामने आ गई। जो गीली थी और थोड़ी फूली हुई थी।

मैंने उसे जाँघो से चाटना शुरू किया और उसकी चूत पर पहुँचा। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।

ज्योति- आह जान चाटो मेरी चूत।

मैंने अपनी उंगलियों से उसकी चूत को खोला, और उसके दाने को जीभ की नोक से चाटने लगा। फिर मैंने अपनी दो उंगलिया उसकी चूत में घुसा दी, और उंगलियों से उसे चोदने लगा। और उसके दाने को चाट रहा था।

ज्योति- आह जान मज़ा आ गया, चाट मेरी चूत , ओह बहुत मज़ा आ रहा है। आह आह,

मैं उसके दाने को चुसने लगा, और अपनी उंगलियों को तेजी से अंदर बाहर करने लगा। वो बेचारी इस झेल ना पाई, उसका शरीर काँपने लगा। आंखे बंद हो गई।

ज्योति- आह मुझे हो रहा है आह आह,

उसने मेरा सिर पकड़ लिया। फिर वो झड़ गई। उसके माल मेरे मुंह मे आ गया। बहुत मस्त स्वाद था।

मेरा लन्ड फिर खड़ा हो गया। मैंने उसे बेड पर लिटा दिया।

मैं उसके पैर के अंगूठे से उसे चाटना शुरू किया फिर मैं चाटते चाटते मैं उसकि नाभि पर पहुंचा। मैं उसकी नाभी को चाटने लगा।

ज्योति खुद ही अपने स्तन मसल रही थी। फिर मैं उसके स्तन चाटने लगा। और उसके निप्पल चुसने लगा। उसकी आँखें बंद थी।

फिर मैं उसके होंठो पर पहुंचा, अब मैं पहली बार उसके होंठ चूम रहा था। मैंने उसकी जीभ को दांतों से पकड़ कर बाहर निकाल और उसकी जीभ को चुसने लगा। फिर उसने भी मेरी जीभ को चूसा।

मेरा लन्ड उसकी जांघो से टकरा रहा था।

ज्योति- जान अब बर्दास्त नहीं हो रहा। अब अपना लन्ड डाल दो। बस पहले कांडोम लगा लो।

मेरा मन तो नहीं था, पर मैंने उसकी भावनाओं की कद्र की, और एक कंडोम लगा लिया।

अब मैंने उसकी कमर के नीचे एक तकिया लगाया, और उसकी टाँगों के नीचे हाथ डालकर उनको ऊपर उठाया। फिर मैंने अपना लन्ड एक झटके से उसकी चूत में डाल दिया। उसकी आह निकली। अब मैं लन्ड अंदर बाहर करने लगा।

मैं- क्यों जान मज़ा आ रहा है।

ज्योति- हाँ जान मज़ा आ रहा है, चोदते रहो, आज बहुत दिन बाद लन्ड मिला है।

मैं- हाँ जान तेरी चूत की प्यास ज़रूर बुझाऊँगा।

मैं अभी धीरे धीरे धक्के दे रहा था। थोडी देर बाद ज्योति बोली।

जान जोर से धक्के दो मुझे होने वाला है।

मैंने जोर जोर से चोदने लगा। और थोड़ी देर में वो झड़ गई।

मग़र मैं अभी झड़ा नहीं था उपर से कंडोम की वजह से मैं जल्दी झड़ने वाला भी नहीं था। अब मैंने अपने हाथ उसके पाँव के नीचे से निकाले और उसके ऊपर लेटते हुए उसके किस करने लगा।

मैं उसके बूबस भी दबा रहा था, और चोद भी रहा था।

ज्योति- जान तुम्हे नहीं हुआ अभी।

मैं – अभी कहाँ ।

मैं उसे जोर जोर से चोदने लगा। 3-4 मिनट बाद ज्योति फिर झड़ गई। मग़र मैं नहीं झड़ा। मुझे खुद समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्यों झड़ नहीं रहा। रूम में ऐसी चल रहा था और हम पसीने पसीने हो गए।

ज्योति- जान अभी भी नहीं हुआ।

मैं- हाँ अभी नहीं हुआ, चलो फिर कोशिश करते हैं।

ज्योति- अरे मुझे कल घर भी जाना है, मेरी चूत का बुरा हाल हो गया।

मैं- तो मैं क्या ऐसे ही रह जाउँगा।

ज्योति- ऐसा करो तुम बिना कण्डोम के मेरी गाँड़ मार लो फिर शायद झड़ जाए।

मैं – हाँ ये तो सही है।

मैंने कंडोम निकाला जो ज्योति के पानी से पूरा गिला हो गया था। फिर मैंने अपना लन्ड ज्योति के मुँह में डाला उसने थोड़ी देर चूसा। फिर मैंने उसे घोड़ी बनाया । मैंने बहुत सारा थूक उसकी गाँड़ के छेद में डाला।

फिर मैंने अपना लन्ड उसकी गाँड़ में धीरे धीरे घुसना शुरू किया।

ज्योति- आह ये तो बहुत बड़ा है। मेरी गाँड़ फट जाएगी।

मैं- अरे कुछ नहीं होगा , तुझे भी मज़ा आएगा।

फिर धीरे धीरे मैंने अपना पूरा लन्ड उसकी गाँड़ में डाल दिया।

फिर मैं लन्ड अंदर बाहर करने लगा।

मैं- तूने कभी पहले गाँड़ मरवाई है।

ज्योति- हाँ जान मरवाई है। पर बहुत दिन हो गए। लन्ड बहुत अंदर तक जा रहा है।

मैं-तेरे आदमी का कितना बड़ा है।

ज्योति- है तो उसका भी बड़ा , पर क्या फायदा जब चोदता ही नहीं।

मैं- हाँ ये बात भी है।

मैं अभी धीरे धीरे ही उसकी गाँड़ मार रहा था ताकि वो भी कंफरटेबल हो जाये।

थोड़ी देर में वो बोली अब स्पीड बढ़ाओ , टाइम भी हो रहा है मुझे जाना है।

मैं- ओके ,।

फिर मैं जोर जोर से उसकी गाँड़ मारने लगा।

ज्योति- आह आह , ओह माई गॉड, मर गई।

मैं- जान तेरी गाँड़ तो बहुत टाइट है। मज़ा आ रहा है।

ज्योति- अरे जल्दी करो मैं मरी जा रही हूँ।

मैं- अच्छा ठीक है, मैं जोर जोर से उसकी कमर पकड़ के उसकी गाँड़ मारने लगा।

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।

मैं- आह आह ज्योति आह..

ज्योति- ओह जान मेरी गाँड़ फट रही है। करो करो

मैं- आह आह यस मुझे हो रहा है। यस!

फिर मैं उसकी गाँड़ में झड़ गया।

थोड़ी देर मैं ऐसे ही रहा। जब लन्ड ठंडा हो गया , मैंने लन्ड बाहर निकाल। मैं बिस्तर पर लेट गया।

ज्योति- सर बहुत मज़ा आ गया। बहुत दिनों के बाद ऐसा सेक्स किया है।

फिर वो बाथरूम में गई, वापस आकर वो कपड़े पहनने लगी।

ज्योति- सर आप कब तक हैं यहाँ ?

मैं- बुधवार सुबह चेक आउट करूँगा, कल फिर आओगी क्या?

ज्योति- नहीं सर कल मेरा ऑफ है, सोमवार से मॉर्निंग शिफ्ट है।

मैं- ओके कोई बात नहीं।

फिर वो चली गई,मुझे भी ऐसे ही नींद आ गई। फिर सुबह उठकर मैंने सारे काम निपटाये। ब्रेक फ़ास्ट करके मैंने अदीला के दिये नंबर पर फ़ोन किया। उधर से अदीला की अम्मी – हेल्लो कौन

मैं- जी मैं नीरज बैंगलोर से आया हूँ।

अम्मी- हाँ हाँ , अभी कहा है आप?

मैंने अपने होटल का नाम बताया।

अम्मी- आज आपको अपने आफिस का काम है क्या?

मैं- नहीं आज तो रविवार है।

अम्मी- अच्छा आपको तकलीफ ना हो तो क्या आप ये घर आकर दे सकते हैं।

मैं- हाँ जी कोई प्रोब्लेम नहीं। आप एडरेस और लोकेशन शेयर कर दीजिए।

अम्मी- आपका इसी नम्बर पर व्हाट्सप्प है।

मैं- जी।

अम्मी- ओके मैं आपको एडरेस और लोकशन शेयर करती हूँ।

मैं- जी ठीक है , मैं लगभग 12 बजे तक आ जाउँगा।

अम्मी- ठीक है।

फिर उसने थोड़ी देर में एड्रेस और लोकेशन शेयर कर दी।

अभी सुबह के 10 बज रहे थे। मैं टीवी देखने लगा, लगभग 11 बजे मैने कब बुक करी और अदीला के घर के लिए निकल पड़ा…

कहानी आगे जारी रहेगी .. कहानी कैसी लगी ज़रूर बताएं।

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